वो एक मुखौटा लगाए जीवन संग्राम में आगे बढ़ जाती हैं। वो एक मुखौटा लगाए जीवन संग्राम में आगे बढ़ जाती हैं।
ये मजबूरी कितनी गहरी रही ये राजेश कुमार और गुरशरण कौर को ही पता होगी। ये मजबूरी कितनी गहरी रही ये राजेश कुमार और गुरशरण कौर को ही पता होगी।
सब कुछ बदल गया था पर बस एक चीज थी जो नहीं बदली और वो था हमारा प्यार। सब कुछ बदल गया था पर बस एक चीज थी जो नहीं बदली और वो था हमारा प्यार।
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
अपने शौहर के पास, मोहब्बत की ख़ातिर। आमीन ! अपने शौहर के पास, मोहब्बत की ख़ातिर। आमीन !
मेरा मन करता कि मैं अपनी मां को बता पाऊं कि मैं अच्छे से रह रही हूं। मेरा मन करता कि मैं अपनी मां को बता पाऊं कि मैं अच्छे से रह रही हूं।