Radha Shrotriya

Romance Fantasy Thriller

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Radha Shrotriya

Romance Fantasy Thriller

नील उपन्यास

नील उपन्यास

68 mins
359


नलिनी : मैं गुनाहों का देवता उपन्यास की सुधा नहीं बनना चाहती, और तुम्हें भी चन्दर नहीं बनने दूंगी।

दीवानगी की हद तक दोनो एक दूसरे को चाहते थे पर सुधा अपने पिता से अपने मन की बात नहीं कह पाती न ही चन्दर उसका हाथ माँगने की हिम्मत कर पाता।

आखिर में होता क्या है न तो सुधा अपनी शादी शुदा जिंदगी अच्छे से जी पाती है न ही चन्दर उसे भुला पाता है 

 बच्चे को जन्म देते समय कमज़ोरी के कारण सुधा मर जाती है चंदर के सिवा कोई दूसरा उसके मन में नहीं बस पाता।

उस किताब को पढ़ने के बाद कितने दिनों तक एक ही बात बार बार मेरे दिमाग में कौंधती रही जब प्यार करते थे तो हिम्मत क्यूँ नहीं की सच बोलने की!

अपने प्यार को समाज के सामने स्वीकार करने की ज्यादा से ज्यादा क्या होता ?

मना करते पर एक प्रतिशत हाँ की भी उम्मीद थी!

इन तीन दिनों में मैं अपनी सारी जिंदगी तुम्हारे साथ जी लेना चाहती हूँ।

बाद में मुझे किसी बात का दुख नहीं होगा में चाहें कहीं भी रहूँ।

हीरा तुम्हें भी इस बात का अफसोस नहीं रहेगा कि जिसे चाहा उसे बोल भी नहीं पाया।

हीरा : चलो उठो नलिनी जल्दी से तैयार हो जाओ..

नलिनी : कहाँ जाना है.?

हीरा : तैयार हो जाओ साथ में ही चलोगी पता चल जाएगा मैं नहाकर आता हूँ!

नलिनी : हैरान सी हीरा को देखती है।

वो बाथरूम में जाता है तब तक नलिनी तैयार हो जाती है.. 

उसने पिंक कलर की वन पीस ड्रेस पहनी है.. जो हीरा के साथ कॉलेज के लिए खरीदी थी! मैचिंग शूज बाल खुले ही रखती है..।

नलिनी खुद को आईने में देख आश्चर्य में पड़ जाती है.. 

वो बहुत ही अच्छे लग रही थी।

ये वन पीस हीरा के कहने पर ही लिया था उसने!

हीरा नहाकर आ जाता है नलिनी को देख कर कुछ भी नहीं बोलता..।

नलिनी को लग रहा था कि हीरा उसकी तारीफ करेगा।

हीरा : फाइव मिनिटस में रेडी होकर आता हूँ तुम नीचे तक चलो..

नलिनी : मैं साथ में चलूँगी।

हीरा : यहाँ कोई नहीं पकड़ेगा तुम्हें और अब आदत डाल लो अकेले आने जाने की!

चलो हीरा तैयार हो जाता है ब्लू जींस और लाइट पिंक कलर की शर्ट पहन लेता है वो 

टैक्सी लेता है और उसे करीब के किसी मंदिर चलने के लिए बोलता है।

मंदिर के पास टैक्सी ड्राइवर रुक जाता है।

हीरा : नलिनी चलो… वो नलिनी का हाथ पकड़कर मंदिर के अंदर ले जाता है।

राधा कृष्ण जी का मंदिर था.. 

नलिनी : राधा कृष्ण जी के हाथ जोड़ती है तो उसे अपने पेंडल के कृष्ण जी याद आ जाते हैं 

वो सोचती है भगवान श्रीकृष्ण ने शादी रुक्मणी जी से की थी रुक्मणी जी की शादी उसके भाई ने किसी और से तय की थी रुक्मणी जी ने कृष्ण जी को चिट्ठी भिजवाई जिसमें अपने प्रेम का इज़हार किया और कहा कि मन से में आपको ही अपना मान चुकी हूँ और भगवान सबकी नजर चुरा के सबके बीच में उन्हें मंदिर से अपने साथ ले जाते हैं और उनसे विवाह कर लेते हैं प्रेम को ईश्वर ने भी पाप नहीं माना!

और मंदिर में उन्हें राधा जी के साथ पूजा जाता है उनकी पत्नी के साथ नहीं..?

प्रेम को जानना समझना आसान नहीं है एक पूरा दर्शन है..

हम उतना ही जान पाते हैं जितनी जरूरत भर है जैसे प्यास बुझाने के लिए दो घूँट पानी पी लेते हैं एक लंबी तपस्या है प्रेम।

राधा जी ने एक जन्म इंतज़ार किया भगवान को पाने के लिए तब जाके उन्हे कृष्ण जी की प्रेमिका होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ!

नलिनी का दिमाग चकरा जाता है उसे इससे ज्यादा कुछ पता नहीं, ये भी दादी के साथ कृष्णा सीरियल देखने की वजह से ही पता चल पाया!

हीरा :नलिनी क्या सोच रही हो तुम..? यहाँ आओ।

तब तक मंदिर करीब खाली हो चुका था मंदिर के पट बंद होने का समय हो रहा था..

नलिनी : बोलो हीरा.. 

हीरा : नलिनी का हाथ पकड़कर पुजारी जी से बोलता है हम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं और एक दूसरे को अपनाना चाहते हैं प्रेम को स्वीकार करने के लिए यहाँ ज्यादा पावन जगह और कोई हो ही नहीं सकती।

पुजारी जी : दोनों हाथ आगे बढ़ाओ

हीरा नलिनी आगे हाथ बढ़ाते हैं पुजारी जी उसमें अक्षत, कुमकुम, फूल उनके हाथ में रख दोनों की मुट्ठी बंद कर कुछ मंत्रों का उच्चारण करते हुए मुट्ठी खोल कर वो मंदिर में चढ़ाने को कहते हैं और भगवान के गले से दो माला उतारकर उन्हें देते हैं हीरा नलिनी को पहनाता है नलिनी उसकी शक्ल देखती रह जाती है.. 

हीरा : सोच लो अब भी.. नलिनी झेंप जाती है इस बात की तो कल्पना भी नहीं की थी उसने वो हीरा को माला पहना देती है!

पुजारी जी दोनों के माथे पर टीका लगा देते हैं!

दोनों पुजारी जी के पाँव पड़ते हैं पुजारी जी उन्हें आशीर्वाद देते हैं..!

हीरा 1100 रुपए दक्षिणा पुजारी जी को देता है!

पुजारी जी : नहीं बेटा ये आप रखो किसी जरूरत मंद की मदद कर देना..

आजकल बड़े शहरों में लड़के लड़कियाँ लिव इन रिलेशन में रहते हैं..

