इंतजार
इंतजार
शाम का समय था, आकाश में सूरज ढलने की लालिमा छा गई थी...पास ही एक बेंच पर एना चुपचाप शांत भाव से शुन्य में एकटक डूबी थी...
तभी सामने के पब्लिक टेलीफोन बूथ में फोन की ट्रेिन -ट्रेिन करती घंटी बजने लगी....एना हरबरा के इधर -उधर देखने लगी, उसने आस पास किसी को भी ना पाया, उसने कुछ सोचा और टेलीफोन बूथ की ओर कदम बढा दिए....
तब तक फोन कट चुका था, ये देख एना ने अपने सूखे गले में थुक गटका और वापस मुड़ने लगी, तभी दोबारा से फोन की घंटी बज उठी...एना के दिमाग मे बिजली सी कौंधने लगी की किसका फोन हो सकता है, वो भी इस समय....ये सोचते -सोचते वो बूथ में जा पहुँची और लपककर उसने फोन उठाया....
एना - हैलो, कौन ?
दुसरी तरह से - हैलो, कैली, मैं कब से तुमहे कॉल कर रहा था...तुमने फोन उठाने में देर क्यों कर दी..
एना -सॉरी, मिस्टर आप जो कोई भी है...मैं कैली नही हूँ...
दुसरी तरफ से - ओहह...सॉरी मिस क्या मैं कैली से बात कर सकता हूँ ..?
एना - जी मै किसी कैली को नहीं जानती...और हाँ यह एक पब्लिक फोन बूथ है...
दुसरी तरफ से - सॉरी मैम, मैने आपको परेशान किया...पर मेरे पास उसका नम्बर नहीं है..परसो शाम को उसने मुझे इसी नम्बर से कॉल किया था...उसने बोला था कि वो मुझे कॉल करेगी, पर उसका फोन नही आया इसलिए मैने इस नंबर पर कॉल किया..
एना - ओहह..मैं माफी चाहती हूँ..पर मैं किसी कैली को नहीं जानती....
इतना कह एना ने फोन रख दिया.. और धीरे -धीरे घर की तरफ चल पड़ी...
रह -रह के उसके दिमाग में उसी फोन वाले लड़के की आवाज गूंज रही थी उसने तेजी से अपना दिमाग झटका और इस वाकिये को भूलाने के लिए अपना ध्यान एक किताब में लगाया..
एना एक बहुत ही साधारण सी लड़की थी...वो बहुत ही कम बोलने वाली लड़की थी...गिने - चुने ही उसके दोस्त थे, घर से दफ्तर और दफ्तर से घर वही उसकी दिनचर्या थी...शाम को टहलने के लिए वो अक्सर उस पार्क में जाती थी जहाँ आज टेलीफोन वाला वाकया हुआ...
सुबह हुई रोज के दिनचर्या से निपट जब शाम को एना दफ्तर से आई तो ताजी - ताजी हवा खाने वो पार्क की तरफ चल दी...
रोज की तरह ही एना अपने नियत स्थान पर जा बैठी...कुछ देर के बाद ही अचानक उसी पब्लिक टेलीफोन बूथ से फोन की घंटी के बजने की आवाज सुनाई दी ....एना चौक के उस तरफ देखती हैं, फिर उसके दिमाग में उस फोन वाले लड़के का ख्याल आता है और वह तेज कदमों से बूथ की ओर चल पड़ती है, उसने फोन का रिसीवर उठाया
एना - हैलो....
दुसरी तरफ से - हैलो, कैली ?
एना - (ऑंखें चमकाते हुए ) तो आज आपने मुझे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया है...
दुसरी तरह से - क्या.....क्या आप कल वाली ही मिस हैं, मिस...
ओहहह मुझे तो आपका नाम भी नहीं पता...
एना - (हिना कुछ सोचे समझे ही उसके मुँह से झट से उसका नाम निकल पड़ता है ) एना...जी एना मेरा नाम है और आपका ?
दुसरी तरफ से - एना...बहुत ही प्यारा सा नाम है, मेरा नाम क्रिस्टियन हैं..
एना - हमम... अच्छा नाम है क्रिस्टियन
क्रिस्टियन - एना मैं माफी चाहता हूँ तुमसे पर मैनै यही सोचकर आज फिर कॉल किया था कि कहीं कैली से बात हो जाए...
एना - इटस ओके...
दोनो तरफ इक खामोशी छा गई थी...
एना - हैलो, क्रिस्टियन क्या तुम कल भी फोन करोगे..?
क्रिस्टियन - हमम...हाँ जब तक कैली से बात नहीं हो जाती तब तक फोन करता रहूंगा...
अनी ने जैसे ही कुछ बोलना चाहां तब तक क्रिस्टियन ने फोन रख दिया था !
रोज की तरह एना घर की तरफ चल पड़ी समय बीतने लगा एना और क्रिस्टियन की इसी तरह बातें होने लगी...जब भी एना कैली के बारे में पूछती तो क्रिस्टियन यही जवाब देता कि जिस दिन उसकी कैली से बात हो जाएगी वह उसे उसी दिन उसके बारे में बताएगा..
