Radha Shrotriya

Romance Fantasy Thriller

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Radha Shrotriya

Romance Fantasy Thriller

नील उपन्यास

नील उपन्यास

77 mins
394


६६ से ७१ 

नील भाग ६६

नील को बताते हुए नलिनी फूट फूट कर रोने लगती है..नील समझ नहीं पाता कि नलिनी अचानक से इस तरह क्यूँ रो रही है..

उसके पूछने पर भी वो कुछ नहीं बोली.. 

नील अब लॉक डाउन खुल गया है मुझे अपने घर जाना है.. 

दो दिन में चिया भी आ जाएगी कल जब मेरी माँ से बात हुई तब उन्होंने ही बताया।

और मैंने भी माँ से घर जाने की परमिशन ले ली।

नील : माँ कब तक आयेंगी?

माँ भी जल्द ही आ जाएंगी।

अब एक दो दिन में ऑफ़िस कभी भी शुरू हो सकता है.. कल सुबह जाकर घर व्यवस्थित कर लूँगी।

बहुत दिन हो गए मुझे यहाँ रहते हुए।

और तुम भी अब ठीक हो गए हो।

नील : ठीक है जैसा तुम चाहो।

वो समझ जाता है कि नलिनी परेशान है वो उसे अपनी बाहों में लेकर प्यार से उसके सर पर हाथ फेरता है।

नलिनी :जिंदगी अनगिनत रंग बदलती है कोई इसे समझ ही नहीं पाता..

जब हमें लगता है कि अब सब कुछ सही है जिंदगी हमारे हिसाब से चल रही है तभी एक झटके में सारा का सारा सीन बदल जाता है हँसते चेहरों पर उदासी के साये छा जाते हैं।

सपने दम तोड़ देते हैं।

दिन बोझिल रातें पहाड़ सी लगती हैं।

"सपनों का टूट जाना मौत से ज्यादा दुखद होता है।" 

नील: हाँ, नलिनी, ये मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है।

"मैं और हीरा बहुत खुश थे।

अपने आने वाले कल के सुनहरी ख़्वाब आँखों में लिए हम मंदिर से घर लौट रहे थे।

हीरा और मैं नहीं जानते थे कि गाड़ी की टक्कर से हम दोनों की तकदीर ही बदल जाएगी।

हॉस्पिटल में जब डॉक्टर ने कहा कि खून की जरूरत है हीरा ने अपना खून दिया, 

तब तक रामकिशन जी भी आ गए थे।

अब तक तो उन्होंने पिता की तरह ही मेरी केयर की थी, अब उनका खून भी मेरे शरीर में दौड़ रहा था।

मैं हीरा और उनकी ऋणी थी।

मैं चाहकर भी उनके प्यार का कर्ज़ नहीं चुका सकती थी...

चोट के कारण मुझे होश नहीं आया सिटी स्केन करवाने पर पता चला कि न्यूरोंस सेल डैमेज हो गए हैं इसकी वजह से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली गडबड़ा जाती है। 

यह स्थिति पूर्णत: कोमा का भाग होती है। 

डॉक्टर ने कहा कि एक दो महीने में और कभी कभी ठीक होने में साल भी लग जाते हैं।

हमारे अस्पताल में भर्ती 70 मरीज़ों में से 11 मरीज ही ठीक होते हैं ये सच्चाई बताना मेरा फर्ज है आप ये मान कर मत बैठ जाइए...

हो सकता है 1 से 2 महीने में ही ये ठीक हो जाए प्रार्थना में बहुत ताकत होती है।

पंडित जी ने ऑफिस से लंबी छुट्टी ले ली थी.. रामकिशन जी भी जयपुर आ गए थे... 

हमे जब घर पहुंचने में देर हो गई तो दादी ने हम लोगों को फोन किया.. फोन नहीं उठने पर उन्होंने रामकिशन जी को फोन लगाया जब तक वो हॉस्पिटल आ चुके थे।

दादी को जब एक्सीडेंट की बात पता चली तो वो घबरा गई और बेहोश हो गईं।

मनसा काकी ने उनके मुँह पर पानी के छींटे मारे दादी ने दांत भींच लिए थे काकी ने चम्मच से उन्हें खोलने की कोशिश की.. उनकी तबियत बिगड़ गई थी उन्होंने बिस्तर ही पकड़ लिया।

बहुत डॉक्टरों को दिखाया सब का एक ही कहना था इनके मन में जीने की इच्छा ही नहीं है किसी बात का इनके दिमाग पर गहरा असर पड़ा है अब जब तक ये नहीं चाहें कोई दवा इन पर असर नहीं करेगी..।

मेरी वजह से सब परेशानी में पड़ गये थे.... 

हीरा नौकरी छोड़ने के लिए तैयार था।

पंडित जी, राम किशन जी दोनों ने उसे समझाया कि ऐसा करने से नलिनी ठीक नहीं होगी.. 

15 दिन बाद हीरा को ऑफ़िस जॉइन करने के लिए रामकिशन जी ने ज़बरदस्ती भेजा।

हीरा का ऑफ़िस में काम में मन नहीं लग रहा था एक हफ्ते बाद वो फिर जयपुर आ गया।

राम किशन जी को हीरा की चिंता सताने लगी वो जानते थे कि हीरा और नलिनी एक साथ रहे हैं और हीरा नलिनी को अपनी जान से ज्यादा चाहता है।

एक दिन की बात है नलिनी के कपड़े हॉस्पिटल ले जाने थे मनसा काकी काम में व्यस्त थीं हीरा दादी के पैर दबा रहा था, राम किशन जी मेरे कमरे में कपड़े लेने के लिए गए अलमारी खोलकर वो उसमें से मेरे कपड़े निकाल रहे थे पता नहीं कैसे हीरा और मेरी तस्वीर उनके हाथ लग गई।

उसे देखकर उन्हें हीरा पर बहुत गुस्सा आ रहा था पर घर के हालात देख वो चुप रहे उस फोटो को उन्होंने फाड़ कर फेंक दिया।

उन्होंने अपनी ममेरी बहन की बेटी शगुन से हीरा की शादी तय कर दी।

शगुन 5 साल की थी तब ही उसके पिता की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी उनकी बहन ने ही उसकी परवरिश की लड़की सुशील, सुंदर, पढ़ी लिखी टीचिंग जॉब में थी।

हीरा को लड़की का फोटो दिखाया राम किशन जी के आगे वो कुछ नहीं बोलता था फिर भी हिम्मत कर उसने कहा कि नलिनी की ऐसी हालत में वो शादी नहीं कर सकता।

राम किशन जी ने कहा कि हीरा इस शादी में तुम्हारी और हम सबकी भलाई है।

नलिनी ना समझ थी पर तुम तो समझदार थे हीरा..

तुम पर कितना भरोसा किया था हम सबने अगर किसी को तुम्हारी हरकत की खबर लगी तो तुम जानते हो क्या हो सकता है।

नलिनी की अलमारी में रखी तुम दोनों की तस्वीर मेरे ही हाथ में लगी अगर कोई और देख लेता तो जानते हो क्या होता.. 

नलिनी से दूर रहो तुम।

पण्डित जी ने हीरा के माँ पिता को बुला लिया था हीरा और शगुन की कोर्ट मेरिज करवा दी गई।

दादी ने हीरा और उसकी पत्नी शगुन को आशीर्वाद दिया.. 

घर के मंदिर पर मनसा काकी ने पूजा करवा कर हीरा से शगुन की माँग भरने के लिए बोला.. हीरा की माँ ने उसे मंगल सूत्र पहनाने के लिए दिया।

दादी ने भी चेन और कान के टॉप्स मुँह दिखाई के तौर पर शगुन को दिए।

दोनों ने सब बड़ों के पाँव छूकर आशीर्वाद लिया।

हीरा के माँ पिता उसे अपने साथ गाँव कुलदेवी पूजने के लिए ले गए.. 

एक दिन गाँव में रुककर वो जयपुर आ गया... शगुन को सब समझाकर दादी के पास छोड़कर वो दिल्ली चला गया।

हीरा सोच रहा था इन दिनों जो उस पर गुज़री वो किसी दुश्मन पर भी न गुज़रे।

उसने खुद को नलिनी से दूर ही रखा था पर उसका सच कौन सुनेगा।

नलिनी की भी क्या ग़लती थी जिस उम्र में माँ पिता की नज़दीकी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वो अकेली होती या मेरे साथ रहती, 

इस उम्र में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है।

उसकी सोच समझ को जंग लग गया हो जैसे इतना हँसने बोलने वाला हीरा बुत बन गया था... 

उसे अपनी खबर ही नहीं रहती थी।

मशीनी मानव सा वो ऑफिस जाता लौटकर घर आकर घंटों पागल सा बैठा रहता।

खाना टेबल पर बना कर रखता उसे खाने का ध्यान ही नहीं रहता 

कभी कभी तो उसे लगता वो पागल ही है उसे पागल खाने में चले जाना चाहिए।

वहाँ पर नलिनी की यादों के सहारे वो सुकून से जी लेगा ये इंसानों की बस्ती उसे जीने नहीं देंगीं।

शगुन से ही रोज उसे नलिनी की खबर मिल जाती। 

एक महीने बाद राम किशन जी का फोन आया शगुन को आकर ले जाओ नयी नवेली दुल्हन ऐसे रहे अच्छा नहीं लगता।

शगुन को साथ लेकर वो नलिनी को देखने गया ..

नलिनी को एक महीना इस तरह से लेटे हुए हो गया उसे देख कर हीरा अपने आँसू रोक नहीं पाया वो उठकर बाहर आ गया।

जो नलिनी उसे देखकर बोले बिना नहीं रहती थी उसे जिन्दा लाश के रूप में देखना बहुत कठिन था हीरा ने भगवान से उसके जल्दी होश में आने की प्रार्थना की और पंडित जी से मिल कर घर लौट आया।

दादी सा भी चुप ही रहतीं.. 

राम किशन जी ने शगुन से कहा बेटा अपना सामान पैक कर लो सही मायने में तो अब तुम अपने पति के घर जाओगी।

हीरा तुम्हारा अच्छे से ध्यान रखेगा इस बात का मुझे पूरा भरोसा है।

तुम दोनों मिल जुल कर खुश रहो तुम्हारा दाम्पत्य जीवन सुखमय रहे यही हमारी ईश्वर से प्रार्थना है।

दूसरे दिन हीरा अपनी पत्नी के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गया।


नील भाग ६७

हीरा अपनी पत्नी शगुन के साथ दिल्ली पहुँचता है वह शगुन से कहता है कि वो चाह कर भी अभी उसको वह सारी ख़ुशियाँ जिसकी वह हक़दार है नहीं दे पाएगा।

जब तक नलिनी ठीक नहीं हो जाती तब तक वो खुद को माफ़ नहीं कर सकेगा। शगुन उसकी बात समझती है।

वह हीरा से बोलती है आप मेरी तरफ से निश्चिंत रहें मैं आपके मन की हालत समझ सकती हूं।

और ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूं कि वह नलिनी को जल्दी से जल्दी ठीक कर दे।

मामा जी की परेशानी मुझसे देखी नहीं जाती वह नलिनी को बहुत ज्यादा प्यार करते हैं।

दादी जी भी नलिन की तबियत को लेकर बहुत परेशान हैं..

आपकी जब छुट्टी पड़ेगी तो आप मुझे कुछ दिन के लिए जयपुर छोड़ देना मेरे से जितना बन पड़ेगा मैं दादी जी की सेवा करने की कोशिश करूंगी और नलिनी के पास रहकर उसकी देखभाल करूंगी वो मेरी छोटी बहन है।

मामा जी ने हमारे लिए इतना सब कुछ किया है अगर मैं नलिनी के लिए कुछ भी कर पाऊं जिससे वह जल्दी से अच्छी हो जाए इससे ज्यादा खुशी की बात मेरे लिए और कोई नहीं हो सकती।

जब मेरे पापा की डेथ हो गई थी और मां के पास कोई सहारा नहीं था तब रामकिशन मामा जी ने हर तरह से  हमारी मदद की और मेरी पढ़ाई कभी रुकने नहीं दी।

आज के जमाने में सगा भाई भी इतनी मदद नहीं करता जितनी कजिन होकर रामकिशन मामा जी ने की है।

हीरा को शगुन से बात करके बहुत अच्छा लगा वह खुद किचन में गया दो कप चाय बनाकर लाया और शगुन को चाय पीने को दी और बोला यह घर अब से तुम्हारा है।

तुम जैसे चाहो रहो तुम्हें अगर जॉब करना है तो कर सकती हो तुम्हारी मां ने इतनी मेहनत कर के तुम्हें पढ़ाया लिखाया है तुम यहां के अच्छे स्कूलों के बारे में पता करो और अगर वैकेंसी है तो जाकर इंटरव्यू दो इतनी एजुकेशन को घर बैठकर खराब मत करो ,मेरे से जो भी तुम्हें मदद चाहिए वह तुम बोल सकती हो।

शगुन: मैंने आपके बारे में मामाजी से सुना था आपसे मिलकर मुझे पता चला कि मामा जी आपकी जो तारीफ करते थे वह सच ही करते थे।

मेरी हमेशा यही कोशिश रहेगी कि मेरी वजह से आपको कभी कोई तकलीफ़ या दुख ना पहुंचे।

आप फ्रेश हो जाइए मैं किचन में जाकर खाने की तैयारी करती हूं पता चला बातों में आप ऑफ़िस के लिए लेट हो गए।।

हीरा: शगुन आज तुम्हारा इस घर में पहला दिन है और मैं भी इतने दिनों से घर से बाहर था।

 पता नहीं किचन में जरूरत का सामान है या नहीं ,दाल चावल आटा तो मिल जाएगा पर सब्जियां अभी खरीदनी पड़ेगी।

मैं ऑफिस कल से जॉइन करूँगा आज हम बाहर लंच कर लेते हैं और लौटते वक्त जो भी किचन का जरूरी सामान है वह हम लेते आएँगे तुम किचन में जाकर एक बार देख लो और सामान की लिस्ट तैयार कर लो तब तक मैं फ्रेश होकर तैयार हो जाता हूं।

"सुनो, बेडरूम में जो अलमारी है, तुम अपने कपड़े उसमें जमा सकती हो उसकी चाबी टेबल की दराज में है।" 

हीरा तैयार होकर शगुन से तैयार होने के लिए बोलता है कुछ देर में ही दोनों घर से बाहर लंच के लिए जाते हैं।

शगुन खाने में तुम क्या लोगी ?

आप अपनी पसंद का खाना ऑर्डर करिये में सब खा लेती हूं।

जब तक पापा थे मां बताती हैं मैं बहुत ज़िद्दी थी।

पापा मुझे बहुत प्यार करते थे मेरी हर छोटी बड़ी ज़िद वो पूरी करते।

उनके जाने के बाद सब कुछ बदल सा गया मां बहुत उदास रहती थीं।

खाना कितने दिनों तक तो कभी बनता था कभी नहीं बनता था..

 फिर रामकिशन मामाजी मम्मी और मुझे अपने साथ ले गए उनके साथ रहकर मम्मी का मन थोड़ा ठीक हुआ। 

मामा जी ने मम्मी को बी.ऐड करवाया और उनकी टीचर की जॉब लगवा दी।

धीरे धीरे हालात के साथ मम्मी ने खुद एडजेस्ट कर लिया।

अब मम्मी की स्कूल में भी कुछ दोस्त बन गई थी।

मेरी खुशी के लिए मम्मी खुश रहती थीं, स्कूल से आकर घर में बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती थीं।

मेरा एडमिशन उन्होंने एक अच्छे मिशनरी स्कूल में करवा दिया ..

