नील उपन्यास
नील उपन्यास


७५से ७७ आखिरी भाग
"बीती ताहि बिसार के आगे की सुध ले" कहावत को चरितार्थ करते हुए जब हम पिछला सब कुछ भूल कर अपने रास्ते पर सीधे चलना शुरू कर देते हैं तब हमें लगता है अब सब कुछ ठीक हो गया है जिंदगी की किताब के वह पन्ने जिन्हें बंद करके अलमारी में रखकर हम भूल चुके होते हैं एक तेज हवा के झोंके से वह सारे पन्ने हमारे सामने बिखर जाते हैं। हमारे लाख ना चाहने के बावजूद भी हमारी नजर उन पर पड़ ही जाती है ऐसा ही कुछ हुआ जब दीप की तबीयत खरााब होने की खबर मिली।
सीधे चलते चलते जिंदगी ने अपना रुख एक बार फिर मोड़ लिया...मौसम ने भी अचानक से करवट बदल ली । आकाश काले काले बादलों से भर गया ... मन को भयभीत करती बिजली के कड़कने की आवाज,
तेज हवा की वजह से हिलते खिड़की के पर्दे मंदिर में जलते हुए दीए की कांपती लौ .... मन में भय और एक अनजानी सी आशंका उत्पन्न कर रही थी। पता नहीं क्यों आज मन का मौसम भी बदल रहा था ....शादी के बाद पहली बार जब मैं मिस्टर चावला के साथ मुक्तेश्वर गई थी तब मुझे अंधेरे से बहुत डर लगता था, तभी किसी काम से वो बाहर गए और कमरे की लाइट चली गई डर के मारे मेरी जान हलक में फंसी हुई थी दरवाजे के खटखटाने की आवाज सुनकर भी मेरे मुंह से आवाज ही नहीं निकली।
मिस्टर चावला बाहर ठंड में परेशान होते रहे उन्होंने फिर दरवाज़ा नोक किया अब तक लाइट आ गई थी मैंने तुरंत दरवाज़ा खोला और उनसे लिपट गई । मेरी ऐसी हालत देखकर वह बुरी तरह घबरा गये क्या हुआ इतना डरी हुई क्यों हो तुम ???
मेरे अलावा कोई और भी आया था यहां ...बोलो ?गार्ड ने तो मुझे कुछ नहीं बताया, उसकी परमिशन के बिना कोई अंदर आ ही नहीं सकता ।
नहीं कोई नहीं आया यहां
तो तुम इतना डर क्यों रही हो?
वो लाइट चली गई थी ।
तो क्या हुआ टॉर्च चालू कर लेतीं।
टॉर्च नहीं मिला ... मुझे अंधेरे में बहुत डर लगता है।
तब उन्होंने कस कर मुझे अपने सीने से चिपटा लिया था और बोले मेरे होते हुए तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहींं है ।
उस वक्त मुझे क्या पता था ये अंधेरा मेरी किस्मत ही बन जाएगा यह भी शायद भगवान की तरफ से एक चेतावनी ही थी जो मैं समझ नहीं पाई।
दिन कैसे निकलते चले गए कुछ पता ही नहीं चला।
ख़ुशियों में समय के पंख लग जाते हैं दिन उड़ने लग जाते हैं,रात एक दूसरे की आंखों में ही कट जाती है।
मेरे भी पैर उस वक्त जमीन पर नहीं थे ...
मिस्टर चावला ने दुनिया की हर खुशी उस वक्त मेरे कदमों में लाकर रख दी थी ।
हिमालय की गोद में मैं खुद को धन्य महसूस कर रही थी पति का प्यार और प्रकृति का सानिध्य और इससे ज्यादा कोई क्या चाहेगा जब भी कोई बदली मेरे चेहरे को छूकर गुजरती थी मैं खुशी से नाच उठती मुझे क्या पता था एक दिन यह बदली मेरी आंखों से आँसू बनके बहेगी।
हनीमून के दिन कैसे निकले पता ही नहीं चला.
जब मैंने नील के आने की आहट सुनी तो मैंने मिस्टर चावला को बताया तब तो हम दोनों की खुशी की सीमा ही नहीं रही क्या पता था यह ख़ुशियाँ कुछ दिनों की मेहमान है नील के जन्म के बाद सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।
अचानक ही एक काली बदली ने मेरे घर के आंगन में डेरा डाल लिया और मेरे घर की तरफ आने वाली रोशनी पर उसकी काली नजर पड़ गई धीरे धीरे उस अंधेरे ने मेरे हिस्से की सारी रोशनी निगल ली।
उस अंधेरे से नील को बचाने के लिए मैंने वह आंगन हमेशा के लिए छोड़ दिया।
डाइवोर्स पेपर पर साइन करते वक्त मेरे हाथ कांप रहे थे पर जब नील का चेहरा देखा तब मैंने दृढ़ निश्चय कर लिया था जीवन में कभी गलत बर्दाश्त नहीं करूंगी।
पर वक्त ने फिर एक नई साज़िश रची ... सबके कहने में आकर नील की ख़ुशियों की खातिर मैंने अपने कॉलेज के दोस्त दीप से शादी की यहां भी कुछ दिन ही ख़ुशियाँ मेरे साथ रहीं लकी के जन्म के बाद से दीप बदल सा गया नील के साथ वो अच्छा बर्ताव नहीं करता था।
"बर्दाश्त करने की भी एक हद होती है जब तक मैं बर्दाश्त कर सकती थी मैंने किया फिर मैंने उसका घर हमेशा के लिए छोड़ दिया। "
उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा... "हमारे समाज में तलाकशुदा औरत को हर कोई अपनी मिल्कियत समझने लग जाता है। "
आदम जात की भूखी नज़रों से खुद को बचा कर मैंने घर और ऑफ़िस दोनों की ही जिम्मेदारियां निभाते हुए नील को अच्छा इंसान बनाने में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखी पर आज अचानक माजी़ की किताब के सभी पन्ने मेरे सामने आकर बिखर गए हैं।
पता नहीं क्यों गुजरे समय की हर बात मुझे रह-रहकर याद आ रही है...कहीं मिस्टर चावला .... नहीं नहीं यह मैं क्या सोच रही हूं।
हे ईश्वर मुझे माफ़ करना।
मिस्टर चावला का घर छोड़ने के बाद से मैंने उनसे कभी कोई संबंध नहीं रखा था।
मैंने उठकर मुंह धोया और अपने लिए चाय बनाई मुझे लगा गरम चाय पीने से मुझे थोड़ा अच्छा फील होगा।
चाय खत्म कर मैं बेचैन हो यहां वहां टहलती रही। नील की आवाज़ से मेरा ध्यान भंग हुआ.... मां क्या कर रही हो आप ?
कुछ नहीं बेटा मन नहीं लग रहा था तो टहल रही थी तू बैठ मैं तेरे लिए चाय बना कर लाती हूं, मां चाय के साथ मट्ठीयां भी खाने के लिए ले आयीं। नलिनी को आपके हाथ की मट्ठीयां बहुत पसंद हैं जब आप नीना मौसी के यहां गई थीं वह रोज सुबह चाय के साथ मट्ठीयां खाती थी।
बहुत ही प्यारी लड़की है वो, मुझे तो बहुत पसंद है। मैं चाहती हूं ऐसी किसी लड़की से तेरी शादी हो जाए तो मैं बेफिक्र हो जाऊँ।
तुझे भी वो पसंद है ना ?
तेरी आंखों में उसके लिए प्यार देखा है मैंने।
"हां, मां। मुझे नलिनी बहुत पसंद है। "
अगर वो तुझे पसंद है तो तू उससे बात क्यों नहीं करता ?
"सोचा तो मैंने भी था मां, मैं नलिनी से शादी की बात करूँ, पर यह सोचकर चुप रहा अगर उसने इंकार कर दिया तो ?"
हो सकता है वह तेरे पूछने का इंतजार कर रही हो।
आप ठीक कह रही हो मां मैं खुद नलिनी से बात करूंगा।
डोर बेल की आवाज़ सुनकर नील की मां ने दरवाज़ा खोला ,सामने कोरियर वाला खड़ा था। उन्होंने कोरियर लिया उस पर मिस्टर चावला का नाम देखकर उनका मन थोड़ा खिन्न हो गया।
अंदर आकर उसे खोला उसमें लेटर था जिसमें मिस्टर चावला ने लिखा था कि उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी और शेयर्स नील के नाम कर दिए हैं। अब से उनके ऑफ़िस के सभी फैसले लेने के अधिकार नील के हैं एक-दो दिन के अंदर ही उनका वकील नील के ऑफ़िस में जाकर उसे सारी पेपर्स देकर बाकी की जो फॉर्मेलिटी हैं वो पूरी कर देगा।
कल से आज तक जो भी हो रहा था उसकी वजह से वह बहुत डिस्टर्ब थीं।
(मन ही मन में उन्होंने बुद बुदाया ) अब तक जिन रिश्तों से मैं दूर भाग रही थी आज वो सब मेरे सामने आकर खड़े हो गए हैं ।
लेटर टेबल पर रखकर वो अपने कमरे में जाकर लेट गई।
नील ने मां को सोता हुआ देखा तो उन्हें जगाया नहीं खुद ही किचन में जाकर खाना लेकर खा लिया।
सुबह 7:00 बजे करीब मेरी नींद खुली।
नील अभी सो कर नहीं उठा था।
रात लेटते ही मेरी आँख लग थी..... नील ने खाना खाया या नहीं मुझे कुछ पता नहींं था।
रात में हुई बारिश की वजह से मौसम में ठंडक थी ।
मेरा सारा शरीर बुरी तरह से दुख रहा था मन की थकान शरीर पर भी हावी थी ।
किचन में जाकर चाय बनाने का भी मन नहीं हुआ मैं वापस आकर अपने बिस्तर पर लेट गई।
नील उठकर नीचे आया जब उसने मुझे सोते हुए देखा तो वह थोड़ा सा हैरान हुआ उसने किचन में जाकर चाय बनाई और मेरे लिए पानी और चाय लेकर आया और मुझे उठाया, मां बहुत देर हो गई है आप अब तक सो रही हो..आपकी तबीयत तो ठीक है ना ?
बिस्तर से उठते हुए मैंने नील से कहा कल से मन बहुत विचलित है सुबह मैं जल्दी उठ गई थी पर किचन में जाकर चाय बनाने का मन नहीं किया सारा शरीर बुरी तरह से टूट रहा है इसलिए मैं वापिस आकर बिस्तर पर लेट गई।
पता नहीं कैसे अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहे हैं, कल मिस्टर चावला ने कोरियर भेजा है उसे पढ़कर तू जो चाहे वह जवाब उन्हें भेज दे।
कहां है वो कोरियर ?
टेबल पर देख मैंने लेटर पढ़कर वही टेबल पर रख दिया था।
नील ने टेबल से उठाकर वह लेटर पढ़ा और बोला मां उनके वकील को आने दो ऑफ़िस में ।
मैं तैयार होता हूं ऑफ़िस का टाइम हो रहा है।
ऑफ़िस जाते समय नील ने वह लेटर अपने बैग में रख लिया।
मिस्टर चावला का वकील ऑफ़िस में मुझसे मिलने आया उसने गेटकीपर से मुझ तक खबर पहुंचवाई ।
मैंने उन्हें अंदर अपने केबिन में बुलवा लिया।
नमस्ते नील जी मैं मिस्टर चावला का वकील हूं कल के कोरियर से आपको सारी जानकारी मिल गई होगी ?
