नील उपन्यास
नील उपन्यास


भाग ७२से ७५
6:00 बजे करीब शगुन ने नलिनी का दरवाजा खटखटाया नलिनी ने उठकर दरवाजा खोला देखा सामने शगुन ट्रे में चाय बिस्किट लेकर खड़ी हुई थी!आओ शगुन अंदर आ जाओ!
चाय की ट्रे टेबल पर रख दो और आराम से बैठो!
देखो मैं तो तुम्हारी और हीरा की शादी भी नहीं देख पाई इसका मुझे बहुत बुरा लग रहा है तुम्हारी शादी में डांस करने का मेरा सपना अधूरा ही रह गया!
आपके बिना शादी शादी जैसी ही नहीं थी बस एक फॉर्मेलिटी थी जो पूरी हो गई!
परिवार के भी कोई लोग नहीं आए ....
मामा जी ने कोर्ट में शादी करवाई और 1 दिन के लिए हम हीरा के गांव गए बस !
आप हॉस्पिटल में थी तो मन किसी का भी अच्छा नहीं था!
मुझे यह बात समझ में नहीं आयी मामा जी को शादी की इतनी जल्दी क्यों थी ...और मां से कुछ कहने से कोई फायदा ही नहीं था वो तो वही करती हैं जो मामा जी कहते हैं!
कोई बात नहीं शगुन हीरा बहुत अच्छा लड़का है रही दोस्तों की बात तो तुम लोगों के जाने से पहले 1 दिन पार्टी रख लेंगे और मेहंदी और संगीत भी !
तुम अपनी सारी सहेलियों को बुला लेना!
तुम्हारी फर्स्ट नाइट की सारी तैयारियां मैं करूंगी आखिर तुम मेरी बड़ी बहन हो...और हां, इस बारे में तुम हीरा को कुछ भी नहीं बताओगी !
मेरी तबीयत की वजह से ही तुम्हारी शादी इतनी जल्दी बाजी में हुई है उसकी कसर तो पूरी करना ही है...शादी के बाद भी अभी तक तुम कुंवारी ही हो!
नलिनी तुम कितनी अच्छी हो सब लोग इसलिए तुम्हें इतना प्यार करते हैं।
नील सर आज डिनर पर आने वाले हैं
तुम भी जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जाना मैंने दही बड़ा, मूंग की दाल की कचोरी ,शाही पनीर मसाला और कस्टर्ड बनाया है बाकि का सारा खाना मनसा काकी ने बनाया है!
दादी ने मुझे आपकी पसंद बता दी थी और उन्होंने कल ही रात में कह दिया था आज का सारा खाना नलिनी के पसंद का बनेगा वह आपसे बहुत प्यार करती हैं सुबह 4:00 बजे से उठी हुई हैं आज वो!
हां शगुन, इस मामले में मैं बहुत भाग्यशाली हूं ।
मामा जी और दादी मुझे बहुत प्यार करते हैं मैं बहुत छोटी थी तब से दादी अपना घर छोड़कर मेरे साथ रह रही हैं !
उन्होंनेे मुझे किसी चीज के लिए कभी मना नहीं किया
चलो हम नीचे चलते हैं...
नील सर आने ही वाले होंगे
हमारी बातें तो खत्म होने से रहीं कल हम आराम से बातें करेंगे!
नलिनी तुम ठीक कह रही हो !
मैं नीचे जाती हूं तुम कपड़े बदल कर आ जाओ!
नलिनी अपनी कपड़ों की अलमारी खोलती है पिंक कलर का कुर्ता और ब्लू जींस निकाल कर पहनती है!
कितने समय बाद आज उसने खुद को आईने में देखा बालों को उसने खुला ही रखा ..सबसे पहले उसने मस्करा लगाया उसके ऊपर हल्का सा फाउंडेशन अप्लाई करा और फिर पलकों पर थोड़ा सा मस्करा आंखों पर आई लाइनर और गहरा काजल लगाया होंठों पर नेचुरल रेड लिपस्टिक लगाकर उसने खुद को आईने में देखा ।
आज उसे खुद पर ही प्यार आ रहा था और अब उसने सोच लिया था अब से वह खुद से भी प्यार करेगी...
हीरा के बताएं एड्रेस पर पहुंचकर नील ने उसे कॉल किया!
हेलो सर ।
हीरा में तुम्हारे बताये हुए एड्रेस पर आ गया हूं।
" मैं आता हूं!"
हीरा ने दरवाजा खोल कर नील का स्वागत किया आइए सर हम लोग आपका ही इंतजार कर रहे थे!
नील के हाथ में बड़ा सा बुके था
राम किशन जी : आओ बेटा!
नील ने हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते किया ।और दादी के पैर छुए ..दादी ने खूब आशीर्वाद दिया।
नील को देखकर दादी ने मन में सोचा मेरी नलिनी के लिए ऐसा ही सुंदर सा लड़का मिल जाए!
सब लोग ड्राइंग रूम में बैठकर बात करने लगे रामकिशन जी ने देखा नलिनी वहां नहीं थी उन्होंने शगुन से कहा कि वह नलिनी को बुला ले!
तब तक नलिनी नीचे आ गई थी उसने हाथ जोड़कर नील को नमस्ते किया।
नील ने मुस्कुराकर बुके नलिनी को दिया उसकी निगाह नलिनी से हटने का नाम नहीं ले रही थी आज वो बहुत सुंदर लग रही थी
इसके पहले नील ने जब उसे देखा तो वह हॉस्पिटल में थी उसका यह रूप देखकर वह हैरान रह गया!
इतने दिनों बाद नलिनी को घर पर देखकर दादी, रामकिशन जी ,हीरा, मनसा काकी, शगुन सबको अच्छा लग रहा था और वह इतनी प्यारी लग रही थी की दादी और काकी तो फिक्र हो रही थी कि उसे उनकी नज़र न लग जाए
सब लोग बातचीत करने लगे नील ने नोटिस किया नलिनी सिर्फ दिखने में ही सुंदर नहीं ,इंटेलिजेंट भी है उसका सेंस ऑफ ह्यूमर ,बात करने का तरीका सब कुछ और लड़कियों से बहुत अलग था ।
बात करते वक्त एक दो बार उसकी और नील की नजर आपस में टकराई ।
नलिनी ने इस बात पर गौर किया नील का बात करने का तरीका बहुत अच्छा था बहुत ज्यादा बोलने की जगह वह टू द प्वाइंट बात कर रहा था ब्लू जींस के साथ डेनिम की ब्लू शर्ट उस पर बहुत अच्छी लग रही थी उसके नाम के जैसी ही उसकी आंखें गहरी नीली थी बाल थोड़े से बड़े और गोल्डन कलर के वह फॉरेनर् जैसा ही लग रहा था!
नलिनी ने खुद को भी डांटा मैं इस तरह से नील को क्यों नोटिस कर रही हूं क्या चीज है जो मुझे उसकी तरफ खींच रही है!
खाना टेबल पर लग गया था !
रामकिशन जी ने सबसे खाना खाने के लिए कहा खाना बहुत स्वादिष्ट बना था सब लोग खा कर उंगलियों चाट रहे थे ..
इतने दिनों बाद आज घर पर खाना खाकर नलिनी को बहुत अच्छा लग रहा था!
उसने इतने अच्छे खाने के लिए शगुन और मनसा काकी को थैंक्यू बोला!