उनके माँ पिता तक को इसकी जानकारी तक नहीं होती और तुम लोग इसके लिए भी परमेश्वर को साक्षी बना रहे हो.. अच्छा लगा देखकर आज के युवा प्रेम को पूजते भी हैं खुश रहो बच्चों!

हीरा : नलिनी चलें..?

नलिनी :मुस्कुरा देती है.. उसकी की आँखें छलक आती हैं.. हाँ! चलो

माला मंदिर में ही एक पेड़ के नीचे रख देते हैं दोनों!

नलिनी : हीरा बहुत जोर की भूख लगी है।

हीरा : चलो.. टैक्सी ड्राइवर से अच्छा खाने को कहाँ मिलेगा यहाँ आस पास..

टैक्सी ड्राइवर : चलिए साहब.. पास ही एक रेस्टोरेंट के पास गाड़ी रोक देता है 

हीरा : आओ नलिनी.. ड्राइवर से भी खाने के लिए पूछता है.. वो मना कर देता है साब घर से चार परांठे खाकर निकलता हूँ! आप लोग खाइए में इंतज़ार करता हूँ!

नलिनी क्या खाना है मेन्यू कार्ड नलिनी को देता है कुछ भी तुम ही ऑर्डर कर दो.. 

हीरा वेटर को खाने का ऑर्डर देता है दोनों ही भूखे थे ट्रेन में भी ठीक से नहीं खाया था हीरा आइसक्रीम मंगवाता है खाकर हीरा बिल पे करता है नलिनी मुट्ठी भर कर सौंफ मिश्री ले लेती है!

उसकी हरकत पर हीरा को हँसी आ जाती है!

टैक्सी ड्राइवर: से होटल चलो.. 

हीरा : नलिनी ये लो चाभी तुम रूम में जाकर आराम करो मुझे बैंक का कुछ काम है उसे निपटा कर आता हूँ!

चलो ड्राइवर साब..

ड्राइवर : कहाँ चलना है साब..? 

हीरा : यहाँ का मार्केट कहाँ है मेन मार्केट

ड्राइवर : करीब ही है साब.. पाँच मिनट यहाँ से 

लो साब गाड़ी यहीं पार्क करनी होगी.. 

हीरा : ठीक है मैं अभी आता हूँ।

हीरा नलिनी के लिए बहुत सुन्दर रिंग लेता है! और एक प्यारा बड़ा सा बुके बनवाता है।

'रेड रोज के साथ रजनी गंधा के फूल' 

फ्रूट केक लेता है उसे पता था नलिनी खुश हो जाएगी.. इतने सालों से उसके साथ रहते उसकी पसंद नापसंद मालूम थी उसे!

ड्राइवर साब चलो.. टैक्सी के अंदर बैठते हुए हीरा बोला!

नलिनी : रूम खोलती है और थोड़ी देर तक उसे लगता है कि उसने कोई सपना देखा है! वो आँख बंद कर लेट जाती है उसे नींद आ जाती है।

दरवाज़े पर नॉक की आवाज़ सुनकर डोर ओपन करती है!

हीरा : तुम्हारी नींद खराब हो गई मेरी वजह से..

नलिनी : नहीं हीरा, तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी तो नींद लग गई थी!

हीरा के हाथ में बड़े बेग देख पूछ लेती है क्या है इनमें..?

हीरा : धीरज रखो बालिके! बताएँगे.. अभी आराम कर लो तुम. 

मैं भी थक गया हूं थोड़ा सोने दो..!

नलिनी : उसे लगा था कि हीरा आकर उसे अपनी बाहों में भर लेगा, प्यार करेगा, तारीफ करेगा पर ये तो सो नींद रही है.. हद है..

बिस्तर पर चुपचाप लेट जाती है! थोड़ी देर में उसे नींद आ जाती है !हीरा करवट लेता है नलिनी को सोते हुए देख कर हीरा को उस पर बहुत प्यार आता है !

हीरा सोचता है अब भी नलिनी उतनी ही मासूम है जैसी उसने पहली बार देखी थी।

हॉस्टल में कैसे रहेगी ये लड़की सोचता हुआ हीरा उसे प्यार करने के लिए हाथ बढ़ाता है.. 

पर खुद को रोक लेता है कहीं नलिनी की नींद न खुल जाए!

थोड़ी देर में हीरा भी सो जाता है शाम के छह बजे का वक़्त होगा मोबाइल फोन कॉल से हीरा की नींद खुल जाती है पंडित जी का कॉल आ रहा था हीरा कॉल उठाता है.. हैलो…

पंडित जी : हीरा कैसे हो..

हीरा : मैं अच्छा हूँ!

पंडित जी : नलिनी बिटिया कैसी है..? 

कोई दिक्कत तो नहीं हुई रास्ते में उसे!

नलिनी अच्छी है अभी सो रही है!

कोई दिक्कत नहीं हुई रास्ते में आराम से आए हम लोग!

पंडित जी : अपना ध्यान रखना दोनो!

हीरा : जी हाँ! पंडित जी फोन काट देते हैं 

हीरा चाय ऑर्डर कर देता है.. बिस्किटस खाने के सामान वाले बैग से निकाल लेता है!

दरवाज़े पर नॉक होता है हीरा चाय अंदर रखने को बोलता है..।

नलिनी उठो शाम हो गई है!

नलिनी : मोबाइल में टाइम देखती है.. ओहहह.. पूरा दिन निकल गया..!

हीरा : कौन सी आफत आ गई है..?

नलिनी : तुम्हें हर वक़्त मौका चाहिए मेरी बात पकड़ने का? 

हीरा :अ रे मेरा वो मतलब नहीं था अच्छा है ना सोने से तुम्हारी नींद पूरी हो गई।

आओ चाय पीओ और बिस्किटस भी हैं तुम्हारे पसंद के 

नलिनी : थैंक यू हीरा.. तुम मेरा कितना ख़्याल रखते हो।

हीरा : सिर्फ आज के लिए.. कल से दो दिन सब तुम करोगी.. देखना चाहता हूँ हॉस्टल में कैसे मैनेज करोगी तुम।

नलिनी : ठीक है देख लेना।

हीरा : तुम्हें बाहर चलना है कहीं… शॉपिंग..? बाहर खाने या यहीं पर डिनर ऑर्डर करना है..? 

नलिनी : चलते हैं! देख लेंगे जो मन होगा।

हीरा : मैंने पता किया था यहाँ कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने लायक है और यहाँ से ज्यादा दूर भी नहीं है यूँ तो बहुत जगह हैं देखने की अब तुम यहाँ रहोगी तब घूमना जब भी मौका मिले और मुझे कॉल करके बताना।

ये पार्क बहुत सुंदर है.. पार्क में बना सरकारी संग्रहालय भी देखने लायक है। यहाँ "पर होयसला शिल्पकला, मोहनजोदड़ो से प्राप्त प्राचीन तीरों, सिक्कों और मिट्टी के पात्रों का शानदार संग्रह है.. पर उसके लिए हम लेट हो गए हैं।

नलिनी : जब मेरी छुट्टियाँ लगेंगी ना तब तुम आ जाना में दादी से बोल दूंगी तुम्हें भेज दें तब बैंगलोर घूमेंगे हम!

