मिसेज पर्फेक्टनिश
मिसेज पर्फेक्टनिश
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मुझे देखो हर जगह मैं परफेक्ट हूँ। मेरे बच्चे नामी स्कूल पढ़ते हैं हमेशा टॉप करते हैं मेरे पति एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। मेरा घर देखो सब व्यवस्थित रहता हैं मैं हर काम परफेक्ट करती हूँ। दर्प के साथ दीपा ने कहा
महिला वर्ग में उन्हे मिसेज परफेक्शन कहा जाता हैं कुछ पीठ पीछे मज़ाक भी उड़ाते हैं। सब कुछ उनके पास था पैसा, शोहरत , प्यारे दो बच्चे। बस कुछ हाथ में नहीं था तो पति । वो अपने रंगीन मिजाजी के लिए जाने जाते हैं। वहां दीपा का कंट्रोल नहीं था यहीं हार जाती थी वो। पर अपने हाई प्रोफाइल के आवरण में वो इसे ढक लेती हैं । इसी झूठ अंह से वो अपने को संतुष्ट करती थी।
जब सारी दुनिया सो रही होती तो दीपा करवट बदल रही होती। पर हर सुबह वो होठों पर मुस्कान सजाये पति के साथ चाय पीते नजर आएँगी। परफेक्ट जो हैं। रात के गहरे साये में उनके आंसू। सुबह के उजाले में धूल जाते हैं और वो एक मुखौटा लगाए जीवन संग्राम में आगे बढ़ जाती हैं।