surender sharma

Inspirational

3.8  

surender sharma

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नौजवान

नौजवान

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शहर के एक सैलून पर बैठा था वहां चार-पांच नौजवान जिनकी उम्र लगभग 20-22 वर्ष की होगी।

जहां सैलून पर शोर-शराबा है कस्टमर का वहीं दूसरी तरफ पंजाबी के नये गायककार काका का गीत चल रहा है जहां वे आपस में बिते एक वर्ष की पढ़ाई की बात कर रहे है अपने अध्यापक अंग्रेज़ी और मैथ वाली मैडम का जिक्र करते हुए अपने मित्र की पंजाबी में आई री-अपीयर आने पर खिलखिलाकर हंसते हुए आने वाली परीक्षाओं की बात करते है उनकी बातचीत में मजाक-मस्ती चल रहा है परन्तु एकदम से उनकी बातचीत का विषय बदल जाता है उनमें से एक नौजवान दो दिन पहले ही किसान आन्दोलन सिंघू बार्डर से वापिस आया जो बताता है कि आंदोलन समाप्त नहीं हुआ मिडिया झूठ बोल रही है और कहता है कि वापिस आते ही गांव में पंचायत होती है और सबसे पुछा जाता है आंदोलन से वापिस क्यों आए गये फिर से आन्दोलन में जाने के लिए गांव के लोगों को कहा जाता है।

तभी बातों का रूख बदलते हुए नौजवान कहता है इंटरनेट बंद सरकार द्वारा करवाया गया, ताकी आंदोलन को कमजोर करा जा सके। मिडिया की भूमिका पर नौजवान चर्चा करते है कि वो किस प्रकार से सरकार का साथ देकर किसानों और आम लोगों की अभिव्यक्ति को दबाने का कार्य कर रही है दलाल मिडिया को गाली देते हुए, मनदीप सिहं जैसे स्वतंत्र पत्रकार की गिरफ्तारी का पुरजोर विरोध करते हुए वे सभी नौजवान सैलून से चले जा रहे है क्योंकि दिल्ली कूच‌ करने के लिए उनके फोन आ रहे है जिस पर रिंगटोन बज रही है "रंग दे बसन्ती चोला मेरा" और दूसरे नौजवान के फोन पर "पगड़ी संभाल जट्टा" की रिंगटोन बजती है। इन्हीं नौजवानों को देखकर लगा शायद भगत सिंह और उधम सिंह ऐसे ही दिखाई देते होंगे।


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