नील
नील


नील धारावाहिक उपन्यास भाग 31 से 35
नलिनी ने अपना सारा सामान उठाकर बैग में रखा।
"ब्लू कलर की एक प्यारी सी ड्रेस उसने बाहर निकाल कर रख ली थी पहनने के लिए।" जब उसे पता चला था की उसे ऑफ़िस ट्रिप पर नील के साथ गोवा जाना है तो वो बहुत खुश थी। अपनी फ्रेंड के साथ जाकर उसने अपने लिए शॉपिंग की और तभी उसका ध्यान इस ड्रेस पर गया थोड़ी महंगी लगी तब भी उसे तुरंत खरीद लिया।
यूँ तो अपने लिए नलिनी बहुत जरूरी हो तब ही शॉपिंग करती थी।
घर की जरूरतों के अलावा उसे कभी कुछ सोचने का समय ही नहीं मिलता था।
ऑफ़िस में भी वो अपने काम से मतलब रखती दोस्त, पार्टी इन सबसे दूर अपने काम और घर में उलझी रहती।
आज की शाम वो नील के साथ अपने तरीके से बिताना चाहती थी। उसके दिमाग में जो चल रहा था उसकी भनक तक नील को नहीं होने दी उसने।
नील की दोस्ती उसके लिए बहुत कीमती थी। हर एक शख़्स के जीवन में एक वक़्त ऐसा आता है जब उसे एक दोस्त की जरूरत महसूस होती है। जिसके सामने उसे दिखावे का आवरण न ओढ़ना पड़े। बोलने से पहले सोचना न पड़े। रिश्तों की मर्यादा का ताना सर पर उठाकर न चलना पड़े।
"किस सोच में डूबी हो तुम।" "नील ने नलिनी से पूछा?"
किसी भी सोच में नहीं नलिनी बोली।
"चलो तैयार हो जाओ। हाँ, बस तैयार ही हो रही हूँ।
नलिनी उस ड्रेस में बहुत सुन्दर लग रही थी उसने बालों को खुला ही छोड़ दिया आँखों में ड्रेस से मैच करता आइ शेडो, आइ लाइनर लगाया फेस पर भी हल्का सा मेकअप किया रेड लिपस्टिक हाथ में ब्लू चूड़ियाँ..
"नलिनी का ये रूप नील पहली बार देख रहा था।
और उसके इस रूप पर पूरी तरह से मोहित हो गया था वो।" अब उसका मन बाहर जाने का भी नहीं हो रहा था।
"नील, क्या सोच रहे हो? नलिनी के इस सवाल पर चौक सा गया वो.. नहीं कुछ भी तो नहीं।
" चलें.?"
"हाँ। चलो मैं तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था।
पता नहीं क्यूँ नील अपने दिल की बात कहने में संकोच करता था।
नलिनी जानती थी कि नील उसे बहुत प्यार करता है पर न जाने क्यूँ वो अपने मन की बात बोलने में झिझक महसूस करता था।
दोनों बीच पर टहलते हुए चुप थे।
ये चार पांच दिन पता नहीं चल पाया कैसे निकल गए।
"नलिनी ने जब नील को चीया से बात करते हुए सुना तो उसके मन के किसी कोने में शक सा रहा।" वो चाह कर भी मन से नील के करीब नहीं आ पायी। "नील का स्वभाव भी इसकी एक वजह रहा।"
दोनों ही एक दूसरे के साथ वक़्त बिताना चाहते थे। "जब वक़्त मिला तो एक अनकही सी दूरी दोनों के बीच बनी रही और अब उन्हें लग रहा था कि वक़्त रेत सा मुट्ठी से फिसलता जा रहा है।"
नील भाग __31
नील नलिनी का हाथ पकड़कर लहरों के बीच ले गया।
दूर तक फैला नीला समंदर और आकाश जहाँ मिलता प्रतीत होता है।
"नलिनी जलपरी के जैसी सी लग रही थी।
प्रकृति का ये अद्भुत रूप देखकर वो उस पर मुग्ध हो गई ।"
लहरों का स्पर्श उन दोनों के मन में अद्भुत रोमांच पैदा कर रहा था। कितना कुछ था मन में जो नील उससे बोलना चाहता था।
पर उसके सारे शब्द होठों पर आकर अटक जाते थे। नलिनी कभी कभी नील का व्यवहार समझ नहीं पाती थी। जब वो पास होता तो भी उसे लगता वो किसी अजनबी के साथ ही है।