उन्होंने अपनी सारी वसीयत आपके नाम कर दी है आपकी अमानत मैं आपको सौंपने आया हूं।
आप बैठिए प्लीज।
नील ने उनके लिए पानी मंगवाया और चाय के लिए उनसे पूछा
नहीं धन्यवाद।
वकील साहब आप मिस्टर चावला को इन्फॉर्म कर दें यह वसीयत में नहीं ले सकता, उनके आशीर्वाद से आज में इतना कमा लेता हूं कि अपनी मां का और अपना भरण पोषण अच्छे से कर सकूँ।
वकील: मिस्टर चावला इस दुनिया में नहीं है अपनी वसीयत उन्होंने मुझसे ही बनवाई थी और अपनी मृत्यु के1 महीने बाद आपको देने के लिए कहा था। अपने जीते जी वह चाहते तो दे सकते थे मैंने उन्हें कहा भी था पर उनकी इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के 1 महीने बाद उनकी वसीयत उनके बेटे तक पहुंचा दी जाए इसमें एक लेटर भी है जो उन्होंने आपकी मां के लिए लिखा है।
आपके सिवा उनका कोई रिश्तेदार नहीं है उनके बिजनेस के सारे राइट्स भी अब आपके पास हैं 1 महीने से ऑफ़िस बंद है।
उनके कानून से संबंधित सभी काम सालों से मैं संभालता रहा हूं।
आपको किसी भी तरह की मेरी मदद की जरूरत हो तो आपके लिए मैं हमेशा हाज़िर रहूँगा।
मेरा फर्ज़ यह अमानत आप तक पहुंचाना था अब मुझे इजाज़त दें।
वकील सारे पेपर वहां रख कर वापस चला गया।
नील के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसने सारे पेपर उठाकर अपने बैग में रख लिए
उसका मन अब ऑफ़िस में नहीं लग रहा था
वो ऑफ़िस की छुट्टी होने का इंतजार कर रहा था घर पहुंच कर वह मां को सब बताना चाहता था।
नील को समझ नहीं आ रहा था कि वह मां को क्या कहे, वो जानता था मां यह खबर सुनकर टूट जाएगीं ।
मां मिस्टर चावला से बहुत प्यार करती थीं कितनी ही बार उन्होंने मुक्तेश्वर और भी जगह जहां वह उनके साथ घूमने गई थीं उस जगह के किस्से मुझे सुनाए।
पर मां को बताना भी जरूरी था।
मां आज वकील साहब आए थे और वसीयत के पेपर मुझे देकर गए हैं।
तुमने उन्हें वापस क्यों नहीं कर दिये ?
मैंने कहा था की हमें इसकी जरूरत नहीं है पर उन्होंने कहा की अब मिस्टर चावला इस दुनिया में नहीं है और आपके अलावा उनका कोई रिश्तेदार नहीं है।
उन्होंने अपनी मृत्यु के 1 महीने बाद वसीयत के पेपर मुझे देने के लिए कहा था 1 महीने से उनका ऑफिस भी बंद है ऑफिस के सारे राइट्स उन्होंने मुझे दे दिए हैं ।
आपके लिए भी उन्होंने लेटर लिखा है।
नील ने वो लेटर निकाल कर अपनी मां को दिया..
मैं नील का और तुम्हारा गुनहगार हूं यह जानता हूं। फिर भी मैं चाहता हूं कि तुम मुझे माफ़ कर दो जिससे मेरी आत्मा को शांति मिल जाए ...
जब यह लेटर तुम्हें मिलेगा मैं इस दुनिया से बहुत दूर जा चुका होउंगा।
"जिंदगी में कुछ फैसले बहुत गलत हो जाते हैं ऐसा ही एक फैसला मेरा भी था अपनी सेक्रेटरी को घर लाने का। "
पर उसे घर लाना मेरी मजबूरी थी मैं उसके जाल में बुरी तरह से फँस चुका था।
ऑफ़िस में काम के चलते कई बार मेरा घर आना नहीं हो पाता था।
एक बार की बात है संडे को सारे स्टाफ की छुट्टी थी मैं दिन भर ऑफ़िस के काम में उलझा रहा यहां तक कि मैं लंच करना भी भूल गया था, उसने इस मौके का फायदा उठाया और बाहर से डिनर आर्डर कर दिया मेरे मना करने पर भी वह नहीं मानी बोली मैंने भी सुबह से कुछ नहीं खाया है सर।
इतनी रात में मेम परेशान होंगी हम साथ में ही डिनर कर लेते हैं उसने मुझे व्हिस्की का एक लार्ज पैग बनाकर दिया और अपने लिए भी एक पेग बनाया।
तुम तो जानती ही हो जब कोई इंपॉर्टेंट क्लाइंट आता था तब ही मैं ऑफ़िस में उसका साथ देने के लिए ड्रिंक लेता था।
उस दिन मैं बहुत थका हुआ था पता नहीं कैसे मैंने उसकी बात मान ली एक पेग खत्म होने के बाद उसने एक पेग और बना दिया।
दिन भर से खाली पेट होने के कारण शराब मुझे चढ़ गई थी मुझे अपना कुछ होश नहीं था।
मुझे शराब पिलाने के उसकी साज़िश थी ताकि वह मुझे अपने जाल में फंसा सके इस मौके का फायदा उठाकर उसने आपत्तिजनक हालत में अपने साथ मेरे फोटो खींच लिए।
उस समय तो मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था अगर मेरे साथ वह अकेली थी तो हमारे फोटो किसने खींचे ?
उसने जो मुझसे कहा मैं उस के दबाव में वह करता चला गया।
पर तुम्हें दुख पहुंचाना और नील का हक छीनना मेरा मकसद नहीं था ।
मैं तुम्हें सच बताना चाहता था पर उस वक्त तुमने मेरी एक बात भी नहीं सुनी या मैं तुम्हें ठीक से समझा नहीं पाया ग़लती मेरी थी मुझे उसको घर पर नहीं लाना चाहिए था।
अनजाने में हुई गलती का खामियाजा मुझे ताउम्र भुगतना पड़ेगा यह मैं नहीं जानता था।
उसका मकसद था मुझे तुमसे दूर करना और वह इसमें सफल हो गई तुम और नील मुझसे हमेशा के लिए दूर हो गए।
"तुमने मुझे डाइवोर्स दे दिया। "
अब पूरे घर पर उसका हक़ था।
वह मुझसे शादी करके इस घर की मालकिन बनने के सपने देख रही थी।
उसका यह सपना मैंने पूरा नहीं किया धीरे-धीरे उसने अपना रंग दिखाना शुरू किया वह एक बहुत ही घटिया और चीप किस्म की लड़की थी।
कुछ दिनों बाद उसके तेवर बदलने लगे... अब वो ऑफ़िस में भी मेरी मदद नहीं करती थी।
अक्सर ही तबियत खराब होने का बहाना कर वह घर पर रहती थी ।
एक दो बार किसी काम से मैं ऑफिस के बीच में घर आया तो उसे किसी लड़के के साथ घर में संदिग्ध हालत में देखा, मैंने उसकी फोटो खींचकर रख लीं उसे मेरे घर पर होने का भान भी नहीं था।
उसे लगता था कि मैं बदनामी के डर की वजह से उससे डरता हूं।
मेरे ऑफ़िस से पहले वह बालाजी एसोसिएट्स में काम करती थी वहां के मालिक मोहन मित्तल के साथ भी उसने यही खेल खेला पर वहां पर वह कामयाब नहीं हो पाई।
उसका सारा सच मैं मोहन से जान चुका था मोहन और मैं स्कूल टाइम से अच्छे दोस्त थे यह बात वो नहीं जानती थी
मैंने उसे इस बात का अहसास भी नहीं होने दिया कि मैं उसके बारे में सब जान चुका हूं मैं समझ गया था उसकी पूरी नियत मेरे पैसों पर थी।
जब उसे मैंने अपने ऑफिस से निकाला तो उसने मुझे धमकी दी वो मुझे बर्बाद कर देगी..
तब मैंने उसे बताया तुम्हारी असलियत मुझे पता है और तुम्हारी काली करतूत के सभी फोटो मेरे पास हैं मेरे घर पर रहकर तुमने जो गुल खिलाए हैं उसके बारे में मुझे सब पता है।
मैंने उसे पुलिस कंप्लेंड करने की धमकी दी उसे मुझसे इस बात की उम्मीद नहीं थी इससे वो बुरी तरह डर गई, उसके बाद वह कभी ऑफिस में नहीं आई।
तुम्हारे और नील के जाने से मेरे जीवन में खालीपन आ गया था मैंने अपने आप को पूरी तरह से काम में व्यस्त कर लिया मैं इंसान की जगह मशीनी मानव बन कर रह गया था।
पिछले कुछ महीनों से मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी मुझे यूरिन जाने में तकलीफ़ होने लगी थी डॉक्टर को दिखाया सारे टेस्ट होने पर पता चला मुझे प्रोस्टेट कैंसर है जो कि लास्ट स्टेज पर था ।
डॉक्टर ने कहा मेरे पास 1 महीने का टाइम है ।
अपने वकील को बुलाकर मैंने अपनी वसीयत बनवाई और अपनी मृत्यु के एक महीने बाद उसको नील तक पहुंचाने के लिए बोला।
जब तुम दोनों मुझे माफ़ करोगे तभी मुझे मुक्ति मिलेगी।
सिर्फ तुम्हारा ...
