मोगरे के फूल
मोगरे के फूल


"आज सुबह जब मैं.. अल्मारी में रिया का बर्थ सर्टिफिकेट ढूँढ रही थी..! तब ही मनीष की पुरानी डायरी हाथ में आ गयी! डायरी खोली.. तो उसमें रखे हुए मोगरे के सूखे फूल, जिनमें अब भी साथ गुज़ारे तमाम हसीन लम्हों की महक बरकरार थी!
मुझे तुमसे मेरी पहली मुलाकात याद दिला गये...!
आज भी मुझे अच्छे से याद है , जब तुम अपने पापा-मम्मी के साथ पहली बार मुझे देखने के लिए मेरे घर आए थे बेहद शर्मीले और एकदम चुपचाप रहने वाले।
थोड़ी देर बातचीत और चाय नाश्ते के बाद तुम्हारे पापा मम्मी ने यही कहा था आपकी बेटी वहीं रहेगी जहां मेरे बेटे की नौकरी है। पर शादी के बाद विदा होकर इसे कुछ दिन हमारे गांव रहना पड़ेगा हम पहाड़ी लोगों की कुछ मान्यताएं होती हैं जिन पर हम लोग बहुत भरोसा करते हैं।
आज सब कुछ इतना बदल गया है गांव से बच्चे बाहर शहरों में विदेशों में नौकरी कर रहे हैं उसके बाद भी पहाड़ी लोग कभी अपने रीति रिवाज नहीं भूलते !
मुझे चुप देख कर मेरे मम्मी पापा ने कहा जो भी आप लोग इसे कहेंगे यह वो सब करेगी।
मम्मी ने मुझसे कहा बोलो स्वाति ?
मैंने सिर हिलाकर अपनी सहमति दे दी !
तभी तुम्हारे पापा ने कहा कि बच्चों को थोड़ी देर बात करने दी जाए !
बाकी सारे लोग दूसरे रूम में चले गए और तुम ऐसे चुपचाप बैठे जैसे कि मैं तुम्हें काट ही खाऊंगी!
स्वाति :: आप कुछ पूछना चाहते हैं तो पूछ लीजिए !
मनीष :: आप जो कुछ भी पूछना चाहती हैं निसंकोच होकर पूछ सकती हैं।
स्वाति :: पहले आप पूछिए !
मनीष :: आप अपनी मर्जी से शादी करना चाहती है या अपने घर वालों के दबाव में कर रही हैं ?
स्वाति :: शादी तो मैं घर वालों के कहने पर ही कर रही हूं!
पर आप मुझे पसंद हैं !
मनीष :: अगर मैं पसंद नहीं होता तब क्या करतीं!
स्वाति :: तब तब मैं मना कर देती पापा मम्मी को !
स्वाति :: आप अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं कि अपने पेरेंट्स के दबाव में !
मनीष :: शादी तो अपने पापा मम्मी की मर्जी से ही कर रहा हूं।
आप मुझे बहुत पसंद हो !
अगर नहीं पसंद होती तो ?
तो मैं पापा मम्मी से मना कर देता !
मनीष :: आप और कुछ भी पूछना चाहती हैं तो पूछ सकती हैं !
स्वाति नहीं मुझे कुछ नहीं पूछना है!
दोनों एक दूसरे का चेहरा देखकर हंसने लगते हैं !
हमारी हंसी की आवाज सुनकर परिवार के सब लोग अंदर आ जाते हैं !
स्वाति के पापा बोले मैडम जी सबका मुंह मीठा करवाओ !
"जी, मैं मिठाई लाती हूं!"
और फिर जो तुम्हारा लेटर भेजने का सिलसिला शुरू हुआ कभी-कभी तो पापा मुझसे पूछते थे यह मनीष तुम्हें लेटर में लिखता क्या है इतने लेटर तुम्हें भेजता है !
पापा की बात सुनकर मम्मी बोलतीं बुढाने को आ गए पर अक्ल नहीं आई आपमें !
बच्चों की यही तो उम्र है बातचीत करने की एक दूसरे को जानने समझने की अब नहीं तो फिर कब करेंगे ?
"एक बार शादी हुई,घर गृहस्थी के झंझट में फंसे तो सब भूल जाएंगे!
तुम्हारे लेटरस का मुझे इंतजार रहता था।
एक बार की बात है मैं कॉलेज से घर आई साथ में मेरी फ्रेंड निशा भी थी तभी पोस्टमैन आया और उसने आवाज लगाई मेरे नाम की आवाज सुनकर निशा ने उससे तुम्हारा लेटर ले लिया!