मेरी हर जरूरत का वह खूब ध्यान रखती थीं उनके मन में बस एक ही बात थी कि मेरी बेटी पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाए।

रामकिशन मामाजी महीने में एक बार आकर हमारे हाल चाल पूछते थे एक वही थे जो हमारे अपने थे।

पापा की डेथ के बाद दादी दादा जी और बुआ चाचा लोगों ने मां के साथ बुरा सलूक किया हमारे हिस्से की सारी प्रॉपर्टी चाचा लोगों ने हड़प ली खेती का जो पैसा आता था उसमें से भी हमें हिस्सा देना बंद कर दिया।

पहले में चाचा जी के बच्चों के साथ खेलती थी पर बाद में चाची ने मेरा उनके साथ खेलना बंद करवा दिया।

मैं बहुत रोई पर चाची ने दरवाज़ा ही बंद कर दिया रो-रो कर मैं वही सो गई।

मम्मी जब स्कूल से आईं और उन्होंने मुझे घर के बाहर ऐसे सोते हुए देखा तो उन्हें बहुत गुस्सा आया ...

वह कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाती थी पर उस दिन उन्होंने अंदर ले जाकर मेरी पिटाई लगाई और बोला खबरदार अब अगर मेरे बिना पूछे घर से बाहर पैर रखा तो तुम्हारी टांगें तोड़ दूंगी और फिर खुद भी बहुत देर तक रोती रही।

मैंने मम्मी से सॉरी बोला और उनके आँसू पोंछकर उन्हें चुप कराया।

मम्मी ने मुझे गले से लगा लिया और बहुत प्यार किया,,,,

कहा बेटा "जिस जगह सम्मान ना हो वहां कभी मत जाना।"

 कोई तुम्हें कितनी ही अच्छी चीज दे मत लेना।

जीवन में आत्म स्वाभिमान होना बहुत जरूरी है।

तुम्हें खेलना है तो मेरे साथ खेलो थोड़े दिन की ही बात है मुझे स्कूल से क्वार्टर मिल जाएगा तो वहां तुम्हारे बहुत सारे नए दोस्त बन जाएंगे प्रॉमिस करो अब तुम कभी चाची के घर जाने की ज़िद नहीं करोगी।

मैंने मम्मी से प्रॉमिस किया कि अब कभी आपसे बिना पूछे मैं कहीं नहीं जाऊंगी।

शगुन: सॉरी हीरा मैं जब से बोलते ही चले जा रही हूं।

खाना टेबल पर लग चुका था..

 प्लीज खाना शुरू करीये।

हीरा: शगुन तुम अपने बारे में मुझे सब बता सकती हो इससे तुम्हारा मन हल्का होगा और मैं भी तुम्हें अच्छे से जान पाऊंगा।

तो अब से इस बात के लिए सॉरी कहने की जरूरत नहीं है।

चलो अभी खाना खाओ आज का दिन हमारे पास बात करने के लिए है ...

घर चल कर मुझे अपने बारे में सब बताना यह समझ लो आज से मैं तुम्हारा सबसे पक्का दोस्त हूं।

हो सकता है कभी मेरा मन खराब हो और मैं तुम्हें गुस्सा में कुछ बोल दूं तो तुम मेरी बात का बुरा नहीं मानना इन दिनों मेरे मन की स्थिति बहुत अजीब सी है मुझे खुद पता नहीं होता कब मेरा मन ठीक है और कब खराब उम्मीद करता हूं कि तुम मेरे मन की स्थिति समझ सकोगी।

शगुन : आप मेरी तरफ से निश्चिंत रहें।

लंच खत्म करके दोनों मार्केट आ गए वहां से उन्होंने घर की जरूरत का सामान साथ ही सब्जी और फल भी ले लिए।

घर पहुंच कर हीरा ने शगुन से कहां वह 2 कप कॉफी बना कर बेडरूम में आ जाए।

शगुन कॉफी लेकर बैडरूम में जाती है।

कॉफी पीते हुए हीरा बोला हमारी बात अधूरी ही छूट गई थी अब बताओ।

शगुन: शादी के नाम से मुझे पहले बहुत डर लगता था

ससुराल के बारे में अभी तक जो भी मैंने सुना था और आपके परिवार में आकर जो देखा दोनों में मुझे बहुत फर्क लगा।

इतने अच्छे लोग भी दुनिया में होते हैं देखकर सच में मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।

बचपन से ही ससुराल के नाम से हर लड़की के मन में एक अजीब सा डर बैठा दिया जाता है ऐसा मेरे भी साथ था।

और दादी दादाजी लोगों का मम्मी के साथ व्यवहार देखा था उन लोगों ने मम्मी की तकलीफ कभी समझी ही नहीं।

जब शादी के बाद मैं आपके घर आई घर के सब लोगो से जो अपनापन मुझे मिला मैं तो इस प्रेम की ऋणी हो गई।

जब आपके साथ कुलदेवी पूजने के लिए आपके गांव गई वहाँ ग्रामीण परिवेश होने के बावजूद आपके परिवार से मुझे इतना प्यार और इज़्ज़त मिली मेरे मन में ससुराल के बारे में जो भी गलतफहमियां थी वह सब दूर हो गईं।

और तब मुझे एहसास हुआ कि यह दुनिया अब भी अच्छे लोगों से भरी हुई है।

मेरी सहेलियों ने मुझे यही बताया था कि शादी करने के बाद पति को सेक्स करने का लाइसेंस मिल जाता है पत्नी की इच्छा जानने उससे बात करके उसके विचारों को समझने की जगह पति को अपनी मर्दानगी साबित करनी होती है।

उनकी बातें सुनकर मुझे लगा की शादी जैसे सुहागरात मनाने के लिए ही की जाती है।

फिल्मों में भी अक्सर देखा है जब उसमें शादी के बाद का सीन दिखाया जाता है तो उसमें यही दिखाते हैं कि शादी के बाद सुहागरात को दूल्हा दुल्हन को वह एक कमर में बंद कर देते हैं।

यहां मैं एक बात और कहना चाहूंगी सिनेमा का आम दर्शकों की जिंदगी पर गहरा असर पड़ता है इस बात का ध्यान फिल्म स्क्रिप्ट लिखने वाले राइटर को रखना चाहिए।

 'यह मेरे निजी विचार हैं।'

 "मुझे समझ में नहीं आता दो अजनबी लोग जो एक दूसरे को ठीक से जानते भी नहीं है ,उन दो लोगों के बीच में प्रेम कैसे हो सकता है। और जिन लोगों में प्रेम नहीं है उनके बीच में शारीरिक संबंध बनाना कहां तक ठीक है?"

"अगर ऐसे में लड़की गर्भ धारण कर लेती है तो उसके होने वाले बच्चे के आचार विचार किस तरह के होंगे ?"

क्योंकि उसे जन्म देने वाली मां पिता को ही नहीं पता कि वह मां पिता बनने वाले हैं।

 एक महीने के बाद जब लड़की के पीरियड्स नहीं आते या मॉर्निंग सिकनेस होती है तब डॉक्टर को दिखाने पर या प्रेगनेंसी टेस्ट करने पर पता चलता है कि वह मां बनने वाली है इसका मतलब मां पिता पहले से तैयार नहीं थे उन्हें पता ही नहीं था।

अनइन्वाइटेड गैस्ट का हम किस तरह से वेलकम करते हैं?

हमें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता हमें फोन करें बिना कोई भी मुंह उठाएं हमारे घर चला आएं।

क्योंकि हर एक व्यक्ति का हर दिन के हिसाब से उसका अपना शेड्यूल होता है ...

अगर उसमें जरा भी गड़बड़ हुआ तो उसका पूरा सिस्टम बिगड़ जाता है।

शादी के वक्त अक्सर मां अपनी बेटी को यही शिक्षा देती है कि वह अपने ससुराल वाले और पति की इच्छा का मान रखें।

मां भी एक स्त्री है वह भी अपने जीवन में इस दौर से गुज़री ही होगी तो वह अपनी बेटी को सही शिक्षा क्यों नहीं देतीं ,...

वह उसे क्यों नहीं बताती अगर मिट्टी अच्छी नहीं होगी तो उस में डाला गया बीज कितनी भी अच्छी क्वालिटी का हो उससे जो अंकुर बनेगा वह कभी स्वस्थ नहीं होगा।

जब हम मिट्टी में कोई पौधा या बीज रोपते हैं उसके पहले हम उस मिट्टी को उसके लिए तैयार करते हैं उसमें खाद डालकर गुड़ाई करते हैं जरूरत मुताबिक पानी डालकर उस में कितनी धूप लगनी चाहिए कीटनाशक कब डालना है कितने समय के बाद उसमें बीज रोपना है इन सब बातों का ध्यान रख इस तरीके से मिट्टी को तैयार करते हैं उसके बात हम उसमें बीज डलते है।

जब हम एक पौधे के लिये इतनी तैयारी करते हैं तो एक इंसानी जीव को जन्म देने से पहले हम कुछ सोचते क्यों नहीं है।

इस तरह तो हम उस आने वाले नन्हे जीव के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते है।

और इस तरह भूल चूक लेनी देनी से जो बच्चे पैदा होते हैं उन बच्चों से हम महान बनने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं???

हम ये कैसे सोच सकते हैं कि उनमें से कोई भगत सिंह जैसा हो कोई महात्मा गांधी कोई विवेकानंद कोई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसी लड़की जन्म ले।

ऐसे बच्चे तो गुंडे, रेपिस्ट या खूनी ही बनेंगे..


क्योंकि उनके मां पिता को ही नहीं पता कि वह अपने सुख के लिए शारीरिक संबंध बना रहे हैं या एक जीव को जन्म देने के लिए जो उनके मिलन पलों का साक्षी बन अपनी मां की कोख में धड़कने लगा है..

जो आचार विचार मां पिता के हैं वहीं आचार विचार उस बच्चे में आएंगें

ख़ासकर लड़कियों को इस मामले में सजग होना चाहिए बच्चे के लालन पालन से लेकर उसके बनने बिगड़ने तक हर एक बात के लिए कसूरवार मां को ही ठहराया जाता है

लड़कियां जब तक मेंटली, फिजिकली पूरी तरह से फिट न हों तब तक गर्भ धारण न करें।

इससे बढ़ते हुए रेपिस्टों की संख्या में कमी आना शुरू होगी।

इस मामले में मैं बहुत खुश नसीब हूं मुझे आप जैसा जीवनसाथी मिला है

जो मेरी फीलिंग्स को समझता है।

जब तक हम दोनों एक दूसरे को ठीक तरह से जानते समझते नहीं हैं तब तक हम दोस्तों की तरह रहें यह हमारे रिश्ते के लिए बेहतर है ...

और इस तरह हम एक दूसरे को अच्छे से जान समझ पाएंगे मैं ऊपर वाले का दिल से धन्यवाद करती हूं कि उसने मुझे पति के रूप में आपको दिया आपका नाम हीरा है पर आप सचमुच में असल हीरा हो।

आपकी पत्नी होने पर मुझे गर्व है।


नील भाग ६८

सुबह जब नलिनी की नींद खुली उसने देखा नील का हाथ उसके ऊपर रखा हुआ था। उसने धीरे से नील का हाथ हटाया और किचन में जाकर अपने लिए एक कप चाय बनाई चाय का कप लेकर वह छत पर चली गई इतने दिन जो उसने नील के घर पर बिताए उनके बारे में वो सोचने लगी। लॉक डाऊन पीरियड नहीं होता तो उसका नील के घर पर इतना रुकना संभव नहीं था पता नहीं इसमें ईश्वर की क्या मर्जी रही है ...

अगर नील की मां और पत्नी घर पर होते तो उसे उसकी देखभाल के लिए यहां रुकना ही नहीं पड़ता। चाय खत्म करके नलिनी नीचे किचन में चली गई और उसने नील के लिए उसके पसंद का खाना तैयार करके रख दिया। वो जानती थी उसके जाने के बाद नील खुद के लिए कुछ नहीं बनाएगा।उसने अपना सामान अपने बैग में रखा और नहा कर तैयार हो गई उसके बाद उसने नील को उठाया।

नील: ने उसको तैयार देखा तो पूछा इतनी सुबह तुम कहां जा रही हो

नलिनी ::नील मैंने तुम्हें कल ही बताया था कि आज सुबह मैं अपने घर चली जाऊंगी तुम फ्रेश होकर आओ मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं।

नील : इसका मतलब है कि आज तुम मुझे भूखा मारोगी आज नाश्ता नहीं मिलेगा ? तुम चाय भी साथ में नहीं पियोगी ? बोलो ना यह मेरे किस गुनाह की सजा मुझे दे रही हो तुम ? अच्छा सुनो। आज नाश्ते में तुम मेरी पसंद का गोभी का पराठा बना दो उसे खा कर मैं तुम्हें छोड़ दूंगा।

पर एक मुश्किल है

नलिनी: क्या क्या मुश्किल है .., बोलो।

नील: यार तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा मैं ..

तुमने मेरी आदतें इतनी बिगाड़ दी है इन 2 महीनों में मुझे तो यह भी नहीं पता कि मेरी कौन सी चीज कहां रखी है।

नलिनी: तुम्हें इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है,मैंने तुम्हारी सारी चीजें जहां रहती थी वही पर रख दी हैं।

नलिनी किचन में जाती है और दो कप चाय बना कर ले आती है

नील: चाय का सिप लेते हुए वाह क्या चाय बनाई है..

तुम्हारे हाथ में जादू है नलिनी।

देखो ना.. मुझे छू कर मुझ से बेजान की जिंदगी में बाहर ला दी है तुमने

नलिनी: सुनो ..यह मस्का मारना छोड़ो तुम चाय खत्म करके फ्रेश हो जाओ तब तक मैं नाश्ता बनाती हूं।

नील: खुशबू से ही भूख बहुत ज्यादा बढ़ गई है मेरी ...

मुझे लग रहा है आज तुम्हारे लिए बच ही नहीं पाएगा नाश्ता

नलिनी : कोई बात नहीं तुम अच्छे से खा लो और मुझे रास्ते में पिज्जा खिलाते हुए घर छोड़ देना बहुत दिन हो गए है पिज्जा खाए हुए।

 कब से घर में ही बंद है ..

नील: ठीक है मैं आर्डर कर तुम्हारे घर के एड्रेस पर भेज दुंगा।

 हां ये तो है ,इतने दिनों बाद घर से निकलने में अजीब सा लग रहा है।

कोरोना वायरस ने सबकी जिंदगी बदल दी है.. अब पहले जैसी लाइफस्टाइल नहीं रह जाएगी बिना हैंड ग्लब्स और मास्क के बाहर निकलना सुरक्षित नहीं है और सैनिटाइजर हमेशा साथ में रखना जरूरी है।

ऑफिस में पहले हम सब ग्रुप में खड़े होकर ढेर सारी बातें कर लेते थे अब यह इंपॉसिबल है।

ऑफिस में भी हमें सोशल डिसटेंनसिंग का ध्यान रखना पड़ेगा।

नलिनी: हां ये तो है.. पहले दिन हमें थोड़ा अजीब सा लगेगा पर फिर हैबिट में आ जाएगा।

खुद को सुरक्षित रखने के लिए यह बहुत जरूरी भी है धीरे धीरे हम लोग इस लाइफ स्टाइल के आदी हो जाएंगे।

नील तुम जल्दी नाश्ता फिनिश करो.. चलो मेरा नाश्ता खत्म हो गया।

वो नलिनी को उसके घर के बाहर छोड़ देता है।

1 दिन बाद चिया और अंश घर पर आ जाते हैं।

अंश नील को देखकर खुश हो जाता है और घर पर जब दादी को नहीं देखता तो वह पूछता है दादी कहां है ?

नील: बेटा दादी अपनी सिस्टर के घर पर गई हुई है कल आ जाएंगी दादी ने आपको बहुत मिस किया।

चिया: मुझे तुमसे कुछ बात करना है।

नील: हां बोलो , "क्या कहना चाहती हो।"

चिया अपने बैग से पेपर निकाल कर नील को देती है ..

नील: "क्या है यह।"

चिया: डायवोर्स पेपर।

मैं तुमसे और झूठ नहीं बोल सकती।

अभी घर पर मां नहीं है वह सामने होती तो मैं अभी भी चुप ही रह जाती पर इस तरह जिंदगी कब तक चलेगी ?