हीरा :ठीक है! अभी चलते हैं.. 

दोनों मार्केट में घूमते हैं पानी पूरी, आलू टिक्की खाते हैं उसके बाद आइसक्रीम खाते हैं!।

हीरा नलिनी से बोलता है तुम कोई ड्रेस देख लो अपने लिए अगर पसंद आए तो ले लेना नहीं तो कल हम आएँगे ही।

नलिनी : चलो.. दोनों मॉल में अंदर जाते हैं।

हीरा को रेड कलर का ऑफ शोल्डर गाउन पसंद आता है, 

वो नलिनी को उसे ट्राइ करने के लिए बोलता है।

नलिनी गाउन पहन कर उसे दिखाती है वो उसे देख कर पलके झपकाना भूल जाता है.. हीरा.. नलिनी आवाज़ लगाती है. क्या हुआ..? 

कुछ नहीं तुम इसे पेक करवा लो।

हीरा काउंटर पर पेमेंट करता है।

दोनों होटल में अपने रूम में आ जाते हैं।

हीरा : नलिनी तुम्हें रेड ड्रेस पसंद आई.? 

नलिनी : बहुत ज्यादा.. बहुत ही सुन्दर है।

हीरा : तुम उसे पहनो तैयार हो कर दिखाओ 

नलिनी : नहाकर.. अभी मार्केट से आए हैं और नया ड्रेस।

हीरा : ठीक है पहले तुम नहाने जाओ… . 

तुम तैयार होगी तब तक मैं नहा लूँगा।

नलिनी :नहाकर तैयार हो जाती है।

हीरा: जब नलिनी को देखता है तो देखता ही रह जाता है।

नलिनी तुम सचमुच की प्रिंसेस लग रही हो।

रेड कलर तुम पर बहुत खिल रहा है तुम ताजा खिले गुलाब की तरह दिख रही हो, आज के बाद ये ड्रेस किसी के भी सामने नहीं पहनना लोग तुम्हें ऐसे देखकर पागल हो जाएंगे।

नलिनी : हीरा ये अतिश्योक्ति है.. 

हीरा : मैं झूठ नहीं बोलता.. और तुम्हारे मामले में तो कभी नहीं।

नलिनी का हाथ पकड़कर बहुत प्यार से किस करता है आइए प्रिंसेस बेड पर बिठाता है नलिनी आँख बंद करो.. 

नलिनी : क्यूँ.? 

हीरा : प्लीज कोई सवाल नहीं! नलिनी आँख बंद करती है।

हीरा केक निकाल कर टेबिल पर रखता है केंडिल लगाकर जलाता है! रिंग निकाल कर जेब में रख लेता है और हाथ में बुके लेकर लाइटस ऑफ कर देता है।

आँखे खोलो प्रिंसेस… नलिनी चौंक जाती है, इतने प्यारे फूल हीरा तुम बहुत अच्छे हो इतने सारे फूल नलिनी का चेहरा उन फूलों की तरह ही खिल जाता है हीरा जेब से रिंग निकाल कर उसे पहना देता है।

नलिनी को कुछ समझ में नहीं आता कि ये सब हीरा ने कैसे किया।

मंत्रमुग्ध हो देखती है वो हीरा उसकी उँगली की अँगूठी को चूमता है और उसका हाथ पकड़कर उसे बेड से अपनी गोदी में उठाकर उसके होठों को गहरे चूम लेता है फिर उसकी आँखों में देख कर पूछता है तुम्हें और चूमने की इजाज़त है प्रिंसेस तुम्हारे होठ शहद से ज्यादा मीठे हैं डरता हूँ शुगर न हो जाए मुझे.. हीरा.. बहुत गंदे हो तुम नलिनी उसके हाथ पर जोर से काट लेती है.. 

आउच…. . लग गई है मेरे बहुत जोर से 

नलिनी : दिखाओ हीरा.. उसका हाथ देखती है और अपने होठ उस पर रख लेती है सॉरी हीरा।

हीरा : एक शर्त पर माफ़ी मिलेगी.. 

नलिनी : वो क्या..? 

हीरा : हाथ की जगह मेरे होठों पर अपने होठ रख दो।

नलिनी : ये चीटिंग है हीरा.. 

हीरा : कोई बात नहीं नलिनी मैं तुम्हें परेशान करना नहीं चाहता।

नलिनी :हीरा मैं तुम्हें दुखी नहीं देख सकती।

तुम भी क्या याद करोगे.. नलिनी हीरा के होठों को गहरे चूमती है जब तक की हीरा बैचेन हो उससे छोड़ने के लिए नहीं बोलता है।

हीरा : नलीनी केक काटो.. 

नलिनी : साथ में काटेंगे हीरा।

दोनों केक काटकर एक दूसरे को खिलाते हैं।

नलिनी :हीरा इतना सब करने के लिए थैंक्स।

ये सब तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

हीरा : हीरा शायराना मूड में आ जाता है.. 

"मेरे दिल के आँगन में कभी बहार आएगी 

उम्मीद मेरी बाहों में भी मुस्कुराएगी 

जिंदगी इतनी खूबसूरत हो जाएगी" 

ये तो ख़्वाब में भी नहीं सोचा था मैंने नलिनी।

"तुम मिली हो जैसे ख़ुदा की रहमत है मुझ पर,

 मुझे जिंदगी की बेशकीमती दौलत से 

नवाजा है उसने अब और क्या मांगू में उससे।

मेरा खाली दामन ख़ुशियों से भर गया है आज, 

अब मौत भी आ जाए तो ग़म नहीं!!!।

नलिनी हीरा के मुँह पर हाथ रख देती है।

केंडिल ख़ामोशी से पिघल रही थी लौ उतनी ही तेज हो रही थी.. 

नलिनी का अपनी धड़कनों पर काबू नहीं था.. हीरा अपनी आँखों में उसके रूप को बसा लेना चाहता था।

नलिनी की कोमल हथेलियों की तपिश से हीरा अंदर ही अंदर पिघल रहा था।

वो नलिनी की पवित्रता को बनाए रखना चाहता था।

नलिनी की कोमलता और मासूमियत देख उसे छूने से भी उसे डर लग रहा था।

नलिनी उसके होठों से अपना हाथ हटा लेती है।

और उसके सीने पर सर टिका कर बोलती है

हीरा अब तो ईश्वर को साक्षी मानकर ही तुमने मुझे अपना मान लिया है।

तुम ऐसा करोगे ये तो कभी सोच भी नहीं सकती थी मैं।

"आज फिर तुमने मुझे मुझसे चुरा लिया है!" 