लेटर पढ़कर मां रोने लगी मैंने उनके कंधे पर हाथ रखकर उन्हें दिलासा दिया।
नील तुम किसी पंडित के पास जाकर अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए हवन और जो भी विधि होती है उनसे पूछ कर वह विधिवत तरीके से करवाओ।
दूसरे दिन चावला हाउस में नील और उसकी मां ने मिस्टर चावला की आत्मा की शांति के लिए हवन करवाया और जो भी विधि पंडित जी ने बताई नील ने वह सब विधिवत की और हाथ जोड़कर अपने पिता की मुक्ति के लिए प्रार्थना की।
मां के कहने पर नील दूसरे दिन वकील के साथ अपने पिता के ऑफ़िस में गया।
नील ने जब ऑफ़िस का केबिन खोला तो वह आश्चर्यचकित रह गया वॉल पर एक बड़ी फ्रेम में उस की बचपन की तस्वीरें लगी हुई थी एक तस्वीर में वह अपने पिता की गोद में था।
टेबल के ऊपर उसके नाम की नेम प्लेट नील चावला रखी हुई थी नील की आँखें नम हो गई अपने पिता का मान रखने के लिए वह कुर्सी पर बैठा फिर उसने वकील से कहा की पिता की एक बड़ी तस्वीर इस केबिन में लगवा दी जाए।
एक-दो दिन में मैं आपसे सारी जानकारी हासिल कर लूंगा और एक अच्छा सा मुहूर्त देखकर ऑफिस शुरू करेंगे स्टाफ मेंबर्स को आप इनफॉर्म करवा दीजिए।
बहुत अच्छा नील बेटा आपके पिता की यही इच्छा थी कि आप उनका काम आगे बढ़ाओ मैंने उनसे बहुत कहा कि आप को खबर कर दूँ पता नहीं क्यों वो इसके लिए राजी नहीं हुए।
आपको और आपकी मां को उन्होंने बहुत याद किया उनके कमरे में एक बड़ी सी तस्वीर उनकी और आपकी मां की लगी हुई है वो अक्सर उसे देखते हुए अपने पुराने दिनों में खो जाते थे ।
घर आकर नील ने मां को ऑफिस के बारे में सारी जानकारी दी और जो वकील से बात हुई वह भी मां को बताई।
नील कि मां ने उससे बोला तुम अपने पिता का ऑफ़िस संभाल लो उससे पहले वकील साहब से सारी जानकारी ले लो और अपने ऑफ़िस में तुम रेज़िंग्नेशन लेटर दे दो।
दूसरे दिन नील ने ऑफिस जाकर अपने बॉस को अपना रेज़िंग्नेशन लेटर दिया जब उन्हें पता चला की चावला इंडस्ट्रीज नील की है तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ इतने बड़े इंडस्ट्री का मालिक उनके यहां काम कर रहा है।
उन्होंने नील का रेज़िंग्नेशन लेटर एक्सेप्ट कर लिया और कहा आपके जाने का हमें दुख है पर आपके उज्जवल भविष्य के लिए हम शुभकामनाएं देते हैं।
घर आकर नील अपनी मां की गोद में सर रखकर लेट गया एकदम से इतना सब कुछ बदल गया उसके साथ एडजस्ट करने में नील असहज महसूस कर रहा था।
मां ने उसे बड़े प्यार से समझाया यह सब तुम्हारा ही तो था मिस्टर चावला और मैंने तुम्हारे लिए कितने ही सपने देखे थे पर परिस्थितियों के आगे इंसान का वजूद बहुत बोना हो जाता है।
जो बीत गया है उसे भुलाकर आगे बढ़ो अब तुम चावला इंडस्ट्रीज के मालिक नील चावला हो।
जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती तब तक हम यहीं रहेंगे।
तुम्हारी शादी के बाद तुम्हारी दुल्हन का गृह प्रवेश चावला हाउस में होगा ।
नलिनी जब नींद से जागी उसे घर बहुत खाली-खाली लग रहा था ना चाहते हुए भी हीरा की कमी उसे खल रही थी। वो दादी के पास जाकर बैठ गई।
क्या हुआ बिटिया आज बहुत जल्दी नींद खुल गई ?
हां दादी ।
आज की सुबह मैं आपके साथ ही रहना चाहती हूं।
कल तो इस समय मैं रास्ते में रहूंगी।
पर हर सुबह मैं आपको बहुत मिस करूंगी।
बिटिया ऐसा तुम्हें अभी लग रहा है
जब तुम ऑफिस जाना शुरू कर दोगी तो तुम्हारे नए दोस्त बन जाएंगे और ऑफिस का काम भी करने को रहेगा तो ये सोचने की फुर्सत ही नहीं मिलेगी।
दादी आप ठीक कह रहीं हैं... मैं वहां जाकर काम में व्यस्त हो जाऊंगी।
रामकिशन ने तुझ से बात करने के लिए मुझे नया फोन लाकर दिया है, उसमें वीडियो में तुझे देख कर बात करूंगी
"वीडियो कॉल?"
हां बिटिया वही वीडियो कॉल।
"हां दादी, ये ठीक रहेगा। '
हीरा दादी को फोन करके अपने और शगुन के पहुंचने की सूचना देता है।
बेटा रास्ते में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई ?
नहीं दादी, कोई तकलीफ़ नहीं हुई हम लोग आराम से पहुंच गए।
दिल्ली पहुंच कर हीरा अपने काम में व्यस्त हो जाता हैं।
शगुन अपने हिसाब से घर को सेट करने में जुट जाती है।
उन दोनों के बीच की दूरी अब मिट गई थी।
हीरा ने शगुन से बोला की वह जॉब के लिए एप्लीकेशन फॉर्म भरना शुरू कर दे घर पर खाली बैठकर अपनी पढ़ाई जाया ना करे..
रामकिशन जी नलिनी को छोड़ने उसके साथ जाते हैं।
नलिनी नील सर को फोन करके अपने आने की सूचना दे देती है।
वह उसे घर का एड्रेस मैसेज कर देते हैं ।
दो बैडरूम (एक मास्टर बैडरूम एक छोटा सा रूम जिसे मकान मालिक ने बेडरूम ही कहा) ड्राइंग रूम किचन और बाहर छोटा सा बरामदा अच्छी बात यह थी कि घर वेल फर्निश्ड था साथ ही नलिनी के रहने के हिसाब से सुरक्षित भी था।
नलिनी और रामकिशन जी को घर बहुत पसंद आया ।
मकान मालिक बहुत अच्छे स्वभाव के थे उन्होंने चाय नाश्ता तैयार रखा था (शायद नील ने उन्हें हमारे आने की खबर कर दी होगी)
चाय पीने के बाद सफर की थकान दूर हो गई ।
मकान मालिक के परिवार में उनकी पत्नी और 3 बच्चे हैं (दो बेटियां और एक बेटा )
छोटी बेटी(मीना) दसवीं में पढ़ रही थी बड़ी बेटी(दिशा) कॉलेज में फर्स्ट ईयर में बेटा(यश) फाइनल ईयर में था।
उन लोगों से मिलकर रामकिशन जी और नलिनी को बहुत अच्छा लगा।
शाम को नील से मिलकर उसे धन्यवाद बोल कर रामकिशन जी वापस जयपुर आ गए।
एक वीक का नलिनी का ट्रेनिंग पीरियड था जिसमें उसे नील के साथ रहकर काम करना था।
नई जगह होने की वजह से वो रात को ठीक से सो भी नहीं पाई ,सुबह भी जल्दी उठ गई ऑफिस का पहला दिन था अपने सभी कामों से निपट कर ऑफिस के लिए तैयार होने लगी उसने हीरा की लाई हुई ब्लू साड़ी पहनी उससे मैच करती हुई एक छोटी सी बिंदी लगाई साड़ी में वो बहुत ही प्यारी लग रही थी।
नील ने जब उसे देखा तो उसकी निगाह उस पर से हट ही नहीं रही थी अजीब सा चुंबकीय आकर्षण वह महसूस कर रहा था।
ऑफिस में नील ने सभी लोगों से उसका परिचय करवाया और उसे उसका केबिन दिखाया।
अपना केबिन देखकर नलिनी बहुत खुश हो गई।
पहला दिन इंट्रोडक्शन और काम समझने में निकल गया
दूसरे दिन उसे नील सर के साथ साइड विजिट करनी थी उसके लिए वो बहुत ज्यादा एक्साइटेड थी।
ऑफिस से घर आ कर उसे साड़ी चेंज की और कुछ देर आँख बंद करके लेट गई...
पिछली रात की नींद पूरी नहीं होने से और ऑफिस की थकान की वजह से उसे नींद लग गई रात आठ बजे करीब उसकी नींद खुली उसने अपना मोबाइल देखा दादी के तीन कॉल थे ...
उसने सबसे पहले दादी को फोन लगाया उसे पता था की वो उसके लिए चिंतित होंगी
दादी: कहां थी बिटिया ?
कितनी बार फोन लगाया तुम्हें
नलिनी: ऑफ़िस से आ कर लेटने पर मुझे नींद आ गई दादी......
नई जगह होने की वजह से कल रात की नींद भी ठीक से नहीं हो पाई थी और ऑफ़िस का भी पहला दिन था तो थोड़ी थकान सी हो गई।
कोई बात नहीं बिटिया एक-दो दिन में तुम्हें आदत पड़ जाएगी।
आप ठीक कह रही हैं दादी एक-दो दिन में मैं यहां के माहौल के हिसाब से एडजस्ट हो जाऊंगी।
तुमने खाना खा लिया?
नहीं दादी अब देखती हूं मैं क्या बनाऊंगी।
ठीक है कुछ खा लेना बिटिया भूखे नहीं सोना।
जी दादी गुड नाइट
गुड नाइट बिटिया ।
उसने देखा हीरा का भी मिस कॉल था
हेलो।
"हां, नलिनी। "
बताओ कैसा रहा तुम्हारा ऑफ़िस का पहला दिन ?
नील सर के साथ काम करके तुम्हें कैसा लगा ?
हीरा बहुत अच्छा रहा पहला दिन
सब कुछ नया अलग सा अनुभव था।
नील सर के साथ काम करना बहुत अच्छा लगा उनके बारे में तुम बिल्कुल सही कह रहे थे।
तुम अपना ध्यान रखना नलिनी और खाना टाइम पर खाना, इस मामले में तुम बहुत आलसी हो।
अब तो मुझे खुद का ध्यान रखना ही पड़ेगा, दादी और तुमने मेरी छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर ही मेरी आदतें बिगाड़ दी हैं ।
मुझे इतना ज्यादा सर पर चढ़ाने की जरूरत ही क्या थी ?
तुम हो ही इतनी नाज़ुक और प्यारी। अब तुम गुस्सा करना बंद करो और कुछ खाकर सो जाओ।
गुड नाइट बोलकर वो हीरा का फोन काट देती है..
खाने के लिए कुछ बनाने का मन नहीं हो रहा नलिनी खुद से ही बात करती है...
हीरा पर उसने बेवजह गुस्सा किया।
दादी ने जो लड्डू और मठरी रखी थी उसमें से एक लड्डू खाकर दूध पीकर वह सो जाती है।
दूसरे दिन सात बजे उसकी नींद खुलती है।
किचन में जाकर अपने लिए चाय बनाती है जब तक चाय तैयार होती है वह दूसरे बर्नर पर आलू उबालने चढ़ा देती है चाय पी कर फ्रेश होके नहा कर दादी ने उसे छोटे से गणपति दिए थे उनके आगे दीपक जलाती है।
और कुछ बनाने का उसका मन नहीं हुआ आलू का मसाला तैयार कर उसके चार पराठे बनाकर टिफिन में रख लिये ।
आज नील के साथ उसकी साइड विजिट थी,
अपनी जिंदगी में इतनी जल्दी इतने सारे बदलाव देखकर नलिनी खुद ही हैरान थी।
दस बजे ऑफ़िस टाइम पर पहुंच गई थी
उसने देखा और सब लोग भी ऑफिस में इसी वक्त पहुंचते हैं ।
अपने केबिन में जाकर उसने बैग टेबल पर रखा और आराम से अपनी कुर्सी पर बैठ गई ।
अभी काम क्या करना है उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
मोबाइल पर नील का मैसेज देखकर वो उसके केबिन में जाती है
गुड मॉर्निंग सर ।
वेरी गुड मॉर्निंग नलिनी।
कैसा लग रहा है तुम्हें ऑफिस में?
अच्छा लग रहा है सर।
पर अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या काम करना है।
कोई बात नहीं है...
ये वीक तुम्हारी ट्रेनिंग का है।
तुम काम का अभी टेंशन मत लो ।
हमें आज साइट विजिट पर जाना है तुम तैयार हो ?