हम लोग मां को दिखाने के लिए पति-पत्नी का नाटक कब तक करेंगे एक ना एक दिन तो सच उनके सामने आ ही जाएगा।

'अंश भी अब बड़ा हो रहा है। 

"अंश तुम्हारा नहीं ,रेहान का बेटा है।"

 उसके कहने पर ही मैंने यह सब किया ..

गोवा में उस रात जब मैं तुम्हारे साथ सोई थी तब हम दोनों के बीच में कुछ नहीं हुआ था।

मेरी कोख में रेहान का बच्चा था।

"वो मुझे बहुत प्यार करता है।यह बात सही है।"

अंश को भी वह अपनी जान से ज्यादा चाहता है।

अंश के बारे में अब मुझे सोचना पड़ रहा है मैं अगर इंडिया में रही तो रेहान अंश से मिलने आएगा ना चाहते हुए भी इससे दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ेंगी। 

वो जिन लोगों से जुड़ा हुआ है वह बहुत खतरनाक लोग हैं अंश की जान को में जरा भी खतरे में डालना नहीं चाहती मैं।

रिहान को समझाने की मैंने बहुत कोशिश की पर वह इस दलदल में इतना गहरा धंस गया है उसका इससे बाहर निकलना नामुमकिन है अगर उसने कोशिश भी की तो वह लोग उसे मार डालेंगे।

उसके संबंध आतंकवादियों से हैं

वह अवैध रूप से हथियार सप्लाई करने का काम करता है।

यह बात मुझे पहले नहीं पता थी।

उसे बड़ा आदमी बनने की बहुत जल्दी थी छोटा-मोटा कोई काम करके वो इतना पैसा नहीं कमा सकता था और इसी लालच में बॉस की बेटी से उसने शादी की वह जल्दी से जल्दी बहुत पैसा कमा कर मेरे और अंश के साथ विदेश जाकर रहना चाहता था उसने मुझे यही बताया था।

पर असल कहानी कुछ और ही थी बॉस की बेटी ने रेहान से शादी सिर्फ दिखाने के लिए थी। 

रेहान के अलावा उसके और भी शौहर थे।

अपने पिता के क्लाइंट्स के एशो आराम का ध्यान रखने और उनके लिए लड़की अरेंज करवाने मे वो रेहान को अपने साथ रखती थी।

एक बार की बात है एक क्लाइंट की नियत उस पर ही आ गई वह अरब का एक बड़ा शेख था मना करने पर उसने जो कॉन्ट्रेक्ट उसके पिता के साथ था वह कैंसिल करने की धमकी दी इसमें बॉस का करोड़ों का नुकसान था बॉस की बेटी ने मेरा हाथ पकड़ा और शेख से कहा यह मेरे शौहर हैं आप हमारे इंपॉर्टेंट कस्टमर है इसलिए यह आपका रिस्पेक्ट कर रहे हैं अगर कोई और होता तो अब तक खुदा के घर पहुंच गया होता। वह मेरा हाथ पकड़ कर वहां से बाहर आ गई और बॉस को जाकर सारी बातें बताई।

बॉस अपनी बेटी से बोले कस्टमर ही हमारे भगवान है अगर वह नाराज हो गए तो हमारा बहुत नुकसान होगा यही बात मैंने तुम्हें सिखाई और समझाई भी है कि कस्टमर को हमेशा खुश रखो पर अगर बात अपने आत्म सम्मान की हो तो कोई भी हो तुम्हें वही करना चाहिए जो तुम्हारे लिए ठीक है नुकसान तो पूरा हो ही जाएगा पर इज्जत एक बार जाने के बाद फिर नहीं आती तुम परेशान मत हो। रेहान को बाप बेटी का फर्जीवाड़ा पता नहीं था उसे यह भी नहीं पता था कि वह भी कस्टमर की जरूरतों को पूरा करती है रेहान साथ में था इस वजह से यह सारा ड्रामा उसने किया बाप बेटी दोनों मिले हुए थे रेहान को वह अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करते थे ।

दरअसल वह बॉस की बेटी नहीं रखैल थी।

बाप बेटी का ड्रामा दोनों दूसरों के सामने करते थे .. 

अगर उस रात को मैं पेपर्स लेने के लिए बॉस के घर नहीं जाता तो इनका यह राज मुझे कभी पता नहीं चलता।

उस दिन उन्होंने मुझे काम के लिए बाहर जाने के लिए कहा अभी तक बॉस की बेटी हमेशा मेरे साथ ही जाती थी उस दिन उसने कहा रेहान आज मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है मैं घर जाकर आराम करूंगी तुम पहुंच कर मुझे फोन कर देना नहीं तो मुझे तुम्हारी चिंता लगी रहेगी।

रेहान : ठीक है डार्लिंग मैं पहुंचते ही तुम्हें खबर कर दूंगा।

रेहान के जाते ही वह निश्चिंत हो गई शेख को अपने साथ वह घर ले गई दोनों ने खूब ड्रिंक किया और बहुत लजीज पकवान उस शेख के खाने के लिए टेबल पर परोसे गए थे, मैं अपने कुछ जरूरी कागजात घर पर ही भूल गया था उन्हें लेने के लिए जब मैं पहुंचा तो बेडरूम की लाइट चल रही थी बैक साइड की विंडो बाहर से लॉक होती थी जब कभी काम के सिलसिले में देर से घर लौटना होता था तो मैं उस विंडो को खोल कर अंदर आ जाता था यह बात घर में बॉस उनकी बेटी और मुझे ही पता थी ...

मैंने धीरे से विंडो को खोला और जो देखा मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ वह मुझे बॉस की बेटी की जगह बाजारू औरत लग रही थी जिस तरह से वह उस शेख से बात कर रही थी उससे लग रहा था कि उसकी मर्जी भी इसी में शामिल है मेरे सामने अच्छा बनने के लिए और मुझे दिखाने के लिए सारा ड्रामा बाप बेटी ने किया था।

 तभी बॉस की आवाज़ आई उन्होंने डोर नोक किया उसकी बेटी ने डोर ओपन किया और बॉस अंदर कमरे में चले गए और अपनी बेटी के गले में हाथ डालते हुए बोले, तुम कितनी अच्छी हो गजाला और दोनों एक दूसरे के गले में हाथ डालकर एक दूसरे को चूम रहे थे बॉस की बेटी बोली मेरी जान तुम बहुत अच्छे हो तुमने जीवन की हर खुशी मुझे दी है और उसने बॉस को किस किया और तीनों के लिए ड्रिंक बनाया ...

शेख और बॉस को गिलास देकर उसने चीयर्स बोला और तीनों ने एक साथ एक बार में ग्लास खाली कर दिया और जोर जोर से हँसने लगे बॉस बोले वह रेहान बेवकूफ अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़कर तुम्हारे साथ रह रहा है और तुम्हें मेरी बेटी समझता है उस जैसे कितने ही मेरे दामाद है।

तीनों फिर हंसते हैं यह हमारा आखिरी काम है इसके पूरा होते ही हमें इंडिया में रहने की जरूरत नहीं है हमारे जाने के पासपोर्ट तैयार है तब तक जैसा चल रहा है चलने दो रेहान और बाकी किसी को भी इस बात की भनक नहीं होनी चाहिए

हमारे इस काम के बीच में जो भी आए उसे रास्ते से हटा देना।

और बॉस ने फिर उसे किस किया और बोले तुम लोग एंजॉय करो और चला गया मैं जहां खड़ा था लग रहा था वही जमीन में धंस गया हूं मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था अगर उस वक्त कोई मुझे देख लेता तो मेरा तो राम नाम सत्य हो जाता मैं सांस रोककर बॉस के जाने का इंतजार करता रहा 10:15 मिनट बाद बॉस के गाड़ी के स्टार्ट होने की आवाज आई इस घर में बॉस रात में कोई नौकर भी नहीं रहने देते थे इसकी वजह मुझे अब समझ में आ रही थी।

मैंने अपने ईश्वर को याद किया और बहुत आहिस्ता घर के पीछे के रास्ते से बाहर निकल गया उसकी चाबी उन्होंने मुझे दे रखी थी उनकी मर्जी के बिना में इस घर में कभी नहीं आया बॉस की बेटी और मैं साथ में ही यहां आते थे और जितने भी ऑफिशियल डॉक्युमेंटस थे वह उसके रूम में ही रहते थे मैं बाहर निकल कर देर तक फुटपाथ पर टहलता रहा।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ ?

उन्होंने जो काम मुझे करने के लिए कहा है है अगर वहां मैं नहीं जाता तो फिर मुझ पर सवाल उठेगा तुम कहां थे इतनी देर क्या किया मेरे पास क्यों नहीं आए अगर उनका सच सामने नहीं आता तो अलग बात थी ...अब तो थोड़ा डर लग रहा था मुझे।

 मैंने बॉस की बेटी को फोन किया कुछ देर बाद उसने फोन उठाया बोलो रेहान क्या हुआ ?

 रेहान : जरूरी पेपर्स तुम्हारे बेडरूम में है ..उनके बिना जाने का कोई फायदा ही नहीं है ।

वह बोली एक काम करो आज रहने दो ..कल हम साथ में ही चल देंगे।

आज मैं अपनी दोस्त के घर पार्टी में हूं ,हो सकता है लेट नाईट हो जाए।

तुम अभी अपने घर चले जाओ हम कल बात करते हैं। उसकी चालाकी पर मुझे हंसी आ रही थी उसने मुझसे बोला था कि उसकी तबियत ठीक नहीं है इसलिए वह घर पर आराम करेगी।

"झूठ बोलने के लिए याद रखना पड़ता है।"

उसे खुद ही नहीं पता कि उसने मुझसे क्या कहा था...।

पर मैं यह जान गया था।"की पैसों के लालच में मैंने अपनी अच्छी खासी जिंदगी नर्क बना ली थी।"

और यह बात मुझे अच्छी तरह से समझ आ गई थी ,"अगर मैं इन लोगों को छोड़ता हूं तो यह मुझे चैन से रहने नहीं देंगे।"

"मेरी भलाई इसी में है जो जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दूं।"

उसने मुझको फोन किया ।

रेहान: हेलो..

चिया : हेलो ... इतनी रात में फोन किया ..क्या बात है ?

रेहान: मुझे तुमसे अभी मिलना है

चिया: इतनी रात में ?

रेहान: हां बात ही कुछ ऐसी है मैं आ रहा हूं तुम दरवाज़ा खोल देना।

मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला और उसका इंतजार करने लगी 5 मिनट में वह आ गया उसे अंदर करके मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया अंश गहरी नींद में सो रहा था।

बोलो क्या बात है जिसकी वजह से इतनी रात गए तुम्हें यहां आना पड़ा।

रेहान ने मुझे सब कुछ बताया मैं क्या बोलती मैं चुपचाप सब सुनती रही...

उसके बाद मैंने उसे कहा तुम मेरी और अंश की जिंदगी से दूर रहो।

मैं नहीं चाहती तुम्हारे और तुम्हारे काले काम की छाया भी उस पर पड़े।

तुम अभी यहां से निकल जाओ और अब कभी भी इस घर पर मत आना तुम अंश के नज़दीक आने की कोशिश भी मत करना ....

एक पिता होने के नाते तुम भी अपने बेटे का भला ही सोचोगे अगर उन लोगों को इस बात की जरा भी भनक लग गई तो वह इसका फायदा उठाएंगे अंश की जान को मैं खतरे में नहीं डाल सकती सो प्लीज इस बात का ख्याल रखना।

रेहान: इस वजह से ही गोवा में मैंने तुम्हें नील के साथ रात बिताने के लिए कहा था मैं चाहता था कि हमारा आने वाला बच्चा सुरक्षित रहे और किसी को यह पता ना चले कि वह मेरा बच्चा है।

नील के बारे में मैं सब जानता था और यह भी जानता था कि वह तुम्हारे साथ कभी गलत नहीं करेगा।

इसके बाद भी तुम यह सोच रही हो कि मैं अंश और तुम्हें कुछ नुकसान होने दूँगा।

तुम कुछ भी कहो रेहान पर अंश अब बड़ा हो गया है और वह सब समझता है ।

जब इतना समय हमने एक दूसरे से दूर रह कर बिता दिया है तो कुछ समय और सही।

तुम अपने मोबाइल से मुझे कॉल नहीं करोगे मैं खुद तुम्हें कॉल करूंगी और मुझसे बात करने के बाद तुम मेरा नंबर अपनी फोन मेमोरी से डिलीट कर दोगे।

मैंने रेहान से सारे संबंध तोड़ दिए मैं नहीं चाहती की अंश पर उसकी छाया भी पड़े, इसलिए मैंने निश्चय किया है मैं अंश को लेकर यहां से दूर चली जाऊंगी।

कनाडा में मेरी मौसी रहती हैं उनका वहां डिपार्टमेंटल स्टोर है मैंने उनसे बात की है मुझे वहां काम मिल जाएगा।

और अंश की परवरिश एक अच्छे माहौल में होगी।

मैं इंडिया छोड़ने से पहले उसे एक बार कॉल करूंगी और कहूंगी कि अब वह मुझे फोन ना करें समय आने पर मैं खुद उसे कॉल करूंगी और उसके बाद वह सिम में तोड़ कर फेंक दूंगी 

रेहान को कभी पता नहीं चलेगा कि मैं कहां हूं..।

तुम पर मुझे पूरा भरोसा है और अंश को तुमने पिता जैसा ही प्यार किया है इसलिए तुम्हें सब सच बता रही हूं ।

तुम एक बहुत अच्छे इंसान हो नील। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि तुम्हारा आने वाला जीवन बहुत अच्छा और ख़ुशियों से भरा हो तुम अपनी पसंद की किसी भी लड़की से शादी करके खुश रहोगे।

जो लड़की तुम्हारी जिंदगी में आएगी वह बड़े नसीब वाली होगी

मैं तो तुम्हारे साथ रहकर भी तुम्हें कभी पत्नी का सुख नहीं दे पाई।

मेरे बारे में सब सच जानते हुए भी तुम ने मुझे अपनाया और अंश को एक पिता जैसा प्यार दिया यह तुम ही कर सकते हो...

 बस मुझे मां की फिक्र है मुझे समझ नहीं आ रहा मैं उनसे क्या बोलूंगी।

 मैं उन्हें और धोखे में नहीं रखना चाहती अब उन्हें सब सच बता दूंगी वो मुझसे नफरत करेंगी और करना भी चाहिए और झूठ बोलने से सच बोलना बेहतर है। 

चिया तुम्हें जो सही लगता है वही करो सवाल अंश के भविष्य का है और मैं भी यही चाहुंगा अंश एक अच्छा इंसान बने।

नील डिवोर्स पेपर पर साइन कर देता है।

मां का कॉल था शाम तक वो आ जाएंगी

चिया अच्छा है अंश भी अपनी दादी के साथ कुछ दिन खेल लेगा।

दादी को देख कर अंश दौड़कर उनके पैरों से लिपट गया।

अरे वाह अंश बेटा नानी के घर से आ गया..

उन्होंने अंश को गोदी में उठा लिया और उसके गाल पर खूब सारी पप्पीयां दी 

अंश की नानी की तबीयत अब कैसी है

चिया : अब मां बिल्कुल ठीक है।

चलो ये अच्छी बात है।

तुम्हारे और अंश के रहने से उनका मन लगा रहा होगा।

हां अंश और मेरे रहने से पापा को भी बहुत सहारा था और मां का भी मन लग जाता था।

नील: समझ नहीं पा रहा था मां को चिया के बारे में कैसे बताएं..

पर बताना भी जरूरी था वह अपना मन कडा करता है रात मैं मां के कमरे में जाता है और उनके पैर धीरे-धीरे दबाता है मां ने पूछा क्या बात है बेटा तुम सोने नहीं गए अभी तक?

नील: आपसे कुछ बात करनी थी।

मां हां बेटा बोलो ऐसी क्या खास बात है जो इतनी रात में करनी है।

नील मां को सब सच बता देता है।

मां : चिया ने अंश के लिए सही फैसला लिया है ।

अब तुम भी अपने भविष्य के बारे में सोचो किसी अच्छी लड़की से शादी कर लो..