हीरा अपनी बाहों में नलिनी को समेट लेता है दोनों बातें करते हुए सो जाते हैं।

दूसरे दिन नलिनी और हीरा का सारा दिन शॉपिंग में निकल जाता है रात को थक के चूर हो बिस्तर पर गिरते हैं और कब एक दूसरे के करीब और करीब आ जाते हैं दो बदन के बीच की दूरियाँ ख़त्म हो जाती हैं हीरा थक कर अपना सर नलिनी के सीने पर रख लेता है नलिनी उसके बालों में अपनी उंगलीयां फँसा लेती है… नलिनी की धड़कन उसे सुरीले संगीत की तरह लगती है उसे सुनते हुए ही वो सो जाता है।

सुबह देर तक दोनों सोए रहते हैं! 9 बजे हीरा की नींद खुलती है नलिनी बेसुध हो सो रही थी हीरा उसे बेड शीट उढ़ा देता है और नहाने चला जाता है..।

चाय और ब्रेकफास्ट ऑर्डर कर आज के काम की लिस्ट बनाता है उसके बाद नलिनी को उठाता है और पानी का गिलास देता है नलिनी पानी पीकर गिलास रख देती है.. 

उसकी आँखों से टप टप आँसू टपकने लगते हैं।

हीरा को इस बात का ही डर था।

नलिनी को चुप कराता है नलिनी बच्चों की तरह उसे कस कर पकड़ लेती है.. हीरा तुम्हारे बिना मैं कैसे रहूँगी..? 

हीरा : तुम यहाँ क्यूँ आई हो पता है ना.. रामकिशन जी दादी की इतने सालों की तपस्या भुला दोगी तुम.. 

नलिनी : नहीं..।

हीरा : उठो जल्दी से ब्रश कर के आओ चाय ब्रेकफास्ट इंतज़ार कर रहा है.. 

नलिनी : आओ हीरा चाय कप में डालती है।

दोनों चाय पीकर सेंडविच खाते हैं 

हीरा :नलिनी तुम जल्दी से तैयार हो जाओ 1 बजे का टाइम है तुम्हारे कॉलेज में जो भी फॉर्मेलिटीस हैं वो पूरी करके तुम्हारा हॉस्टल देख कर फ़ाइनल करना है।

नलिनी तैयार हो जाती है दोनों बाहर से लंच कर कॉलेज पहुंच जाते हैं।

वहाँ नलिनी को स्कूल की दो फ्रेंड मिल जाती हैं।

हॉस्टल में एक रूम में चार लड़कियाँ को रहना था 

दो नलिनी की फ्रेंड मिल गयीं थी तो उसका आधा टेंशन खत्म हो गया।

नलिनी उनका मोबाइल नंबर ले लेती है और अपना उन्हे देती है।

उन्होने कहा कि वो कल के बाद हॉस्टल में शिफ्ट करेंगी।

नलिनी उनके पेरेंटस से मिलती है हीरा को भी मिलवाती है।

उन लोगों से बात कर उनसे बाय कर नलिनी और हीरा वापिस आ जाते हैं!

कॉलेज से सम्बन्धित सारी जानकारी कॉलेज की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाती है. नलिनी के मोबाइल पर मेसेज आ जाता है!

वो घर फोन कर दादी और रामकिशन जी को बता देती है कि एक दिन बाद हॉस्टल जाना है! और उसकी दो फ्रेंड भी रूम में साथ रहेंगी।

दादी रामकिशन जी की चिंता कम हो जाती है।

अब जाकर सुकून की साँस मिली है नलिनी बोलती है और बेड पर पसर जाती है..।


नील भाग ६२

हीरा : अब आगे का क्या प्लान है..

कल का दिन तुम्हें और मिल गया है।

नलिनी : हीरा जो भी मैं कहूँगी तुम वो मानोगे?  

हीरा : अगर मेरे बस में हुआ तो जरूर।     

नलिनी :हीरा मुझे कुछ शॉपिंग करना है।    

हीरा : शॉपिंग तो तुम कर चुकी हो अब क्या लेना है? 

नलिनी : वो जो भी मुझे लेना है मैं ले लूँगी, 

तुम मुझे मार्केट ले के चलो।      

हीरा :चलो।     

नलिनी : मार्केट पहुंच कर हीरा तुम थोड़ी देर यहाँ टहल लो तब तक मैं आती हूँ।

हीरा : अकेले कहाँ जा रही हो मैं भी साथ चलता हूँ।

नलिनी : उस दिन तुमने ही कहा था अकेले आने जाने की आदत डाल लो तो आज से ही अकेले जाना शुरू करती हूँ।

 तुम चिंता नहीं करो मोबाइल तो है ही तुम्हारे पास अगर मुझे आने में देर हो तो तुम कॉल कर लेना।

हीरा जानता है नलिनी कितनी जिद्दी है, वो उसे जाने देता है।

नलिनी साड़ी की दुकान में बहुत सारी साड़ियाँ देखती है…..

उसे शिफान की प्लेन यैलो कलर की साड़ी पसंद आती है

वो उसे पेक करने के लिए बोलती है।    

सामने वाले स्टोर से मैचिंग की चूड़ियाँ ईयर रिंग, नेकलेस और माँग में डालने का सिंदूर लेती है!

फ्लावर्स वाली शॉप से मोगरे की दो वेणी खरीद कर बैग में डाल लेती है।   

हीरा के पास जाकर चलो कुछ अच्छा सा खा लेते हैं।    

हीरा : ये अच्छा सा क्या होता है।

नलिनी : पानी पूरी, भेल पूरी और भी कुछ ऐसा ही..    

हीरा : चलो..

दोनो राजस्थान चाट वाले की दुकान पर पानी पूरी, आलू टिक्की और दही भल्ला खाते हैं।   

नलिनी : हीरा आइसक्रीम भी खाते हैं। 

 हाँ, चलो।    

 आइसक्रीम खाकर दोनों वापिस होटल में आ जाते है!

हीरा :नलिनी तुमने बताया नहीं क्या लिया है मार्केट से..

नलिनी : सरप्राइज है।

तुम थोड़ी देर के लिये उस तरफ मुँह करके लेट जाओ 

हीरा : ओके!

नलिनी बाथरूम में जाकर चेहरे को साफ करती है उसके बाद हल्का सा मेकअप करती है काजल थोड़ा डार्क लगाती है रेड बिंदी बाल खुले छोड़ देती है!

ईयर रिंग पहन कर काँच में देखती है खुद को ही वो अच्छी लगती है!

नेकलेस, चूड़ी पहन कर देखती है.. ब्लाउज की जगह अपना टॉप पहन लेती है!

अब साड़ी पहनने के लिए रूम में आ जाती है

साड़ी पहनकर दोनों वेणी मिलाकर एक लंबी वेणी कर के बालों में क्लिप से लगा लेती है!

सिंदूर की डिब्बी हाथ में लेकर.. 

हीरा तुम उस तरफ मुँह करके उठो!

जब मैं बोलूँ तब ही आँख खोलना!

हीरा : तुम कर क्या रही हो

नलिनी : एक मिनट.. हीरा आँख खोलो.. 

हीरा :नलिनी को देखता ही रह जाता है वो बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थी!