नील बोला इतना अच्छा खाना जाने कितने समय के बाद खाया है !
जिन्होंने भी खाना बनाया है उनको बहुत धन्यवाद खाना सच में बहुत स्वादिष्ट बना है!
हीरा आज बहुत चुप था अब वो यहां रुकना नहीं चाहता था!
उसे लग रहा था वो नलिनी से जितना दूर रहेगा उतना ही उसके और नलिनी के लिए अच्छा है!
नील ने नलिनी से कहा एक-दो दिन में आप सोच कर मुझे बताइए और अपना कार्ड उसने नलिनी को दिया ।
जी सर मैं तो दिन में आपको कॉल करती हूं
हम जल्दी ही साथ में काम करेंगे !
वो दादी से बोला दादी जी आपसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा आपका घर परिवार बहुत अच्छा है बहुत सुकून है आपके घर में ।
इतना स्वादिष्ट खाना तो मैंने जाने कितने समय के बाद खाया है..
दादी के पैर छूकर उसने रामकिशन जी से हाथ जोड़कर जाने की इजाज़त मांगी !
हीरा नील को बाहर तक छोड़ने गया तुम यहां कब तक हो?
सर ज्यादा से ज्यादा 2 दिन और आगे जैसा राम किशन जी कहें!
ठीक है तुम्हे जो ठीक लगे उस हिसाब से करो!
मेरी आज लेट नाइट की ट्रेन है, तो आज मैं निकल जाऊंगा फिर अपनी मुलाकात होगी आज बहुत अच्छा लगा तुम सबके साथ टाइम बिता कर,,,
नलिनी को मैंने सब समझा दिया है जितनी जल्दी नौकरी ज्वाइन कर लेगी उसके लिए अच्छा रहेगा !
क्योंकि खाली रहेगी तो उसके दिमाग में कुछ ना कुछ चलता रहेगा!
सर आप ठीक कह रहे हैं मैं इस बारे में नलिनी से बात करूंगा!
गुड नाइट हीरा ।
गुड नाइट सर।
नील भाग _७२
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नील को छोड़कर हीरा ने अंदर आकर दरवाजा बंद कर लिया।सभी लोग ड्राइंग रूम में बैठे हुए थे... दादी ने हीरा से कहा नील बहुत अच्छा लड़का है आजकल तो सगे रिश्तेदार भी बिना मतलब के किसी से कोई बात नहीं करते।
वह नलिनी बिटिया की तबीयत देखने भी आया और उसकी नौकरी के लिए भी आगे से ही बात करी उसने!
नलिनी बिटिया अगर तुम चाहो तो नील के ऑफिस में काम कर सकती हो।
इससे तुम्हारा मन भी लगा रहेगा और अपने पैरों पर खड़ी होने के साथ ही काम की बारीकियां भी सीख जाओगी!
अभी तो तुम्हारे पास बहुत वक्त है तुम सोच समझ कर जो तुम्हें सही लगे तुम वही निर्णय लो।
जी दादी मैं भी सोच रही हूं की मैं नील सर को हां कह दूं!
यूं भी खाली बैठकर घर पर मैं क्या करूंगी!
हीरा : मैं सोच रहा हूं की बुधवार को मैं वापस निकल जाऊं और गुरुवार से अपना ऑफिस जॉइन कर लूं!
रामकिशन बोले अभी सब जाकर आराम करो कल दिन में आराम से बात करेंगे जो ठीक रहेगा वही निर्णय लेंगे!
नलिनी तुम भी जाकर अब आराम करो थक गई होगी!
आज मैं मेरी दादी के पास सोऊंगी!
ठीक है, दादी के पास सो जाओ!
नलिनी ऊपर कपड़े बदलने गई उसने अपनी अलमारी खोली और अपनी मां की लिखी हुई चिट्ठी अपनी फाइल में से निकाली और उसे देखने लगी फिर पता नहीं उसके मन में क्या आया उसने सोचा जब इतने समय तक मैंने अपनी मां की चिट्ठी नहीं खोली तो कुछ दिन और सही !ऑफिस ज्वाइन करने के बाद में वहां पर अकेली रहूंगी तो वक्त भी बहुत मिलेगा। जब तक मैं यहां हूं तब तक मैं यह चिट्ठी नहीं खोलूंगी पता नहीं इसको पढ़ने के बाद मेरी जिंदगी में क्या बदलाव आए!
अब जॉब जॉइन करने के बाद ही में चिट्ठी खोलकर पढ़ूंगी .... मेरी जिंदगी मुझे एक अलग रास्ते पर ले जाएगी और यह मेरे लिए भी अच्छा होगा मैं अपने जन्म की सच्चाई जान पाऊंगी !
दादी रामकिशन जी पंडित जी इन्होंने मेरे लिए जो भी किया है इसे में कभी नहीं भुला सकती इसलिए इस घर में मैं जो हूं हमेशा वैसी ही बन के रहूंगी यहां से जाने के बाद मेरी जिंदगी एक नया मोड़ लेगी और अपनी जिंदगी की नई किताब के पन्ने पलट कर पढ़ने के लिए मैं अब खुद से तैयार हूं!
जाने से पहले एक काम अभी बाकी है जो मुझे पूरा करना है मेरी वजह से हीरा ने शगुन के साथ जो नाइंसाफी की है अब उसकी भरपाई करने का वक्त आ गया है शगुन के हिस्से की खुशियां उसे मिलनी ही चाहिए मैं आज दादी मां से बात करती हूं हीरा और शगुन के जाने से पहले उनकी शादी की जो रस्में छूट गई है वह पूरी करना बहुत जरूरी है!
कपड़े बदल कर नलिनी ने अपनी मां की चिट्ठी अलमारी में संभाल कर रख दी!
और नीचे दादी के पास जाकर उनसे बोली मुझे आपसे कुछ बहुत जरूरी बात करना है!
क्या बात है बोलो बिटिया ?
दादी हीरा और शगुन की शादी में मैं शामिल नहीं हो पाई थी!
और दोनों की शादी बहुत जल्दी में हुई थी तो क्यों ना हम उन दोनों के जाने से पहले मेहंदी और संगीत का कार्यक्रम रखें उसमें मेरी और शगुन की सहेलियों को हम बुलाएं और आसपास के कुछ खास लोगों को हम इनवाइट करें !
अभी तक शगुन शादीशुदा होकर भी कुंवारी ही है तो मैं चाहती हूं कि उसका कमरा मैं खुद सजाऊं !
हीरा ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है उसकी खुशी के लिए मैं कुछ भी करूं कम ही होगा!
ठीक है बिटिया एक बार रामकिशन से और पूछ ले!
हां दादी मैं उनसे भी पूछती हूं अभी...
नलिनी बिटिया तुम ने सही सोचा है तुम्हें जो ठीक लगे वह करो मेरी तरफ से कोई मना नहीं है!
अरे आप यहीं पर थे ....
हां बेटा मैं किचन में पानी पीने आया था तो तुम्हारी बात सुनी मुझे बहुत अच्छा लगा तुमने अपनी बड़ी बहन के लिए इतना सोचा!
अब सो जाओ बहुत रात हो गई है!
नलिनी दादी के पास लेट गई
दादी के हाथों की थपकी से कुछ देर में ही उसे नींद आ गई!
सुबह नलिनी देर तक सोती रही....
शगुन ने सबको चाय दी !