यस सर।
चलो हम निकलते हैं ।
नलिनी केबिन से अपना बैग और मोबाइल उठा लेती है।
नील बाहर गाड़ी में उसका इंतजार कर रहा था।
बैग पीछे की सीट पर रखकर नलिनी कार का गेट खोल कर आगे की सीट पर बैठ जाती है ।
नील बोला हम लोग दो घंटे में गांव पहुंच जायेंगे।
रास्ते में वो उसे अपने काम के बारे में समझाता है. शहर से बाहर निकलकर एक ढाबे पर नील ने गाड़ी रोक दी उसने नलिनी से कहा अगर उसे फ्रेश होना है तो जा सकती है यहां का टॉयलेट नीट एंड क्लीन है।
तब तक नील दो चाय का आर्डर करता है।
नलिनी के आने पर उसने खाने के लिए पूछा..
हां सर जोर से भूख लग रही है मैं टिफिन साथ में लाई हूं।
मेरा भी टिफिन साथ में है चलो मिलकर खा लेते हैं।
नील के लंचबॉक्स में गोभी का परांठा और नींबू का अचार था नलिनी के लंच बॉक्स में आलू का परांठा और नींबू का अचार दोनों को एक दूसरे का टिफिन देखकर हँसी आ गई।
नलिनी ने अपने टिफिन से आलू का परांठा निकालकर नील को दिया ... आज पहली बार बनाया है मैंने,
सर आप खाकर बताईये कैसा बना है।
नील ने परांठे का कौर मुंह में डाला और बोला पहली बार में कोई इतना अच्छा परांठा कैसे बना सकता है ....
अब से जब भी तुम आलू का पराठां बनाओ तो मेरे लिए भी बना लेना
नील की बात सुनकर नलिनी मुस्कुरा दी।
चाय के साथ दोनों ने अपना लंच खत्म किया।
रास्ता बहुत अच्छा था दोनों तरफ हरे भरे खेत देखकर नलिनी को बहुत अच्छा लग रहा था ।
एक बजे के करीब दोनों गांव पहुंच जाते हैं गाड़ी को देखकर गांव के बच्चे गाड़ी के पीछे पीछे दौड़ने लगते हैं ....
आसपास की औरतें और आदमी बड़े कौतूहल से गाड़ी की तरफ देख रहे थे ...सबका ध्यान नलिनी की तरफ था इस तरह से उन लोगों को अपनी ओर देखते हुए उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था।
नील ने जब उसका चेहरा देखा तो वो हँसने लगा और बोला इन लोगों ने इतनी सुंदर लड़की पहली बार देखी है इसलिए तुम्हें इस तरह से देख रहे हैं ऑफिस में और भी लड़कियां हैं जो यहां पर आती रहती हैं पर तुम उन सबसे अलग हो इतनी मासूमियत आजकल की लड़कियों में होती ही नहीं है।
यह तुम्हारी दादी के दिए हुए संस्कार और घर के माहौल का असर है तुम पर
गाड़ी का दरवाजा लॉक करते हुए नील बोला ।
मेरे साथ आओ।
रास्ता आगे की तरफ ऊबड़ खाबड़ था थोड़ा आगे जाकर नील अंदर की तरफ मुड़ा पगडंडी नुमा रास्ता अंदर की तरफ जा रहा था उसने नलिनी को बोला थोड़ा संभल कर चलना।
यहां वहां गोबर का ढेर था
अगली बार जब आओ तो शूज पहन कर आना।
गांव के सरपंच के घर पर आंगन में खटिया पड़ी हुई थी वहीं पर गांव की औरतों और लड़कियों से बातचीत होती थी नील को देखकर सरपंच खड़े हो गए और हाथ जोड़कर हम दोनों का स्वागत किया
आइए नील बाबू ।
आओ बिटिया ... उनके मुंह से बिटिया का संबोधन सुनकर मुझे दादी की याद आ गई ।
एक तरफ रखी कुर्सियों पर हमें बैठने का इशारा करते हुए वह खटिया पर बैठ गए ।
अंदर से एक बच्ची ट्रे में रख कर दो गिलास में पानी लाई ।
कुछ ही देर में आंगन में गांव की महिलाएं और बच्चियां इकट्ठा हो गई सबने हाथ जोड़कर नील और मेरा अभिवादन किया ।
सब कुछ बड़ा अच्छा सा लग रहा था मुझे लग रहा था जैसे कोई दूसरी दुनिया में आ गई हूं मैं।
इतने सीधे भोले लोग चेहरे पर इतनी मासूमियत।
नील ने एक बच्ची को बुलाया नलिनी यह सपना है पढ़ने में बहुत होशियार हमेशा कक्षा में अव्वल आती है साथ ही सपना की मां से भी उसने मेरा परिचय करवाया मैंने हाथ जोड़कर सपना की मां की अभिवादन का जवाब दिया।
नलिनी : जी सर।
व्हाट्सएप चेक करो सपना के बारे में सारी जानकारी डिटेल में तुम्हें भेज दी है।
अब तुम्हें अपने तरीके से सपना और उसकी मां से बात करना है ...
तुम दूसरी तरफ जाकर बैठो और अकेले में दोनों मां बेटी की बात सुनो जब तक मैं बाकी लोगों से मिलता हूं।
नलिनी ने व्हाट्सएप चेक किया ।
नील सर ने सपना के साथ जो कुछ भी घटा था उसके बारे में सारी जानकारी मुझे भेज दी थी।
मैंने व्हाट्सएप पर पूरी जानकारी पढ़ी उसे पढ़कर मेरा मन कांप गया। इतनी छोटी सी बच्ची के साथ इतनी घिनौनी हरकत गांव में भी बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं ।
मैंने सपना को अपने पास बुलाया उसका नाम पूछा और उसे अपने पास गोद में बैठा लिया।
सपना की मां ने कहा कि इसके मन में डर बैठ गया है रात को नींद मैं चीख पड़ती है और डर कर उठ के बैठ जाती है एक महीना होने आया डर के कारण यह सोती ही नहीं है।
पढ़ने में इतनी होशियार है पर मन में ऐसा डर बैठा है कि स्कूल जाने से भी कतराती है।
तुम स्कूल क्यों नहीं जाती हो ?
मास्टर जी अलग से कमरे में बुलाते हैं और और क्या बताओ मुझे..?
डरो नहीं सपना तुम मुझे सब सच सच बताओ
मैं तुम्हें यहां से अपने साथ अपने घर ले जाऊंगीं और अच्छे स्कूल में तुम्हारा एडमिशन करवाऊंगी
सपना की बड़ी बड़ी आंखों मे आँसू भर आते हैं उसके पैर कांपने लगते हैं सपना को नलिनी अपने कलेजे से लगा लेती है।
सपना से जो बताया उसे सुनकर नलिनी के होश उड़ गए अभी तो ये मासूम है,
उसने बताया कि मास्टर जी ने उसे क्लास में बुलाया और चॉकलेट दी और कहा किसी को भी मत बताना कि मैंने तुम्हें चॉकलेट दी है लंच के समय सब बच्चे बाहर ग्राउंड में रहते हैं ... कुछ दिनों तक ऐसे ही रोज चॉकलेट देकर वो मुझे जगह-जगह से छूते थे किसी को भी इस बारे में बताने के लिए उन्होंने मुझे मना किया था अगर किसी को तुम नहीं की बात बताई तो तुम्हें स्कूल से निकाल दिया जाएगा।
एक दिन स्कूल की छुट्टी के टाइम पर उन्होंने मुझे अंदर क्लास में से रजिस्टर लेने के लिए भेजा छुट्टी में सब अपने अपने घर जा रहे थे उन्होंने क्लासरूम बंद कर लिया और मेरे साथ. .... मुझे बहुत दर्द हो रहा था उन्होंने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया जिस से कोई मेरी आवाज़ ना सुन पाए वो बुरी तरह से रोने लगी।
उसके बाद मास्टर का कुछ पता ही नहीं चला।
देखा दीदी इतनी होशियार मेरी बच्ची की क्या हालत बना दी है अब वो स्कूल के नाम से भी डरने लगी है।
इसके पिता को तो कोई फर्क नहीं पड़ता वह तो वैसे भी इसके पढ़ने के खिलाफ था।
दारु पी के वो दिन भर घर में पड़ा रहता है।
मैं चाहती हूं कि मेरी लड़की पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाए मेरी तरह उसे अपने पति के अत्याचार बर्दाश्त न करने पड़े।
मेरे पिता ने मुझे पढ़ाया लिखाया पर मेरी मां को शादी की बहुत जल्दी थी 13 साल की उम्र में ही मेरी शादी इसके पिता के सगं कर दी।
सपना बेटा आप पढ़ना चाहती हो ?
उसने अपनी गर्दन हिलाकर हां कहा ..
आप मेरे साथ चलोगी मैं वहीं पर आपके स्कूल में एडमिशन करवा दूंगी ?
उसकी आंखों में खुशी चमक उठी।
सपना की मां से नलिनी बोली तुम अपनी बेटी के साथ मेरे घर पर रह सकती हो सपना का मैं स्कूल एडमिशन करवा दूंगी और इसकी पढ़ाई का सारा खर्चा मैं उठाऊंगी।
इस तरह से किसी बच्चे को पढ़ाने का नलिनी बहुत समय से सोच रही थी अगर वह किसी एक बच्ची की भी मदद कर पाई तो उसे लगेगा उसने कुछ अच्छा किया।
नील को खड़ा देखकर वो उठ कर उसके पास चली जाती है ।
चले काफी वक्त हो गया है ?
जी सर।
नलिनी ने घड़ी देखी चार बज रहे हैं।
रास्ते में सपना के बारे में उसने नील को सब बताया
सर मैं सपना को पढ़ाना चाहती हूं ।
यह तो बहुत अच्छा सोचा है तुमने नलिनी।
देखते देखते एक महीना निकल जाता है नलिनी सपना की मां को अपना पता लिख कर दे देती है और हिदायत देती है कि किसी को बताने की जरूरत नहीं तुम कहां जा रही हो कहां रहोगी वह उसे अपने घर पर रख लेती है और सपना का एक स्कूल में एडमिशन करवा देती है।
अब ऑफिस का सब काम नलिनी सीख चुकी थी। धीरे-धीरे नील और नलिनी के बीच अच्छी दोस्ती होती जा रही थी।
कुछ दिनों से शगुन की तबियत कुछ खराब चल रही थी सुबह उठती है तो उसे चक्कर आने लगते ।
हीरा उसे डॉक्टर के पास ले गया चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने बताया शगुन मां बनने वाली है।
हीरा ने सबसे पहले दादी को यह खबर दी।
वो बहुत खुश था...।
हीरा नलिनी को शगुन की प्रेग्नेंसी की बात बताना चाहता था पर चाहकर भी वह नलिनी से नहीं बोल पाया।
जब रामकिशन जी को पता चला शगुन मां बनने वाली है वह बहुत खुश हुए और शगुन को ढेरों आशीर्वाद दिये।
आज ऑफिस में नील सर के कहने पर नलिनी ने अपनी टीम को स्पीच दी।
क्वालिटी वर्क किस तरह से करें ?
महिलाओं और बच्चियों की स्थिति में सुधार के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं ?
रूरल एजुकेशन पर फोकस करने कि जरूरत क्यों है...?
स्कूल जाने वाली बच्चियों को टच गुड और बैड टच के बारे में जानकारी देना बहुत जरूरी है।
बच्चियों को पता होना चाहिए अगर किसी का टच करना छूना वो चाहे उनके रिश्तेदार हों या टीचर हों अगर उन्हें गलत लग रहा है तो उसी वक्त उन्हें मना करना आना चाहिए।
मां को को भी इस बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है ।
नलिनी की स्पीच सुनकर नील बहुत खुश हुआ...