नलिनी : अब बोलो सरप्राइज कैसा है!

हीरा : जीने नहीं दोगी, मार ही डालोगी तुम मुझे!

सिंदूर की डब्बी हीरा को देती है!

और साड़ी का पल्ला सर पर डाल लेती है!

हीरा : उसके हाथ से सिंदूर ले लेता है नलिनी इसकी क्या जरूरत है? 

जब भगवान के सामने तुम्हें स्वीकार कर लिया है मैंने।

नलिनी : मेरी खुशी के लिए तुम नहीं कर सकते?

हीरा : अब तक सब तुम्हारी खुशी के लिए ही किया है पर सिंदूर..

नलिनी : हाँ, "सिंदूर!"

तुम अपने हाथ से मेरी माँग में भर दो!

 "आज रात और कल का दिन और रात मैं सुहागन जैसे ही रहना चाहती हूँ!" 

हीरा : नलिनी की माँग में सिंदूर डालता है नलिनी का चेहरा निखर उठता है।

नयी नवेली दुल्हन सी लजाती नलिनी हीरा के पैर छूने के लिए झुकती है तो हीरा उसका हाथ पकड़ कर चूम लेता है!

नहीं नलिनी, तुम पैर नहीं.. 

"पैर तो मुझे तुम्हारे पड़ना चाहिए, साक्षात, लक्ष्मी और सरस्वती का अद्भुत संगम लग रही हो तुम!" 

और मेरा ये मानना है "स्त्री को पुरूषों के नहीं पुरुषों को स्त्री के पैर पड़ना चाहिए!" 

स्त्री नो महीने उसे अपनी कोख में रख कर अपने लहू से उसका भरण पोषण करती है!" 

काश की मेरा भी ऐसा नसीब होता.. 

तुम्हारे बच्चे को जन्म देने का गौरव मुझे हासिल होता!

हीरा : नलिनी कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं होतीं उसे ईश्वर के ऊपर छोड़ देना चाहिए!

ये वक़्त जो मिला है हमें, ये भी उसकी रहमत है।

"इतने हसीं लम्हें हम साथ में मिलकर बिताएंगे मैंने सपने में भी कभी इसकी कल्पना नहीं की थी!"

नलिनी : हीरा तुम सच कह रहे हो!

जिंदगी इतनी भी खूबसूरत होती है पता ही नहीं था!

नलिनी : हीरा का हाथ पकड़ लेती है! हीरा तुम्हारे बिना जीने की आदत ही नहीं है जब से समझदार हुई हूँ तुम्हें हमेशा अपने साथ देखा है!

घर से स्कूल आना जाना, ट्यूशन जाना, खेलने कुछ खाने का मन हो तो भी तुम्ही मुझे ले कर जाते थे।

और सब लड़कियों के घर पर उनके मम्मी पापा उनका ध्यान रखते हैं!

भाई, बहन होते हैं दोस्त साथ में खेलने के लिये!

मेरे साथ दादी और तुम.. जब पंडित जी रहते थे तब मैं छोटी थी!

रामकिशन जी कभी कभी आते थे ये बात तो है कि वो मुझे पिता जैसा ही प्यार करते हैं!

अब तुमसे दूर होने के बारे में सोचकर ही अजीब सी घबराहट होती है मुझे!

हीरा : नलिनी का हाथ अपने हाथ में लेकर बोलता है देखो नलिनी जीवन हमारे हिसाब से नहीं चलता।

जब हमें लगता है कि अब सब कुछ सही है दूसरे ही पल दस मुश्किलें रास्ते में मुँह खोले खड़ी हो जाती हैं!

और ऐसे ही जब हमें लगता है कि अब हम कैसे, क्या करेंगे जो हमारे अपने हैं वो भी हमारे पास नहीं है तभी कुछ नए लोग हमारी ज़िंदगी में आते हैं और इतने करीब आ जाते हैं कि हम हमारे अपनों को भी भूल जाते हैं एक नयी दुनियाँ हमारे आस पास बन जाती है!

ये जिंदगी ऐसी ही है!

तुम देखना जब कॉलेज शुरु होंगे तो तुम्हें पता भी नहीं चलेगा दिन कैसे चुटकी बजाते निकलेंगे।

कभी कभी तो हमें कॉल करने के लिए भी तुम्हारे पास वक़्त नहीं होगा!

नलिनी : हीरा का चेहरा देखती है।

हीरा उठो इधर आओ।

हीरा : क्या हुआ नलिनी।

नलिनी :हीरा तुम आओ, मुझे हमारी साथ में तस्वीर लेनी है.. 

ये तस्वीर में हमेशा संभालकर अपने पास रखूंगी।

हीरा : नलिनी कभी किसी ने ये तस्वीर देख ली तो तुम परेशानी में पड़ जाओगी।

नलिनी : अभी तो हम अपनी खुशी जी सकते हैं ना.. और हॉस्टल में सब अपने आप में रहते हैं।

हीरा तुम इस बात की फिक्र नहीं करो।

अगर कभी ऐसा हुआ भी तो मुझे किसी का डर नहीं है ये मेरी जिंदगी है मैं जैसे चाहूँ जिसके साथ चाहूँ जी सकती हूँ।

नलिनी हीरा के साथ कुछ तस्वीरें ले लेती है!

हीरा : नलिनी साड़ी में तुम को पहली बार देखा है.. तुम बहुत ही सुन्दर लग रही हो!

नलिनी : हीरा साड़ी पहली बार ही पहनी है मैंने।

मुझे लगा कि तुम्हें अच्छा लगेगा इस वजह से ही तुम्हें बताया नहीं और अकेले शॉपिंग की।

हीरा : तुम सोच भी नहीं सकतीं मुझे कितना अच्छा लगा जब तुम अकेले शॉपिंग करने गईं भले ही मुझे सरप्राइज देने के लिए।

तुम जो ठान लो वो कर सकती हो अभी तक खुद को अपने में जकड़ कर रखा था तुमने।

अब असली नलिनी को सामने आने दो. जिसे अपने फैसले खुद लेना आता है।

नलिनी : हीरा तुमने मुझे बताया ही नहीं मेरे बालों में वेणी कैसी लग रही है?

हीरा : उसके बालों में लगी हुई वेणी को हाथ में लेकर उसकी खुश्ब सूँघता है और नलिनी के बालों को उंगलियों से बिखरा देता है!

नलिनी का चेहरा हाथों में लेकर बोलता है नलिनी तुम जैसी हो वैसी ही अच्छी हो!

तुम्हारे चेहरे की मासूमियत और आँखों की सच्चाई तुम्हें सबसे जुदा और हसीं बनाते हैं!

अब खुद चलोगी या उठा कर ले चलूँ!

हीरा नलिनी को गोद में उठाकर उसके चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर : देता है!

"रात की नीरवता में दो दिलों की धड़कन शोर मचाने लगती है!

पेड़ो के पत्तों को हवा नींद से जगा देती है!