"ओहो, यह बात है!
"बड़े लेटर सेटर आ रहे हैं जी?"
अब तो यह लेटर में ही पढ़ूंगीं !
स्वाति : निशा प्लीज लेटर मुझे दे ना।
क्यों तंग कर रही है यार ?
अच्छा पहले बोल एक चॉकलेट दिलाएगी ?
हां पक्का कल कॉलेज जाते वक़्त !
"हे भगवान।कितना बदल गई है यह लड़की!"
निशा::अभी तो शादी भी नहीं हुई और इनके देखो हाल शादी के बाद तो यह बात भी नहीं करेगी!
स्वाति :: तू भी शादी कर ले यार!
निशा : देखो कल तक तो शादी के नाम से इनको बुखार आता था और आज मुझे शादी करने की सलाह दे रही है कमाल है मनीष जीजा जी ने पता नहीं क्या जादू किया इस पर !
सहेलियों की चुहल कॉलेज के दिन तुम्हारे लेटर का इंतजार जिंदगी सुकून से निकलती जा रही थी!
वह दिन भी आया जिसका इंतजार था सुबह से ही पूरे घर में चहल-पहल मची हुई थी रिश्तेदारों से घर भरा हुआ था !
और सुबह सुबह तुम्हारा फोन कि तुम मिलना चाहते हो समझ ही नहीं आ रहा था मां को कैसे बताऊं और तुम भी अपनी जिद पर अड़े हुए थे!
मैंने निशा को बोला :: मनीष मिलना चाहते हैं मुझसे !
घर से बाहर निकलना बहुत मुश्किल था निशा ने मुझसे कहा तू कोई अपना पुराना सा सूट पहन ले बड़ा सा दुपट्टा वो लेकर आई थी !
घर से कुछ दूर धर्मशाला में बरात रुकी हुई थी निशा ने मेरी मां से बोला आंटी में इसको पार्लर लेकर जा रही हूं !
तू अभी से क्यों इसको पार्लर लेकर जा रही है ?
बरात रात को देर से आएगी ...
निशा:: मेरी प्यारी आंटी मेकअप करवाने नहीं ले जा रही पार्लर वाली ने बोला था स्किन टेस्ट करने के लिए जिससे वह शाम को इसे मेकअप करें तो उस वजह से चेहरे पर कोई एलर्जी ना हो आप तो जानती ही है इसकी स्कैन बहुत सेंसिटिव है !
ठीक है बेटा जल्दी से आ जाना !
घर से बाहर निकल कर निशा ने मुझे मनीष को फोन लगाने के लिए बोला !
और अपनी सारी प्लानिंग उसे समझा दी !
मनीष ने कमरे से अपने सभी दोस्तों को बाहर भेज दिया और बोला मैं कुछ देर रेस्ट करना चाह रहा हूं !
"हां हां भाई जरूर कर! अभी तो तुझे रेस्ट की बहुत जरूरत है सभी दोस्त अपने अपने कमरे में चले गए।
स्वाति ने पुराने दुपट्टे से अपना पूरा चेहरा ढक रखा था।
निशा ने मनीष का डोर नोक किया और स्वाति को अंदर भेज दिया !
देख जल्दी से बाहर आ जाना कोई आये उससे पहले!
मनीष को देखकर मुझसे कुछ बोलते ही नहीं बना पता नहीं आज मुझे इतनी शर्म क्यों आ रही थी!
मनीष ने मेरा हाथ पकड़ कर थैंक यू सो मच यार !
तुम मुझे बहुत पसंद हो एक एक दिन इंतजार करके यह समय मैंने निकाला है!
स्वाति :: आपको पता है मां से झूठ बोल कर आना पड़ा है मुझे !
अगर किसी ने यहां देख लिया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी!
जल्दी से अपना उल्टा हाथ आगे बढ़ाओ।
मनीष : क्या उल्टा क्या सीधा आज रात के बाद तो सब कुछ तुम्हारा है।
तब तक तो इंतजार कर लो ...
स्वाति :: नहीं नहीं बस बहुत इंतजार हो गया अब जल्दी से अपना हाथ आगे बढ़ाओ !
मनीष स्वाति का चेहरा देख रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था जो लड़की अभी शर्म से दोहरी हुई जा रही थी अचानक उसे क्या हो गया!
यह लो मनीष ने हाथ आगे कर दिया !
स्वाति ने अपने कुर्ते की जेब में से मेहंदी का कौन निकाला और उसकी मेहंदी के बीच में अपना नाम लिख दिया !