रामकिशन जी ने हीरा से कहा बेटा दो-तीन दिन और ठहर जाओ रविवार का तुम अपना और शगुन का रिजर्वेशन करवा लो अब बार-बार तुम्हारा भी आना नहीं होगा नलिनी भी चली जाएगी तो उसका भी आना मुश्किल होगा !
हीरा:जैसा आप कहें!
दादी ने नलिनी को उठाया: बिटिया उठ जाओ!
उसकी आंखों मे नींद भरी हुई थी।
दोनों हाथों से उसने अपनी आंखों को मला पर उसकी आंख खुल नहीं पा रही थी!
उसनेे उठकर ब्रश किया और आंखों में ठंडे पानी के छींटे मारे!
शगुन उसके लिए अदरक वाली चाय बनाकर लाई ...
बहुत अच्छी चाय बनाई है तुमने ...चाय का घूंट मुंह में लेकर नलिनी बोली !
मेरी सारी नींद गायब हो गई!
शगुन तुम मेरे साथ ऊपर चलो मुझे कुछ लिस्ट तैयार करनी है उसमें तुम्हारी मदद की जरूरत है!
कमरे में आकर नलिनी दरवाजा बंद कर लेती है
तुम अपने जिन फ्रेंड्स को बुलाना चाहती हो उनके नाम नोट कर लो
देखो मैंने प्लान किया है कि कल मेहंदी और संगीत का छोटा सा फंक्शन कर लेते हैं 4_5 मेरी फ्रेंड है और तुम्हारी कितनी है बता दो ..?
मेहंदी वाली को मैं आज बोल दूंगी कल दिन में 11:00 बजे उसको बुला लेंगे।
तुम अपनी ड्रेस बताओ कौन सी ड्रेस पहनोगी ?
उसकी मैचिंग की चूड़ी अगर नहीं है तो तुम हीरा के साथ जाकर ले आओ !
शाम ५ से ७ में संगीत पहले महिला संगीत उसके बाद डांस मस्ती जो भी चाहें सब फ्रेंड्स के साथ मिलकर कर सकते हैं!
8:00 बजे का डिनर का टाइम रखा है !
तुम अपनी और हीरा की ड्रेस तुम्हारे तैयार होने का सामान मतलब जो भी तुम्हारी जरूरत की चीजें हो वो मेरे रूम में लाकर रख देना...… रात से पहले तुम लोगों को कमरे में जाने को नहीं मिलेगा!
शगुन बोली इतना सब करने की क्या जरूरत है इन्हें पता चलेगा तो नाराज होंगे तुम उसकी फिक्र मत करो हीरा को मैं देख लूंगी तुम बस अपने कपड़े और हीरा के कपड़े निकाल कर रख लो मेहंदी लगाने के बाद तुम कपड़े नहीं निकाल पाओगी!
अब सुनो तुम अपनी फ्रेंड्स को फोन करके कल का टाइम बता दो कल तुम्हें बिल्कुल टाइम नहीं मिलेगा क्योंकि तुम सुबह उठकर कपड़े वगैरह निकाल कर तैयार होगी तब तक मेहंदी वाली आ जाएगी दो से ढाई घंटा तो मेहंदी लगाने में लग जाएगा!
आज शाम को तुम मेरे साथ पार्लर चल देना बाकी के जितने काम हैं मैं शाम तक खत्म कर लूंगी!
महिला संगीत में कॉलोनी की जो लेडीज आएंगी उनको बांटने के लिए लड्डू अपन अभी मार्केट चलेंगे तब खरीद लाएंगे!
हीरा के कपड़े का तुम देख लेना उसको मेहंदी और संगीत का बताना बस!
चलो में नीचे जाती हूं कल के खाने के लिए बात करनी है और मेहंदी में जो फ्रेंडस आएंगी उनके लिए नाश्ते की व्यवस्था करनी है!
नलिनी बिटिया क्या कर रही हो तुम?
कुछ नहीं दादी शगुन को कल के बारे में बता रही थी!
मनसा काकी अंकिता आंटी से मेहंदी वाली का फोन नंबर ले लो ?
हां बिटिया मैं पूछ कर बताती हूं!
काकी नंबर लेकर आप ही मेहंदी वाली को कल मेहंदी लगाने के लिए बोल दो !
शगुन के हाथ पैर दोनों मैं मेहंदी लगेगी ..…और बाकी जिन्हें भी लगवाना हो 4_5 लोगों का बोल दो आप!
ठीक है बिटिया मैं 10:30 बजे का टाइम दे देती हूं!
रामकिशन जी: नलिनी कल के लिए क्या सामान चाहिए तुम मुझे बता दो !
नलिनी: सब मिलाकर 15 से 20 लोग का खाना बनेगा, का्लोनी के कुछ लोग हैं और शगुन की और मेरी सहेलियां!
आप किसी खाना बनाने वाले को बोल दो या आर्डर करके मंगवा लो इतने लोगों का खाना!
रामकिशन जी: ये ज्यादा अच्छा रहेगा हम 25 लोगों का खाना मंगवा लेंगे!
आप मुझे मार्केट ले चलो हीरा और शगुन के लिए ड्रेस खरीदनी है !
ठीक है तुम तैयार हो जाओ फिर चलते हैं..
नलिनी तैयार होकर शगुन से उसके पसंद के कलर का ब्लाउज लेकर आती है चलिए!
रामकिशन जी के साथ वो शगुन के लिए बहुत सुंदर बेस और उससे मैचिंग की चूड़ियां खरीदती है हीरा के लिए उस से मैच करते कलर का चूड़ीदार पजामा सिल्क का कुर्ता और स्ट्राल !
वहीं से वो फ्लावर डेकोरेशन वाले को रूम डेकोरेशन के लिए आर्डर देती है!
रामकिशन जी सुबह के लिए मिठाई और नमकीन खरीद लेते हैं!
भाग दौड़ में दिन कैसे निकलता है पता ही नहीं चलता नलिनी बुरी तरह से थक जाती है!
उसके पैरों में बहुत दर्द हो रहा था मनसा काकी ने तेल गर्म करके उसके पैर के तलवों की मालिश की!
चलो बिटिया कुछ खा लो आज पूरा दिन हो गया शगुन भी तुम्हारे इंतजार में बैठी है!
ठीक है काकी आप खाना लगा दो नलिनी और शगुन दोनों बैठ कर खाना खाती हैं घड़ी में टाइम देखने पर पता चला कि 5:00 बज रहे है नलिनी दादी से बोलकर शगुन को पार्लर लेकर जाती है !
उन्हें घर पहुंचते-पहुंचते 8:00 बज जाते हैं!
नलिनी काकी से बोलती है कि वो उसे एक कप गर्म कॉफी पिला दें !
दादी और शगुन को वो उसकी और हीरा की ड्रेस दिखाती है शगुन ड्रेस देखकर खुश हो जाती हैं...
नलिनी तुम कितनी प्यारी ड्रेस लाइ हो पता नहीं कब से इस तरह का बेस पहनने का मेरा मन था वह नलिनी को गले से लगा लेती है और थैंक यू बोलती है!
शगुन मैं चाहती हूं तुम और हीरा बहुत खुश रहो हीरा मन से बहुत अच्छा है तुम उसका ध्यान रखना!
शगुन: मैं अपनी तरफ से उन्हें कभी कोई तकलीफ नहीं होने दूंगी तुम चिंता मत करो!