नदी की प्यास बुझाने के लिए चाँद नदी में डूब जाता है!

धीरे धीरे पत्तों की आहट मंद हो जाती है!

हवा पत्तों की लोरी सुनकर सो जाती है!

नदी का बहाव थम जाता है!

चाँद भी अपने घर को लौट जाता है!

रात का आखरी पहर गुज़रने को है.. 

हवा नींद से जाग गयी है।

पेड़ों की शाखों पर कलियाँ, अंगड़ाई लेकर चटक रही हैं!

फूलों के रंगों में सुर्खी और बढ़ गई है!

सूरज अपने सात घोड़ों के रथ पे सवार होकर, 

स्वर्ण कलसों में उजाले भर पूर्व दिशा में प्रविष्ट हो रहा है!

परिंदे स्वागत गान गा रहे हैं!

नलिनी हीरा की बाहों में सोई बेसुध हुई है।

हवा से चेहरे पर बिखरे हुए बालों में मोगरे के फूलों की भीनी भीनी सी महक समा गई है!चेहरे पर बिखरे बालों की आभा स्वर्णमयी हो गई है।

हीरा उसके रूप लावण्य को अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता है!

ये सुंदर स्वपन एक और दिन।

पता नहीं जिंदगी फिर किस दिशा में ले जाएगी उसे!

धीरे से नलिनी के चेहरे पर बिखरे बालों को हटा कर उसके माथे पर चमकता सूरज देखता है!

उठकर खिड़की बंद कर नलिनी को अपनी बाहों में भर कर सो जाता है।


नील भाग ६३

सुबह के 11 बजने को आए फोन कॉल से हीरा की नींद खुली..

दादी का कॉल देखकर हीरा ने जानबूझकर फोन नहीं उठाया।

वो जानता था दादी नलिनी से बात करने के लिए बोलेंगी और नलिनी अभी इतनी नींद में है अगर मैं उसे उठाऊंगा तो भी वो चिढ़ जाएगी।

अगर दादी को पता चल गया कि नलिनी सो रही है तो दादी को चिंता हो जाएगी।

बुखार तो नहीं है, और कुछ बात तो नहीं है,घर पर नलिनी कभी जरा सी भी देर से उठती तो दादी परेशान हो जाती थी!

हीरा तुझे तो सारी बातें बताती है वो ,किसी लड़की से झगड़ा तो नहीं हुआ ,कभी इतनी देर तक सोती नहीं है वो!

दादी के ढेरों सवाल..!

सच नलिनी कितनी भाग्‍यशाली है ऐसे प्यार करने वाले लोग मिलें हैं दादी ने तो सगे पोते तक को छोड़ दिया!

हीरा :खुद से ही बोलता है मैं भी कहाँ खो गया मेरी सोच नलिनी से आगे नहीं बढ़ पाती..।

कल ये हॉस्टल चली जाएगी उसके बाद रामकिशन जी ने मुझे एक हफ्ता और यहाँ रहने के लिए बोला है। इसके बिना मैं कैसे रह पाऊँगा।

मैंने सालों पहले ही खुद से वादा किया था कि नलिनी के लिए मन में जो है वो मेरे मन में ही रहेगा!

नलिनी और मैं अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे पर इस लड़की की जिद के आगे मैं हमेशा हार जाता हूँ!

इन कुछ दिनों में इसने इतना प्यार और ख़ुशियाँ दी हैं मैं सात जन्‍म में भी इसका कर्ज़ नहीं उतार पाऊँगा।

जितना मुश्किल इसे होगा उससे कहीं ज्यादा मुश्किल मुझे होगा इसके बिना रहना!

इतने सालों से मेरी जिंदगी में नलिनी के अलावा कुछ और था ही नहीं सुबह से शाम तक में नलिनी के हिसाब से ही चलता रहा हूँ!

कल से नलिनी के बिना मेरा दिन कैसे कटेगा ये मुझे समझ नहीं आ रहा है!

और अब तो रात भी!

कल के बाद मेरी जिंदगी इंतज़ार बन कर रह जाएगी ऐसा इंतज़ार जो कभी खत्म नहीं होता..!

तभी नलिनी को अंगड़ाई लेते हुए उठते देखता है तो देखता ही रह जाता है!

कितनी बेफिक्र है ये, कोई है नहीं है कोई फर्क नहीं पड़ता है इसे..!

पता नहीं इसकी ये नादानी कब तक रहेगी!

आज के समय में तो सिक्स, सेवंथ में पढ़ने वाली लड़कीयों में भी इतनी मैच्योरिटी होती है कि बस।

सब के साथ ये कैसे एडजस्ट करेगी!

हीरा सोच में डूब जाता है!

नलिनी : हीरा तुमने मुझे उठाया नहीं ?

हीरा : तुम इतनी गहरी नींद में थीं!

नलिनी : चाय पी ली तुमने?

हीरा : नहीं.. अभी ऑर्डर कर देता हूँ..!

तुम फ्रेश हो जाओ साथ में पियेंगे!

चाय के साथ हीरा ने सेंडविच और कटलेट भी ऑर्डर कर दिया थे।

नलिनी : हीरा के गले में हाथ डाल कर लिपटते हुए हीरा तुम कितने अच्छे हो भूख से मेरी जान ही निकल रही थी! हीरा के गाल पर किस करती है थैंक यू… लव यू बहुत सारा!

हीरा : अच्छा, "आ जाओ पहले तुम कुछ खा लो, थोड़ी देर तक और भूखी रहोगी तो तुम हिन्दी,अंग्रेजी की कॉकटेल बना कर रख दोगी!" 

नलिनी : हीरा तुमने फिर से मेरी बेइज्जती करी!

मैं तो तुम्हें प्यार कर रही थी!

हीरा : लव यू बहुत सारा… तुमने कहा।

और लव यू थोड़ा सा भी होता है क्या?

लव मतलब लव होता है स्वीटी.. 

नलिनी : अच्छा.. तुम सही हो.. 

अगर मेरी बेइज्जती से तुम्हारा पेट न भरा हो तो इन खाने की चीजों से भर लो!

हीरा : बिना कुछ बोले सेंडविच उठाकर खाने लगता है..।

नलिनी के चेहरे को देखकर उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान आ जाती है!

चाय कप में डालकर नलिनी को पीने के लिए देता है!

और अपना कप भी उठा लेता है!

नलिनी को चुप देखकर हीरा बोलता है.. सुनो!

नलिनी हीरा की तरफ नहीं देखती.. अजी सुनती हो!

नलिनी : हीरा की तरफ देखती है और उसके इस तरह से बोलने पर खूब जोर से हँसती है.. कितने स्वीट हो तुम हीरा।

हीरा एक बार फिर से बोलो…. प्लीज।

हीरा : अजी सुनो… ये क्या खी खी लगा रखा है तुमने? 

पति की हँसी उड़ाते तनिक लाज नहीं आती.. 