यही कारण रहा वो चाह कर भी नील के करीब नहीं आई, पर नील को कभी किसी बात के लिए मना भी नहीं किया उसने। "आज वो नील से एक पल के लिए भी दूर होना नहीं चाहती थी। पाँव को छूकर जाती लहरों के स्पर्श का रोमांच और नील के हाथों का स्पर्श उसे किसी और ही दुनियाँ में ले जा रहा था।
"जहाँ नील और उसके बीच कोई नहीं था। तेज हवा से बाल नलिनी के चेहरे पर बिखर रहे थे नील उन्हें हाथों के हौले से स्पर्श से पीछे कर रहा था उसे इसमें बहुत मज़ा आ रहा था, इस बहाने वो नलिनी के चेहरे को छू लेता था।
शाम ढल रही थी सूरज की किरणे समुंदर की अथाह जलराशि को अपने अंक में भर कर जैसे विदा माँग रही हों।
धीरे धीरे सूर्य बादलों के आँचल में खो गया।
नलिनी ने नील को अपनी बाहों के घेरे में जकड़ लिया और नील के सीने पर अपने होठ रख लिपस्टिक के निशान उसकी सफेद टी शर्ट पर बना दिए। नील कुछ हैरान सा उसे देख रहा था... क्या हुआ नलिनी ने पूछा.. कुछ भी तो नहीं. बस जाती सांझ अपनी लालिमा तुम्हारे चेहरे पर छोड़ गई है।
"नील मुझे बीयर पीना है।
"क्या.?
तुम ठीक तो हो ना ?
नील उसका चेहरा देख रहा था।"
हाँ नील ।
आज मैं खुद को भूला देना चाहती हूँ।
चलो हम बार में चलते हैं नील बोला..
नहीं नील तुम बीयर और खाने का कुछ सामान पैक करवा लो अब पता नहीं यहाँ फिर कब आना हो .....
अभी तो जितना भी वक़्त हम यहां हैं उसे जी भर कर जी लेना चाहती हूँ मैं।
नील ने बीयर और खाने का सामान पैक करवा लिया।
होटल रूम जाकर नलिनी ने बोला नील मुझे कुछ सामान चाहिए था तुम ला दो प्लीज।
"ओके लाता हूँ।"
नलिनी ने अपने बैग से रेड साड़ी निकाली मैचिंग की चूड़ियाँ पहनी हल्का सा मेकअप कर बुके से रोज निकाल कर उसकी पत्तियों से बेड पर प्यारा सा दिल बनाया। नील ने डोर नोक किया आ जाओ नील ।
और खुद एक लंबा सा घूँघट डाल कर बेड पर बैठ गई
नील उसे देख समझ नहीं पाया कि ये नलिनी को क्या हो गया है।
नलिनी मन ही मन मुस्कुरा रही थी, हैरान परेशान नील का चेहरा उसे अच्छा लग रहा था ।
नील भाग __32
नील ने सारा सामान टेबिल पर रख दिया..
नलिनी को इस तरह देख नील की धड़कने तेज हो रही थीं खुद को सहज करने की कोशिश करते हुए उसने बोला "नलिनी, सुनो।"
"नील, तुम्हें जरा सी भी समझ नहीं है.?"
"सुहागरात पर अपनी दुल्हन से कोई ऐसे बात करता है?"
नील का सर चकरा रहा था, क्या हुआ है इसको क्यूँ ऐसे कर रही है l
"सॉरी डियर" नील समझ गया कि नलिनी ने ड्रिंक किया है।
"नील मेरे करीब आओ।"
नील यूँ तो नलिनी के करीब आने के लिए बेताब रहता था पर आज उसकी हालत नलिनी जैसी हो रही थी। वो परेशान था कि शर्मीली सी जरा सी बात पर रोने वाली लड़की आज इस तरह से बात क्यूँ कर रही है उसे एक बार लगा कहीं किसी ने जादू तो नहीं कर दिया... एक और आइसलैंड किताब में उसने पढ़ा था वहाँ की औरतें आदमी पर काला जादू कर उन्हें अपने बस में कर लेती थीं।
कहीं गोवा में आदमी औरतों पे काला जादू तो नहीं कर देते, नलिनी कल ब्लू ड्रेस में बहुत हॉट लग रही थी कहीं...???
ये क्या हो गया है मुझे... अजीब सा सोच रहा हूँ।
"नील.. हाँ.. नलिनी आ रहा हूँ।"
लाइटस ऑफ कर दो..
क्या?