नलिनी:मैं सोने जा रही हूं मुझे बहुत तेज नींद आ रही है दादी!
दादी: ठीक है बिटिया सो जाओ वैसे भी आज पूरा दिन हो गया है तुम्हें ...कल दिन भर बहुत काम है तुम सुबह टाइम से उठ जाना!
हां दादी आप चिंता नहीं करो!
नलिनी आज बहुत थक गई थी कमरे में आकर पलंग पर लेटी और कुछ देर में ही उसे नींद लग गई !
नींद में उसने बहुत डरावना सपना देखा.. कुछ नकाबपोश लोगों ने उन्हें चारों ओर से घेर रखा है उनमें से एक हीरा को उससे छीन रहा है उसने कस के हीरा का हाथ पकड़ लिया तभी घबराकर उसकी नींद खुल गई वो पसीने में पूरी तरह से भीगी हुई थी उसने जग से गिलास में पानी डाला और एक ही सांस में पूरा पी लिया!
उसकी आंखों से बहते आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे उसनेअपने मन को समझाने की बहुत कोशिश की आंख बंद करके फिर से सोने की कोशिश करने लगी बीते समय की मधुर यादें उसकी आंखों में चलचित्र की भांति घूम रही थी उसने कसके अपनी आंखें बंद कर ली। वह अपने सच से दूर भाग जाना चाहती थी कुछ ही देर में नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया!
शगुन और हीरा अपने कमरे में पहुंचे शगुन ने हीरा को बताया कल घर में मेहंदी और संगीत की रस्म है।
हमारी शादी के वक्त यह रस्म नहीं हो पाई थी तो दादी और नलिनी ने हमारे दिल्ली जाने से पहले एक छोटा सा कार्यक्रम रखा है जिसमें मेरी और नलिनी की फ्रेंड्स और कॉलोनी के कुछ लोग रहेंगे!
आप अपनी कल पहनने वाली ड्रेस निकाल लें कल का पूरा दिन व्यस्त रहेगा और नलिनी और मेरी जो फ्रेंड्स आएंगी वो इस रूम में ही रहेंगी नलिनी का और हमारा दोनों कमरे इंगेज रहेंगें !
आपको रात से पहले यहां आने नहीं मिलेगा इसलिए आप अपनी ड्रेस निकाल कर मुझे दे दें तो मैं नीचे अपने कपड़ों के साथ आपके भी कपड़े रख लूंगी !
यह सब करने की अभी क्या जरूरत थी तुमने मना क्यों नहीं किया ?
मैंने मना किया था पर नलिनी और दादी ने मेरी कोई बात नहीं सुनी!
हीरा बोलता रहा पर जब शगुन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया!
उसने पलटकर शगुन की तरफ देखा उससे बात करते-करते वो सो गई थी!
पर उसे नींद नहीं आ रही थी आज उसे बहुत अटपटा सा लग रहा था इतने सालों में पहली बार ऐसा हुआ कि नलिनी ने उससे कोई बात नहीं की!
हीरा बिस्तर पर लेट कर नलिनी के साथ बिताए हुए पलों के बारे में सोचता रहा नलिनी को भुलाना उसके लिए बहुत मुश्किल था शगुन को वह किस तरह अपनाएगा यह सोचकर वह परेशान हो रहा था!
अभी तक तो वह शगुन को नलिनी की तबीयत का सहारा लेकर टालता रहा पर अब इस तरह कब तक चलेगा उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था परेशान होकर वह थोड़ी देर बाद सो गया!
सुबह अलार्म से नलिनी की नींद खुली उसने घड़ी देखी 7:00 बज रहे थे और जल्दी से उठ कर उसने ब्रश किया और नहा कर तैयार होकर वह नीचे दादी के पास पहुंच गई!
शगुन किचन में चाय बना रही थी नलिनी को देखकर गुड मॉर्निंग बोली..
आ जाओ चाय पी लो पहले दादी की भी पूजा हो गई थी वह भी उन लोग के साथ चाय पीने लगी!
मनसा काकी को उनका काम समझा कर मेहंदी वाली के बारे में पूछा
नलिनी बिटिया 10:30 बजे तक मेहंदी वाली आ जाएगी!
थैंक्यू काकी आपने मेरा इतना बड़ा काम कर दिया!
शगुन तुम नहा कर तैयार होकर आ जाओ हीरा की चाय ऊपर ही ले जाना उसे भी बोलना वह भी तैयार होकर ही नीचे उतरे तुम्हारे कमरे की चाभी मुझे चाहिए रहेगी ...
इसलिए जो भी तुम दोनों की जरूरत का सामान हो वह प्लीज निकाल लेना!नलिनी ने फ्लावर डेकोरेशन वाले को फोन लगाया ..
हेलो।
हां भैया नलिनी बोल रही हूं. ।
आप कितने बजे तक आएंगे ?
ठीक है 1:00 बजे तक आप आ जाइए !
दादी ढोलक कहां रखी है ..?
मनसा तुझे पता है ?
मां सा पिछली बार सफाई के समय ऊपर कहीं स्टोर में रख दी थी!
अब आप ढूंढने का लफड़ा मत करो मैं पड़ोस में आंटी से ले आती हूं और एक बार सबको बोल कर भी आ जाऊंगी!
नलिनी को ऐसा लग रहा था जैसे घड़ी के कांटे दौड़ रहे हैं...
10:00 बजने को आ गए थे नलिनी ने शगुन को आवाज लगाई मंशा काकी ने टेबल पर नाश्ता लगा दिया था..
सीढ़ियों पर पैरों की आहट सुनकर नलिनी ने देखा शगुन और हीरा बहुत प्यारे लग रहे थे लाइट ग्रीन कलर की साड़ी में शगुन और उस से मैच करता हुआ कुर्ता हीरा ने पहना था नीचे आकर हीरा थोड़ा सा झेंप रहा था वह नलिनी से आंखें चुराने की कोशिश कर रहा था!
नलिनी बोली अरे वाह! तुम दोनों तो बहुत ही प्यारे लग रहे हो !
तुम तो कुर्ते में गजब ढा रहे हो हीरा!
नलिनी उसे उसके गिल्ट से बाहर निकालना चाह रही थी उसका स्वभाव वह बहुत अच्छे से जानती थी!
मनसा काकी इन दोनों की नजर उतार दो कहीं मेरी नजर ना लग जाए!
दादी हट पगली ऐसे बोलते हैं क्या ?
नजर उनकी लगती है जिनके मन में काला होता है बिटिया तेरा मन तो दूध सा उजला है!
जब तक राम किशन जी भी आ गए उन्होंने पंडित जी को फोन लगाया कि वह कब तक आ रहे हैं वह अपने किसी काम से 1 दिन के लिए गांव चले गए थे...
फोन की घंटी पास में सुनाई दे रही थी उन्होंने देखा तो पंडित जी दरवाजे पर ही थे!
सबने साथ बैठ कर नाश्ता किया
सही 10:30 बजे मेहंदी वाली आ गई थी !
हीरा सबसे पहले तुम अपने हाथों में मेहंदी लगवा लो..
तुम लोग लगाओ मैं लड़की नहीं हूं।
नलिनी बोली दूल्हे के हाथ में मेहंदी लगती है... शादी के वक्त तुम्हारे हाथ में मेहंदी नहीं लग पाई अब उसकी पूर्ति तो करनी ही पड़ेगी !
