खोने का नाम है प्यार
खोने का नाम है प्यार
अहमदाबाद स्टेशन पर खड़ी कावेरी बार-बार घड़ी देख रही थी उसका गला सूख रहा था, धड़कन तेज हो रही थी कि तभी धर-धर करती ट्रेन स्टेशन पर आ गई !
कावेरी हर डिब्बे को ध्यान से देख रही थी कि किसी डिब्बे से निलेश उतरेगा, निलेश को देखे कई साल हो गए थे, अतीत की बातें उसके जेहन में उठने लगी.....
वे दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, एक बार जब परीक्षा के दौरान कॉलेज जाते समय कावेरी की स्कूटी पंचर हो गई थी तो निलेश ने उसे लिफ्ट ऑफर की तभी से उन दोनों की दोस्ती हो गई थी !
कई बार वह निलेश के घर भी गई थी, निलेश के परिवार में निलेश, उसके पापा और छोटी बहन मीता थे, उसकी माँ का देहांत कुछ साल पहले हो गया था, पापा चेन्नई में नौकरी करते थे ! निलेश की बहन मीता के साथ कावेरी काफी घुल-मिल गई थी। कावेरी को निलेश का साथ बहुत अच्छा लगता था।
कॉलेज भी खत्म होने को था, फाइनल की क्लासेस शुरू हो गई थी तभी निलेश के पापा का देहांत हो गया और उनकी जगह निलेश को चेन्नई में नौकरी मिल गई। कुछ ही दिनों में वो चेन्नई शिफ्ट हो गय
ा, फोन पर बातें होती थी फिर अचानक से निलेश के तरफ से फोन आने बंद हो गए !
समय गुजर रहा था और कावेरी के माता -पिता कावेरी पर शादी का दबाव डाल रहे थे लेकिन इसी बीच उसे नौकरी मिल गई और शादी को कुछ समय के लिए उसने टाल दिया ! एक दिन अचानक मीता का मैसेज आया कि वो लोग अहमदाबाद आ रहे हैं....
"कावेरी कैसी हो।" की आवाज से कावेरी की विचारधारा टूटी, उसने देखा कि मीता की शादी हो चुकी है, उसने उसे गले से लगा लिया और इधर-उधर देखकर निलेश को ढूँढने लगी, मीता ने कहा जिसे तुम ढूँढ रही हो, वो अब कभी नहीं आएगा, भैया एक एक्सीडेंट में हम सब को छोड़कर चले गए, वो तुमसे बहुत प्यार करते थे और शादी भी करना चाहते थे.....ये सुनते ही कावेरी रो पड़ी, फिर मीता ने पूछा तुमने शादी नहीं की अब तक ?
कावेरी ने बस इतना कहा कि निलेश के बिना मैं कैसे शादी कर सकती थी और यह कहकर वह बाहर निकल आई !
उसे इस बात का संतोष था कि निलेश उसे भुला नहीं था, उसने फैसला किया कि निलेश के यादों के सहारे ही वो अपनी पूरी ज़िन्दगी बिताएगी !