सुना नहीं तुमने ठीक है करता हूँ पर अंधेरे में मैं कैसे आऊँगा
मोबाईल है तुम्हारे पास..? है तो.. तब क्या दिक्कत है। अरे हाँ... कोई दिक्कत नहीं है।
नील देखो मैं कैसी लग रही हूँ?
मैं उल्लू नहीं हूँ कि अंधेरे में देख सकूँ।
ये तो मुझे ख्याल ही नहीं रहा।
अब नील को गुस्सा आ रहा था। वो समझ गया था कि नलिनी जानकर उसे तंग कर रही है।
एक मिनट आँख बंद करो प्लीज
नलिनी ने फ्लोटिंग केंडिलस जला दिए।
रोशनी के साथ रोज की महक से कमरा भर गया और लाइट म्यूजिक माहौल को रोमांटिक बना रहा था नील का दिल तेज़ धड़क रहा था।
नलिनी उसके करीब आकर बैठ गई,अब देखो नील।"मैं कैसी लग रही हूँ।"
नील ने देखा वो बहुत प्यारी लग रही थी। वो कुछ देर उसे देखता रहा और बोला अगर मैंने शब्दों में कुछ भी बोला तो ये कम होगा इस रूप को मैं अपनी आँखों में सहेज लेना चाहता हूँ।
बादलों के बीच से निकलता चाँद खिड़की से अंदर आने को आतुर हो जैसे, रात आहिस्ता आहिस्ता करवट ले रही थी.. चादर की सिलवटों में गुलाब की पत्तियाँ सिमट गई थीं। नील के सीने पर सर रखकर नलिनी चैन से सो रही थी।
पर नील की आंखों से नींद ग़ायब थी नलिनी को पाकर उसे लगा जैसे अब उसके जीवन में कोई कमी नहीं है।
नील के स्पर्श से गुलाब की पंखुड़ियों की तरह नलिनी का बदन खिल उठा हो जैसे और नील प्यासे भँवरे की तरह पंखुड़ियों के अधरों को चूम रहा था। प्रेम की प्यास कहाँ बुझती है। और ज्यादा बढ़ जाती है। सोचते सोचते सुबह के तीन बजने को आए दिन की फ्लाइट थी।
नील भाग _33
नील ने सारी रात आँखों में ही काट दी। अगर सो जाता तो सुबह उठना संभव नहीं होता।
नलिनी अब भी चैन से सो रही थी नील ने उसे छोटे बच्चे की तरह से अपने अंक में समेट लिया और उसकी आँखों को चूम कर बड़े प्यार से उसे जगाया।
नलिनी ने घड़ी देखी पाँच बज गए थे वो जल्दी से उठकर तैयार हो गई दोनों ने अपना सारा सामान पैक किया सात बजे की फ्लाइट थी उनकी। निकलते निकलते छह बज गए।
"तिनका तिनका कर इन दो परिंदों ने अपने ख्वाबों का जहां बुना था।"
ये नहीं जानते थे कि इनके ख़्वाब कभी हकीक़त की जमीन पर अपने पर फैला पाएँगे। "गर शिद्दत से कुछ चाहो तो सारी कायनात हमें उसे हमसे मिलाने में जुट जाती है ऐसा सुना था"
"सच होते देखा तो इस बात का यक़ीन मज़बूत हो गया।"
और अब ये अपने ख्वाबों से बाहर की दुनिया में उड़ान भरने को तैयार थे। ख्वाबों के महल में रोपे प्रेम के बीज अंकुरित होकर अनंत तक विस्तार लेंगे और उसकी छाया में ये अपने सपनों को साकार करने के ख़्वाब देखा करेंगे।
विदाई हो या जुदाई दोनों ही स्थितियों में मन को समझाना कठिन होता है।
"दोनों ही ख़ामोश थे। शब्द भी कभी-कभी जुबां का साथ छोड़ दिया करते हैं।" एयर पोर्ट से दोनों ने अपने घर के लिए टैक्सी ली।
भीगा मन और नम आँखों से दोनों अपने घरों को चल दिए।
घर पहुँच कर नील को आदत थी अंश को बुलाने की और अंश भी पापा की आवाज़ सुनते ही नन्हे कदमों से डगमगाता हुआ आता एक दो बार गिरता फिर हँसकर ताली बजाता।
माँ नील के लिए पानी ले आई और सफ़र के बारे में पूछने लगीं।