गलती तुम्हारी है मेरे बिना तुम ने शादी करी अब जो मैं कहूंगी वो सब तुम्हें करना पड़ेगा!
आ जाओ फटाफट लेट होता जा रहा है हीरा को मेहंदी लगवानी ही पड़ी...
मेहंदी लगे हुए उसके दोनों हाथ बहुत अच्छे लग रहे थे!
दादी ने बोला अब तू एक जगह बैठ जा और हाथों में पानी मत लगाना!
जी ! नहीं लगाऊंगा!
कुछ देर में नलिनी और शगुन की फ्रेंड्स भी आ गई!
वह सब शगुन के पास ही जाकर बैठ गई और उसकी मेहंदी देखने लगी!
मीता बोली गाने वाने चला लो यार..
हां बस अभी चलाती हूं...
एक काम कर म्यूजिक सिस्टम यहीं पर लाकर रख दिया है मैंने,,,तू अपने हिसाब से गाने सिलेक्ट करके चला ले।
मीता: हां यह ठीक रहेगा..।
रामकिशन जी और दादी को बहुत अच्छा लग रहा था सारा घर लड़कियों की हंसी ठिठोली से गूंज रहा था!
le="color: rgb(0, 0, 0);">रामकिशन जी ने पंडित जी को सारे फोटो खींचने का काम दे दिया!
2:00 बजे तक मेहंदी से सब फ्री हो गए नलिनी के हाथ मड़े हुए बहुत सुंदर लग रहे थे!
नलिनी की मेहंदी सूख गई थी उसने मेहंदी झड़ा कर हाथों पर तेल लगाया..
पंडित जी और मनसा काकी ने मिलकर सबके लिए खाना लगा दिया था नलिनी ने शगुन को अपने हाथ से खाना खिलाया!
रामकिशन जी नलिनी को बहुत प्यार करते थे उसका यह रूप देखकर उनका मन भर आया!
वह हीरा से बोले बेटा तुम भी खाओ उसकी प्लेट में से एक कौर तोड़कर उन्होंने उसके मुंह में दिया !
उसके मन की हालत वह अच्छे से समझ रहे थे उसकी पीठ पर प्यार से हाथ रख कर वो अंदर चले गए!
नलिनी के मोबाइल पर फ्लावर डेकोरेशन वाले का फोन आ रहा था नलिनी बाहर गेट तक पहुंच गई उससे बात की और ऊपर ले जाकर उसे बताया किस तरह से कमरे को सजाना है दरवाजे से लेकर पलंग तक फूलों से रास्ता बनाना है वो शगुन को बता कर आ गई थी कि हीरा ऊपर ना आए!
एक घंटे में उन्होंने कमरे को बहुत सुंदर सजा दिया उनका हिसाब करके नलिनी ने कमरे को ताला लगाया और चाभी अपने पास संभाल कर रख ली उसे बहुत अच्छा फील हो रहा था !
कुछ देर वो अपने कमरे में आंख बंद करके लेटी रही
नीचे से सबके बात करने, हंसने की आवाजें आ रही थी!
उससे लेटते नहीं बना ,वह उठकर नीचे चली आई!
उसने मनसा काकी को चाय बनाने को कहा और अपनी सहेलियों के साथ मिलकर संगीत में बांटने वाले लड्डू लिफाफे में पैक करने लगी लेडीज संगीत का टाइम हो ही रहा था।
मनसा काकी ने सबको चाय दी..
थोड़ी देर बाद घर में ढोलक की थाप पर गीतों की आवाज गूंज रही थी घर में बहुत रौनक थी नलिनी ने भी बन्ने गाये.. दादी और मनसा काकी ने उस पर रुपए न्योछावर किये !
कुछ ही देर में शगुन को उसकी सहेलियां तैयार करके ले आईं उसने नलिनी का लाया हुआ बेस पहना वह बहुत ही सुंदर लग रही थी!
नलिनी ने पंडित जी से हीरा को कपड़े बदल कर लाने के लिए बोला सिल्क के कुर्ते और चूड़ीदार पजामे में वो बहुत अच्छा लग रहा था!
लेडीज संगीत के बाद उनकी सहेलियों ने अपनी पसंद के गानों पर डांस किया शगुन की सहेलियां उसके पीछे पड़ गई और उससे डांस करवाया मैंने पहली बार शगुन का डांस देखा मेहंदी है रचने वाली गाने पर उसन बहुत प्यारा डांस किया और सब उससे एक और डांस करने की जिद करने लगे उसकी सहेलियां हीरा को भी खींच कर उसके पास ले गईं !
उन दोनों को साथ देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था!
अभी तक सब कुछ मेरे प्लान के हिसाब से सही चल रहा था मैं भगवान से प्रार्थना कर रही थी की उनकी रात भी बहुत अच्छी निकले हीरा शगुन को अपना ले जिससे मेरे मन पर रखा बोझ हट जाए!
शगुन की कही हुई बात मेरे कानों में गूंज रही थी "पता नहीं मामा जी को इतनी क्या जल्दी थी शादी की और मां तो उनकी किसी बात को टालती ही नहीं है!"
मैं चाहती थी की यह बात उसके दिमाग से हट जाए नहीं तो शक का एक कीड़ा उसके दिमाग में हमेशा कुल बुलाता रहेगा जो उनके रिश्ते के लिए अच्छा नहीं है!
सब लोग उसे ही पूछ रहे थे सब ने डांस किया है उसको छोड़ कर...
दादी बोली बेटा थोड़ा सा डांस तू भी कर ले ..
ठीक है दादी!
सबका मन रखने के लिए मैंने भी डांस किया सब लोग बहुत खुश था थे!
रामकिशन जी ने सबको खाना खाने के लिए बोला ..
शगुन और हीरा के लिए अलग से टेबल लगाई हुई थी उसे बहुत सुंदर फूलों से सजाया था पंडित जी सारे फोटो खींचते जा रहे थे !
मैं शगुन और हीरा को लेकर आई और उन्हें खाना खाने के लिए बिठाया और दोनों को अपने हाथ से एक-एक कौर एक दूसरे को खिलाने के लिए बोला पंडित जी ने जल्दी से फोटो क्लिक करी !
शगुन शरमा रही थी आज वो बहुत सुंदर लग रही थी।
सब लोगों के जाने के बाद हीरा और शगुन ने दादी रामकिशन जी और पंडित जी के पैर छुए ।
मैं उन दोनों को उनके कमरे तक छोड़ने गई जैसे ही कमरे का ताला खुला हीरा और शगुन की आंखें फटी रह गई कमरे को इतना सुंदर सजा हुआ देखकर दोनों हैरान रह गए शगुन को पलंग तक छोड़ कर मैंने हीरा और उसे कहा हर रिश्ते की अपनी मर्यादा और धर्म होता है उसे निभाने में ही उस रिश्ते की सार्थकता है तुम दोनों समझदार हो मेरी बात समझ गये होगे!
"हीरा, शगुन तुम्हारे लिए अपना घर परिवार सब छोड़ कर आई है! उसकी हर खुशी का ख्याल रखना अब तुम्हारा फर्ज है!"
और शगुन हीरा की खुशियों का ख्याल तुम रखोगी!!
"आज से तुम दोनों अपने जीवन की नई शुरुआत करो मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि तुम्हारा दांपत्य जीवन खुशियों से भरा हो और जल्दी ही तुम दो से तीन हो जाओ!"