भाग ६९

हीरा ने बहुत दिनों बाद मोबाइल के मैसेज चेक किये। उसमें नलिनी के साथ अपनी तस्वीर देखकर वो उस पल को कोस रहा था जब वो नलिनी को लेकर मंदिर गया। अगर वह घर पर रहता तो नलिनी ठीक होती। उसने अपनी और नलिनी की तस्वीर फोन मेमोरी से हटा दी वह नहीं चाहता था कि किसी वजह से भी कोई नलिनी पर उंगली उठाये। अब शगुन उसकी जिंदगी में थी अगर उसकी निगाह इस तस्वीर पर पड़ जाती तो पता नहीं वह अपने मन में नलिनी और मेरे लिए क्या सोचती उसके दिल में नलिनी के लिए नफरत पैदा हो जाती। उसने नोटिफिकेशन देखें नील के भी तीन मैसेज थे ....हीरा प्लीज काॅल मी।उसने नील को कॉल किया ..."हेलो,दूसरी तरफ से नील ने रिप्लाई किया "हेलो, कैसे हो हीरा ? ना कॉल, ना मैसेज का रिप्लाई ?तुम्हें इनफॉर्म करना था एनजीओ के लिए जो इंटरव्यू होने वाले थे उसकी डेट आगे बढ़ा दी गई है। यह बहुत अच्छा रहा सर। अच्छा रहा मतलब ? जिसकी जॉब के लिए मैंने आपसे बात की थी इस समय वह कोमा में है।"अरे, यह कैसे हुआ ?"हीरा नील को सब बताता है यह तो बहुत बुरा हुआ। पर तुम फिकर मत करो वह जल्दी ही कोमा से बाहर आ जाएगी तुम उसके अच्छे दोस्त हो तुम जाकर उसके साथ थोड़ा टाइम बिताओ। उसके पास बैठकर उसके पसंद की बातें ,जगह , लोगों के बारे में बोलते रहो। जी सर, आपसे वहीं पर मुलाकात होगी सर..मैं भी दुआ करता हूं की जब आप वहां पहुंचे तब तक नलिनी एकदम ठीक हो जाये।रामकिशन जी भगवान की पूजा कर के भगवान से नलिनी के ठीक होने की प्रार्थना करते हुए फूट फूट कर रो पड़े। जब दादी ने उनकी लाल आँखें देखी वह समझ गई की राम किशन नलिनी के लिए परेशान हैं दादी ने मनसा को राम किशन जी के लिए नाश्ता लगाने के लिए कहा। मनसा ने जल्दी से टेबल पर नाश्ता लगा दिया। दादी बोली दो कप चाय और बना ला जी मां सा अभी लाती हूं। दादी ने राम किशन जी को नाश्ता करने के लिए आवाज़ लगाई मां अभी बिल्कुल इच्छा नहीं है.. जब भूख लगेगी तब बाहर ही कुछ खा लूंगा। बेटा ऐसे कहने से काम नहीं चलेगा चलो आ जाओ मैं भी तुम्हारे साथ थोड़ा बहुत खा लूंगी अकेले तो मेरा भी खाने का दिल नहीं करता। रामकिशन जी मां को मना नहीं कर पाए चाय पीते हुए दादी ने नलिनी की हालत में हो रहे सुधार के बारे में जानना चाहा..

मां डॉक्टरों का कहना है नलिनी के ठीक होने के चांसेस बहुत ज्यादा हैं। कल हीरा और शगुन से भी बात हुई थी अगले हफ्ते वह दोनों आ रहे हैं। हीरा की आने की बात सुनकर वो खुश हो गईं। मां अब मैं चलता हूं पंडित जी को भेजूंगा रात भर के जगे हुए होंगे वो घर पर आकर कुछ खा पीकर आराम कर लेंगे।आप तो जानती ही हैं वह बिना नहाए चाय भी नहीं पीते हैं‌। ठीक है बेटा ,आराम से जाना। रामकिशन जी हॉस्पिटल पहुंचे उन्होंने देखा पंडित जी नलिनी के सर पर हाथ फेर रहे थे..पंडित जी अब आप घर चले जाओ नलिनी के पास मैं बैठता हूं। देखते देखते एक हफ्ता निकल गया आज हीरा और शगुन आने वाले थे मनसा से बोल कर दादी ने हीरा के पसंद की सभी चीजें खाने में बनवाईं। जयपुर स्टेशन पर उतरते ही हीरा का मन बेचैन हो गया नलिनी के साथ बिताए हुए पल उसकी आंखों में घूमने लगे उसने अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की फिर भी उसकी आंखों से आँसू छलक पड़े। शगुन हीरा की आंखों में आँसू देखकर बोली आप पानी पी लीजिए और घर पहुंचने से पहले अपने मन को समझाइए अगर दादी जी आपको ऐसे देखेंगीं उन्हें बहुत दुख होगा। तुम चिंता नहीं करो मेरी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ नहीं होगी। हीरा शगुन ने घर पहुंच कर दादी के पाँव छुये दादी ने शगुन को अपने सीने से लगा लिया और दोनो को खूब आशीर्वाद दिए। मनसा ने जब देखा हीरा और शगुन आ गए हैं बाहर आकर उसने शगुन की नजर उतारी और दोनो को आशीष दिए। तुम दोनों थके हुए होगे चाय पी कर थोड़ी देर आराम करके नहा धो कर तैयार हो जाओ।"हां ,दादी सा।"हीरा शगुन को साथ लेकर ऊपर कमरे में आ गया पर वहां उसका दिल नहीं लग रहा था। अंदर ही अंदर वो एक अजीब सी घुटन महसूस कर रहा था .. शगुन जब बाथरूम में गई तो वो नीचे उतर कर नलिनी के कमरे में आ गया। नलिनी की हँसी उसके कानों में गूंज रही थी ..उसने अपने दोनो हाथ अपने कानों पर रख दिए उसका मन चीख चीखकर रोने का हो रहा था। उसे तो अपनी किस्मत पर तरस आ रहा था पता नहीं किस पत्थर से ईश्वर ने उसकी तकदीर लिखी थीनलिनी जिस वक्त अपनी जिंदगी और मौत से जूझ रही थी वह शादी कर रहा था।"कैसी विडंबना है भाग्य की।"एक पल पहले जिसके साथ सारा जीवन बिताने के सपने देखे थे... दूसरे ही पल में सब कुछ बिखर गया।एक अनजान लड़की जिसे जानता तक नहीं था उसके साथ जन्म जिंदगी का रिश्ता जुड़ गया ....जिसे मैंने टूट कर चाहा था वो अस्पताल में अपनी सांसों के साथ लड़ रही थी और मैं मजबूर था उसे छोड़कर जाने के लिए। उफ्फ! भाग्य का यह कैसा क्रूर मजाक था।"अपने कंधों पर अपने सपनों की अर्थी उठाने से ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है ?"उसके बाद भी मुंह से एक लफ्ज़ नहीं निकाला मैंने।किससे शिकायत करता ? कौन सुनता मेरी बात ?....नलिनी की जगह अगर मैं होता तो कितना अच्छा होता। वो मेरे लिए सबसे लड़ जाती पर मैं,"मैं तो कायर निकला"अपने प्यार के लिए लड़ भी नहीं पाया। एहसानों का बोझ मृत्यु से ज्यादा भारी है। इससे तो अच्छा होता कि रामकिशन जी मुझे मार देते यू तिल तिल मरने से तो बेहतर होता।" लोग तो प्रेम में जान दे देते हैं।" मेरी बदनसीबी तो देखो मैं तो अपनी प्रेमिका से बिछड़ने का शोक भी नहीं बना पाया।पता नहीं क्यों भगवान गरीब की इतनी परीक्षा लेता है। नलिनी की तस्वीर को हाथ में उठा कर वह देखता रहा जैसे ही उसने दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी वह बाहर आया सामने पंडित जी को देखकर वह उनके गले लग गया उसकी आँसू भरी आँखें देखकर पंडित जी ने उसे कहा कि परेशान मत हो जल्द ही नलिनी होश में आ जाएगी। कल ही डॉक्टर से राम किशन जी की बात हुई है उन्होंने कहा नलिनी अब रिस्पांस कर रही है यह एक अच्छी खबर है। तू जाकर फ्रेश हो ले मैं समझ सकता हूं तुझे कैसा लग रहा होगा इस वक्त।"हीरा तकदीर के आगे किसी की नहीं चलती‌। तू अपने आप को दुख मत पहुंचा नियति को शायद यही मंजूर होगा। इसलिए उसने यह सारा ताना-बाना बुना।""शगुन,.. उस बच्ची का क्या कसूर है ?" "किस गुनाह की सजा पा रही है वो ?" पति के प्यार पर हर पत्नी का हक होता है ...पर उसे तो वह भी नसीब नहीं हुआ। शादी के बाद हर लड़की अपने पति के साथ सुखद जीवन के कितने सपने सजाती है.. और ये तो पहले से ही तकदीर की मारी थी और भाग्य ने तेरे साथ जोड़ दिया तेरे दुख को अपना दुख समझ कर उसी में इसने अपनी खुशी तलाश ली। जब शगुन ने तेरी तकलीफ़ को अपना समझ लिया तो तुझे भी उसकी खुशी का ध्यान रखना पड़ेगा हीरा।"जीवन रुकने का नहीं चलने का नाम है।" जो बीत गया है अब उस पर दुखी होना बंद करके अपने नए जीवन की शुरुआत कर तुझे हँसता खेलता देखकर नलिनी अपना जीवन अच्छे से जी पाएगी नहीं तो ठीक होने पर भी वो अंदर ही अंदर घुटती रहेगी। शगुन को तेरी पत्नी के रूप में देखकर उसे बहुत अच्छा लगेगा और रामकिशन जी के फैसले को वह कभी गलत नहीं ठहराएगी। अब जा शगुन ऊपर इंतजार कर रही होगी, हीरा ऊपर कमरे में चला गया। शगुन ने उसे नहाकर तैयार होने के लिए बोला आधे घंटे के अंदर हीरा और शगुन तैयार होकर नीचे आ गए। मनसा काकी ने खाना लगा दिया था अपनी पसंद का खाना देखकर हीरा बोला आज तो सभी चीजें मेरे पसंद की बनी हैं सफर की वजह से भूख अच्छे से नहीं लग रही नहीं तो चाट कर सब खा जाता। हीरा के मन की बात दादी अच्छे से जानती थी, वह बोली कोई बात नहीं जितनी इच्छा हो उतना ही खा लो और वैसे भी हॉस्पिटल खाली पेट नहीं जाना चाहिए।जी दादी सा।हीरा और शगुन ने खाना खाया और वह दोनों नलिनी को देखने हॉस्पिटल चले गए। पंडित जी की बात सुनकर हीरा खुद को समझा रहा था पर नलिनी को इस तरह देखना उसके लिए बहुत मुश्किल था ... एक डर उसे और सता रहा था जब नलिनी को होश आयेगा और वो शगुन को मेरी पत्नी के रूप में देखेगी तो उसका क्या रियेक्सन होगा ? अपनी शादी की बात मैं नलिनी को कैसे बताऊंगा इतना बड़ा सदमा वह कैसे सहन करेगी ..इसी उधेड़बुन में वह नलिनी के रूम में पहुंच जाता है, राम किशन जी की आवाज़ सुनकर उसका ध्यान टूटता है उनके पाँव छूता है। खुश रहो बेटा खूब तरक्की करो शगुन अपने मामा जी के गले से लग जाती है वह उसे आशीर्वाद देते हैं और नलिनी के पास में बैठने के लिए बोलते हैं।

हीरा को वो अपने साथ बाहर ले जाते हैं...हॉस्पिटल से बाहर निकल कर थोड़ा आगे जाकर एक पेड़ के नीचे चाय की गुमटी थी उसे दो कप चाय बनाने का बोलकर कुर्सी खींचकर रामकिशन जी बैठ गए और हीरा को भी बैठने का इशारा किया। मुझे माफ कर दे हीरा मैं तेरा गुनहगार हूं पर उस समय मैंने जो फैसला लिया मुझे वही ठीक लगा मेरे लिए नलिनी और शगुन में कोई फर्क नहीं है दोनों ही छोटी सी मेरे हाथों में पली-बढ़ी हैं। नलिनी की अलमारी में तुम दोनों की तस्वीर के साथ मुझे नलिनी की लिखी हुई डायरी भी मिली जिसमें उसने अपने दिल की सारी बातें लिखी हुई थी वह तुम्हें बहुत प्यार करती है पर उसने लिखा था कि तुम अपनी जान से भी ज्यादा उसे चाहते हो और तुम्हारा प्यार कितना पवित्र है मैं कैसे बोलूं मेरे पास इतने शब्द नहीं है हीरा कि तुम्हारी अच्छाई बयान कर सकूं।न लिनी की डायरी पढ़कर तुम्हारे बारे में मुझे सब पता चल जाता और मुझे तुम पर गर्व है पर मुझे तुम्हारी फिक्र थी उस समय मैं तुम्हें डायरी वाली बात बताता तो तुम कभी शादी के लिए तैयार नहीं होते, मुझे तुम्हारी फिक्र थी। नलिनी जिस हाल में थी और मुझे डॉक्टर ने जो कहा था उसके हिसाब से तो तीन या चार दिन की ही उन्होंने उसकी जिंदगी बताई थी और अगर यह दिन निकल गए और वह बच गई तो भी उसकी मानसिक स्थिति के बारे में उन्होंने कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया था। पर कल जब मेरी उनसे बात हुई तब उन्होंने कहा कि वह बहुत अच्छा रिस्पांस कर रही है उसकी सिटी स्कैन और ब्रेन के एक्स-रे और बाकी रिपोर्ट्स बहुत अच्छी है डॉक्टर का कहना है की उससे बात करते रहे उसके पसंद की सारी बातें उससे वह जल्दी ठीक होश में आ जाएगी। मुझे माफ़ कर दो बेटा तुम्हारे साथ नाइंसाफी हुई है पर मैं मजबूर था मेरे इस गुनाह की सजा उस बच्ची को मत देना वो बहुत मासूम है... उसका पूरा बचपन स्ट्रगल में निकला है, मेरी बहन उसकी आँख में आँसू नहीं देख सकती नहीं तो वह टूट जाएगी उसने अपना पूरा जीवन इसको पालने में लगा दिया वो यही चाहती थी कि शगुन अपने पैरों पर खड़ी हो जाए।

नलिनी की हालत देखते हुए उसकी डायरी पढ़ने के बाद मुझे शगुन से अच्छा तुम्हारे लिए कोई जीवनसाथी नहीं लगा। नलिनी ठीक हो जाएगी और जब उसको पता चलेगा तो यकीन मानो बहुत खुश होगी तुम्हारे लिए अगर तुम ठीक से उसको समझ पाए हो तो मेरी बात समझोगे। हीरा की आंखों से आँसू टपकने लगे उसने हाथ जोड़कर रामकिशन जी से माफ़ी मांगी उन्होंने उसे अपने गले से लगा लिया हीरा फूट-फूट कर रोने लगा रामकिशन जी बोले बह जाने दे इन आंसुओं को बहुत समय से तूने इनको संभाल के रखा हुआ है अब तेरे जीवन में आंसू के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए आज से मेरे एक नहीं दो बेटे हैं तब तक चाय आ गई थी .... हीरा मुंह धो कर आ जाओ... चाय पीकर नलिनी के पास चलते हैं। इस बात का ध्यान रहे ,शगुन को कभी भी तुम्हारे और नलिनी के बारे में कुछ पता नहीं चलना चाहिेए।शगुन को इस बारे में कभी कुछ पता नहीं चलेगा आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं।शगुन नलिनी का हाथ अपने हाथ में लेकर उसको धीरे-धीरे सहला रही थी। रामकिशन जी बोले बेटा मैं घर जा रहा हूं तुम भी मेरे साथ घर चलो हीरा नलिनी के पास रुक जाएगा। जी मामा जी। उसने हीरो से पूछा, मैं मामा जी के साथ घर चली जाऊं ?