गाँव, देहात जाके देखना कभी कैसे हाथ भर का घूँघट निकाल कर रहती हैं नयी नवेली दुल्हन।

नलिनी : हीरा का चेहरा देखकर हँसते हँसते लोट पोट हो जाती है।

और बिस्तर पर पेट पकड़ कर लेट जाती है!

हीरा : बेड पर नलिनी के पास लेटता है।

तुम यूँ ही हँसती रहा करो.. उसे देखकर बोलता है.. 

नलिनी : शर्मा कर हीरा के सीने पर अपना सर रख लेती है।

दोनों कुछ देर तक ऐसे ही रहते हैं।

 हीरा : हीरा को नलिनी की इतनी ज़्यादा नज़दीकी , उसके बदन की महक बैचेन कर रही थी।

वो कब तक खुद की फीलिंगस को कंट्रोल करता!… 

उसने नलिनी के बालों में उंगलियां फिराते हुए उसका चेहरा अपनी तरफ किया और उसके चेहरे पर अपनी उंगलीयों होले से फिराते हुए उसके होठों तक ले गया.. नलिनी तुम्हारे होठ बहुत सॉफ्ट हैं।

नलिनी : और तुम्हारे होठ छूने से तुम्हारी उँगली कट जाती है!

 "है ना!" हीरा 

हीरा : हाँ, सच्ची।

तुम अभी छूकर देखो।

नलिनी : ठीक है.. वो हीरा के होठों को अपनी उँगली से छूती है तो उसे गुद गुदी होने लगती है।

हीरा : क्या हुआ.? बोलो ना..? 

नलिनी उसके होठों को अपने होठों से ढाँक लेती है।

और उसे अपनी बांहो के घेरे में कस कर उसकी आँखों में देखती है हीरा की आंखों में तैरते हुए लाल डोरे हीरा के मन का हाल उसे बता देते हैं।

वो हीरा को देर तक किस करती है.. और उसे देखकर मुस्कुरा कर दूसरी तरफ करवट ले लेती है।

हीरा उसकी शरारत समझ जाता है.. 

नलिनी उसे सताने का कभी भी कोई मौका नहीं छोड़ती।

अभी भी उसने किस जान बूझ कर मुझे तंग करने के लिए किया!

हीरा बोलता है नलिनी मुझे तेज नींद आ रही है तुम्हें भी सोना है तो पास में आ जाओ!

नलिनी : हीरा मुझे नींद नहीं आ रही!

तुम भी अभी क्यूँ सो रहे हो!

आज का ही तो वक़्त है हमारे पास पता नहीं अब कब मिलेंगे हम मिलेंगे भी या नहीं!

हीरा अगर हम कभी नहीं मिले तो तुम मुझे याद नहीं करना!

अगर तुम मुझे याद करोगे तो मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आएगी!

नलिनी रोने लगती है.. 

हीरा : रोना बंद करो.. प्लीज नलिनी… नहीं तो मुझे भी रोना आ जाएगा!

इन कुछ दिनों में तुमने जो प्यार दिया है वो इस उम्र के लिए बहुत है!

नलिनी : हीरा तुम सचमुच में बहुत अच्छे हो।

हीरा मुझे बहुत प्यार करो प्लीज.. हीरा.. 

तुम्हारी थोड़ी सी भी दूरी खल रही है मुझे!

आज तुम्हारे प्यार की बारिश में भीगने का मन है मेरा..

टूट कर बिखर जाना चाहती हूँ तुम्हारी बाहों में मैं।

ताकि जिंदगी से मुझे कोई गिला शिकवा न रहे!

हीरा : नलिनी की आँखों में उमड़ता प्यार का सैलाब देख हीरा के सब्र का बाँध टूट पड़ता है.. 

नलिनी को देखकर वो सोचता है इसका हर अंग ईश्वर ने कितनी कारीगरी से गढ़ा है दिल करता है इसे देखते ही रहो..

इसे छूकर इसकी तारीफ़ में कुछ कहो काश मैं कवि या शायर होता तो इस पर दीवान लिख देता!

नलिनी के जिस्म की महक मैं हीरा के बदन की खुश्बू घुल मिल जाती है.. 

दिन ढल रहा है दो बदन जैसी जन्मों के प्यासे हों खुद को खोकर एक दूसरे को पा लेना चाहते हैं!

दूर से आती मंदिर की घंटी की आवाज़ उनके मिलन की साक्षी बन जाती है.. उन दोनों की साँसों की आवाज़ में वो आवाज़ भी मिल जाती है!

सांसों का शोर धीरे धीरे कम हो जाता है!

परिंदे अपने अपने घर को लौट रहे हैं। उनकी चहचहाट अपने अपने नीड़ पर लौटने की उनकी अकुलाहट देख कर हीरा, नलिनी सोचने लगते हैं ये सफर का एक पड़ाव था जिसे जैसे चाह उन्होने जिया।"परिंदों को अपने नीड़ की और लौटना ही पड़ता है, हम दो प्रेमी परिंदे है! साथ बढ़े उड़ना सीखा, और साथ मिलकर लंबी उड़ान भरी प्रेम किया अब अपने नीड़ पर हम दोनों को लौट जाना है!" "अगली उड़ान की दिशा वक़्त तय करेगा!" सोचते हुए दोनों घड़ी देखते हैं आठ बज रहे हैं उठो नलिनी तैयार हो जाओ.. बाहर घूम कर डिनर कर के आते हैं!

नलिनी : हीरा मेरा उठने का बिलकुल भी मन नहीं कर रहा। मेरी कमर में बहुत तेज दर्द हो रहा है!

हीरा : तुम उल्टा लेटो में दबाता हूँ! नलिनी : थोड़ा नीचे.. हाँ अब ठीक है! अब रहने दो हीरा! बाथरूम में उठकर जाती है.. नलिनी का पीरियड आ गया था उसने सारी शॉपिंग कर ली थी पर सेनेटरी पेड़स नहीं लिए थे! उसने सोचा था कॉलेज में जाने के बाद ले लेगी अभी तो उसके पीरियड की डेट भी नहीं थी! इतनी जल्दी पीरियड कैसे आ गया! हीरा को आवाज़ लगाती है.. 

हीरा : बोलो क्या हुआ..?

नलिनी : हीरा नीचे एक मेडिकल शॉप है तुम सेनेटरी पेड़स ले आओ..नलिनी जब तक नहाती है हीरा पेड़स ले आता है। इतने समय से नलिनी की जरूरत की हर चीज लेने की उसकी आदत पड़ गई थी।

हीरा : नलिनी.. ले लो नलिनी : थैंक यू हीरा 

हीरा : सुनो ! तुम आराम करो में खाने के लिए कुछ पेक करवा कर लाता हूँ!

नलिनी : नहीं, हम बाहर चलते हैं! नलिनी ने राजस्थानी लहंगा चोली पहना बहुत ही प्यारी लग रही थी वो।

हीरा : तुम्हारे इरादे मुझे नेक नहीं लग रहे हैं।

नलिनी : मैनें क्या किया है? 

