बीस साल बाद ( मित्र)
बीस साल बाद ( मित्र)
वृक्षों में आम के कोंपल आने लगे । मित्र ने बीस वर्ष पश्चात मिलने के लिए कहा था , किंतु वह तो मिला नहीं ।उसकी जगह एक अजनबी को देखकर वह ठिठक गया था । बोला ," आप कौन हैं? किसको तलाश कर रहें हैं ?"
" , मित्र से मिलने का , मैंने वादा किया था "अजनबी बोला ।
",ओहह ! पर ऐसा क्या था? "दूसरा व्यक्ति बोला ।
",हमने वादा किया था ,बीस साल बाद अपने अपने वर्तमान के साथ मिलेंगे । "
",अच्छा ! यह तो बहुत अच्छा वादा था ।"
",बहुत देर हुई पर ,मेरा मित्र अभी तक नहीं पहुंचा।"वह अजनबी बोला।
", कुछ याद आया दो घंटे पहले एक पुलिसकर्मी गार्ड के भेस में आया था ,वही तुम्हारा मित्र था , तुम्हें देखकर वह दुखी था । कि ,तुम नामी गिरामी अपराधियों की सूची में हो और तुम्हारा नाम भी बदला हुआ है । तुम्हें देखते ही उसकी आंखों में आंसू थे ,वह पहचान गया था , इसलिए तुम्हें पकड़ने वह आ न सका मुझे उसने तुम्हें गिरफ्तार करने भेजा है ।"
",ओहह ! वक्त के साथ मेरा मित्र पुलिस आफिसर बन गया और मैं ग़लत राह में चलकर अपराधी बन गया । अफसोस! "वह रो पड़ा ।
अब जल्दी चलो , तुम्हारा वक्त पूरा हुआ ,जो वक्त की करवट को पहले पहचान लेते हैं वे सफल हो जाते हैं जो वक्त गंवाते हैं वह पश्चात करते हैं ,चलो आओ तुम्हें गिरफ्तार करता हूं, खराब वक्त के लिए तुम खुद जिम्मेदार हो । इसके लिए मित्र को दोष मत देना । सरकार ने तुम्हारे लिए जो इनाम रखा है वो भी उसे ही मिलेगा। "
अपराधी समझ नहीं पा रहा था ,वह उसका मित्र था कि शत्रु ?
बदलते वक्त के साथ उसका नया रिश्ता बन गया था ,एक सिपाही और एक अपराधी का रिश्ता ,जो कभी नहीं बदल सकता था ।