हीरा : हां तुम मामा जी के साथ घर चली जाओ यहां बैठे-बैठे तुम थक जाओगी मैं हो सकता है रात में यहीं रुक जाऊं। इतने दिनों से पंडित जी रात रुक रहे हैं और दिन भर रामकिशन जी अब मैं जब तक यहां हूं इन लोगों को आराम मिल जाएगा।

शगुन: ठीक है। जब दादी ने शगुन और रामकिशन जी को साथ में देखा तो उन्होंने पूछा शगुन को वापस क्यों ले आया ?

रामकिशन जी: मां वहां पर बैठे-बैठे ये थक जाती। हीरा वहां पर है तो कोई चिंता की बात ही नहीं है यह भी सफर करके आई है थकी हुई है घर पर थोड़ा आराम कर लेगी। दादी बोली जा बिटिया थोड़ी देर आराम कर ले।

शगुन : दादी से बोली अभी मेरा आराम करने का बिल्कुल मन नहीं है मैं आपके साथ ही रहूंगी। ठीक है बीटिया ,तू मेरे पास ही रह। जबसे नलिनी का एक्सीडेंट हुआ है मैं अकेलेपन से परेशान हो गई हूं तू पास में रहेगी तो मुझे अच्छा लगेगा। रामकिशन जी और शगुन के जाने के बाद हीरा नलिनी के पास आकर बैठ गया और देर तक उसके चेहरे को देखता रहा फिर अपना हाथ उसके माथे पर रख ईश्वर से उसके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता है।नलिनी का हाथ अपने हाथ में लेकर बोलता है नलिनी उठ जाओ कब से सो रही हो तुम। देखो ना मैं कब से तुम्हारे जागने का इंतजार कर रहा हूं। तुम्हें अपने हीरा की जरा भी फिक्र नहीं है क्या ? बोलो ना कब तक चुप रहोगी तुम। नलिनी तुम्हें पता है तुम्हारे पसंद की सारी चॉकलेटस मैंने ला कर रखी हैं और पिज़्ज़ा खाए हुए तो मुझे कितना टाइम हो गया। तुम जल्दी से उठो हम पिज्जा खाने चलेंगे। अब बोलो भी,.."प्लीज उठ जाओ नलिनी। "तुम्हारी लिखी हुई कविताएं रोज पढ़ता हूं ।" तुम सुनोगी।"बोलो ना! जब तुम बोलोगी तभी मैं तुम्हें सुनाऊंगा।हीरा नलिनी की उंगलियों में हल्की सी हरारत महसूस करता है।उसकी आंखों में खुशी की चमक आ जाती है नलिनी उसकी आवाज़ को महसूस कर रही है उसकी नजदीकी का एहसास नलिनी को है। नलिनी से बात करते-करते हीरा को नींद आ जाती है उसके पास कुर्सी पर उसका हाथ पकड़े हुए ही वो सो जाता है 8:00 बजे करीब पंडित जी खाना लेकर आते हैं देखते हैं कि हीरा को नींद लग गई है खाना साइड टेबल पर रख कर बाहर टहलने लगते हैं। डॉक्टर के राउंड पर आने का टाइम हो जाता है पंडित जी आकर हीरा को जगाते हैं। डॉक्टर के चेक करके जाने के बाद दोनों अंदर आ जाते हैं हीरा तुम खाना खा लो। आप भी खा लीजिए। मैं खा कर आया हूं पंडित जी बोले।लंबे समय के बाद दोनों का मिलना हुआ था नींद दोनों को ही नहीं आ रही थी। आधी रात तक वो बात करते रहे 3:00 बजे करीब हीरा की आँखें नींद की वजह से बंद होने लगी पंडित जी ने उसे सोने के लिए कहा। सुबह 6:00 बजे करीब हीरा की नींद खुली वो घर पर आ गया शगुन सो रही थी। उसने नहा कर चाय पी मनसा काकी ने नाश्ते में पोहा और सूजी का हलवा बना दिया था, नाश्ता करने के बाद वो नलिनी के पास हॉस्पिटल चला गया और पंडित जी को उसने घर पर भेज दिया। नलिनी से वह बातें करता रहा जब वह छोटी थी या उसे स्कूल छोड़ने जाता था शाम को बैडमिंटन खिलाने उसको पार्क में ले जाता था, हीरा उसको सारी बातें याद कराने की कोशिश कर रहा था। तभी उसको महसूस हुआ कि नलिनी ने उसके हाथ को थोड़ा कस के पकड़ने की कोशिश की उसने नर्स को बताया वो डॉक्टर को बुला कर लाई डॉक्टर ने नलिनी का चेकअप किया उसकी आंखों की पुतलियों को देखा उसमें उन्हें मूवमेंट दिखा गुड वेरी गुड यह बहुत अच्छे साइन है डॉक्टर जोर से बोले ,हम तो एक वक्त पर उम्मीद खो चुके थे पर रामकिशन जी और पंडित जी की मेहनत रंग ला रही है वह रात रात भर इससे बात करते रहते थे। गॉड से प्रे कीजिए आप, उस ने चाहा तो जल्दी ही यह होश में आ जाएगी।

हीरा की खुशी का ठिकाना नहीं था उसने हाथ जोड़कर भगवान से उसके जल्दी से होश में आने की प्रार्थना की। मोबाइल पर नील का कॉल आ रहा था हेलो,"गुड मॉर्निंग सर! "हीरा बोला।"गुड मॉर्निंग हीरा! कैसे हो! "सर मैं बहुत अच्छा हूं! वेरी गुड! "मैं जयपुर में हूं!""जी सर' आदेश कीजिए। "मैं भी इस वक्त जयपुर में ही हूं। तुम हॉस्पिटल का नाम बताओ शाम को 7:00 बजे करीब मिलता हूं तुमसे। सर सिटी हॉस्पिटल । ठीक है हम शाम को मिलते हैं ।


12:00 बजे रामकिशन जी मेरे लिए खाना लेकर आ गए। हालांकि उन्होंने मुझे घर जाकर खा कर आराम करने के लिए कहा पर वह भी जानते थे कि मैं घर नहीं जाऊंगा इसलिए वह मेरा खाना साथ में लेकर आए थे मैंने उन्हें बताया नलिनी ने मेरे हाथ को पकड़ने की कोशिश की और जब डॉक्टर ने आकर चेक किया उन्होंने बताया यह बहुत पॉजिटिव साइन है। खुशी से रामकिशन जी की आँखें छलक पड़ी। शाम को 7:00 बजे नील सिटी हॉस्पिटल पहुंच गया उसने हीरा को कॉल लगाया। आप रुकिए सर मैं आता हूं हीरा बोला। हेलो सर! हीरा कैसे हो तुम ?मैं अच्छा हूं! हीरा नील को लेकर नलिनी के रूम में पहुंच जाता है। रामकिशन जी से उसका परीचय करवाता है। नील का व्यक्तित्व देखकर कोई भी उसकी ओर आकर्षित हो सकता था लंबा पूरा गोरा रंग नीली आँखें और बातचीत का लहजा बहुत सौम्य उससे बात करके रामकिशन जी को बहुत अच्छा लगा। हीरा ने नलिनी की तबियत के बारे में उसे बताया। नील बोला फिकर मत कीजिए जल्दी होश में आ जाएगी और डॉक्टर साहब ने बताया यह बहुत पॉजिटिव सिम्टम्स हैं। रामकिशन जी ने नील को बैठने के लिए कुर्सी दी। नील ने देखा नलिनी अपनी उंगलियों को बंद करके खोल रही थी और उसकी आंखों की पुतलियां मूव कर रही थी सर देखिए नील बोला ।रामकिशन जी और हीरा ने नलिनी की ओर देखा धीरे-धीरे वह अपनी आँखें खोल रही थी उसके हाथों में और पैरों में थोड़ी हरकत हो रही थी। हीरा भागकर के डॉक्टर को बुलाने गया। डॉक्टर ने आकर उसका चेकअप किया वह बोले कमाल है यह बिल्कुल ठीक है जैसे कोई करिश्मा हुआ हो आप जिस भी भगवान को मानते हैं उनका धन्यवाद कीजिएगा यह करिश्मा ही है कि यह बिल्कुल ठीक हो गई हैं। जिस हालत में यह थी उसमें मुश्किल से ही मरीज ठीक हो पाते हैं। खुशी से रामकिशन जी की आँखें भर आई हीरा का भी यही हाल था शब्द उनके मुंह से बाहर नहीं निकल पा रहे थे डॉक्टर ने रामकिशन जी के कंधे पर हाथ रखा और बोले, आपकी बेटी बिल्कुल ठीक है जिसके पिता आप जैसे हो उसके बच्चे को तो भगवान को ठीक करना ही पड़ता है। डॉक्टर यह आपकी मेहनत है आपने मेरी बच्ची को ठीक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी मैं आभारी हूं आपका और जिंदगी भर आभारी रहूंगा। डॉक्टर अभी इन्हें लगेगा कि ये गहरी नींद से जागी हैं और फिर धीरे धीरे सब कुछ याद आ जाएगा। नलिनी एकदम उठ बैठती है और जोर से चिल्लाती है हीरा ।

हीरा : मैं तुम्हारे ही पास हूं । क्या हुआ नलिनी, तुमने कोई डरावना सपना देखा क्या ?वो .. वो एक्सीडेंट।" नलिनी सब ठीक है। देखो मैं तुम्हारे सामने हूं।"डॉक्टर नलिनी को इंजेक्शन देते हैं। अब यह बिल्कुल ठीक हैं कुछ दिन में यह अपनी पुरानी दिनचर्या में वापस लौट आएंगी। अभी एक्सीडेंट का डर इनके दिल में बैठा हुआ है इसलिये इन्हें इंजेक्शन दिया है ताकि यह ज्यादा स्ट्रेस ना लें अब आप लोगों को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। रामकिशन जी नील से बोले आपके पाँव बड़े अच्छे पड़े हैं मेरी बच्ची का आज नया जन्म हुआ है।


मां की बात सुनकर नील को बड़ी राहत मिली ...नहीं तो वो यह सोच कर परेशान था कि जब मां को चिया की सच्चाई पता चलेगी तो वह किस तरह से रियेक्ट करेंगीं। मां ने इतनी सहजता से कहा, चिया जो कर रही है अंश के लिए वही सही है।पर फिर भी अंश को भुलाना मां के लिए और मेरे लिए भी आसान नहीं है नील चिया और अंश को लेकर मार्केट गया और अंश को ढेर सारी शॉपिंग करवा कर लाया।अंश के साथ खेलने के लिए उसके पास आज का ही दिन था वह उसे यादगार बनाना चाहता था।दूसरे दिन शाम की चिया की फ्लाइट थी।दिन कैसे निकला पता ही नहीं चला।मां ने कहा वह भी अंश और चिया को छोड़ने एयरपोर्ट जायेंगी।अंश दादी की गोद में चिपक कर बैठ गया। एयरपोर्ट पर पहुँचकर चिया ने नील से कहा आप लोग परेशान मत हो मां थक जाएंगी और अंश को जाते हुए देखेंगी तो उन्हें दुख होगा आप उन्हें लेकर घर निकल जाओ। अंश को छोड़कर नील और उसकी मां वापस आ गए ।नील को चिया की बात ठीक ही लगी मां अंश को जाते हुए देखती तो उन्हें बहुत दुख होता। चिया के मन का पाप नील नहीं जानता था उसके निकलने के फौरन बाद ही उसने रेहान को फोन लगाया और उसके साथ गाड़ी में बैठ कर बोली अब जाकर इन मां बेटे से जान झूठी इतने अच्छे और इमोशनल लोग पता नहीं कैसे होते हैं अच्छा बनने का दिखावा करते करते मैं थक गई थी।सुनो एक काम करो सीधे रूम पर चलो।रेहान ने कहा "ठीक है।"वो चिया को उसकी बताई जगह पर ले गया।"हेलो।""बॉस,चिया बोल रही हूं।""हां,चिया।"बोलो"किसी को तुम पर शक तो नहीं हुआ ?"नहीं, बॉस।"किसी को कोई शक नहीं हुआ।मां बेटे दोनो मुझे छोड़कर वापस चले गए।"ठिकाने पर पहुंच गई तुम ?" "नहीं, बस पहुंचने वालीं हूं।" "साथ में कौन है ?" साथ में रेहान और अंश । चिया ने ही रेहान को अपने प्यार के जाल में फंसा रखा था। रेहान को नहीं पता था की चीया के अंडरवर्ल्ड से संबंध है।बॉस की बेटी से रेहान की शादी कराने की चाल चिया ने ही चली थी।रेहान उसका मोहरा था।रेहान से ‌अपनी बहन का बदला लेने के लिए ही उसने उससे झूठे प्यार का नाटक रचा।नील से उसकी कोई दुश्मनी नहीं थीरेहान को लगता था कि चिया के गर्भ में उसका बच्चा है वो अपने बच्चे को सुरक्षित रखना चाहता था इसलिए गोवा में जब एकांश मौली के साथ न्यू ईयरपार्टी में नील भी साथ में था तो उसने चिया को रात उसके साथ बिताने के लिए कहा।रेहान की गंदी सोच पर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था ...पर वो जानती थी कि रेहान अपने जाल में खुद ही फंसता जा रहा है।अंडरवर्ल्ड का सरगना बॉस उसका प्रेमी था और यह बच्चा अंश भी उसी का था अपने बच्चे को सबकी निगाहों से बचाने के लिए उसने रेहान का सहारा लिया था। रेहान उसके झूठ में फंस गया और उसने अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए नील का सहारा लिया। अंश अब इस लायक हो गया था कि चिया उसे किसी आया के पास छोड़ सकती थी। इसलिए उसने नील को डिवोर्स दे दिया अपने मन पर झूठ का बोझ रखकर जीना अब उसे अच्छा नहीं लग रहा था।वह एक अच्छे घर की लड़की थी पर परिस्थितियों ने उसे इस नरक में धकेल दिया उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। चिया की बड़ी बहन रेहान के साथ पढ़ती थी दिखने में बहुत खूबसूरत और बहुत सीधी रेहान के झूठे प्रेम को उसने सच समझ लिया वह उससे मीठी-मीठी बातें करता झूठे सपने दिखाता। सिया उसके जाल में फंसती चली गई। एक दिन जब घर पर कोई नहीं था सिया अकेली थी रेहान उसकी कॉपी लेने के बहाने घर पर आया और मौके का फायदा उठाकर उसने सिया के साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। जब सिया ने उसका विरोध किया तो रेहान बोला तुम्हें अपने प्यार पर भरोसा नहीं है क्या सिया ??? सिया बोली बात भरोसे की नहीं है मर्यादा भी कोई चीज होती है तुम मुझसे प्यार करते हो तो मुझसे शादी कर लो पर शादी से पहले यह पाप है।अपना अपमान उसे बर्दाश्त नहीं हुआ वह मौके की तलाश में रहा ..वह अपने अपमान का सिया से बदला लेना चाहता था स्कूल का आखिरी साल था स्कूल की फेयरवेल पार्टी के बाद कुछ दोस्तों ने फॉर्म हाउस पर अलग से एक पार्टी रखी रेहान ने उसमें सिया को भी बुलाया वह उसकी चाल से अनजान थी उसे तो यही लगता था कि वो उसे बहुत प्यार करता है।जब सिया पार्टी में पहुंची तो रेहान के दोस्त और उनकी गर्लफ्रेंड सिया की हंसी उड़ाने लगी वह सलवार कुर्ता और चोटी बांधकर पार्टी में गई थी।इस तरह का माहौल उसने पहले कभी देखा भी नहीं था। रेहान के बारे में सिर्फ चिया जानती थी दोनों बहनों में आपस में बहुत प्यार था सिया अपनी हर बात उसे बता देती थी।रेहान ने उसे घर पर पार्टी के बारे में बताने के लिए मना किया था उसने कहा था घर पर यही बताना की सहेली के घर पर जा रही हूं पर सिया ने आज भी पार्टी पर जाते वक्त चिया को बताया की रेहान ने उसे बुलाया है। रेहान ने सिया का हाथ पकड़ा और सबको कहा कि यह उसकी गर्लफ्रेंड है और कोई उसकी हंसी नहींं उड़ायेगा। मैं सिया की सादगी से ही बेहद प्यार करता हूं।मेरी बहन उसकी चाल में फंस गई पार्टी में सब लोग ड्रिंक कर रहे थे उन्होंने सिया से भी कहा पर रेहान बोला सिया ड्रिंक नहीं करती। उसने सिया का हाथ पकड़ा और उसको दूसरी तरफ ले जाकर सोफे पर बैठा दिया और बोला मैं तुम्हारे लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर आता हूं उसने उसके ड्रिंक में नशे की कोई दवा मिला दी थी जब सिया ने उसे पिया तो उसने रेहान से बोला कि मुझे चक्कर आ रहा है कोई बात नहीं तुम मेरा हाथ पकड़ो मैं तुम्हें अंदर रूम में छोड़ देता हूं वहां पर तुम आराम कर लेना।वह सिया को अंदर रूम में ले गया और उसे बेड पर लिटा कर अंदर से रूम लॉक कर लिया और अपने कपड़े उतार कर एक तरफ रखे ...यह तुम क्या कर रहे हो रेहान ।उसने सिया की सलवार को उतारा सिया के मना करने पर वह बोला कुछ नहीं मेरी जान तुम्हें प्यार कर रहा हूं।"अभी सब दोस्तों के सामने मैंने कहा ना कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो।""बोलो?"रेहान के सर पर नशा सवार था बदले की आग ने उसे जानवर बना दिया था।सिया की हालत ज्यादा बोलने की नहीं थी उसने रेहान को रोकने की बहुत कोशिश की पर उसने मेरी बहन के साथ जानवरों जैसा सलूक किया उसके बाद उसके तीन और दोस्तों ने बारी बारी से उससे शारीरिक संबंध बनाए वह चिल्लाती रही पर उन जानवरों को उस पर दया नहीं आई।जब सिया बेहोश हो गई तो उसे इस हालत में छोड़कर वह लोग वहां से चले गए।शाम के 6:00 बजे तक जब सिया घर नहीं लौटी तो मैंने उसे फोन लगाया फोन पर घंटी जा रही थी ..जब सिया ने फोन नहीं उठाया तो मुझे उसकी फिक्र हो रही थी।