चलिए अब मैं जाती हूं बहुत देर हो रही है,,,
अब कोई तुमसे पूछे भी तो बता सकते हो लड़की वालों की तरफ से मेहंदी वाली आई थी!
बड़ी स्मार्ट हो तुम मेरा तो इतना दिमाग ही नहीं चलता!
मनीष के चेहरे पर शरारत साफ़ चमक रही थी।
"अच्छा सुनो! एक सेकंड के लिए आंख बंद करो!
मनीष ने उसके गाल पर धीरे से अपने होंठों को रख दिया ..
स्वाति :: मनीष आप क्या कर रहे हैं। मनीष ने मेरे होठों पर अपनी उंगली रख
मुझे अपने पास खींच कर मेरे होठों पर अपने होठों की नरमी रख दी।
मैं शर्म से गड़ी जा रही थी।
उसने मुझे बड़े प्यार से अपने बाजू में भर लिया और बोला मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा मुझे देने के लिए मैं किस तरह तुम्हारा शुक्रिया अदा करूं?
लव यू जान।
अब तुम्हें किसी लिपस्टिक की जरूरत नहीं है!
देखो तुम्हारे होंठ वैसे ही सुर्ख गुलाबी हो गए हैं!
अब तुम जल्दी से जाओ तुमसे मिलने तक मैं इन लम्हों की खुमारी में डूबता उतरता रहूंगा !
निशा कमरे के बाहर ही उसका इंतजार कर रही थी चल जल्दी से।
घर आकर सब सोचकर देर तक खुद पर ही हैरान रही !
दूसरे दिन विदा के बाद तुम्हारे गांव गढ़वाल पहुंच कर बहुत अच्छा लगा रास्ते भर इतने खूबसूरत नज़ारे मैं आश्चर्यचकित थी !
मैंने तो अपनी जिंदगी में पहले कभी इतनी खूबसूरत नज़ारे देखे ही नहीं थे।
मेरा बस चलता तो मैं पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ यहीं रहती!
तुम्हारे घर पहुंच कर सारा दिन रीति रिवाज मैं निकल गया !
रात को मां ने बड़ी सी नथ पहनने के लिए दी।
गांव में कोई पार्लर का तो सवाल ही नहीं।
मैं खुद से ही तैयार हो गई मां ने काला टीका लगा दिया और कहा बहुत सुंदर लग रही हो कहीं मेरे बेटे की नजर ना लग जाए तुम्हें।
और एक चांदी का मेवे और केसर डला हुआ दूध का गिलास मुझे थमा दिया !
अंदर कमरे में आई तो देखा तुम इंतजार करते करते सो गए थे।
मैंने दूध का गिलास टेबल पर एक तरफ ढांककर रखा और धीरे से तुम्हारे बगल में आकर लेट गई मैंने आंखें बंद की ही थीं कि तुमने कसके मुझे अपनी बाहों में भर लिया और ढेर सारी पप्पीयां मेरे गालों पर की!
आप तो सो गए थे ना।
अपनी सुहागरात को भी कोई सोता है पूरे दिन से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं मैं!
सपनों से सजी पूरी रात थी ,
तुम्हारा प्यार पाकर तो मैं निहाल हो गई थी इससे ज्यादा तो शायद मैंने अपने रब से मांगा भी नहीं था। सुबह की रात ही हम लोगों की आंख लगी।
"गुलाबी सर्द सुबह और तुम्हारा साथ ! हल्का हल्का संगीत और पर्दों से टकराकर गुदगुदाती सर्द हवा
मोबाइल में टाइम देखा सुबह के 7:00 बज रहे थे।
मैं जल्दी से उठ कर बैठी पर तुमने मुझे उठने नहीं दिया !
मनीष कल की सारी रात तुमने मुझे सोने नहीं दिया !
और अब उठने भी नहीं दे रहे
प्लीज अब मुझे उठ जाने दो अच्छा नहीं लगता मां क्या सोचेंगी रात है ना हमारे लिए।
ठीक है पर एक शर्त पर आज रात तुम देर नहीं करोगी ?
बिल्कुल नहीं।
स्वाति :: अब मुझे यह बताओ गर्म पानी कहां से मिलेगा ?
मनीष :: यहां पर गीजर तो नहीं है रोड से काम चलाते हैं।
मैं चाय बना कर ले आती हूं!
