नशा
नशा
हरनाम बहुत बड़ा नशेड़ी था। हर समय बीड़ी, सिगरेट, हुक्का और अन्य हर प्रकार के नशे हरनाम की जिन्दगी बन चुके थे। उसे पिने का चस्का बचपन में लग गया जो उसके दोस्तों की संगत ने लगा दिया। छोटे बच्चों को मजाक-मजाक में बीड़ी की घूंट मरवा देना और बाद में कहना वाह! शेर बेटा जैसी उपमा देना, जिससे बच्चे को लगता है कि उसने पता नहीं कितना बड़ा काम कर दिया और घरवाले भी उसके इस काम को नादानी समझ कर अनदेखा करते रहते है यही सब हरनाम के साथ हुआ। जब तक कुछ समझ आता तब तक हरनाम नशे की दुनियां का बादशाह बन गया । ऐसा कोन सा नशा नहीं जो बीड़ी से शुरू होकर चरस, हिरोइन और स्मैक तक जा पहुंचा।
उसने सब नशे किये, उसे नशे की काली दुनियां का कोना-कोना पता था। जिन्दगी में जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया स्कूल से कॉलेज वैसे-वैसे नशे की दुनिया में नये नशे उसका इंतजार करते और उसके छूते ही नशा उसकी रगो में रच-बस जाता। कहते है ना भगवान जिन्दगी में एक अवसर हर किसी को देता है हरनाम को भी दिया। कॉलेज के प्रथम वर्ष में पिंकी राठौड़ से मुलाकात हुई, हर पल नशे में धूत रहने वाले हरनाम को जिन्दगी में पहली बार बीड़ी, सिगरेट, शराब के नशे अलावा नशा हुआ किसी की आंखों, सुन्दरता और मधुर वाणी का हरनाम को पिंकी ने नशे में धूत गिरते हुए संभाला था। हरनाम को पहली बार जीने की इच्छा हुई। प्रेम तो बड़े-बड़े़ नशे उतार देता है। शर्त ये है कि प्रेम करने वाले सच्चे और अंत तक साथ निभाने वाले हों। पिंकी और हरनाम का हर रोज मिलना आरंभ हो गया। वो चाहता कि पिंकी से मिलने तक वो नशा न करे और वो जब तक उससे मिलता या उसके साथ रहता तो नशा नहीं करता, जैसे ही वो चली जाती तो वो पागलों की तरह बीड़ी, सिगरेट शराब इत्यादी पर टूट पड़ता। जब पिंकी को इस बात ता पता चला तो वो कोशिश करती की जितना अधिक समय हरनाम के साथ व्यतीत करे वो अच्छा रहेगा। वही हुआ समय बितता गया हरनाम नशे से दूर होने लगा, कक्षाओं में जाने लगा। कॉलेज के अंतिम दिन वो उस मोड़ पर खड़ा था जहां से दुनिया आगे चल सकती है या फिर से नशे की अंधेरी गलियों में हरनाम भटक सकता था। वो इंतजार कर रहा था पिंकी से बात करने की, हर पल उसके लिए बैचनी उत्पन्न कर रहा था। उसे दूर से पिंकी की झलक दिखलाई पड़ी तो मन में शांती हुई, जैसे समुन्द्र में लहरों के जाने के बाद होती है। पिंकी को भी पता था कि हरनाम उसका इंतजार कर रहा है वो देखना चाहती थी। हरनाम कितना इंतजार कर सकता है। जिस बात के लिए हरनाम पिंकी का इंतजार कर रहा था। उसका जवाब पिंकी ने हां में दिया और साथ ही शर्त रखी कि शादी वो तभी करेगी जब हरनाम कुछ बनकर अपने पैरों पर खड़ा हो जायेगा। नशा कोई भी हो वो आदमी को बर्बाद करता है पर प्रेम के नशे ने हरनाम को समाज में रहने लायक बना दिया। जो व्यक्ति हर समय नशे में डूबा रहता था। वो अपने जैसे सैकड़ों को नशे की दलदल से बाहर *प्रेम नशा मुक्ति-केन्द्र* चलाकर निकाल रहा है।