तेरी यारी उम्र सारी साथ है
तेरी यारी उम्र सारी साथ है
सातवीं कक्षा की ये बात है मैं, पुनम और कृष्णा तीनों एक ही क्लास में पढ़ते थे और हम बहुत ही अच्छे दोस्त थे, जहाँ जाते तीनों साथ ही जाते...मैडम की डाँट से लेकर मस्ती तक।
हमारी तिगड़ी दोस्ती के बारे में सारा स्कूल जानता था, सब कुछ अच्छा चल रहा था पर एक दिन जिंदगी ने करवट बदली और मुझे उनसे दूर जाना पड़ा। ऐसा कोई दिन नहीं होता कि जब मैं उन दोनों को याद नहीं करती। काफी सालों तक एक दूसरे की कोई खबर नहीं थी।
हाँ फेसबुक पर सर्च लिस्ट में इन्हीं दोनों का नाम रहता। एक दिन किस्मत से वो दोनों मुझे फेसबुक पर फिर से मिल गई पूरे दस साल बाद।
हम सबकी जिंदगी बदल गई थी। चुलबुली सी कृष्णा माँ बन गई थी जो कल तक शरारत करती नहीं थकती थी। उसे एक बच्ची के लिए इतना जिम्मेदार होते देखना मेरे लिए किसी कौतुहुल से कम नहीं था।
पुनम जो एक तूफान मेल हुआ करती थी। अब वो अपने माँ-बाप का एकमात्र सहारा बन चुकी थी।
सब कुछ बदल गया था पर बस एक चीज थी जो नहीं बदली और वो था हमारा प्यार।