मनीष की मां रसोई में चाय बना रही थीं मैंने उनके पांव छुए और कहां आप बैठीये मैं चाय बनाती हूं।
पर उन्होंने मुझे चाय नहीं बनाने दी।
बेटा सारी जिंदगी पड़ी है काम करने के लिए अभी तो तुम और मनीष बस आराम करो।
तुम अपनी और मनीष की चाय कमरे में ले जाओ और नहा धो कर तैयार हो के दोनों आ जाओ तो कुलदेवी की पूजा तुम दोनों से करवा दें !
उसके बाद तुम जो मर्जी करो जब तक यहां हो घूमो आराम करो और मेरे हाथ के बने खाने का स्वाद उठाओ।
मनीष की मां की बात सुनकर मैं सोच रही थी पहाड़ी लोग कितने सीधे सच्चे मन के होते हैं।
यही हमारे शहर में शादी होती तो लड़की का जीना हराम हो जाता है रीति रिवाज के नाम पर उसे कठपुतली बनाकर रख देते हैं कितनी रस्में बिना मतलब की।
परिवार के लोगों के मन को आपस में जोड़ने की जगह एक दूसरे के लिए मन में कड़वाहट भर देते हैं यह रीति रिवाज।
मनीष और मैं जल्दी से नहा धोकर तैयार होकर मां के पास पहुंच गए।
मां पिताजी हमें कुल देवी के मंदिर ले गए और विधिवत पूजन करवाया। मां ने मुझे समझाया बेटा कभी कुछ और करो या ना करो बच्चे के जन्म के समय और शादी ब्याह के मौके पर कुलदेवी जरूर पूजना।
कोई व्रत पूजा करने की जरूरत नहीं है हां अगर तुम्हारा मन हो तो तुम कर सकती हो कोई बंधन नहीं है।
जी , मैं आपकी बात का ध्यान रखूंगी!
मैं तो वहां की खूबसूरती देखकर पागल हुई जा रही थी!
घर आकर मां ने सबके लिए कहवा बनाया सर्दी बहुत ज्यादा थी!
दिनभर मैं मां के साथ ही रही!
उनके मना करने पर भी मैंने रसोई के काम में उनका हाथ बटाया!
मां ने जिद करके मुझे मनीष के साथ खाना खाने बैठा दिया!
स्वाति तुम खा कर तैयार हो जाना आसपास की कुछ औरतें मुंह दिखाई के लिए आएंगी आधा घंटा करीब तुम्हें उनके साथ बैठना रहेगा उसके बाद तुम अंदर चले जाना।
स्वाति खाना खाकर अंदर जाकर तैयार होकर आ गई रेड कलर की साड़ी में वह बहुत ही प्यारी लग रही थी मां की दी बड़ी नथ भी उसने पहन ली थी 4:30 बजे तक आसपास की 10_12 महिलाएं आ गई थीं।
बहू शहर की है पढ़ी लिखी है यह जानकर सबको देखने की बहुत उत्सुकता थी!
मेरा चेहरा देखकर सबने नेक के तौर पर मुझे कुछ ना कुछ दिया और खूब आशीष दिया।
पहाड़ों पर शाम जल्दी ढलती है।
6:00 बजे ही ऐसा लग रहा था जैसे रात हो गई हो ठंड के दिन होने की वजह से दिन भी छोटे रहते हैं और सब लोग जल्दी ही अपने अपने घरों में बंद हो जाते हैं।
मां ने शाम के लिए चावल की कुछ मिठाई बनाई।
मनीष के मम्मी पापा 8:00 बजे तक सो जाते थे।
7:00 बजे सब का खाना हो जाता था हम लोग ने भी जितनी भूख थी उतना साथ में खा लिया।
आज भी मां ने दूध का गिलास भरकर के मेरे हाथ में दे दिया।
मनीष कमरे में मेरा इंतजार ही कर रहा था।
स्वाति :: मनीष बहुत ठंड है तुम हीटर चला लो!
मां ने भी कहा था कि ठंड लगे तो हीट चला देना
ठीक है तुम यहां ऊपर आओ बिस्तर पर।
मेरे पैर के तलवे और हाथ की हथेलीयां ठंडी हो रही थीं!
मनीष ने मेरे पैर के तलवों को हाथों से सहलाया और हथेलियों को अपने हाथ में लेकर मुझसे पूछा अभी भी तुम्हें ठंड लग रही है ?
उसकी आंखें कुछ और ही बोल रही थी और होंठ कुछ और कह रहे थे।
नहीं नहीं लग रही !
तुम्हारे लिए कुछ रखा है मैंने तुम खोल कर देखो पैकेट !
पैकेट में लाइट पिंक कलर का बहुत सुन्दर नाइट गाउन था!