नलिनी तुम मेहनती होने के साथ-साथ इंटेलिजेंट भी हो, हम तुम्हारी पोस्टिंग अपने हेड ऑफिस में कर रहे हैं ऑफिस के लिए हम 6 महीने काम करने के बाद ही एनजीओ टीम से ही वर्कर्स सिलेक्ट करते हैं पर तुम्हारा काम देखते हुए विनोद सर ने तुम्हें सीनियर ऑफिसर के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया है।
अबसे तुम मेरी जूनियर बनकर काम करोगी
सभी नलिनी को बधाई देते हैं ..
नील बधाई देने के लिए हाथ बढ़ाता है नलिनी को हाथ मिलाते हुए शर्म आ जाती है नील का मन उसका हाथ छोड़ने का ही नहीं था इतनी सॉफ्ट हथेली ... वह सोचता है काश कि यह हाथ ताउम्र और हाथों में रहे।
उसके आकर्षण से वह खुद को बचा ही नहीं पा रहा था ।
दूसरे दिन ऑफिस में नलिनी की प्रमोशन की पार्टी थी।
कल तुम्हें यहां ऑफिस में नहीं आना है हेड ऑफिस में पार्टी है तुम तैयार रहना 6:00 बजे में तुम्हें तुम्हारे घर से पिक कर लूंगा
ओके सर ।
घर आकर नलिनी सबसे पहले दादी को फोन लगाकर अपने प्रमोशन की बात बताती है ।
दादी खुशी से फूली नहीं समाती वो उसे ढेर सारे आशीर्वाद देती हैं ..
ठहर रामकिशन से बात करवाती हूं तेरी ..
दादी रामकिशन जी से बोलीं नलिनी बिटिया का प्रमोशन हो गया है।
बधाई हो बेटा ।
"कैसी है तू ?"
"मैं अच्छी हूं। "
हमें तुझ पर गर्व है बिटिया ईश्वर तुझे खूब तरक्की दे ,खूब खुश रहे तू । अपना ध्यान रखना बेटा.... रामकिशन जी की खुशी से आँखें भर आती हैं वो फोन रख देते हैं।
दादी नलिनी को फिर से फोन लगाती हैं
बिट्टो तुझे एक खुशखबरी देना तो भूल ही गई
क्या हुआ दादी
शगुन मां बनने वाली है और तू मौसी।
दादी यह तो सचमुच बहुत खुशी की बात है मैं हीरा और शगुन को फोन करके बधाई दूंगी।
अच्छा दादी आप अपना ध्यान रखना मैं फोन रखती हूं।
नलिनी हीरा को फोन करके बधाई देती है
इसके लिए तो बधाई तुम्हें मिलना चाहिए नलिनी ।
"हां , हीरा । मैंने तो खुद को पहले ही बधाई दे दी। "
हीरा से बात करके नलिनी ने फोन एक तरफ रख दिया वह खुद को बहुत थका हुआ महसूस कर रही थी..
नलिनी ने नोटिस किया जब भी वो हीरा से बात करती है तो वह नॉर्मल नहीं हो पाती।
उसे गुस्सा आ ही जाता है, पर अब वो ऐसा नहीं करेगी।
अब वो पिता बनने वाला है उसकी जिम्मेदारियां और बढ़ जाएंगी।
मुझे हीरा से निकल कर आगे बढ़ना पड़ेगा अपना पास्ट भूल जाने में ही बेहतरी है..
किचन में जाकर उसने अपने लिए कॉफी बनाई और बरामदे में बैठकर गजल सुनते हुए वह कॉफी का आनंद ले रही थी ।
यहां आने के बाद से उसे गजल सुनने का शौक लग गया था जब भी वह फ्री होती ग़ज़ल सुनती ।
सपना और उसकी मां के आने से घर का खालीपन दूर हो गया सपना की मां घर का पूरा काम संभाल लिया था वो खाना भी बड़ा ही स्वादिष्ट बनाती थीं।
बिस्तर में करवट बदलते हुए रात के 12:00 बजने को आए पर नील की आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था ..नलिनी का चेहरा उसकी आंखों से दूर ही नहीं हो रहा था ।
स्पीच देते समय गजब का कॉन्फिडेंस था उसकी आवाज़ में उसे सुनकर कोई नहीं कह सकता था कि उसने पहली बार स्पीच दी है।
कल मैं उससे अपनी मन की बात कह दूंगा..
अब और इंतजार नहीं कर सकता मैं।
नलिनी के खयालों में डूबते उतरते उसे नींद लग गई ..।
सुबह मां की आवाज़ से उसकी नींद खुली चाय की ट्रे लेकर मां उस के पास खड़ी थी..
आँख मलते हुए वो जल्दी से बिस्तर से उठ बैठा और पानी का गिलास उठा कर मां से बैठने के लिए बोला।
तुम चाय पियो बेटा जब तक मैं अपने और काम निपटा लेती हूं बोल कर मां ट्रे उसके पास रख कर चली गईं।
नलिनी सो कर उठी तो बहुत खुश थी उसने सोचा भी नहीं था इतनी जल्दी उसे प्रमोशन मिल जाएगा । किचन में से बर्तनों की आवाज़ आ रही थी वो उठकर बाथरूम में गई ब्रश करके नैपकिन से मुंह पहुंचते हुए बाहर बरामदे में आ गई उसने देखा सपना एक तरफ चुपचाप बैठी हुई थी वह भी सपना के पास जाकर बैठ गई उसे देखते ही सपना के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई गुड मॉर्निंग सपना
गुड मॉर्निंग मौसी
नलिनी को सपना से बात करना बहुत अच्छा लगता था।
उसे ऐसा लगता था जैसे उसके मन से कोई बोझ उतर गया है जब से उसने अपनी मां का लेटर पढ़ा था वह मन ही मन बहुत परेशान थी और बात मां की थी तो किसी से शेयर करना उसको उचित नहीं लगा।
सपना की मदद करके उसे लगा उसने अपनी खुद की मदद की है।
यहां आने के बाद दिन तो ऑफिस में निकल जाता था शाम को उसका मन नहीं लगता था गुजरे पलों के साए उसके चारों और मंडराते नज़र आते वह अपने आप को यादों की जंजीरों से मुक्त करने की जितनी कोशिश करती उतना ही ज्यादा वह यादों के दलदल में धंसती चली जाती।
उसे उनसे बाहर आने का एक ही रास्ता नजर आया उसने अपनी मां का लिखा हुआ पत्र निकाला और पढ़ने बैठ गई
अपने जन्म के सच से वह तक अनजान थी....
मेरी प्यारी बेटी कोमल आज तुम 18 वर्ष की पूरी हो गई हो. जब यह लेटर तुम पढ़ रही हो तब तुम भी अपनी मां के बारे में सब जानना चाहती होगी। "जानती हूं, तुम इस वक्त परी सी सुंदर दिख रही होगी।
तुम जहां भी हो वहां बहुत खुश होगी ।
कान्हा तुम्हारे साथ कभी कोई नाइंसाफी नहीं होने देंगे।
तुम्हारे 18 वे जन्मदिन की तुम्हें ढेर सारी शुभकामनाएं।
काश कि तुम्हारे जन्मदिन पर मैं तुम्हारे साथ होती एक मां का अरमान होता है अपने बच्चे को बढ़ते देखना पर यह मेरी बदनसीबी है अपनी नन्ही सी जान को मुझे मंदिर की सीढ़ियों पर छोड़ना पड़ रहा है मैं नहीं चाहती कोई तुम्हें नाजायज औलाद कहे ।
तुम्हारे पापा आर्मी में ऑफिसर थे उनसे मेरी मुलाकात कॉलेज में हुई थी हमारी दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला।
तुम्हारे पापा आर्मी में ऑफिसर बन गए उनकी नियुक्ति दूसरे शहर में हुई कॉलेज में वो मेरे सीनियर थे।
मेरी ग्रेजुऐशन अभी ही पूरी हुई थी दीवाली की छुट्टियों में जब तुम्हारे पापा उदयपुर आये बहुत समय बाद हम दोनों मिले और अपनी भावनाओं पर हमारा काबू नहीं रहा हम दोनों शादी करना चाहते थे इसलिए फिजिकल रिलेशनशिप बनाना हमें गलत नहीं लगा.. जनवरी में तुम्हारे पापा वापस आने वाले थे हम दोनों ने कोर्ट मैरिज करने का प्लान कर लिया था पर ईश्वर ने न जाने क्या सोच रखा था तुम्हारे पापा देश के दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए, मैं उन्हें अपनी प्रेगनेंसी की खबर देना चाहती थी क्योंकि तुम हमारे प्यार की निशानी थीं। पर जो खबर मैंने सुनी उसने तो मेरे पैरों के नीचे की ज़मीन ही मुझसे छीन ली थी.....
तुम्हारे पिता की शहादत की खबर सुनकर में चक्कर खाकर गिर पड़ी।
मां ने डॉक्टर को बुला कर मेरा चेकअप करवाया जब डॉक्टर से उन्हें मेरे प्रेग्नेंट होने की खबर पता चली तो मां बुरी तरह से घबरा गई उन्होंने डॉक्टर से अबॉर्शन करने के लिए कहा डॉक्टर ने मना कर दिया मेरी कंडीशन को देखते हुए उन्हें वह सेफ नहीं लगा।
और मैं भी अबॉर्शन के लिए तैयार नहीं थी मैं तुम्हारे पापा से बहुत प्यार करती थी और अपने प्यार की निशानी को मैं किसी भी कीमत पर मिटाना नहीं चाहती थी, मेरी छोटी मौसी उन दिनों घर पर ही थीं उन्होंने मां को समझाया कुछ नहीं होगा समझदारी से काम लो मैं इसे अपने संग जयपुर ले जाती हूं वहीं से ये अपना पीजी कर लेगी तो किसी को कोई शक नहीं होगा।
मुझे मौसी की बात ठीक लगी मेरे पिता यानी तुम्हारे नाना एक रुतबे वाले इंसान थे समाज में उनका अपना ओहदा था अपनी इज्ज़त उन्हें बहुत प्यारी थी।
प्यार व्यार जैसे शब्दों की उनकी डिक्शनरी में कोई जगह नहीं थी ...