मैंने रेहान को फोन लगाया तो उसने मेरा फोन काट दिया तब मुझे कुछ ठीक नहीं लगा मैंने फिर से सिया को फोन लगाया तब तक सिया को होश आ गया था उसने मेरा कॉल देखकर जैसे तैसे हिम्मत करके फोन उठाया उसकी आवाज़ सुनकर मैं बुरी तरह डर गई मैंने पूछा तो सिया बुरी तरह रोने लगी और उसने मुझसे कहा कि वह किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रही अब वह और जीना नहीं चाहती जब तक पापा और पुलिस के साथ हम सिया तक पहुंच पाते सिया ने अपने हाथ की नस काट ली थी खून बहुत ज्यादा बहने के कारण हॉस्पिटल पहुंचने तक उसने दम तोड़ दिया।पापा उसकी यह हालत नहीं देख पाए और उन्हें अटैक आ गया मां यह सुन कर बेहोश होकर गिर पड़ी ... बहन के बाद मैंने अपने पिता को भी खो दिया।दूसरे दिन न्यूज़ पेपर में छपी खबर पढ़कर रेहान और सिया के और दोस्त घर पर आए। रेहान ने सबके सामने दुखी होने का नाटक किया और वो रोने लगा साथ के दोस्तों ने उसे चुप कराने की कोशिश की उसकी सच्चाई वह लोग नहीं जानते थे‌। मुझे रोता देख रेहान मेरे पास आया और मुझे समझाने लगा मैं भी अनजान बनकर रेहान के गले लग कर रोने लगी उसने मेरे सर पर हाथ रख कर मुझे चुप कराया और बोला सिया मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी तुम उसकी छोटी बहन हो कभी भी किसी चीज की जरूरत हो तो परेशान मत होना।मेरी मां जीते जी मुर्दे के समान हो गई थी मेरी आंखों के सामने मेरी सारी खुशियां खत्म हो चुकी थी और जीने का एक ही मकसद था रेहान को बर्बाद करना।लोगों को सबको यही लगा कि मेरी बहन का बलात्कार हुआ हैमैंने भी यही मानकर खुद को समझा लिया।अब मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं घर के साथ मां को भी संभालना था।मैंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था।इतने कम पैसों से घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था।कुछ दिन के बाद रेहान घर पर आया उसने मां की तबीयत के बारे में पूछा जब उसे पता चला कि मैं ट्यूशन पढ़ा रही हूं तो उसने कहा तुम चाहो तो मुझे अपनी परेशानी बता सकती हो।मैं तुम्हारी हर तरह से मदद कर सकता हूं।नहीं, रेहान यह मेरी अपनी तकलीफ़ है।वह बोला तुम भी मेरी अपनी हो ।इसमें परेशानी की क्या बात हैमेरे करीब आकर उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा मैं रोने का नाटक करने लगी।उसने मुझे गले से लगाया और प्यार से चुप कराने लगा।मैं उससे नजदीकी बनाना चाहती थी जिससे वो मुझ पर भरोसा करने लगे।मेरे बिछाए जाल में वो फंसता जा रहा था।"रेहान, मैं तुम्हें परेशान करना नहीं चाहती।" "चिया, तुम्हारी मदद करके मुझे खुशी होगी। और सिया की आत्मा को शांति मिलेगी।"उसकी बात सुनकर मेरा खून खौल उठा मन कर रहा था अपने हाथ से मैं उसका गला दबा दूं।"हां, रेहान अब तो तुम्हारा ही सहारा है मुझे।अगर मुझे कोई भी जरूरत होगी तो मैं तुम्हें जरूर बताऊंगी।"मैं धीरे-धीरे रेहान से अपनी नजदीकी बढ़ाने लगी ।दो-तीन दिन में वो मेरे घर का चक्कर लगा जाता था।मैंने न्यूज पेपर में कॉल सेंटर के लिए वैकेंसी देखी और दूसरी जाकर इंटरव्यू दे आई वहां पर मुझे काम मिल गया और यहीं पर बॉस से मेरी मुलाकात हुई पहली मुलाकात मैं ही वह मुझे पसंद करने लगे।मुझे भी एक सहारे की जरूरत थी ज्यादा सोचने और दिमाग लगाने के लिए मेरे पास वक्त भी नहीं था और पैसा भी।धीरे धीरे बॉस और मेरी दोस्ती गहरी होती गई।एक दिन शाम को जब रेहान घर आया मुझे तेज बुखार थामुझे लेटे हुए देख उसने मेरा माथा छूकर देखा और मुझे डॉक्टर के पास लेकर गया ।डॉक्टर को दिखा कर घर लौटते समय उसने रास्ते से दवाई और फल खरीदे ,घर पर आकर किचन में जाकर दूध गर्म किया और मुझे दवाई देकर दूध पीने के लिए दिया मेरे मना करने पर उसने जबरदस्ती मुझे पूरा दूध पिलाया मैं जैसे ही खड़ी हूई मैंने चक्कर आने का नाटक किया रेहान ने मुझे संभाल लिया।"मैं इसी मौके की तलाश में थी। मैंने खुद को उसकी बाहों में ढीला छोड़ दिया।" उसने मुझे कस के पकड़ लिया और मेरे माथे पर किस किया।मैंने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए वह खुद को संभाल नहीं पाया और पागलों की तरह मुझे किस करने लगा मैं तो यही चाहती थी।मैंने उसे रात में अपने पास रुकने के लिए मना लिया।अब तक मुझे आराम मिल गया था और मेरा बुखार भी उतर गया था।मां को दवाई लेने की वजह से जल्दी नींद आ जाती थी वो अपने कमरे में सो चुकी थीं। मैंने किचन में जाकर दो कप चाय बनाई रेहान के कप में नींद की गोली मिलाकर उसे चाय पीने के लिए दी और अपना कप उठाकर चाय पीने लगी।चाय का एक सिप लेने के बाद रेहान ने कहा कि तुम कमाल की चाय बनाती हो चाय खत्म करने के कुछ देर के बाद ही उसकी आँखें बंद होने लगीं। सुबह वो जब सो कर उठा तो मुझे अपने पास अस्त-व्यस्त हालत में देखकर घबरा गया ... मैं उठकर रोने लगी मैंने उससे कहा तुम्हें मेरे साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी मैंने तुम पर बहुत भरोसा किया और तुमने मुझे कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं छोड़ा। ये क्या बोल रही हो तुम ?मुझे खुद नहीं पता मुझे कब नींद आई। चाय पीने के बाद मेरी आँखें अपने आप बंद होने लगीं थीं।" रेहान, तुम्हें रोकने की मैंने बहुत कोशिश की पर तुमने मेरी एक बात नहीं सुनी।" रेहान बुरी तरह से घबरा गया उसने चिया से माफ़ी मांगी और उसे चुप कराने की कोशिश करने लगा।


मेरे होते हुए तुम पर मैं कोई आंच नहीं आने दूंगा तुम निश्चिंत रहो चिया।" रेहान,अब तुम्हें जाना चाहिए।"अगर किसी ने तुम्हें यहां देखा तो ठीक नहीं होगा।"हां, तुम सही कह रही हो।"रेहान चला गया।आज मैं बहुत खुश थी उसके चेहरे पर डर के भाव देखकर मुझे दिल से बहुत खुशी हो रही थी।मैंने सिया की तस्वीर के आगे खड़े होकर कहा यह तो शुरुआत है देखो मैं आगे इसकी क्या हालत करती हूं।अगले दिन सुबह बॉस का फोन आया उन्होंने मुझे एक रेस्टोरेंट में बुलाया यह उनका अपना ही रेस्टोरेंट था जिसे वह अपने धंधे के लिए इस्तेमाल करते थे..पता नहीं कैसे उन्हें मेरे घर की स्थिति पता चल गई थी ।उन्होंने अपने काम के बारे में मुझे सब-कुछ बताया साथ ही मुझसे शादी करने का प्रस्ताव रखा"अंधा क्या चाहे दो आँखें।"मैंने हां कर दिया। बॉस ने मंदिर में मेरे साथ शादी कर ली पंडित जी के अलावा वहां और कोई नहीं था।मां को संभालने के लिए उन्होंने घर पर सुनीता नाम की एक लड़की को रखवा दिया था वह घर का पूरा काम करने के साथ-साथ मां की देखभाल भी करती थी जिससे मैं निश्चिंत होकर कहीं भी आ जा सकती थी।अपनी शादी की बात मैंने रेहान से छुपाई। उसके सामने मैं यही दिखावा करती रही की वह मुझे पसंद है।शादी के कुछ दिन बाद बॉस मुझे लेकर गोवा चले गएएक महीना मौज मस्ती कैसे निकल गया पता ही नहीं चला ...बीच में दो-तीन बार रेहान का फोन आया उसे मैंने यही बताया कि मैं मुंबई में हूं कंपनी की पॉलिसी के हिसाब से मुझे यह काम करना पड़ रहा है । जब मेरी पीरियड डेटस निकल गईं तो मुझे टेंशन होने लगा मैंने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूं मैंने बॉस को बताया बॉस बोले हम दोनों के रिलेशन के बारे में अभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए जब तक मेरा बच्चा दो साल का नहीं हो जाता तब तक यह बात तुम्हें सब से छुपा कर रखनी पड़ेगी। मैंने उसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा अगर हमारे दुश्मनों को इस बात की खबर हो गई कि तुम मेरी पत्नी हो और प्रेग्नेंट हो तो वह लोग इसका गलत फायदा उठा सकते हैं। मैंने रेहान को फोन किया और बताया कि मैं गोवा में हूं। किसी काम के सिलसिले में मेरा यहां आना हुआ है , तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है आ जाओ। उसे मेरी चाल के बारे में कुछ पता नहीं था वह गोवा आ गया।तब मैंने उसे अपनी प्रेगनेंसी के बारे में बताया।उसे इस बात की उम्मीद भी नहीं थी की उसके साथ ऐसा भी कुछ होगा मेरा उतरा हुआ चेहरा देखकर वह परेशान हो गया बोला तुम डरो मत हो यह हमारे प्यार की निशानी है।तभी एकांश और मोली का भी गोवा आने का प्रोग्राम बना उसने मुझे फोन करके न्यू ईयर पर गोवा चलने के लिए कहा मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करूं.. कुछ सोच कर मैंने उन्हें हां कह दिया।मैंने बॉस को कहा आप वापस लौट जाइए आगे कैसे मैनेज करना है वह मैं देख लूंगी।मैंने रेहान को बताया की एकांश और मोली अपने दोस्तों के साथ आ रहे हैं।यह सुनकर वह खुश हो गया और बोला कि मेरे पास एक बहुत अच्छा आइडिया है एकांश का दोस्त नील भी उसके साथ आएगा उसकी गर्लफ्रेंड उसको छोड़ कर चली गई है वह पार्टी में अकेला होगा और तुम भी अकेली तुम उसे अपना डांस पार्टनर बना लेना और कैसे भी करके एक रात उसके साथ बिताना।एक महीने बाद तुम नील को बताना की तुम उसके बच्चे की मां बनने वाली हो। मैं उसे बहुत अच्छे से जानता हूं वह तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं करेगा और हमारा बच्चा भी सुरक्षित रहेगा।मैं तब तक बहुत पैसा कमा लूंगा और तुम्हें और अपने बेटे को लेकर इस देश को हमेशा के लिए छोड़ दूंगा।इसके लिए तुम्हारी मदद की जरूरत है मैं अकेले में कुछ नहीं कर पाऊंगा।रेहान को जब बॉस की बेटी का सच पता चला तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ पर अब तक वह उनके जाल में बुरी तरह से फस गया था।उसने चिया को जब इस बारे में बताया तो वह जोर-जोर से हंसने लगी मुझे छोड़ते समय तुमने यह सोचा नहीं था तुम तो पैसे के पीछे पागल थे पर अब मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है हां एक वक्त था मैं तुम्हें बहुत चाहती थी पर तुम भी औरों की तरह घटिया ही निकले।नील के घर पर रहने की वजह से मुझ में कुछ इंसानियत अब भी बाकी है ... बाकी तुमने तो मुझे जानवर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।और अब मैं बहुत बदल गई हूं।मेरे लिए रिश्तो का कोई महत्व नहीं है बस पैसा ,पैसा और पैसा।इस पैसे के पीछे ही मैंने बहुत अपमान सहा है।जिसने जैसे चाहा उसने मेरा इस्तेमाल किया।अगर बॉस ने मुझे सहारा नहीं दिया होता तो आज मैं कोठे पर ही होती।अंश तुम्हारा नहीं बॉस का बेटा है।"जो खेल , तुमने मेरी बहन सिया के साथ खेला था। वही खेल मैंने तुम्हारे साथ खेला।"उसके हाथ में पिस्टल देख कर रेहान घिघियाने लगा।चिया बोली मेरे साथ चालाकी करने की कोशिश भी मत करना पता भी नहीं चलेगा कब निपटा दिए जाओगे।"नील, आज अपने मन को बहुत हल्का महसूस कर रहा था। झूठ और दिखावे का रिश्ता जीते जीते वह थक गया था।"घर आकर उसने मां और अपने लिए चाय बनाई। मां बोलीं अंश के बिना घर खाली खाली लग रहा है।यह तो अच्छा है मां कि अंश चिया के साथ इतने समय से अपने नाना के घर पर था इसलिए उसके बिना रहने की आदत सी हो गई थी अब हमें अंश के बिना जीने की आदत डालनी पड़ेगी शायद ही कभी अब उससे मिलना हो...।।।मां बोलीं अब तुम भी अपनी पसंद की लड़की देख कर शादी कर लो जिससे मैं भी निश्चिंत हो जाऊं। तुम्हारे साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने की वजह से ही मैंने दीप को डिवोर्स दे दिया था।बर्दाश्त करने की हद तक मैंने उसे बर्दाश्त किया । लकी तुम्हें बहुत प्यार करता था ।पर दीप को बात यह फूटी आंखों नहीं सुहाती थी और इसी के चलते मुझे तुम्हें हॉस्टल भेजना पड़ा । लकी छोटा था घर पर रहना मेरी मजबूरी थी दीप ने उसे बहुत जिद्दी और बदतमीज बना दिया था।वो लकी और तुम में बहुत भेदभाव करता था जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था ।शादी से पहले ही मैंने दीप को सब कुछ बता दिया था पर फिर भी उसने दूसरे बच्चे के लिए जिद की।शादी के पहले के दीप और बाद के दीप में जमीन आसमान का फर्क आ गया था ।वह बहुत ही ज्यादा स्वार्थी हो गया था यही बात मुझे बहुत परेशान कर रही थी मुझे माइग्रेन की प्रॉब्लम होने लगी ।लकी के हॉस्टल जाने के बाद मैंने दीप का घर छोड़ दिया और किराए से अलग घर लेकर रहने लगी।एक औरत का अकेले रहना लोगों के दिमाग में सो सवाल पैदा कर देता है जितने मुंह उतनी ही बातें होती पर मैंने कभी उन बातों पर ध्यान नहीं दिया मैंने अपने काम से काम रखा बकवास करने वालों के मुंह भी धीरे-धीरे बंद हो गए।__