नील थका हुआ था लेकिन ऑफ़िस टाइम पर पहुँचना था उसने माँ को बताया और अपने रूम में चला गया। थोड़ी देर बिस्तर पर लेटने का लालच कहाँ रुकता है। उसने अंश को कॉल किया पापा को देखकर अंश खुशी से ताली बजा रहा था।
नलिनी ने भी घर पहुंच कर थोड़ी देर आराम किया एक कप चाय बनाकर पी।
उसे समय से ऑफ़िस पहुँचना था। ऑफ़िस में नील और नलिनी जरूरत जितनी ही बात करते थे।
माँ ने खाना टेबिल पर लगा दिया था।
नील ने जल्दी से खाना खाया और ऑफ़िस के लिए निकल गया।
नील भाग _34
नील दिन भर ऑफ़िस के काम में व्यस्त रहा लंच टाइम में केंटीन में नलिनी को देखा दोनों के बीच औपचारिक तौर पर बातचीत हुई।
नील के चेहरे से थकान दिख रही थी।नलिनी ने मेसेज कर के उसे घर जाकर पूरी नींद लेने के लिए बोला।
नील ने मेसेज पढ़ कर स्माइल दी।
लंच टाइम ख़त्म हो गया था।
नील ने माँ को फोन कर उनकी तबियत पूछी उसके बाद अपने काम व्यस्त हो गया। चीया की माँ की तबियत अब ठीक थी।
उसने अपने पापा से कहा कि वो अंश को बाहर घुमाने ले जा रही है, साथ ही जरूरत का कुछ सामान भी लेते आएगी आपको अपने लिए कुछ चाहिए तो बता दीजिए लेते आऊँगी।
मुझे तो कुछ भी नहीं चाहिए। तुम अंश का ध्यान रखना अभी छोटा है.. जी पापा।
चीया ने रेहान को कॉफी हाउस में आने को बोला था वो लोग पहले भी वहीं मिलते थे।
पिछले तीन दिनों से रेहान का कॉल आ रहा था पर माँ के पास होने के कारण चीया ने फोन नहीं उठाया उसने रेहान को मेसेज कर दिया था।
रेहान को आता देख चीया ऐसा दिखाना चाह रही थी कि वो अपने में ही व्यस्त हैं। वो अंश से बात कर रही थी।
रेहान कुछ देर देखता रहा अंश को प्यार करने का उसका बहुत मन हो रहा था।
"हैलो चीया, रेहान बोला।"
"हैलो, कैसे हो रेहान?
चीया ने पूछा।
" देख लो।"
"तुम्हारे सामने हूँ जैसा भी हूँ।""ह्म्म्म।"
"दिख तो अच्छे रहे हो। के
बीबी के प्यार का रंग चढ़ गया है चेहरे पर।
तुम भी बहुत सुन्दर लग रही हो।
नील के प्यार का रंग है या ?
रेहान ये फिजूल बकवास करना बंद करो।
तुम अपने काम में कितने सफल हुए.?
बहुत हद तक। "मेरा बेटा मेरी गोद में दो। कब से इसको बाहों में भरने को तड़प रहा हूँ।" रेहान बोला।
और मैं? सोचा कभी कैसे ये साल गुज़ारा तुम्हारे बिना?
कितनी रातें तुम्हारी याद में आँसूओं से तकिया भिगोया है मैंने।
कुछ दिन और मेरी जान, उसके बाद हर रात मेरी बाहों के तकिये पर सोना।
रेहान ने जैसे ही अंश को गोद में उठाया वो जोर से रोने लगा। चीया ने चुप कराने की कोशिश की पर सब बेकार।
चीया ने अंश को लेकर जोर से चिपटा लिया। वो सोचने लगी नील को देखकर तो अंश कभी नहीं रोया।
उसके पास आते ही खुशी से ताली बजाने लगता है। क्या सोच रही हो चीया ?
"नहीं, कुछ भी नहीं।"
"सुनो, अब तुम निकलो यहाँ से अगर किसी ने देख लिया तो फालतू बवाल होगा।
कब तक हो तुम यहाँ? कुछ तय नहीं अभी। अब तुमसे मिलना नहीं होगा
तुम मेसेज कॉल भी नहीं करना, मैं खुद तुम्हें कॉल कर लूँगी।
"ओके स्वीट हार्ट, चलता हूँ।"
तुम अपना ख्याल रखना, और मेरे अंश का भी। लव यू।
रेहान के जाते ही चीया ने अंश को गोद में उठाया और कॉफी हाउस से बाहर निकल कर घर के लिए टैक्सी ली।
नील भाग _35