वह मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढ रहे थे मां ने मेरी प्रेग्नेंसी की बात पिता से छुपाई और मुझे भी अपनी कसम दी।
और पापा को इस बात के लिए मना लिया कि वह मेरे पीजी करने के बाद ही मेरी शादी करेंगे।
गोविंद जी के मंदिर में मैं मौसी के साथ कई बार गई थी वहां जो पुजारी थे वह बड़े भले इंसान थे मंदिर के आसपास भी जो घर थे वह बहुत संपन्न लोगों के थे अगर मैं तुम्हें मंदिर की सीढ़ियों पर नहीं छोड़ती तो पता नहीं तुम्हारे साथ क्या होता, मेरी मौसी तुम्हें किसी अनाथ आश्रम में जाकर छोड़ देती, मैंने नर्स से पहले से ही बात करके रखी थी उन्होंने मेरी मौसी को बताया की मरी हुई बच्ची पैदा हुई है। इसके लिए मैंने उसे अपनी गले की चैन देने का वादा किया था।
उसने ही गाड़ी की व्यवस्था करी सुबह की रात सब गहरी नींद में होते हैं तब मैं नर्स के साथ जाकर तुम्हें मंदिर की सीढ़ी पर रखकर भगवान से प्रार्थना करके आई कि अब वो ही तुम्हारे मां पिता सब हैं अपने कलेजे के टुकड़े को अपने से जुदा करना बहुत हिम्मत का काम होता है और तुम एक आर्मी ऑफिसर की बेटी थीं इसलिए मुझे तुम पर भरोसा था मैं जानती थी तुम परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानोगी ।
पता नहीं मैं तुमसे कभी मिलूंगी भी या नहीं मेरे पिताजी मेरी शादी कहां करेंगे मुझे यह भी नहीं पता।
तुम्हें जो चैन दी है वह तुम्हारे पिता की मेरे पास आखिरी निशानी थी वह मुझे प्यार से कनु कहते थे और कृष्ण के भक्त थे।
अब इस निशानी पर मुझसे ज्यादा तुम्हारा अधिकार है कान्हा सदा तुम्हारी रक्षा करें।
यह पत्र पढ़ने के बाद तुम मुझे माफ़ कर देना बेटी मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाई आखिरी सांस तक मुझे इस बात का अफसोस रहेगा...
तुम्हारी बदकिस्मत मां
मां का पत्र पढ़ कर मैं बहुत रोई ।
मैं अपनी मां के लिए बहुत दुखी थी अपने प्यार और फिर उसकी निशानी दोनों को खोकर मां कैसे रही होंगी सोचकर ही मुझे घबराहट होने लगी।
नील के साथ जब साइड विजिट पर में गांव गई तब सपना और उसकी मां से मिलकर मुझे लगा कि मुझे उनकी मदद करना चाहिए सपना की मां की बेबसी मुझे दुखी कर रही थी उनमें मैं अपनी मां को देख रही थी जो चाहते हुए भी अपनी बेटी के लिए कुछ नहीं कर पाईं...।
सपना की मां बहुत ही सुलझी हुई महिला थी घर के साथ-साथ वह बाहर के काम भी बड़े अच्छे से कर लेती थी उनके आने से घर की तरफ से मैं बिल्कुल फ्री थी और अपने जॉब पर अच्छे से फोकस कर पा रही थी वह मेरा बहुत ख्याल रखती थी।
दीदी चाय, सपना की मां की आवाज़ से मैं अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आई चाय का कप उठाते हुए मैंने उससे पूछा तुम्हारी चाय कहां है दीदी आप पीजिए मैं भी पी लूंगी
नहीं तुम भी अपनी चाय और सपना के लिए दूध ले आओ तुम मेरी बहन के जैसी ही हो और यह बिल्कुल मत सोचना कि मैंने तुम पर कोई एहसान किया है।
जी दीदी, आप कितनी अच्छी हो।
मैंने दादी को फोन लगाया
"हेलो दादी, ..कैसी हो आप ?"
मैं बहुत अच्छी हूं बेटा।
आज सुबह-सुबह तेरा फोन आ गया तो मेरा दिन वैसे ही अच्छा हो गया।
"दादी आज मेरे प्रमोशन की पार्टी है, मैं क्या पहन के जाऊँ?"
"तुझ पर तो सभी रंग अच्छे लगते हैं बिटिया। "
ऑफ़िस के हिसाब से जो अच्छा लगे वह पहन ले।
"ठीक है दादी। अभी मैं फोन रखती हूं। "
मेरा मन करता कि मैं अपनी मां को बता पाऊं कि मैं अच्छे से रह रही हूं। वह मेरी तरफ से निश्चिंत रहें पर मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह कहां है।
मैं उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरी मां जहां भी है वह खुश रहें।
आज ऑफ़िस नहीं जाना था तो मैं बिल्कुल फ्री थी नाश्ता करके मैं सपना के साथ कार्टून फिल्म देखती रही ।
फिल्म खत्म होने पर मैंने सपना से पढ़ने बैठने के लिए कहा और मैं शाम में पहनने के लिए कपड़े देखने लगी ...
मैंने अपना ब्लैक पार्टी गाउन निकाला उसके साथ पहनने के लिए हिल्स निकालकर एक तरफ रख दिए
लंच करके मैं 2 घंटे के लिए सो गईं जिससे शाम को फ्रेश लगे।
नील का मैसेज आ गया था वो मुझे घर से पिक कर लेगा
उठकर मुंह धो कर मैंने अपने लिए कॉफी बनाई और गजल सुनते हुए कॉफी खत्म की।
मैं खुद को थोड़ा रिलैक्स करने की कोशिश कर रही थी पता नहीं क्यों पार्टी में जाने को लेकर मैं नर्वस फील कर रही थी।
घड़ी में वक्त देखकर तैयार होकर मैंने हिल्स पहनी और खुद को आईने में देखा हीरा हमेशा बोलता था ब्लैक कलर मुझ पर बहुत फबता है ।
मोबाइल पर नील सर का कॉल आ रहा था सपना की मां को दरवाज़ा बंद करने का बोल कर मैं बाहर निकल गई नील सर वही पर मेरा इंतजार कर रहे थे।
मुझे देखकर वह कार से उतरे और मेरे लिए कार का दरवाज़ा खोला और बोले आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो
"थैंक्यू सर। "
बोलते हुए मैं गाड़ी के अंदर बैठ गई।
हेड ऑफिस के बाहर गाड़ी रोकते हुए नील सर ने मुझसे कहा नलिनी तुम अंदर चलो मैं गाड़ी पार्क करके आता हूं।
जैसे ही मैंने अंदर एंटर किया सब ने बहुत अच्छे से मेरा वेलकम किया हाल बहुत सुंदर सजा हुआ था नील के अंदर आने पर उसने सब को संबोधित करते हुए मेरा सबसे परिचय करवाया साथी सहकर्मियों ने फूलों का गुलदस्ता देकर मेरा स्वागत किया।
स्नेक्स के साथ ही कोल्ड ड्रिंक्स और हार्ड ड्रिंक्स का इंतजाम था साथ ही डिनर की भी व्यवस्था थी।
सब अपने तरीके से पार्टी इंजॉय कर रहे थे मैं नील और बॉस के अलावा किसी को भी नहीं जानती थी।
बॉस ने नील से बोला कि वह मुझे कंपनी दे।
कुछ महिला सहकर्मी हार्ड ड्रिंक्स इंजॉय कर रही थी नील सर ने मुझसे भी पूछा वाईन या बियर ?
"नहीं सर,आप लीजिए। प्लीज। "
नील सर अपने लिए बीयर और मेरे लिए पेप्सी लेकर आए हम लोग साइड की टेबल पर जाकर बैठ गए इस तरह का माहौल मेरे लिए नया था मैं बात करने में थोड़ा संकोच कर रही थी।
नलिनी ये तुम्हारी पहली ऑफिशियल पार्टी है और वह भी तुम्हारी कामयाबी की ।
पहली बार में सबको ऐसा ही लगता है जैसा तुम फील कर रही हो सब लोगों से जब मिलोगी काम करोगी साथ में तो सबसे तुम्हारी पहचान हो जाएगी और तुम्हें बहुत अच्छा भी लगेगा नर्वस होने की कोई जरूरत नहीं है और मैं तो साथ में हूं तुम्हारे ।
नील सर को शायद ड्रिंक करने की आदत नहीं थी उन्हें बीयर भी चढ़ गई थी डिनर के बाद सबसे विदा लेकर मैं नील सर के साथ बाहर आ गई उन्होंने मेरे लिए कार का दरवाज़ा खोला मैं बिना कुछ बोले चुपचाप बैठ गई, अंदर बैठकर नील सर ने पीछे की सीट से फूलों का गुलदस्ता उठाया और मुझे देते हुए बोले कांग्रेचुलेशन नलिनी तुम इसी तरह कामयाबी हासिल करती रहो मैं ईश्वर से तुम्हारी सफलता के लिए दुआ करता हूं।
कुछ पल के लिए वह चुप हो गए फिर बोले नलिनी मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं..
"जी सर, बोलिए । "
तुम मुझे नील बुला सकती हो..
आई लव यू नलिनी ..
जयपुर में तुम्हारे घर पर जब मैं डिनर के लिए आया था तुम्हें पहली बार तब ही अच्छे से देखा था तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
सर ...
प्लीज कुछ बोलो मत, मेरी बात सुनो।
अगर तुम्हें मेरा बात करना अच्छा नहीं लगा तो तुम मुझसे साफ बोल सकती हो।
सर आप मुझे घर छोड़ दीजिए बहुत देर हो गई है।
नलिनी को उसके घर के बाहर छोड़कर गुड नाइट बोलकर नील चला जाता है।
नलिनी दरवाज़ा खटखटाती है उसे सपना की आवाज़ आती है वह भी अभी तक सोई नहीं थी उसके अंदर जाते ही सपना उसके पीछे पीछे कमरे में पहुंच जाती है।
दीदी आप बहुत सुंदर लग रही हो
थैंक्यू सपना।
तुम अभी तक सोई नहीं ?
आपने बोला था कि आप रात में कहानी सुनाओगी
सॉरी बेबी आज तो मैं बहुत थक गई हूं कल पक्का तुम्हें कहानी सुनाऊंगी ।
अभी तुम जाओ जल्दी से मम्मी के पास जाकर सो जाओ।
कपड़े बदल कर हाथ मुंह धो कर नलिनी चेहरे पर थोड़ी क्रीम लगाती है और बिस्तर पर जाकर लेट जाती है
नील की कही बात उसे परेशान कर रही थी उसे लग रहा था नील ने जो कुछ भी उससे कहा है वो नशे में कहा है।
पार्टी के बारे में सोचते हुए उसे नींद आ जाती है।
दूसरे दिन ऑफिस में नील उसे बोलता है अगर मेरी किसी बात से तुम्हें तकलीफ़ पहुंची हो तो प्लीज मुझे माफ़ कर दो तुम्हें किसी भी तरह से दुख पहुंचाने का मेरा इरादा नहीं था जो भी मैंने तुमसे कहा वह बिल्कुल सच कहा था ।
लंच टाइम में भी नलिनी चुप रही उसने नील से कोई बात नहीं की
एक हफ्ता ऐसे ही निकल गया दोनों के बीच में काम को लेकर ही थोड़ी बहुत बातचीत हुई।
ऑफिस के काम से नील को 4 दिन के लिए जयपुर जाना था उसने अपनी सीनियर बॉस से बात की सर जयपुर की ब्रांच में अभी कोई एंप्लोई नहीं है वह नलिनी को अपने साथ ले जाना चाहता है इस काम का नलिनी को अभी कोई एक्सपीरियंस नहीं है उसके साथ में जाने से मेरी मदद के साथ साथ नलिनी की ट्रेनिंग भी हो जाएगी ।
नील की बात बॉस को बहुत अच्छी लगी ... ठीक है मैं नलिनी को इन्फॉर्म कर देता हूं।
बॉस का मैसेज देख कर नलिनी उनके केबिन में गई
मिस नलिनी आपको 4 दिन के लिए ऑफिशियल टूर पर नील सर के साथ जयपुर जाना है यह पहला ऑफिशियल टूर होगा आपका।
मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है सर ,मैं जाने के लिए तैयार हूं ।
अपनी केबिन में आकर नलिनी बहुत खुश थी ऑफिशियल टूर के बहाने वह घर पर दादी से भी मिल लेगी।
नील ने उसे फोन पर ही मैसेज कर दिया था दिन में 11:00 बजे जयपुर के लिए निकलेंगे मैं तुम्हें घर से ही पिक कर लूंगा।
घर आकर नलिनी बहुत खुश थी आज वह गुनगुना रही थी
सपना की मां उसके लिए पानी लेकर आई और बोली दीदी आज आप बहुत खुश लग रही हो ..