उनको छोड़कर नलिनी नीचे दादी के पास आ गई !राम किशनजी ने उसे देखा तो उसे अपने कलेजे से लगा लिया बोले तेरा मन बहुत बड़ा है बेटा खुश रहे और अब तू भी अपनी जाने की तैयारी कर जगह बदलेगी नया काम होगा तो तेरा मन लग जाएगा!
नलिनी उनसे जोर से चिपक गई वह मन से बहुत हल्का महसूस कर रही थी।
दादी मैं आपके साथ ही सोऊंगी !
"हां बिटिया, आजा मेरे पास!"
दादी की उंगलियों की छुअन उसे भली महसूस हो रही थी नींद कब लगी उसे कुछ नहीं पता!
हीरा यह सब देख कर बहुत आश्चर्य मैं था
नलिनी को धन्यवाद देने की उसमें हिम्मत नहीं थी !
वो शगुन से बोला मैं तुम्हारा अपराधी हूं,उम्मीद करता हूं तुम मुझे माफ कर दोगी!
यह कैसी बातें कर रहे हो आप ?
फैंसला हम दोनों का ही था कि जब तक नलिनी ठीक नहीं हो जाती हम दोस्त की तरह रहेंगे और अच्छा ही रहा इतने वक्त में हम एक दूसरे को समझ पाए!
और सबसे खुशी की बात नलिनी पूरी तरह से ठीक हो गई है!
हां शगुन अगर वह ठीक नहीं होती तो मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाता!
समय जब अपनी चाल चलता है तो इंसान कुछ नहीं कर पाता!
हीरा ने भी समय के आगे घुटने टेक लिए!
उसने शगुन को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया और एक नए जीवन की शुरुआत की!
सुबह जब नलिनी की नींद खुली उसने देखा शगुन किचन में हलवा बना रही थी उसकी आंखों की शर्म और चेहरे की चमक उसकी रात की कहानी कह रहे थे!
नलिनी ब्रश करके आई उसे देख कर शगुन उससे लिपट गई और उसे थैंक्स बोला... नलिनी तुम्हारी वजह से ही मुझे यह खुशी मिली है तुम्हारा कर्ज मैं कभी नहीं चुका सकती!
शगुन तुम मेरी बहन हो और बहनों में कोई कर्ज और फर्ज नहीं प्रेम का रिश्ता होता है और हमारे बीच में यह प्रेम सदा बना रहे बस मैं इतना चाहती हूं!
उसने देखा शगुन की आंखों में आंसू आ गए थे नलिनी ने उसके आंसू पोंछें और गले से लगा लिया अब दोनों की आंखों में आंसू थे ,....यह तो ईश्वर ही जाने कि नलिनी की आंख में आंसू खुशी के थे या...!!!
तुम भगवान को भोग चढ़ा दो और नाश्ते में सबको हलवा भी दे देना!
नलिनी ने गैस पर अपने लिए चाय चढ़ाई वो सोच रही थी एक रात में कितना कुछ बदल गया अब हीरा शगुन का है।
नील भाग ७३
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नलिनी अपनी चाय का कप लेकर अपने कमरे में चली जाती है उसकी आंखों में बार-बार शगुन का चेहरा तैर रहा था।उसकी आंखों की चमक और चेहरे की शर्म रात की कहानी बयां कर रहे थे।
वह शगुन के लिए खुश थी पर उसका मन उसकी अपनी बात मानने के लिए तैयार नहीं था बचपन का प्यार भुलाना इतना आसान भी नहीं, पर इस तरह मातम मनाने से अब क्या फायदा !
हीरा पर अब उसका कोई अधिकार नहीं है, यह बात नलिनी अपने जेहन में बैठा लेना चाहती थी!
जिससे भूल कर भी उसे हीरा की याद ना सताये!
पर दिल को समझाना इतना भी आसान नहीं होता
ना चाहते हुए भी उसकी आंखें बिन मौसम की बरसात जैसी बरस पड़ती....!
नलिनी ने चाय खत्म की और नील को कॉल लगाया।
"हेलो।"
"हेलो,सर! नलिनी बोल रही हूं!"
"हां, नलिनी कैसी हैं आप ?"
सर मैं बहुत अच्छी हूं !
बताइए "क्या सोचा है आपने ?"
"सर, मैं जल्दी ही ऑफिस ज्वाइन करना चाहती हूं!"
हम भी आपका इंतजार ही कर रहे हैं!
नील के ज़ेहन में उसका चेहरा उभर आया ...जब वो रामकिशन जी के इनविटेशन पर उनके घर डिनर पर गया था तब उसने नलिनी को देखा वो बहुत ही प्यारी लग रही थी!
वो अपनी नज़रें चाह कर भी उसके चेहरे से हटा नहीं पा रहा था
एक अजीब सा कनेक्शन उसका नलिनी के साथ जुड गया है!
सोना के जाने के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि मैं किसी लड़की की तरफ इस तरह से आकर्षित हुआ !
कुछ रिश्ते अपने आप अनजाने में ही जुड़ जाते हैं जिन्हें हम पहले से ना जानते हैं ना कभी मिले होते हैं और अचानक हुई ये मुलाकात हमारे दिल पर गहरी छाप छोड़ देती है नील के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ!
"सर,
"हां" नील अपनी खयालों से बाहर आया !
आपने बताया था आपके किसी परिचित का घर रेंट पर देने के लिए है ?
"हां,"बताया था मैंने!"
आप उनसे बोल दीजिए वह किसी और को रेंट पर ना दें!
"मैं,आकर उनको पेमेंट कर दूंगी!"
"ओके, "मैं कल उन्हें एडवांस दे दूंगा!"
फिर मिलते हैं जल्दी!
"जी सर!"
नलिनी का घर में मन नहीं लग रहा था वह जल्दी से जल्दी ऑफिस ज्वाइन करना चाहती थी !
उसका मन ढ़ेर सारे काम में खुद को व्यस्त करने का कर रहा था भुला देना चाहती थी वह खुद को!
उसने अपने कपड़े अलमारी से निकालकर अपने बैग में रखे हालांकि यह कोई बड़ा काम नहीं था पर उसे किसी भी तरह से खुद को व्यस्त करना था!
शगुन ने हलवा बनाकर भगवान को प्रसाद चढ़ाया और मनसा काकी के साथ मिलकर नाश्ता तैयार किया सब लोग नीचे आ गए थे ,सिर्फ नलिनी वहां नहीं थी!
रामकिशन जी ने शगुन से पूछा नलिनी उठी नहीं अभी?
मामा जी, वह उठ गई !
और अपनी चाय लेकर अपने कमरे में गई है!
हीरा तुम नलिनी को बुला लाओ !
जी मैं बुलाकर लाता हूं !
हीरा ने नलिनी का दरवाजा नोक किया !
"कौन है, अंदर आ जाओ!"
तुम ?
रामकिशन जी तुम्हें नीचे बुला रहे हैं !
ठीक है तुम चलो ... मैं नीचे आती हूं!
मुझे तुमसे कुछ बात करनी है!
क्या बात है बोलो!
यहां घर पर नहीं नलिनी!
आज मार्केट चलते हैं तो बात करने के लिए थोड़ा बहुत वक्त मिल जाएगा..
पर शगुन साथ में होगी ... वह क्या सोचेगी ?