रोज शाम को एना जल्दी से पार्क पहुंच क्रिस्टियन के फोन का इंतजार करती....यही तो उसे अच्छा लगता था...हाँ ..क्रिस्टियन से बात करना उससे बहुत अच्छा लगता था....
वह दिल ही दिल मे उससे प्यार करने लगी थी क्रिस्टियन की आवाज में एक जादू था, जो बार-बार उसके कानों में गूंजता रहता था, सुकून दे जाने वाली आवाज थी उसकी...
एक शाम जब एना क्रिस्टियन के फोन का इंतजार कर रही थी... आज उसने सोच लिया था कि क्रिस्टियन से वह अपने दिल की बात कहेगी...
फोन की घंटी बजी एना ने फटाक से फोन उठाया
एना - हैलो...
दूसरी तरफ से - हैलो, कैली....
एना - ओहह..क्रिस्टियन, मैं एना बोल रही हूँ ..क्या तुम अभी तक मेरी आवाज भी नहीं पहचान पाए...
क्रिस्टियन - (हरबराते हुए ) अरे.. नही ऐसा नहीं है मैं बस उम्मीद कर रहा था कि शायद आज कैली से बात हो जाए...
एना - कैसे हो तुम ?
क्रिस्टियन - मैं ठीक हूँ , तुम बताओ...
एना - मैं भी ठीक हूँ ...
क्रिस्टियन - एक बात पूछू...
एना -हाँ
क्रिस्टियन - क्या तुम्हारे अलावा वहां कोई नहीं है...मेरा मतलब कोई लड़की दिख रही है क्या तुम्हें आसपास ?
एना - ओहहह...क्रिस्टियन मैं अकेली हूँ यहां..दरअसल मेरा घर शहर से थोड़ा बाहर है और यह पार्क भी मेरे घर के पास ही है यहां ज्यादा भीड़ नहीं होती, मुश्किल से ही कोई आता जाता है...
क्रिस्टियन - हमम...
एना - क्या तुम मुझे बताओगे कि केैली कौन है... क्या तुम्हें उसके घर का पता नहीं... जहां तुम उससे मिल सको..
क्रिस्टियन - (निराश होते हुए ) वो जहां रहती थी वह वहां से जा चुकी है...मैने उसे बहुत ढूंढा पर वो नहीं मिली...इसलिए इसी उम्मीद में यहां फोन करता हूँ कि शायद ही कैली से बात हो जाए...क्या तुम्हारे आस- पास कोआ कैली नाम की लड़की रहने आई है ?
एना - नहीं..मैं यहां बहुत सालो से रह रही हूँ और आसपास के लोग भी मेरे परिचित है सभी जान पहचान के है कोई नया तो यहां रहने नहीं आया अब तक...(फिर अपने होठो को भीचते हुए )क्रिस्टियन मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं..
क्रिस्टियन - सॉरी एना अभी मुझे जाना होगा..इतना कहकर क्रिस्टियन ने फोन डिसकनेंकट कर दिया...
एना मन ही मन खीज उठी...और खुद से कह उठी, ऐसी भी क्या जल्दी थी..दो मिनिट मेरी बात सुन ही लेता तो क्या बिगड़ जाता उसका..इसी तरह सोचते - सोचते वह घर की तरफ चल दी..
शाम हो चुकी थी एना फोनबुथ के बाहर खड़ी थी...उसे क्रिस्टियन के फोन का बेसब्री से इंतजार था..बार - हार वो अपनी हाथघड़ी को देखती तो कभी फोन की तरफ...शाम ढला रात हो गई लेकिन क्रिस्टियन का फोन नही आया..एना भारी मन से घर की ओर चल दी...
इसी तरह एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत गया...एना रोज इक उम्मीद लिए पार्क में जाती और क्रिस्टियन के कॉल का इंतजार करती....और फिर खाली और बुझे मन से घर लौट जाती...
घंटों वो क्रिस्टियन की याद में खोई रहती..उसकी कही हुई बातों को दोहराती और हंसती...
एना ने उसके आवाज की मदद से खयालों में उसकी इक तसवीर बना रखी थी..लेकिन एना के लिए तो क्रिस्टियन की आवाज ही उसकी शक्ल थी उसका सुरत थी उसका जिस्म था उसका रूह भी...वो उसे याद करके बेचैन हो उठती और उसकी ऑखें भी नम हो जाती थी...
कभी सोचती की क्रिस्टियन ठीक तो है ना ?...फिर खुद को समझाती की क्रिस्टियन ठीक है...वो उसे जरूर फोन करेगा, शायद वो किसी काम में बीजी हो...
एना रोज पार्क में बैठे - बैठे क्रिस्टियन के फोन का इंतजार करने लगी थी...
उसे विश्वास था कि क्रिस्टियन का फोन जरूर आएगा...