नील : ने रामकिशन जी से बोला कि ये आप सब लोगों की दुआओं का ही असर है, जिससे इतने बड़े हादसे के बाद आप की बेटी को नई जिंदगी मिली है।"मैं, ईश्वर से प्रार्थना करता हूं, कि वो नलिनी को हमेशा स्वस्थ और चिरायु रखें।"पिछली बार जब में जयपुर आया था तब हीरा ने नलिनी के जॉब के लिए मुझसे बात की थी किसी कारण से उस इंटरव्यू की डेट आगे बढ़ गई यही बताने के लिए मैंने हीरा को मैसेज और कॉल किया था ।हीरा से पता चला कि नलिनी का एक्सीडेंट हुआ है और वो जयपुर आ रहा है मैं भी काम के सिलसिले में यहां आया हुआ था यह सब नियति का खेल मान लीजिए आप ।नियति ही मुझे यहां खींच कर ले आई।कभी-कभी हमारे अपने निजी रिश्तो में भी इतनी दूरियां आ जाती हैं के पास रहकर भी हम एक दूसरे की तकलीफ को महसूस नहीं कर पाते और कहीं हमारा दूर-दूर तक किसी से कोई संबंध नहीं होता और हम उसकी तकलीफ को महसूस कर लेते हैं।यह सब क्या है ?किस तरह का कनेक्शन है एक दूसरे से ये ?क्या ये पिछले जन्म का कोई रिश्ता है ?कभी सोचो भी तो आश्चर्य होता है। ट्रेनिंग के दौरान हीरा से मेरी मुलाकात हुई थी ....कुछ दिनों में ही हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए। जब पिछली बार मैं यहां पर आया तब मैं बहुत परेशान था जो बंदा यहां का काम संभालता है वह छुट्टी पर गया हुआ था मैंने हीरा को कहा कि मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है बिना किसी सवाल के हीरा मेरे पास मेरी मदद के लिए आ गया।हीरा के लिए मेरे दिल में इज्ज़त और बढ़ गई।आपसे मिलकर मुझे बहुत अपना सा लगा ।अब मुझे इजाज़त दीजिए अभी दो-तीन दिन में यहां पर ही हूं आपसे मुलाकात होती रहेगी।ठीक है बेटा अपना ध्यान रखना।हीरा: नील को बाहर छोड़ने जाता है।रामकिशन जी ने घर पर फोन लगाकर बताया की नलिनी को होश आ गया है अब वह बिल्कुल ठीक है।खुशी से दादी की आवाज भर आई ,उनसे बोलते ही नहीं बन रहा था उन्होंने फोन शगुन को दे दिया ।मामा जी शगुन बोल रही हूं ।शगुन तेरे कदम बड़े अच्छे हैं बेटा नलिनी को होश आ गया है वो अब बिल्कुल ठीक है।यह तो खुशी की बात है मामा जी मैं भगवान् को प्रसाद चढ़ाती हूं।दादी मनसा से बोलीं हलवे का प्रसाद बना दे मनसा, नलिनी बिटिया को होश आ गया है। वो अब ठीक है। मेरा तो जीवन सफल हो गया नहीं तो मैं खुद को ही मुंह दिखाने लायक नहीं रह गई थी।ठाकुर जी की बड़ी कृपा है कि उन्होंने इस बुढ़िया की लाज रख ली।मनसा बोली मां सा आपके पुन्य का प्रताप है जो ठाकुर जी महाराज ने इतनी बड़ी मुसीबत से हमारी बिटिया को बाहर निकाल लिया।ठाकुर जी महाराज से यही प्रार्थना है कि वो हमारी बिटिया के जीवन में ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ दे ।"ग़म का कांटा भी कभी हमारी लाडो के पांव में ना चुभे।" "सही कह रही है तू मनसा। "भगवान कोई राजकुमार सा वर भेज दे उसके लिए ,तो उसके हाथ पीले कर मैं अपना फर्ज पूरा कर दूँ। चिंता ना करो आप मां सा भगवान सब भली ही करेंगे। हमारी नलिनी बिटिया मन की बहुत अच्छी हैं उन्हें वर भी बहुत अच्छा मिलेगा ‌।अभी तो ठीक होकर वो जल्दी से घर आ जाएं तो घर की रौनक लौट आये। शगुन बोली मनसा काकी आप बिल्कुल ठीक कह रही हो। नलिनी घर आ जाए तो सबसे पहले मैं उसकी नजर उतारूंगी। पता नहीं किसकी काली नज़र हमारी बीटिया रानी को लग गई है। शगुन ठीक ही कह रही है मां सा"हां, मनसा। उस दिन नलिनी जब घर से हीरा के साथ मंदिर जाने के लिए निकली तो बहुत सुंदर लग रही थी। मुझे क्या पता था कि रास्ते में ऐसा होगा नहीं तो मैं उसे कभी मंदिर जाने के लिए नहीं कहती। रामकिशन जी मां की बात सुनकर बोले "मां, जो बीत गया उसे भूल जाओ। अब नलिनी ठीक हो गई है जल्दी ही वो घर भी आ जाएगी उसके सामने यह बात कोई नहीं करेगा।" "हां, बेटा तू ठीक कह रहा है। बुरी बातों को भूल जाने में ही भलाई है क्योंकि जितना हम उन्हें दोहराएंगे उतनी ही वह हमें तकलीफ पहुंचायेंगीं।शगुन बेटा एक कप बढ़िया अदरक वाली चाय पिला। जी मामा जी आपके लिए चाय मैं बनाती हूं नानी जी आप चाय पीयेंगीं ?"हां,बिटिया तुम बनाओगी तो जरूर।"शगुन ने सबके लिए चाय बनाई। मामा जी मुझे नलिनी को देखने हॉस्पिटल जाना है। एक_दो दिन में ही वो घर पर आ जाएगी क्यों परेशान हो रही हो। हीरा और पंडित जी है वहां पर और ज्यादा भीड़ होने पर डॉक्टर नाराज होने लगते हैं। ठीक है मामा जी आप सही बोल रहे हैं मैं आज नलिनी का रूम अच्छे से जमा देती हूं।यह ठीक रहेगा तू उसका कमरा बढ़िया से जमा दे जब नलिनी घर आए अपना कमरा देख कर खुश हो जाए।"हां ,आप देखना वो जरूर खुश हो जाएंगी। "रामकिशन जी ने जानबूझकर शगुन को हॉस्पिटल जाने से रोका उन्हें डर था कहीं नलिनी शगुन की मांग में सिंदूर देखकर उससे अपने जीजा के बारे में पूछताछ ना करे .. शगुन के मुंह से हीरा का नाम सुनकर पता नहीं नलिनी पर क्या गुजरे। उन्होंने हीरा को नलिनी के पास इसीलिए छोड़ा कि वो खुद उसे सब कुछ बता देगा। नलिनी खुद भी बहुत समझदार है वह मौके की नजाकत को समझने की कोशिश करेगी ...कुछ देर में नलिनी की नींद खुल जाती है अपने पास हीरा और पंडित जी को देखती है तो वह उठने की कोशिश करती है। हीरा उसकी उठने में मदद करता है और उसे थोड़ा सा पानी पीने के लिए देता है। पंडित जी उसके पास आकर बैठ जाते हैं और पूछते हैं बिटिया कैसा लग रहा है।"मैं अब ठीक हूं,और बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं। वो उनसे रामकिशन जी और दादी के बारे में पूछती है। सब ठीक हैं, तुम्हारे घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। हीरा उसे एप्पल काट कर खाने के लिए देता है।डॉक्टर जब राउंड पर आये और उन्होंने नलिनी को बैठे हुए देखा तो उन्हें बहुत अच्छा लगा। उन्होंने पूछा अब आप कैसा फील कर रही हो ?बहुत अच्छा।वेरी गुड।घर जाना चाहती हो ?

हां डॉक्टर।

अब आप बिल्कुल ठीक हो और अपनी नॉरमल लाइफ शुरु कर सकती हो।

एक-दो दिन में हम आपको डिस्चार्ज कर देंगे।

थैंक्यू डॉक्टर। हीरा ने पंडित जी से बोला आप घर चले जाइए मैं यहीं पर रुकूंगा। पंडित जी के जाने के बाद हीरा ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और वह नलिनी के पास आकर बैठ गया।

 

नलिनी की आंखों में अपने लिए ढेर सारा प्यार देखकर वह डर गया ...उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह नलिनी को सब कुछ किस तरह बताएं।यह सोच सोच कर हीरा का सर दर्द से बुरी तरह फटा जा रहा था कि नलिनी जब घर पहुंच कर शगुन को देखेगी उस पर क्या गुजरेगी।दोनों का इस तरह से मिलना नलिनी और शगुन दोनों के लिए ही अच्छा नहीं होगा।

हीरा : नलिनी मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"हां ,बोलो।" क्या बात है ?"मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं किस तरह से बात शुरू करूं। पर बात करना भी बहुत जरूरी है।

"तो इतना सोच क्यों रहे हो बोलो ना। "नलिनी एक्सीडेंट के बाद जब तुम कोमा में चली गई थी मैं यहां तुम्हारे ही पास था। रामकिशन जी घर पर तुम्हारे कपड़े लेने गए ,मनसा काकी को काम में बिजी देखकर वह खुद ही तुम्हारे कमरे में कपड़े लेने चले गये जब वो तुम्हारी अलमारी से कपड़े निकाल रहे थे तभी हम दोनों की फोटो और तुम्हारी लिखी हुई डायरी पता नहीं कैसे नीचे गिर पड़े उन्होंने फोटो उठाकर देखा और उसे फाड़ कर फेंक दिया। हॉस्पिटल में आकर उन्होंने मुझसे कहा हीरा मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी नलिनी तो नासमझ है पर तुम तुम पर मैंने इतना भरोसा किया और उसका यह सिला दिया तुमने मुझे। मैं क्या बोलता मैं चुप रहा अपनी सच्चाई बताने का कोई प्रमाण मेरे पास नहीं था। डायरी के बारे में उन्होंने मुझे उस वक्त कुछ नहीं बताया। और उन्होंने मेरी शादी शगुन से तय कर दी मैंने हिम्मत करके उनसे बोला जब तक नलिनी ठीक नहीं हो जाती मैं शादी नहीं करूंगा। पर उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और पंडित जी से बोल कर मेरे मां पिता को भी गांव से बुलवा लिया। उनके आगे मेरी एक नहीं चली। शादी के बाद मैं शगुन को यही घर पर छोड़कर दिल्ली चला गया। कुछ दिनों के बाद राम किशन जी का फोन आया कि शगुन को मैं अपने साथ ले जाऊं। मैंने शगुन से कहा जब तक नलिनी ठीक नहीं हो जाती तब तक मैं चाह कर भी तुम्हें तुम्हारे हिस्से की ख़ुशियाँ नहीं दे सकता न हीं अपना पति धर्म निभा सकता हूं। वह बोली मैं आपकी मन की स्थिति अच्छे से समझ सकती हूं आप मेरी तरफ से निश्चिंत रहें।जब तक हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से नहीं समझते हम दोस्त की तरह ही रहेंगे। कुछ दिनो पहले जब डॉक्टर ने तुम्हारा चेकअप किया और बताया कि तुम बहुत अच्छा रिस्पांस कर रही हो और जल्दी ही तुम्हें होश जाएगा।रामकिशन जी ने मुझ से माफी मांगी और कहा हीरा मुझे तुम्हारे भविष्य की चिंता थी तुम नलिनी को इस हाल में नहीं देख सकते थे ...उसकी डायरी पढ़कर मुझे पता चल गया था कि तुम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हो और नलिनी ने जो कुछ भी तुम्हारे बारे में लिखा उसे पढ़कर मुझे तुम पर गर्व हुआ तुमसे अच्छा लड़का नलिनी के लिए मुझे कहां मिलता पर हालात मेरे बस में नहीं थे मुझे तुम्हारी फिक्र हो रही थी ।डॉक्टरों के हिसाब से नलिनी को होश कब आएगा इसका कुछ पता नहीं था यह भी हो सकता था की होश आने में साल भी लग जायें और नलिनी को इस हालत में देखकर तुम्हारा मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता।

इस एक हफ्ते में तुम्हारी जो हालत मैंने देखी उसे देख कर मुझे एक ही रास्ता दिखाई पड़ रहा था कि मैं तुम्हारी शादी कर दूं जिससे तुम अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त हो जाओ।शगुन से अच्छी कोई लड़की मुझे तुम्हारे लिए नजर नहीं आई।मेरे लिए नलिनी और शगुन में कोई फर्क नहीं है दोनों को ही बचपन से मैंने अपने हाथों में पाला है।नलिनी मैं एक जन्म तो क्या 10 जन्मों तक भी तुम्हारा इंतजार कर सकता हूं।पर तक़दीर ने मेरे साथ ऐसा छल किया कि मुझे मुंह के बल ही उठाकर पटक दिया ...मेरी सारी ख़ुशियाँ मेरे सारे सपने एक पल में ही मुझसे दूर छिटक गए। तुम्हारी जगह अगर मैं होता तो ज्यादा अच्छा होता।

 "तुम सब कुछ संभाल लेतीं। "मेरा ईश्वर जानता है, मैंने सपने में भी तुम्हारे अलावा कभी किसी के बारे में नहीं सोचा।"अब अगर मैं तुम्हारे बारे में सोचूं, तो वह गलत होगा।"नलिनी: "इससे तो अच्छा होता कि मुझे होश ही ना आता।"

हीरा ने उसके मुंह पर हाथ रख दियायह तुम कैसी बात कर रही हो ?तुम्हें पता भी है 3 महीने सबने किस तरह से निकाले हैं ।दादी तो बिस्तर से ही लग गई थी उन्होंने खाना पीना तक छोड़ दिया था। रामकिशन जी अपना दुख कभी किसी से नहीं कहते वह चुप रहने लगे थे जब से तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ है तब से लेकर अब तक वह अपने घर नहीं गए है‌।

अपने सगे बेटे से ज्यादा वो तुम्हें चाहते हैं यह बात तो तुम भी अच्छे सेे जानती हो।

"अब तुम खुद सोचो नलिनी, मैं उस इंसान से क्या कहता,जो अपनों से ज्यादा दूसरों की फिक्र करता है।"

मैं किसी को दोष नहीं देता यह मेरी तकदीर का ही दोष है ख़ुशियाँ मेरे पास आने से पहले ही मुझसे दूर चली जाती हैं।पता नहीं विधाता ने किस पत्थर से मेरी तकदीर लिखी है।

"तकदीर को दोष देने से क्या फायदा ?"