तुम चेंज करो मैं मुंह उस तरफ कर लेता हूं।
स्वाति पिंक कलर में बहुत ही प्यारी लग रही थी।
अपनी आंखें बंद करो और हाथ आगे बढ़ाओ मनीष ने उसकी उंगली में डायमंड रिंग पहनाई..
अब आंखें खोलो, स्वाति डायमंड रिंग देखकर खुश हो गई यह बहुत सुंदर है! मनीष बोला तुमसे बहुत कम तुम्हारी उंगली में है इसलिए सुंदर लग रही है।
मनीष से अब उसकी दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी!
पर उसे इस बात की भी फिक्र थी कहीं स्वाति यह न समझे कि मुझे बस उसके शरीर को पाने की जल्दी है वह चाहता था कि स्वाति भी उससे उतना ही प्यार करें जितना वह उससे करना चाहता है!
स्वाति ने मनीष की आंखें बंद कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए !
मनीष ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसकी आंखों में देखते हुए उससे पूछा तो फिर प्यार करने की इजाज़त है ..
बोलो स्वाति ?
मुझे तुम्हारा साथ चाहिए!
मैं चाहता हूं आज की रात हम कभी ना भूल पाएं !
हां मनीष मैं भी यही चाहती हूं!
बाहर ओस गिर रही थी अंदर दो मन प्यार की बारिश में भीग रहे थे।
मेरी पीठ पर नज़्म लिखने की मनीष की ख्वाहिश जो उसे पूरी करनी थी!
"और फिर उस नज़्म को हर्फ़ दर हर्फ़ जीना था उसे.!
मुझे प्यार में इस तरह से सताना उसे बहुत अच्छा लग रहा था।
ग़ज़लें तो जाने कितनी लिखी मेरे चेहरे पर उसने..
पर ये पीठ पर नज़्म लिखने का भूत न जाने कहाँ से सवार हुआ उसके सिर पर..!
उसे रोकने की कोशिश तो बहोत की मैंने वो जिद्दी है ये तो मैं जानती थी पर उसकी दीवानगी ...
उसका ये रूप आज पहली बार देखा मैंने!
पीठ पर उसके होठों की छुअन मुझे पागल बना रही थी।
सारे अल्फाज़, होठों में सिमटकर रह गए !
मेरी उंगलियों में अपनी उँगलियों को उलझाकर उसने अपने और _और
नज़दीक खींच कर
अपनी बाहों के घेरे में कस लिया मुझे,
"और बोला यही कुछ लम्हें हैं प्यार के, जो हम साथ जीते हैं.. बस इतनी सी ही जिंदगी है"
तुम जी लेने दो ना इनमें ,,, आज मुझे मत रोको ना प्लीज।
मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही तुमने, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर माथे पर एक बोसा जड़ दिया!
और मेरी आँखें चूमकर देर तक उनमें न जाने क्या देखते रहे, जब तक कि मैंने शर्म से अपनी पलकें नहीं झुका लीं ! एक बार फिर उसकी आँखों का जादू मुझ पे चल गया था।
मैंने खुद को उसकी बाहों के सुपुर्द कर दिया!
"खो देना चाहती थी मैं अपना वज़ूद उसमें !"
इश्क़ में यूँ भी अपना कुछ कहाँ रहता है आज हमारे बीच की हर दूरी को मैं मिटा देना चाहती थी !
खिड़की से होकर गुज़रती मोगरे की बेल और उसमें से छुपकर झाँकता चाँद हमारे प्यार का ग्वाह था!
हवा के झोंके जब बेल से टकराते तो वो इस तरह शर्मा जाती जैसे कोई नयी नवेली दुल्हन सुहागरात को अपने घूँघट के उठाने पर शर्म से दोहरी हो जाती है. .!
मोगरे के फूलों की महक हमारी साँसों मैं नशा सा घोल रही थी .!विंडचेम की मधुर ध्वनि डिवाइन सा फील करा रही थी !
रात ढल रही थी.. "पर हमारी आँखों मैं खुशियों के उजाले भरकर .! तभी एक तेज हवा के झोंके ने खिड़की बंद कर दी! अब सिर्फ़ हमारी साँसों का ही शोर सुनायी दे रहा था!
"हम दोनों अपनी धड़कनों को, महसूस ही नहीं कर रहे थे .. उन्हे सुन भी रहे थे ! तभी किसी ने होले से खिड़की से झाँका.. देखा मोगरे की एक डाली हवा से टकराकर खिड़की से अंदर आ गयी .! शायद हमें गुड मॉर्निंग विश करने के लिए ! ढेर सारे मोगरे के फूलों की खुश्बू से कमरा महक उठा।