हां आज बहुत खुश हूं बहुत दिन बाद दादी से मिलना होगा कल ऑफिस के काम से मुझे जयपुर जाना है तुम अपना और सपना का ध्यान रखना 5 दिन लगेंगे मुझे आने में जरूरत की जो भी चीज लगे वह तुम ले आना ।
"ठीक है दीदी, आप अच्छे से जाना और दादी जी को मेरा भी प्रणाम बोलना। "
"हां, तुम्हारे और सपना के बारे में मैं बताऊंगी दादी को। "
अबकि छुट्टियों में जब जयपुर जाऊंगी तब सपना और तुम्हें साथ लेकर चलूंगी दादी को बहुत अच्छा लगेगा तुमसे मिलकर और तुम्हें भी दादी से मिलकर ।
हां दीदी मेरा भी बड़ा मन है दादी जी से मिलने का।
आप आराम करो मैं खाना बनाने की तैयारी करती हूं।
नलिनी ने अपना बैग निकाला और चार-पांच दिन पहनने के हिसाब से कपड़े निकाल कर उसमें रखे और जरूरत की बाकी चीजें भी उसन बैग में रख लीं।
खाना खाकर उसने सपना को अपने पास बुलाया और उसे कहानी सुनाई कहानी सुनते सुनते सपना को नींद आ गई।
नलिनी ने उसको अपने पास ही सुला लिया।
दूसरे दिन सुबह वो आराम से सोकर उठी ब्रश करके नहा धोकर वो तैयार हो गई ।
सपना की मां ने खाना टाइम से तैयार कर मुझसे खाना खाने के लिए बोला ।
मैं जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी बस नील सर के कॉल का इंतजार कर रही थी।
नील का कॉल आ रहा था ।"हैलो। "
हैलो सर । "
कहां हो नलिनी ?
मैं तुम्हारे घर के बाहर पहुंचने वाला हूं।
"ठीक है सर, मैं बाहर आती हूं। "
"गुड मॉर्निंग सर। "
वेरी गुड मॉर्निंग नलिनी।
इस टूर को लेकर तुम बड़ी एक्साइटेड होगी।
"है ना ?"
"जी हां। "
"ओह। "
"अब समझी । "
यह सब आप की प्लानिंग होगी ?
"हां नलिनी। "
जब सर ने मुझे जयपुर जाने के लिए बोला तब मैंने उन्हें कहा अगर वो तुम्हें साथ भेज दें तो मेरी हेल्प हो जाएगी जयपुर में अभी कोई भी एंप्लॉई अप्वाइंट नहीं किया है।
लास्ट टाइम जब मैं जयपुर आया था तब हीरा वहीं पर था उसने मेरी बहुत मदद की थी और तुम्हारा पहला परिचय हीरा ने ही मुझसे करवाया था।
तुम्हारी बहुत फिक्र थी उसे..।
पर इंटरव्यू से पहले तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया..
दूसरी बार मैं जयपुर आया तब हॉस्पिटल में हीरा से और तुमसे मुलाकात हुई ।
उसके बाद तुम्हारे घर पर डिनर के वक्त तुम्हें देखा और बस देखता ही रह गया तुम ही वो लड़की हो जिसमें सोना के बाद मेरे दिल में दस्तक दी है।
ओह।
सोना कौन है ?
सोना कॉलेज में मेरे साथ पढ़ती थी कभी आराम से अपनी जिंदगी के बारे में सब कुछ बताऊंगा तुम्हें ।
मेरी जिंदगी बहुत आसान नहीं रही
कहते हैं चेहरा मन का आईना होता है
हम चेहरे से जैसा दिखते हैं वह सब हमारे मन के ही भाव होते हैं,जो हमारे चेहरे पर ज़ाहिर होते हैं ।
हम चाहे ना चाहे पर हमारे मन के भाव हमारे चेहरे पर आ ही जाते हैं।
पर परिस्थितियों के हाथों हम इतना मंझ चुके हैं कि आसानी से किसी एक्टर की तरह हम अपने चेहरे के भाव छुपाना सीख लेते हैं।
धीरे-धीरे हम अपने झूठ को भी सच बनाकर दिखाने लगते हैं हमारे चेहरे की खुशी देखकर सबको यही लगता है हम लोग बहुत खुश हैं और जो अंदर चलता है वह कुछ और ही होता है जिसके बारे में कभी किसी को कुछ पता नहीं चलता।
"मेरी शादी हो गई है पर शादीशुदा होकर भी मैं अकेला ही हूं।
मेरी बीवी और मुझ में ना के बराबर ही बातचीत होती है।
मेरा एक बेटा है अंश और मेरी बीवी से मेरे शारीरिक रूप से कोई संबंध नहीं है।
व्हाट ?
यू मीन...
यस ।
मैंने तुम्हें कहा ना .. तुम्हें मैं आराम से सब बताऊंगा
बड़ी लंबी कहानी है।
और किसी ना किसी को तो मुझे इस बारे में बताना ही है.. और तुमसे ज्यादा बेहतर मुझे कोई नहीं लगता जिसे मैं अपनी जिंदगी का सच बताऊं।
ज्यादा बोझ मन पर रखकर जीना बहुत मुश्किल होता है नलिनी।
मैं अपनी जिंदगी में दिखावे का बोझ उठाते उठाते थक गया हूं।
"मुझे लगता है अब और ज्यादा बोझ मैं उठा नहीं पाऊंगा। "
तुम कुछ खाओगी ?
नहीं सर, भूख नहीं है मुझे।
आप खा लीजिए।
आगे कहीं रुकते हैं ।
अकेले खाने का तो मेरा भी मन नहीं है।
आपकी शादी आपकी मर्जी से नहीं हुई थी ?
मर्जी ना मर्जी की तो कोई बात ही नहीं है
कभी कभी हम खुद ही नहीं जानते जो हो रहा है वह क्यों हो रहा है।
और आने वाले समय में उसके क्या रिजल्ट होंगे।
ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य शक्ति हमसे वह सब करवा रही है जो हमारे लिए सही नहीं है।
शायद वो हमारे आसपास की नेगेटिविटी हो सकती है जो हमें सीधे रास्ते से हटा कर गलत रास्ते की तरह मोड़ देती है...
और हमें वह गलत रास्ता ही सही लगने लगता है हम अपनों की बातों को भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं क्योंकि वह हमें अपने सबसे बड़े दुश्मन नज़र आने लगते हैं।
जब समय हमें ठोकर देता है तब हमारी आँखें खुलती है पर तब तक हमारे अपने हमसे दूर हो जाते हैं और हमारे हाथ खाली रहते हैं ।
निराशा का गहरा सागर जिसमें हम रोज डूबते उतरते हैं हम जीते हैं पर हर पल मरते हुए जीते हैं।
मैं भी अपनी मां के लिए खुद को हमेशा खुश रखने की कोशिश करता हूं।
मेरे अलावा उनका इस दुनिया में और कोई नहीं हैं।
लोग कहते हैं प्यार एक बार होता है पर मैं इस बात को गलत मानता हूं मुझे तुमसे दूसरी बार प्यार हुआ है मेरा पहला प्यार सोना थी ।
"प्यार कम या ज्यादा नहीं होता प्यार सिर्फ प्यार होता है। "
"मेरा मानना है अपनी जिंदगी में इंसान कई बार प्यार करता है।
ये बहुत पवित्र एहसास है यह कब किसके लिए हमारे मन में होगा यह हम नहीं जानते हां ये सच है कि इसमें कोई मिलावट नहीं होती।
सबसे पहला प्यार बच्चे का उसकी मां के साथ होता है जो बहुत निश्छल मासूम और पवित्र होता है।
फिर जैसे जैसे वो रिश्तों की दुनिया में आगे बढ़ने लगता है वह अपने पिता को पसंद करता है उन्हें भी वह प्यार करता है पर मां से उसका जो प्यार का रिश्ता है उसमें और पिता के प्यार में फर्क होता है।
फिर जब उसकी जिंदगी में उसका अपना भाई या बहन आ जाते हैं वह उन्हें भी बहुत प्यार करता है उनके लिए तो वह किसी से भी लड़ जाता है।
और प्यार का यह सफ़र जीवन के आखरी पलों तक चलता है।
अगर हमें कोई अच्छा लगता है तो वह लगता है हम उसके प्यार में कितना गहरा उतरते हैं यह वक्त ही तय करता है और उस व्यक्ति के साथ हमारी इंटिमेसी ।
एक ढाबे पर नील गाड़ी रोक लेता है
नलिनी अगर तुम्हें वॉशरूम जाना हो तो यहां जा सकती हो काफी साफ सुथरा है।
जी सर, थैंक यू।
मैं वॉशरूम जा कर आती हूं।
नील को तेज भूख लग रही थी उसने आलू का पराठा और दही ऑर्डर किया ।
नलिनी तुम क्या खाओगी ?
मैं घर से खाना खाकर निकली थी सर।
अब तो तुम्हें खाए हुए बहुत देर हो गई है और यहां से जयपुर पहुंचने में हमें अभी वक्त लगेगा।
यहां का आलू का पराठा बहुत अच्छा है अगर तुम्हें कुछ और खाना है तो तुम वह आर्डर कर दो..
"आलू का पराठा। "
नील दो जगह पराठे का ऑर्डर दे देता है।
परांठ का कौर मुंह में डालते हुए नलिनी बोली बहुत स्वादिष्ट परांठा है नहीं खाती तो अफसोस रहता।
हां । इसका परांठ खाने के लिए लोग दूर से आते हैं संडे को तो यहां इंतजार करना पड़ता है।
मैं जब भी जयपुर जाता हूं हर बार यहीं पर पराठा खाने के लिए रुकता हूं ।
मां से मैं टिफिन बनाने के लिए मना कर देता हूं। उन्हें पता रहता है कि मैं यहां पर आलू का परांठा खा लूंगा।
नलिनी चाय ?
"हां"
चाय पीते हुए नील बहुत सी बातें नलिनी को बताता रहा।
अच्छा रहा सर आप मुझे भी अपने साथ ले आए बहुत सारी काम की इंफॉर्मेशन मुझे आपसे मिल गई ऑफिस में रहते हुए तो इस सब के लिए बिल्कुल वक्त ही नहीं मिल पाता।
प्रमोशन भी इतनी जल्दी मिल गया की प्रैक्टिकल नॉलेज मुझे बिल्कुल नहीं है।
चिंता की बात नहीं है तुम जल्दी सीख लोगी तुम्हें प्रमोशन इसलिए मिला है कि तुम मैं इतनी कैपेबिलिटी है तुम अपने काम को बेहतर तरीके से करती हो।
थैंक यू सर आपका प्रोत्साहन मेरी काम करने की क्षमता को बढ़ाने में मेरी मदद करता है।
बातों में सफर कैसे कटा पता ही नहीं चला।
नलिनी को उसकी दादी के घर पर छोड़ कर नील होटल चला गया ...
