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Sunanda Aswal

Inspirational

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Sunanda Aswal

Inspirational

समझौता(महिलाएं)

समझौता(महिलाएं)

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एक बार एक महिला ने सोचा कि ,क्यों न ईश्वर से पूछूं सारा जीवन क्या उसने ही समझौते करने का केवल उसने ही ठेका लिया ? क्या पुरुष की कोई जिम्मेदारी नहीं ,कि वह भी समझौता करे ! ऐसे जीवन पर धिक्कार है जिसे, उसे दिनभर के पचास समझौते करने पड़ते हैं ।

वह परेशान होकर पास में ही एक कल्पवृक्ष के निकट कृष्ण जी के मंदिर ग‌ई ,वहां उसने ऐसा नजारा देखा कि ,वह चौंक ग‌ई ,जिन्हें वह अभी तक पुरुष समझती थी वे सब तो नारी बन चुके थे और जिन्हें वह महिला समझती थी वे सब पुरुष बन चुके थे ।

उसने सोचा वह क्यों न खुद को ही दर्पण में देखे ,वह दौड़कर अपने घर में लगे कमरे के आगे ग‌ई ,उसकी काया पलट चुकी थी जबकि वह खुद ही एक पुरुष बन ग‌ई थी ।

उसने पति की जगह एक स्त्री देखी तोदिल और भी भर गया ,पास जाकर वह पुरुष बनी स्त्री बोली,"क्या बनेगा आज ।"

पहली बार किसी ने उससे पूछा था ,झट से बोली ,"दाल चावल,रायता खीर,सभी छप्पन भोग के व्यंजन बनाओ , ताकि मन भी थाली की तरह तृप्त हो जाए ।"

",ठीक है सब बना दूंगी ,पर सामग्री लानी होगी न ।"पुरुष बना स्त्री बोली ।

आखिरकार बड़ी मुश्किलों से स्त्री बने पुरुष को बाजार से सामाग्री जोड़ने में मशक्कत करनी पड़ी।

वह डर गया । फिर भी कुछ सामाग्री घर तक न पहुंच पाई । उसने कह ही दिया,"जब मैं पुरुष था तो सब सही ढंग से आता था एक तुम हो आज ऐसा दिन आएगा मालूम नहीं था.."

",नहीं श्रीमान ! ऐसा नहीं है मैंने भी क‌ई समझौते किए ,जब हरा धनिया मंगवाया तो सूखा धनिया लाए ,जब आम का अचार मंगाया तो मुरब्बा ले आए ..यह समझौता ही था जो मैं चुप रही ।"

उधर पुरुष बने स्त्री को भोजन बनाने में कम पापड़ नहीं बेलने पड़े । कुछ पकवान फीके तो कुछ कच्चे रह ग‌ए । इधर वह भी समझ ग‌ई कि अब उसकी बारी है ।

",देखो ..! ये क्या भोजन बना है न नमक न मिर्चा ,इस भोजन से स्वादिष्ट तो पानी है ,कच्चा और पक्का ,उफ्फ !!। स्त्री बनी पुरुष ने गुस्से में कहा ।

पुरुष बना स्त्री बोला ,"में ने भी सौ बार बिना नमक के चटनी खाई ,दाल पानी पानी खाई ,यह समझौता ही तो था ,बॉस की झिड़कियों से भी समझौता किया, दो पैसे कमाकर मेहनत से लाया और तुम्हारे हाथों में खुशी खुशी पगार रखी ,कभी चेहरे की शिकन से समझौता किया तो कभी परिवार की खुशियों के लिए ।"

पुरुष बना स्त्री समझ चुका था बोला ,"जब सब बिना उलट- पलट के ठीक चल रहा था ,तो यह स्त्री पुरुष के जीवन के झमेले में पड़कर,यह समझौता किसने करवाया?

स्त्री बना पुरुष चुप था ,वह पश्चाताप से भरा था और अब उसे इस समझौते की कीमत कदम कदम पर चुकानी पड़ रही थी ।



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