"तुम उसकी फिक्र मत करो मैं मैनेज कर लूंगा!"
अभी नीचे चलो..
तुम चलो मैं आती हूं!
बहुत अच्छी खुशबू आ रही है क्या बना है आज?
मामा जी मैंने आज मूंग दाल का हलवा और बेडईं बनाई है!
और मनसा काकी ने ढोकले और नारियल की चटनी !
अरे वाह,क्या बात है!
आज तो सुबह-सुबह पार्टी हो गई !
तभी हीरा और नलिनी भी आ जाते हैं....
दादी: बिटिया आ जाओ नाश्ता ठंडा हो रहा है
शगुन सबको प्लेट्स लगा कर देती है !
नलिनी: हलवा बहुत टेस्टी बना है तुम्हारे हाथों में जादू है शगुन!
रामकिशन जी: नलिनी बिटिया सही बोल रही है!
बेडई भी बहुत ही स्वादिष्ट बनी है...
दादी: इतने दिन सब लोग साथ रहे हैं और अब तुम सब चले जाओगे तो घर बहुत खाली-खाली लगेगा समय काटना मुश्किल हो जाएगा !
हीरा: दादी आप साथ में चलो...
आऊंगी बेटा मौका आने दो!
अभी तो तुम दोनों अपनी नई गृहस्थी की शुरुआत करो!
दादी, आज मेरी नील सर से बात हुई है वो इसी हफ्ते में ऑफिस ज्वाइन करने का बोल रहे हैं!
ठीक है बिटिया तुम अपनी जरूरत की सब चीजें एक जगह इकट्ठी करके रखो अगर कुछ भी छूट गया तो परेशान हो जाओगी!
जी दादी, मैं सारी चीजें एक जगह इकट्ठा कर लेती हूं!
नलिनी अपने कमरे में जाकर निढाल सी पलंग पर लेट जाती है!
हीरा: शगुन मैं सोच रहा हूं नलिनी को कुछ अच्छा सा गिफ्ट दे दूं, हमारी लिए उसने बहुत कुछ किया है!
आप ठीक कर रहे हो मैं भी यही सोच रही थी!
एक काम करता हूं मैं आज नलिनी को मार्केट ले जाता हूं वहीं पर उसके पसंद से कुछ भी दिलवा दूंगा!
तुम जाकर नलिनी को तैयार होने के लिए बोल दो !
जबसे वो समझदार हुई है तभी से उसकी मेरे साथ शॉपिंग करने की आदत है !
नलिनी .... अरे शगुन! "आओ ना अंदर आ जाओ!"
हीरा तुम्हें अपने साथ मार्केट ले जाने के लिए बोल रहे हैैं तैयार हो जाओ!
तुम भी चलो साथ में...
मुझे बहुत सारे काम है नीचे रसोई में मनसा काकी की मदद भी करवानी है तुम और हीरा चले जाओ अगली बार जब मिलेंगे तो अपन दोनों मिलकर शॉपिंग करेंगे!
"ओके ,यह बात ठीक है!"
नलिनी तैयार होकर नीचे आ जाती हैं!
दादी मैं हीरा के साथ मार्केट जा रही हूंं...
आराम से जाना बेटा!
हीरा नलिनी को उसके पसंद के रेस्टोरेंट में ले जाता है पिज़्ज़ा ऑर्डर करूं ?
"खाओगी ?"
नहीं हीरा आज मन नहीं है
यहां का पिज़्ज़ा तो तुम्हें बहुत पसंद है!
पहले पसंद था हीरा, तब मैं छोटी थी!
अभी भी तुम छोटी ही हो !
तुम्हें लगता है तुम बड़ी हो गई हो ?
तुम्हारे चेहरे को देखकर कोई भी तुम्हारे मन का हाल समझ सकता है!
अगर तुम ऐसे रहोगी तो कैसे काम चलेगा जो कुछ भी हुआ उसमें हम दोनों की कोई गलती नहीं है!
तुमने घर में मेहंदी संगीत की रस्म रखी मुझे सिर्फ उतना ही पता था.... जब रात को ऊपर गया तब इतना सुंदर सजा हुआ कमरा देखा मैं उस वक्त उस सब के लिए बल्कुल भी तैयार नहीं था नलिनी!
पर जब शगुन ने बताया यह सब तुमने करवाया है तुम्हारी हिम्मत देखकर मैंने सोचा कोई इतना बड़ा दिल कैसे कर सकता है अपने प्यार को किसी और के हाथ में सौंप देना!
तुम्हारी जगह कोई और लड़की होती तो वह यह कभी नहीं कर पाती!
हीरा ने वेटर को बुलाकर कॉफी का आर्डर दिया. ...
उस वक्त शगुन के चेहरे पर मुझे जो खुशी दिखी उसे देखकर उसका मन दुखाने का मैं सोच भी नहीं पाया!
मैंने उस वक्त खुद को शगुन के पति की नजर से देखा और सोचा शगुन की क्या गलती है शादी के 3 महीने बाद भी वह अपने पति के प्यार के लिए तरस रही है !
साथ ही यह भी सोचा कि मैं तुमसे किस तरह नजर मिलाऊंगा !
"पति का पलड़ा भारी पाया मैंने!और अपना पति धर्म निभाया!"
मेरे मन में जो जगह तुम्हारी है वह हमेशा तुम्हारी ही रहेगी।
"नलिनी प्यार किसी बंधन में नहीं बंधता वह हमेशा आजाद रहता है,तन के रिश्ते एक बार टूट भी सकते हैं,पर मन के रिश्ते बहुत मजबूत होते हैं वह कभी नहीं टूटते !"
शगुन को मैं उसका पूरा हक दूंगा!
मेरा प्यार इतना कच्चा नहीं कि मैं निजी स्वार्थ के चलते शगुन को तकलीफ पहुंचाऊं! शगुन की तरफ से तुम बेफिक्र रहो उसे कभी किसी चीज की कमी नहीं महसूस होने दूंगा!
बस तुम मेरी खातिर खुश रहना शुरू कर दो!
"तुम्हारा उतरा चेहरा मुझे कमजोर कर देता है!"
देखना तुम जब नील सर के साथ काम करोगी ना तुम्हें
बहुत अच्छा लगेगा ! एकदम बदल जाओगी तुम।
तुम्हें मेरी याद भी नहीं आएगी कभी!
पर फिर भी तुम मुझे कॉल कर लिया करना !
तुम्हें कभी कुछ सोचने की जरूरत नहीं है तुम्हारे लिए मैं हमेशा वही हीरा रहूंगा जो मैं था!
आने वाले समय में हम लोगों की जिम्मेदारियां बदल जाएंगी हो सकता है कि कई कई महीने हम लोग की बात भी ना हो तब भी तुम मुझसे दूर नहीं रहोगी तुम हमेशा मेरे मन के करीब रहोगी!
यह कॉफी तो ठंडी हो गई !
हीरा वेटर से दो कॉपी और लाने के लिए बोलता है. ।
अच्छा यह सब छोड़ो यह बताओ तुम क्या लोगी ड्रेस या फोन जो तुम चाहो कुछ तो तुमको लेना पड़ेगा मेरी तरफ से और प्लीज मना मत करना!
हीरा यह सब फॉर्मेलिटी की क्या जरूरत है ?
नहीं फॉर्मेलिटी नहीं है अगर फॉर्मेलिटी होती तो तुम्हें साथ में लाकर पूछता नहीं!