नलिनी ने उससे अंदर आने के लिए कहा भी
मुझे जरूरी काम है और आज ही उसे पूरा करके बॉस को रिपोर्ट करनी है
फिर कभी चाय पी लूंगा अभी तो हम यहीं पर हैं दादी को मेरी तरफ से प्रणाम बोल देना।
ठीक है सर फिर मिलते हैं।
डोर बेल की आवाज़ सुनकर मनसा काकी ने दरवाज़ा खोला और मुझे दरवाज़े पर देखकर खुशी से हैरान हो गई अरे बिटिया कोई खबर नहीं और अचानक से ?
हां काकी ऑफिशियल ट्रिप पर आना हुआ।
कौन है मनसा किससे बात कर रही है ?
आप आकर देखो मां सा कौन आया है ...
अरे बिटिया तुम खबर कर दी होती पहले तो स्टेशन पर कोई लेने पहुंच जाता।
दादी चिंता मत करो मैं अपने सर के साथ आई हूं वह मुझे घर के बाहर छोड़कर गए हैं अभी
नील के साथ आई हो तुम ?
हां दादी।
जो ऑफिस के बड़े बॉस हैं उन्होंने ही नील सर के साथ मुझे यहां भेजा है 4 दिन का ऑफिस का काम है ।
यह बहुत अच्छा रहा तुम्हारा घर आना हो गया मेरी तो आँखें तरस गई थी तुम्हें देखने के लिए।
दादी ने नलिनी को गले से लगा लिया अचानक मिली इस खुशी से उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।
मनसा काकी चाय और पानी लेकर आ गईं।
और बताओ बेटा सब कैसा चल रहा है तुम्हारा मन तो लग गया ना वहां ?
ऑफिस में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई..?
दादी सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा है ,ऑफिस में भी सब अच्छा चल रहा है ..मेरा मन लग गया है।
घर पर दादी के पास रहकर नलिनी को बहुत अच्छा लगा और थोड़ा चेंज भी हो गया।
दूसरे दिन सुबह वह नील सर के बताएं एड्रेस पर पहुंच गई पूरा दिन उनके साथ काम में व्यस्त रही
नील: चलो कॉफी हाउस से कॉफी पीकर मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं..
कॉफी हाउस पहुँचकर नील दो कॉफी और कटलेट्स आर्डर कर देता है।
तुम्हें कुछ और चाहिए तो ?
नहीं सर अगर घर पर खाना नहीं खाऊंगी तो दादी को बुरा लगेगा ।
सर आज रात का खाना आप हमारे साथ खाइए
दादी को भी बहुत अच्छा लगेगा ...
आप मना नहीं करना प्लीज सर..
जैसी तुम्हारी मर्जी।
नलिनी दादी को फोन करके बता देती है सर रात का खाना साथ में खाएंगे।
यह सुनकर दादी बहुत खुश हो जाती हैं उन्हें नील बहुत पसंद है ।
4 दिन कैसे निकले पता ही नहीं चला वापस जाकर वही ऑफिस वही रूटीन।
इस ऑफिशियल टूर के बाद एक बात तो अच्छी हुई नील और नलिनी की नजदीकियां बढ़ गई।
अब अकेले में नलिनी नील सर नहीं नील कहकर बुलाने लगी।
दोनों ही एक दूसरे को पसंद करने लगे थे।
कभी-कभी नील को लगता था कि उसने अपनी असफल शादीशुदा जिंदगी के बारे में नलिनी को बताया इसी वजह से वह सहानुभूति के नाते उससे अच्छे से बात करती है ।
जैसे-जैसे समय बीतता गया उन दोनों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा जब भी फ्री टाइम मिलता तो दोनों एक दूसरे के साथ उसे बिताते थे ।
आज बॉस ने उसे अपने केबिन में बुलाया और ऑफिस की एनुअल मीटिंग में बॉस ने नील के साथ नलिनी को भी गोवा में फॉरेन डेलीकेटस के साथ होने वाली मीटिंग में जाने के लिए कहा।
नलिनी बहुत खुश थी और गोवा उसका ड्रीम डेस्टिनेशन था इसलिए उसकी खुशी दोगुनी हो गई।
उसने दादी को फोन करके बताया कि वह नील के साथ मीटिंग के लिए गोवा जाने वाली है ।
यहां से जाने के बाद आज कितने दिनों बाद तुम्हारी आवाज़ में मैंने खुशी देखी है तुम ऐसे ही खुश रहा करो बिटिया ।
ऑफिस रिजाइन करने के बाद नील नलिनी को फोन करता है और बताता है कि उसने ऑफिस छोड़ दिया है।
"नलिनी मैं तुमसे मिलना चाहता हूं।
"ठीक है,ऑफिस के बाद मैं तुम्हें मिलती हूं। "
ऑफिस के पास ही एक रेस्टोरेंट में नील नलिनी को ले जाता है।
इन दिनों में उसके साथ जो भी हुआ सब नलिनी को बताता है।
मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं नील मां के मन पर जो बोझ था वो भी हट गया तुम्हारे पिता बुरे आदमी नहीं थे परिस्थितियों के हाथों को मजबूर हो गए थे अब तुम अपने पिता की इच्छा पूरी करो और अपना ऑफिस चावला इंडस्ट्रीज के मालिक बन कर शान से काम करो।
"मैं तुम्हारे ऑफिस में तुम्हें मिलने आऊंगी। इतने बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट को देखना यह भी अपने आप में एक नया एक्सपीरियंस होगा मेरे लिए। "
"नहीं नहीं वो सिर्फ मेरा नहीं तुम्हारा भी ऑफिस है नलिनी। "
मां ने मुझे कहा है कि वह चावला हाउस में तब जाएंगी जब मेरी शादी हो जाएगी।
मेरी दुल्हन ही सबसे पहले चावला हाउस में एंट्री करेगी।
यह तो बहुत अच्छी बात है अब तुम जल्दी से शादी कर लो इस शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन के लिए लड़कियों की कोई कमी नहीं है।
नील भगवान बहुत रहम दिल है उसने तुम्हारे रास्ते की सारी परेशानियों को दूर कर दिया और तुम्हारा सच भी साबित हो गया।
मुझे तुम्हारी मदद चाहिए ?
मैं क्या मदद कर सकती हूं बोलो ?
मैं शादी के लिए प्रपोज कैसे करूँ
इसमें क्या प्रॉब्लम है जो लड़की आपको पसंद है उसका हाथ पकड़ो और बोल दो।
तुम सच बोल रही हो ?
"हां,एकदम सच। "
अगर वह बुरा मान गई तो ?
सवाल ही नहीं उठता बुरा मानने का।
वह लड़की बहुत नसीब वाली होगी जिसे तुम प्रपोज करोगे।
तुम मेरा मज़ाक बना रही हो ?
अरे नहीं मज़ाक नहीं मैं एकदम सच बोल रही हूं।
चावला इंडस्ट्रीज शहर में एक बड़ा नाम है उसके मालिक के साथ शादी करना हर लड़की का सपना होगा।
मालिक जब इतना स्मार्ट और खूबसूरत हो तो फिर कहना ही क्या हैं।
नील कुर्सी से उठ कर खड़ा हुआ और नलिनी का हाथ पकड़कर बोला, मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं और तुमसे शादी करना चाहता हूं क्या तुम मुझसे शादी करोगी ?
आसपास बैठे सब लोग नील की तरफ देखने लगते हैं
नील ये तुम क्या कर रहे हो ?
तुम्हें शादी के लिए प्रपोज कर रहा हूं तुमसे पूछा भी था मैंने कैसे प्रपोज करूँ तुमने जैसा बताया मैं वैसे ही कर रहा हूं।
बोलो नलिनी तुम मुझसे शादी करोगी ?
"हां,नील। "
"मैं तुमसे शादी करूंगी। "
लव यू नलिनी। नील उसका हाथ चूम लेता है रेस्टोरेंट में जितने लोग थे सब उनके लिए क्लैपिंग करते हैं ।
नील नलिनी को घर पर मां के पास लेकर जाता है और मां को बता देता है की वो नलिनी से शादी करना चाहता है।
"मुझे क्या एतराज होगा भला। नलिनी जैसी लड़की को अपनी बहू के रूप में पाकर मेरा तो जीवन सफल हो जाएगा। "
नलिनी बेटा अपनी दादी का फोन नंबर मुझे दे दो मैं उनसे और रामकिशन जी से बात करना चाहती हूं।
नील ने मुझे तुम्हारे बारे में सब बता दिया था वो तुम्हें बहुत चाहता है
नलिनी दादी का नंबर नील की मां को देती है
वो दादी से फोन पर बात करती हैं और जब उन्हें बताती हैं की नलीनी उन्हें बहुत पसंद है और वह अपने बेटे नील के साथ उसकी शादी करना चाहती हैं ...
"नेकी और पूछ पूछ। "
इतना अच्छा दामाद कौन नहीं चाहेगा।
नील को तो जब मैंने पहली बार देखा था तभी उसे नलिनी के लिए ईश्वर से मांगा था मैं रामकिशन को खबर कर देती हूं वो पंडित जी से मुहूर्त निकलवा लेगा।
बहुत धन्यवाद आपका आपने मेरी बात का मान रखा ।
"हम चाहते हैं नलिनी जल्दी से जल्दी हमारे घर आ जाए। "
मैं जल्दी ही आपको खबर करती हूं जय श्री कृष्णा।
रामकिशन जी को जब पता चलता है उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता वह पंडित जी को फोन कर नील नलिनी की शादी का मुहूर्त निकलवा लेते हैं।
15 दिन बाद का शादी का मुहूर्त निकला रामकिशन जी ने नील की मां को इसकी खबर कर दी।
हीरा को जब पता चला तो वह बहुत खुश हो क्या
कुछ दोस्त और फैमिली के कुछ लोगों के बीच नील और नलीनी विवाह सूत्र में बंध जाते हैं ।
नलिनी दादी से से लिपट जाती है।
शगुन नलिनी को समझाती है तुम जब चाहो तब घर आ सकती हो इतना अच्छा घर और लोग मिले हैं तुम्हें तुम बहुत नसीब वाली हो नलिनी।
राम किशनजी पंडित जी अपने आँसू नहीं रोक पाते नलिनी को कलेजे से लगा कर ढेरों आशीर्वाद देते हैं।
नलिनी के जाने से सारे घर में सन्नाटा सा फैल गया एक तरफ उसकी विदाई का दुख था और दूसरी तरफ उसकी ख़ुशियाँ उसका रास्ता देख रहीं थीं।
चावला हाउस महल की तरह सजा हुआ था चावल का लोटा गिरा कर नलिनी ने परात में भरे हुए कुमकुम के पानी में दोनों पैर रखें और कुमकुम से भरे हुए पैरों से घर में कदम रखा नील की मां बहुत खुश थी उनकी आंखों में खुशी के आँसू झिल मिला रहे थे।
आज नील और नलिनी के मिलन की रात थी ।
खिड़की से झांकता चाँद उनके प्रथम मिलन का गवाह था वह दोनों को देख कर मुस्कुरा रहा था।
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