surender sharma

Romance

4.5  

surender sharma

Romance

मजबूरी

मजबूरी

3 mins
203


सन् 2007 की बात है कॉलेज में दाखिला मिलने के बाद राजेश कुमार की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं‌। नये-नये सपने आंखों के सामने तैरने लगे या कहे कि मंजिल की राह दिखाई देने लगी। स्नातक के बाद अपने गृह जिले से बाहर जाकर दूसरे जिले के सबसे बड़े या कहे हरियाणा के सबसे बड़े कॉलेज में एम. ए. हिन्दी में दाखिला लिया। कक्षा में 32 छात्र थे जिनमें से तेइस-चौबीस लड़कियां और सात-आठ लड़के जिनमें से सिर्फ दो या तीन का नियमित रूप से कॉलेज में आना होता। इन्हीं से राजेश की दोस्ती हो गई। राजेश जहां अपने आप में खोया सा रहता था, (इसका मुख्य कारण विकलांग होना था) वहीं दूसरे कॉलेज में घूमते रहते कभी कैटिंन, खेल मैदान, दूसरी मंजिल, साईंस ब्लॉक इत्यादि। उन्होने कभी अपने दोस्त राजेश को अकेला नहीं छोड़ा। जब भी कलासरूम से निकलते तो हसी-मजाक और ठिठोली करते हुए कलास की लड़कियों को कहकर जाते ध्यान रखना हमारे बंदे का तो उनका जवाब हमेशा पहले ये‌ होता क्यों रखे ये हमसे कभी बात या बोलता नहीं, पर हमेशा ध्यान रखा उन सबने। राजेश जब भी कक्षा में बोलता तो कवियों, लेखको और इतिहासकारों के बारे में और फिर से चुप-चाप अपनी दुनिया में चले जाना।

उसकी ये आदत कक्षा में किसी को अच्छी नहीं लगती थी वो थी गुरशरण कौर। जब भी बात‌ करने का अवसर मिलता वो उससे बात करती। वो हां जी और ना जी में बात खत्म करता और चुप हो जाता था। वह हर किसी को कहती बोलता नहीं है कभी उसके दोस्तों से, कभी प्रोफेसर से शिकायत भी करते हुए कहती गूंगा है, कम सुनता है जोर-जोर से चिलाकर कहती ताकि वो सुन सके। वो सुनता और मन ही मन मुस्कराता‌ रहता। समय के साथ रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ने लगा। गुरशरण ने राजेश की कमजोरी पर ध्यान नहीं दिया। राजेश भी नये सपने संजोने लगा। हमारे समाज में विशेषकर गांव में सबसे बड़ी बाधा जातीगत (कास्ट) होती है पर ये भी गुरशरण ने परिवार को मनाकर दूर कर दी। कॉलेज खत्म होने के बाद जिन्दगी सरपट दौड़ने लग गई। जो रिश्ता दोस्ती और दोस्ती से प्यार की तरफ बढ़ा था और जिसे शादी का नाम देना था बस उसी के लिए उचित समय का इंतजार किया जा रहा था।

कहते है ना समय किसी के अनुसार नहीं चलता है तो समय ने करवट ली, एक दिन गुरशरण अपने घर बिना किसी को बताए पशुओं के लिए चारा काटने की मशीन पर चारा काटने चली गई तो उसका हाथ मशीन में कट गया जिसमें दाएं हाथ की चारों अगुंली और अगूंठा कट‌ गये । यहीं से जीवन में एक मोड़ आया। जो कल तक एक साथ जीने की कसम खा रहे थे, उनके रास्ते अलग हो गये, राजेश को तो कोई परेशानी नहीं थी, उसके मन में अंजाना डर था कि अब क्या होगा। जिस डर से राजेश डरता था, वो डर सच हो गया। जिस गुरशरण ने कभी राजेश को विकलांग होने का एहसास नहीं होने दिया।

उसने स्वंय मना कर दिया शादी करने से, क्योंकि वो नहीं चाहती थी की समाज ये कहे की उसके शरीर में कमी अर्थात वो स्वयं‌ विकलांग हो गई तो उसने इसलिए राजेश से शादी की है। उसे राजेश, दोस्त यहां तक की परिवार के लोगों ने समझाया ऐसा कुछ नहीं होगा कोई कुछ नहीं बोलेगा। अंत में उसने राजेश से बात करके अपना फैसला सुना दिया। प्रेम में पाना नहीं होता है पाकर खो देना भी होता है। गुरशरण जहां हर पल राजेश के साथ कदम दर कदम चली। वहीं वो एक छोटी सी घटना को मजबूरी समझकर उससे दूर चली गई। ये मजबूरी कितनी गहरी रही ये राजेश कुमार और गुरशरण कौर को ही पता होगी। 


Rate this content
Log in

More hindi story from surender sharma

Similar hindi story from Romance