सबका अपना प्रारब्ध है हीरा‌।"शगुन, बहुत अच्छी लडकी है,तुम उसके साथ अपनी नई जिंदगी शुरू करो।"और उस विचारी का कसूर भी क्या है ?उसके साथ तुम्हारा इस तरह का व्यवहार सही नहीं है उसे उसका पूरा हक मिलना चाहिए अब वो तुम्हारी पत्नी है हीरा।

अगर उसकी जगह में होती तो ?

मेरे साथ कोई इस तरह से सलूक करता तो मैं हरगिज बर्दाश्त नहीं करती।

मेरी तरफ से तुम निश्चिंत रहो मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं और शगुन के लिए भी।

नलिनी : अगर तुम चाहती हो कि मैं शगुन को उसके हिस्से की सारी ख़ुशियाँ दूँ तो इसके लिए तुम्हें मुझसे प्रॉमिस करना होगा कि तुम भी किसी अच्छे लड़के से शादी करके अपने जीवन की नई शुरुआत करोगी।

"हां ,हीरा।" जरूर करूंगी।

पर लड़के कोई फल तो हैं नहीं जो पेड़ पर लगते हों और मैं उनमें से अपने पसंद का एक फल चुन लूं और तोड़ कर कहूं, चलो मेरे साथ मुझे तुमसे शादी करनी है।

अगर कोई लड़का मुझे पसंद आया तो मैं तुमसे वादा करती हूं मैं उससे शादी कर लूंगीं।

हीरा मैं सोचती हूं अगर ऐसा ही करना था तो भगवान ने हमें मिलाया ही क्यों था ?हमारी खुशी उससे भी नहीं देखी गईं ? रामकिशन जी ने मेरे लिए क्या नहीं किया उन्होंने एक अनाथ को पलकों पर बिठाकर पाला है।उनकी बात का मान रखना मेरा फर्ज है, और अपनाा फर्ज मैं पूरी इमानदारी के साथ निभाऊंगी।नलिनी मैं भी उनकी बहुत इज्ज़त करता हूं।आज के समय में तो लोग अपने खून के रिश्तो पर भरोसा नहीं करते उन्होंने मुझ पर आँख बंद करके भरोसा किया है मैं चाह कर भी कभी उनके ॠण से उॠण नहीं हो सकता।"हां, हीरा तुम सही कह रहे हो।

यह तो हमारी तक़दीरों का ही दोष है।

हम तो उस दिन अनगिनत सपने अपनी आंखों में लेकर मंदिर गए थे हमें नहीं पता था कि आने वाला पल हमारी ज़िंदगी ही बदल के रख देगा।भगवान जो करता है उसमें कुछ ना कुछ अच्छा ही होता है और अब हमें उसके आगे नतमस्तक हो जाना चाहिए और अपनी जिंदगी उसके भरोसे छोड़ कर आगे बढ़ना चाहिए। बात करते-करते काफी रात बीत गई पता नहीं चला दोनों कब सोए। सुबह रामकिशन जी नलिनी के लिए चाय नाश्ता लेकर आए और उन्होंने मुझसे कहा हीरा तुम घर जाकर नहा धोकर खाना खााओ और आते समय मेरा और नलिनी का खाने का टिफिन ले आना।घ र पहुंच कर शगुन की आंखों में मैंने अपने लिए इंतजार देखा....

उसने मुंह से कुछ नहीं कहा पर उसकी आंखों बिन कहे मुझसे शिकायत कर रहीं थी ।अगर तुम मुझे ऐसे ही देखती रहोगी तो मैं अंदर नहीं आ पाऊंगा ।वह बुरी तरह झेंप गई। सुनो चाय की सख़्त जरूरत महसूस हो रही है...एक कप चाय पिला दो और साथ में कुछ खाने के लिए भी है तो वो भी दे दो बहुत जोर से भूख लग रही है। आप नहा धोकर फ्रेश हो जाइये तब तक मैं चाय बना कर लाती हूं। नहा कर चाय नाश्ता करके मैं ऊपर कमरे में जाकर लेट गया पता नहीं चला कब नींद लगी 4:00 बजे करीब मेरी नींद खुली मैं हड़बड़ा कर उठा देखा शगुन पास में बैठकर कोई किताब पढ़ रही थी मैंने उससे बोला तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं मुझे हॉस्पिटल खाना लेकर जाना था दादी ने मुझे आपको उठाने के लिए मना किया था उन्होंने कहा उसको सोने दे जाने कितने दिनों बाद वह चैन से सो रहा है कितनी ही रातों की नींद उसकी आंखों में होगी। हां शगुन, दादी ठीक कह रहीं थीं।


आज नलिनी को हँसते बोलते देखकर मेरे मन पर रखा बोझ उतर गया।

कहीं ना कहीं मुझे लगता था की मेरी वजह से ही नलिनी की यह हालत हुई है।तुम रामकिशन जी और नलिनी के लिए टिफिन लगा दो वो मेरा इंतजार कर रहे होंगे।हीरा जब हॉस्पिटल पहुंचा उसने देखा रामकिशन जी कॉरीडोर में टहल रहे थे.. उसे देख कर वो उसके पास आए ।माफ कीजिए चाय नाश्ता करके लेटा तो नींद लग गई और किसी ने मुझे उठाया भी नहीं।कोई बात नहीं बेटा अच्छा है सो लिए...नींद पूरी होना भी जरूरी है।

नलिनी से कुछ बात हुई ?

"जी हां।"

आप बेफिक्र रहें,मैंने उसे सब कुछ बता दिया है।

चलिए अब आप खाना खा लीजिए बहुत टाइम हो गया है।नलिनी सो रही थी रामकिशन जी के हाथ से टिफिन का ढक्कन नीचे गिर गया और उसकी नींद खुल गई जब उसने रामकिशन को खाना खाते देखा तो वह बोली मुझे भी खाना खाना है बहुत जोर से भूख लग रही है ।आ जाओ तुम भी मेरे साथ खा लो।नलिनी को इस तरह खाना खाते देख ही दोनों खुश हो गये,अब उन्हें लगा कि नलिनी पूरी तरह से ठीक है।

हीरा के मोबाइल पर नील का कॉल आ रहा था।

"हेलो सर।"

आप कहां पर हैं ?

मैं यहां हॉस्पिटल में आ गया हूं।

गुड इवनिंग सर।

गुड इवनिंग हीरा।

 कैसे हो तुम ?

और नलिनी की तबियत अब कैसी है ?

मैं बहुत अच्छा हूं सर।

नलिनी की तबियत भी अब बेहतर है।

आइए आपको नलिनी से मिलवाता हूं।

रामकिशन जी ने नील को देखा तो खड़े हो गए बोले आओ बेटा

नील ने हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते किया।

नलिनी इनसे मिलो ये नील सर है।

हेलो सर।

नील ने मुस्कुराकर हेलो कहा ... अब आपकी तबीयत कैसी है?

मैं बिल्कुल ठीक हूं सर।

यह बहुत अच्छी बात है।

नलिनी तुम्हें याद है ना मैंने तुम्हें इंटरव्यू के लिए बताया था।

"हां हीरा।"

मुझे सब याद है।

नील: वह पोस्ट अभी भी आपके लिए वैकेंट है। 

नलिनी : सर मुझे काम का कोई एक्सपीरियंस नहीं है।

नील: आप उसकी फिक्र ना करें 1 हफ्ते में हम आपको ट्रेंड कर देंगे।

हम चाहते हैं आप जल्दी से ठीक हो कर इसी महीने में ऑफिस ज्वाइन कर लें।अभी कोई महिला अधिकारी नहीं होने के कारण टीम के वर्कर्स ठीक से अपना काम नहीं कर पा रहे हैं।

हीरा ने आपके बारे में मुझे सब बताया है हमें भी आपके जैसे मेहनती और काम के प्रति ईमानदार ऑफिसर्स चाहिए।

 हम लोग अपना एनजीओ चलाते हैं जिसमें आस-पास के गांव में जाकर महिलाओं और बच्चियों को हेल्थ और हाइजीन की जानकारी दी जाती है।

साथ ही बलात्कार की शिकार बच्चियों और महिलाओं को उस सदमे से बाहर निकालने में हमारी एनजीओ की टीम उनकी मदद करती है और उन्हें सिलाई, कढ़ाई, बुनाई ब्यूटीशियन के कोर्स करवाए जाते हैं।

साथ ही जो काम महिलाएं कर सकती हैं जैसे पापड़ ,बड़ी बनाना अचार डालना तो इसके लिए हम उन्हें लोन भी देते हैं जिससे वो अपना काम शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकें।

बच्चियों को स्कूल में एडमिशन करवाते हैं जहां पर बिना फीस के उन लोगों को यूनिफार्म,किताबें हमारा एनजीओ ही उपलब्ध करवाता है।

तलाकशुदा लड़कियाँ ,महिलाएं जो पढ़ी लिखी है उन्हें हम स्कूल में टीचर की जॉब देते हैं जिससे वह अपना खर्चा खुद निकाल सकें ।

हमारे एनजीओ का उद्देश्य हमारे ग्रामीण अंचल की महिलाओं और बच्चियों को शिक्षित कर उन्हें रोजगार देना है कुछ संस्थाएं इसमें हमारी मदद भी करती हैं समय-समय पर उनकी टीम सर्वे के लिए आती है।

 इस महीने के अंत तक ही आप ऑफिस ज्वाइन कर ले आप अधिकारी के रूप में काम करेंगीं आपके अंडर में आपकी टीम रहेगी 

ड्राइवर और गाड़ी आपको एनजीओ की तरफ से ही मिलेगी।

हां, घर आपको खुद देखना पड़ेगा अगर आप चाहे तो इसमें आपकी मदद मैं कर सकता हूं।

 मेरे एक कर्मचारी का क्वार्टर है ऊपर के पोर्शन में उसकी फैमिली रहती है नीचे का पोर्शन वो रेंट पर देते हैं जिसमें वो फैमिली को नहीं रखते पढ़ने वाले लड़के या लड़कियों को ही रेंट पर देते हैं।

आप चाहें तो मैं उनसे बात कर सकता हूं जिससे वह किसी और को उसे रेंट पर ना दे।

उनकेे परिवार के साथ में रहने की वजह से आपको अकेलापन भी महसूस नहीं होगा।

ठीक है सर आप मुझे 2 दिन का वक्त दीजिए

ठीक है नलिनी तुम आराम से सोच कर मुझे जवाब दो।

नील: काफी वक्त हो गया अब मैं निकलता हूं।

रामकिशन जी :बेटा कल रात का खाना आप हम लोग के साथ खाओगे तो हमें बहुत खुशी होगी।

अरे इस तकल्लुफ की क्या जरूरत है।

तकल्लुफ नहीं बेटा, 3 महीने बाद कल नलिनी घर लौटेगी..कल का दिन हमारे लिए दिवाली जैसा ही समझ लीजिये।

जी मैं जरूर आऊंगा।

 अब इजाज़त दीजिए।

नलिनी तुम चाहो तो बेटा आराम कर लो बहुत देर हो गई है बात करते हुए तुम्हें नहीं मैं ठीक हूं इतने टाइम से सो ही रही थी।

"हां बिटिया, यह तो तुम ठीक कह रही हो। तुम्हारी नींद से तो हम सब परेशान हो गए थे और तुम्हारे जागने की प्रार्थना कर रहे थे भगवान दुश्मन को भी ऐसी नींद ना दे।"

हीरा: कल सुबह बजे डिस्चार्ज कर देंगे बिल तो सारे क्लियर हैं।

दूसरे दिन सुबह दादी 4:00 बजे ही उठ गई और नहा कर भगवान की पूजा कर प्रसाद चढ़ा दिया मनसा को उन्होंने एक दिन पहले ही बोल दिया था सारा खाना नलिनी के पसंद का बनना चाहिए।

मां सा आप फिकर मत करो सब कुछ बिटिया के पसंद का ही बनेगा।

दादी मैंने नलिनी का कमरा बहुत अच्छे से जमा दिया देखना वह देखते ही खुश हो जाएंगी।

कुछ तो वो तुझे देखकर ही हो जाएगी।

हीरा ने नलिनी का सारा सामान गाड़ी में रख दिया।

पंडित जी ने चौघड़िया देख कर घर जाने का मुहूर्त निकाला दिन के 2:00 बजे का शुभ का चौघड़िया था उन्होंने नलिनी को उस समय ही हॉस्पिटल से बाहर निकलने को कहा।

इस एक्सीडेंट के बाद से सब इतना डर गए थे हर कदम सोच समझकर रख रहे थे।

पहली बार ऐसा होगा जब इतने सालों में रामकिशन जी ने पंडित जी से चौघड़िया निकलवाया।

वह तो भगवान के भरोसे चलने वाले इंसान थे पर बात नलिनी की थी ईश्वर ने उसे दूसरी जिंदगी दी है अपनी तरफ से वह कोई चूक करना नहीं चाहते।

आओ बिटिया गाड़ी में बैठो।

घर पहुंचने पर दादी ने नींबू नमक मिर्ची राई सबसे उसकी नजर उतारी वह परेशान हो गई दादी अब बस करो।

दादी  

नलिनी दादी को देखकर उनसे लिपट गई दादी ने उसके सर पर हाथ रखकर उसे आशीर्वाद दिया और अपने कलेजे से चिपका लिया दादी की आंखों से आंसू बहते जा रहे थे मनसा काकी का भी यही हाल था उन्हें देखकर बाकी सब की आंखें भर आई।

रामकिशन जी बोले दादी पोती मिलकर गंगा जमुना बहाना बंद करो।

नलिनी बोली मैं ऊपर अपने कमरे में जाऊं?

हां बिटिया जाकर नहा धो लो तो तुम्हें अच्छा लगेगा।

हीरा तू भी जा आराम कर ले शगुन बेटा तू उसके लिए चाय ले जा तू भी कुछ देर आराम कर ले शाम को हीरा के बॉस घर पर खाने के लिए आएंगे रसोई में तू मनसा की मदद कर देना।

नलिनी के आने से घर में रौनक सी आ गई ठहरी हुई जिंदगी फिर से पटरी पर दौड़ने लगी।

अपने कमरे में पहुँचकर नलिनी को सब कुछ याद आ रहा था कितनी खुश थी वो उस दिन जब हीरा के साथ मंदिर जा रही थी।

 तब उसे कहां पता था कि जब घर लौट कर आएगी तो उसकी जिंदगी ही बदल जाएगी उसका प्यार अपना नहीं रह जाएगा।

हीरा के बिना जीने की बात सोच कर भी उसका कलेजा बैठा जा रहा था उसने अंदर से कमरे का दरवाजा लगा लिया और अपने प्रेम की मौत पर मातम मनाने लगी जो भी था वह सब कुछ अब भूल जाना चाहती थी वह जानती थी अगर यह नहीं किया तो उसका जीना मुश्किल हो जाएगा।

अपनी आंखों के सामने किसी और के साथ हीरा को देखना किसी सजा से कम नहीं था पर अब यही उसका सच था। उसकी आत्मा रो रही थी काश, काश के पहले ही पता होता तो वह कभी हीरा के साथ इतना आगे नहीं बढ़ती।

हे भगवान, ये किस तरह की परीक्षा लेते हो तुम हर बार मेरी ?

जन्म देते ही मां के आंचल से दूर कर दिया प्यार दिया तो उससे भी जुदा कर दिया।

 मेरे किस गुनाह की सजा है ये मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?

काश मैं कभी ठीक ना होती तो अच्छा था इस तरह जीना कितना मुश्किल होगा मेरे लिए मैं किसी को अपने मन की बात कैसे समझाऊं।

हीरा से मैं अब कुछ कह नहीं सकती मैं नहीं चाहती मेरे वजह से शगुन और हीरा की जिंदगी तबाह हो।

ईश्वर मुझे शक्ति दे इन सब उलझनो से मुझे बाहर निकाल मेरी मदद कर।

आंसू भी कब तक बहते उनकी भी अपनी एक म्याद होती है।

रो रोकर नलिनी थक गई और सो गई।


नील भाग _७१




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