तुम्हें शॉपिंग करवाना मुझे हमेशा से पसंद है!
तो फिर तुम अपनी पसंद से जो चाहो दिलवा दो
हीरा कॉफी पी लो फिर से ठंडी हो जाएगी!
"चलें, शगुन तुम्हारा वेट कर रही होगी!"
पहले हम मार्केट चलते हैं !
शगुन को पता है मैं तुम्हें मार्केट लेकर आया हूं!
साड़ी की दुकान से हीरा दो साड़ी पसंद करता है एक नलिनी के लिए और एक शगुन के लिए!
हीरा: तुम्हें कौन सा कलर पसंद है बताओ?
नलिनी: एक काम करते हैं घर चल कर शगुन से पसंद करवाते हैं जो उसे अच्छा लगेगा वह ले लेगी और दूसरा में!
हीरा: ठीक है जैसा तुम उचित समझो!
डोर बेल बजाते ही शगुन ने दरवाजा खोलो जैसे वह इंतजार ही कर रही थी।
हीरा की तरफ देखते ही वो शरमा गई मिलन की पहली रात की खुमारी अब तक उसकी आंखों में थी!
नलिनी: शगुन तुम भी साथ चलती तो अच्छा रहता हीरा को तुम्हारी कमी अखर रही थी!
नलिनी के वाक् चातुर्य का हीरा कायल था !
परिस्थिति के हिसाब से खुद को ढालना उसे बखूबी आता था!
देखो हीरा तुम्हारे लिए क्या लाया है...
शगुन जानने के लिए उत्सुक थी ...!
नलिनी:दादी देखो हीरा मेरे और शगुन के लिए क्या लाया है!
क्या है बिटिया दिखाओ!
शगुन तुम खोलकर दिखाओ !
और बताओ इन दोनों में से तुम्हें कौन सी साड़ी पसंद है
शगुन बैग खोल कर देखती है उसमें ब्लू और पिंक कलर की सिल्क की दो बहुत खूबसूरत साड़ियां थी !
अभी तक तो मैंने अपनी पसंद के ही कपड़े पहने हैं अब जो भी ये अपनी पसंद से मेरे लिए लाए हैं !
हीरा: ब्लू साड़ी नलिनी के लिए और पिंक तुम्हारे लिए
दादी: दोनों साड़ी बहुत सुंदर लाया है हीरा
तुम दोनो मुझे पहन कर दिखाओ!
नलिनी: ठीक है दादी हम दोनों पहन कर आते हैं!
दोनों अपनी-अपनी साड़ी पहनती है दोनों पर साड़ी बहुत फब रही थी!
नलिनी शगुन को हल्का सा मेकअप कर तैयार कर देती है तो वो और प्यारी लगने लगती है!
देखो दादी ... दोनो बहुत सुंदर लग रही हो !
हीरा दादी के साथ शगुन और नलिनी की फोटो खींचता है!
दादी: तुम लोग थोड़ी देर आराम कर लो !
1 दिन पता नहीं चला कैसे निकल गया शगुन और हीरा जाने के लिए तैयार थे हीरा सामान गाड़ी में रख रहा था! शगुन ने दादी के पैर छुए और नलिनी से गले लग कर मिली और उसको थैंक्स बोला!
रामकिशन जी दोनों को स्टेशन छोड़ने गए!
नलिनी का मन थोड़ा उदास था वो दादी के पास बैठकर उनसे बातें करने लगी !
दादी बोलीं हीरा की भी शादी हो गई है मैं चाहती हूं कोई अच्छा लड़का मिल जाए तो मैं तेरे भी हाथ पीले कर दूं!
हो जाएगी दादी, शादी कोई बड़ा काम नहीं है!
औ आप भगवान से प्रार्थना करो कि मुझे अपनी नौकरी में सफलता मिले!
खूब सफलता मिलेगी तुम्हें चिंता मत करो बस अपना काम मेहनत और ईमानदारी से करना!
बिटिया बाहर अकेली रहोगी तो किसी पर भरोसा मत करना !ना ही किसी की दी हुई कोई चीज खाना!
मैं छोटी बच्ची नहीं हूं अब!
बिटिया तुम कितनी भी बड़ी हो जाओ हमारे लिए तो छोटी ही रहोगी!
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दीप की तबीयत बहुत खराब थी उसकी दोनों किडनी फेल हो चुकी थीं डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था वह हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांसें गिन रहा था ...!
लकी ने नील को फोन करके कहा भैया आप मां के साथ हॉस्पिटल आ जाओ पापा के पास ज्यादा समय नहीं है ... उनकी आखिरी इच्छा आप और मां से मिलने की है और वो मां से माफी मांगना चाहते हैं !
ठीक है मैं आता हूं तू परेशान मत हो और कुछ जरूरत हो तो मुझे बता ...
नहीं भैया बस आप मां को लेकर आ जाओ!
नील को समझ नहीं आ रहा था कि वो मां से किस तरह बोले दीप का नाम सुनते ही वह बुरी तरह से चिढ़ जाती हैं!
मां लकी का फोन था...
वह ठीक तो है ?
फोन कैसे किया ...
मां वो हॉस्पिटल में उसके पापा के पास है उनकी तबीयत ज्यादा खराब है उसने आपको बुलाया है..
मैं वहां जाकर क्या करूंगी दीप से मैं सारे रिश्ते तभी खत्म कर चुकी हूं!
मां मरने वाले की आखिरी इच्छा तो कानून भी पूरी कर देता है प्लीज चलो !
लकी के लिए चलो उस बेचारे का तो कोई कसूर नहीं है उसने भी बिना कसूर की ही सजा पाई है मां के प्यार से वह वंचित ही रहा है!
हॉस्पिटल पहुंचकर नील ने लकी को फोन किया
हेलो... हां भैया आप 28 नंबर रूम में आ जाओ!
मां को देखकर लकी उनके गले से लग कर रो पड़ा..
चुप हो जाओ बेटा मां ने बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा।
दीप का पूरा चेहरा सूजा हुआ था वह पहचान ही नहीं आ रहा था मां को पास देख कर उसकी आंखों में पश्चाताप के आंसू आ गए... मां से माफी मांगने के लिए उसने अपने दोनों हाथ जोड़े.. मां से इस हाल में उन्हें देखते नहीं बना नील ने मां को देखा उसने आकर मां के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें सहारा दिया दीप के लिए उसके मन में कोई सहानुभूति नहीं थी कुछ देर वहां पर रुक कर वह मां को लेकर बाहर आ गया!
लकी से उसने बोला कोई भी जरूरत तुझे आधी रात में भी हो तो मुझे फोन कर लेना, तेरा भाई अभी जिंदा है तुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं!
हां भैया आप और मां के सिवा मेरा कोई नहीं है इस दुनिया में!
पापा की गलतियों की सजा आप मुझे मत देना!
कैसी बात कर रहा है तू लकी, अभी तो तू पापा का ध्यान रख !
मां की आंखों में आंसू देख कर नील का मन भी दुखी हो गया !
घर आए हुए कुछ देर ही हुई थी लकी का मैसेज आया दीप अब इस दुनिया में नहीं रहा...
नील ने मां को बताया ..
कुछ देर तक वो खामोश रहीं उसके बाद उन्होंने भगवान के मंदिर में दीया जलाया और दीप की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की!
नील भाग ७४