हीरा : तुम ऐसे मार्केट में जाओगी तो पता नहीं कितनों की रातों की नींदे खराब करोगी.. इतनी चिकनी और गौरी पीठ पर नज़रें फिसलेंगी ही पट्टी तो बांधेगे नहीं आँखों पर लोग। वहाँ से फिसल के संभलें भी तो तुम्हारी इन सुंदर बाहों पे मर मिटेंगे।

नलिनी : तुम्हारी सोच इतनी घटिया कैसे हो सकती है।

हीरा : ओ मेडम.. मेरी सोच घटिया नहीं है। सभी आदमियों की सोच ऐसी ही होती है। उन्हें लगता है कि माल आया है। बगल में खुद की बीबी बैठी होगी नियत सामने वाले की बीबी पर।

नलिनी : मैं कपड़े बदल लेती हूँ।

हीरा : तुम्हारे कपड़े बदलने से लोगों की सोच बदल जाएगी क्या.??? देखेंगे ही तो… देखने दो

।नलिनी : तुमने मुझे क्यूँ कहा.. 

हीरा : ये तो मैंने कहा। अगर कोई और तुम्हें देख कर कुछ बोल देता तो क्या करती??? 

नलिनी : मैं उसे छोड़ती नहीं, अच्छे से सुना देती।

हीरा : उससे क्या होता..? तुम कुछ कहती, वो तुम्हें कुछ और बोलता, फायदा क्या मिलता अपना मुँह खराब करने से ??? और वैसे भी नए शहर में किसी से पंगा नहीं पालना चाहिए। सबसे सही तो ये है उसे बोलने दो इग्नोर करो। अगर सुंदर हो तो हो। इस सुन्दर पीठ को वो देख ही सकते हैं और….। मैं इसे चूम सकता हूँ। चलो जल्दी… रात के 11 बजे हैं हीरा रूम का लॉक खोलता है।

नलिनी : आज बहुत मजा आया वो आंटी तुम्हें ऐसे देख रही थीं घूर कर और इतने में उनकी आइसक्रीम पिघल कर उनकी चुन्नी पर गिर गई अंकल बोलते हैं देख के नहीं खा सकती क्या.. इस उम्र में भी लड़कों को ताक रही है… अपनी उम्र का तो लिहाज कर। आंटी बोली हाँ जी! तु्‍म बहुत लिहाज कर रहे हो, अपनी बेटी की उम्र की लड़की को देख नियत टपक रही है तुम्हारी.. ऐसे घूर रहे हो आँखों से ही खा लोगे उसे। बकवास बंद कर अपनी, कुछ भी बक रही है। किसी ने सुन लिया तो मेरे बारे में क्या सोचेगा …? कोई फर्क नहीं पड़ता किसी को। इक्का दुक्का कोई होगा जो अपने बच्चों बीबी से मतलब रखे बाकी की निगाहें तो औरत का जिस्म ही घूरती हैं। माइ गॉड! हँस हँस कर मेरा तो पेट दुखने लगा।

हीरा : मैंने तो तुम्हें कहा ही था लोग ऐसे भी होते हैं। अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है दुनियाँ में पर कहते हैं न एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है।तुम एक बार अपना सारा सामान देखो बैग पैक करके रख दो सुबह तुमसे होगा नहीं।

नलिनी : मैं अभी कर लेती हूँ। नलिनी सुबह पहनने की ड्रेस निकाल कर, बैग पैक देती है। बेड पर हीरा के कंधे पर सर टिकाकर सॉरी हीरा मेरी डेट्स अभी नहीं थी पता नहीं इतने पहले पीरियड कैसे आ गया।

हीरा: ये नैचुरल है। इसमें तुम क्या कर सकती हो.. और सॉरी किस बात के लिए बोल रही हो तुम..? फिजिकल रिलेशनशिप ही दो लोगों के बीच रिश्ते की बुनियाद है क्या…? मैंने तुम्हें चाहा है.. तुम्हारे शरीर की चाह मैंने कभी नहीं रखी। ये जो भी हमारे बीच हुआ ये तुम्हारी ही चाहत थी। उसके बाद फिजिकल रिलेशनशिप हम दोनों की मर्जी से हुई। उसमे हम दोनों का प्यार शामिल था जबर्दस्ती नहीं। इस तरह बोल कर तो तुम मेरे प्यार को गाली दे रही हो। ये अलग बात है कि हमारे यहाँ शादी जैसा पवित्र बंधन भी सेक्स की बुनियाद पर टिका है शादी के बाद सुहाग रात कितना अजीब सा लगता है शादी के माहौल से थकी हुई लड़की अभी एक दूसरे को दो लोग ठीक से जान भी नही पाते पर सुहागरात होना जरूरी है लड़की का मन हो या न हो उसे पति को सहमती देनी ही है। कहीं कहीं तो लड़की को कुँवारी होने का सबूत भी देना पड़ता है सुहागरात की सुबह उनकी चादर सास ससुर देखते हैं।"जैसे लड़की नहीं कोई पेक आइटम है सील टूटने पर ही सामान की क्वॉलिटी चेक होगी खरा है या नहीं!" 

नलिनी : सॉरी हीरा तुम्हें बुरा फील हुआ पर मेरा इनटेनशन वो नहीं था। 

हीरा : नलिनी के हाथ अपने हाथ में लेकर उसकी हथेलियां अपने होठों पर रख लेता है। उसकी हथेलियों को चूम कर उसे सोने के लिए बोलता है।

नलिनी : हीरा ये हमारी साथ में आखिरी रात है मैं सोकर इसे खराब करना नहीं चाहती। मैंने तुम्हें चाहा अपना सर्वस्व तुम्हें सौंप दिया इसमें मुझे कुछ गलत नहीं लगा। ये जानते हुए भी कि अब हम दोनों के बीच में सिर्फ दोस्ती का रिश्ता रहेगा। हमारा मिलना होगा या नहीं ये आने वाला वक़्त ही तय करेगा।

हीरा : "हाँ, नलिनी। कल से हमारी एक नयी ज़िंदगी शुरू होगी। हालांकि रामकिशन जी ने कहा है तो मैं यहाँ हफ्ते भर रुकूंगा ! फोन पर हमारी बातचीत होगी जैसे सामान्य हम सबसे करते हैं तुम भी अपनी पढ़ाई में मन लगा लेना.. तुम अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ इतना ही चाहता हूं मैं। अब सोते हैं आधी रात हो गई है सुबह दादी का फोन आयेगा और तुम्हें जल्दी उठना होगा 11 बजे हॉस्टल में रिपोर्ट करना है। हीरा अपने हाथ पर नलिनी को सुला लेता है कुछ देर में उसे भी नींद आ जाती है। सुबह दादी के फोन से हीरा की नींद खुलती है वो फोन उठाता है तब तक नलिनी तैयार हो कर आ जाती है। दादी से बात कर नलिनी को फोन देता है.. 

नलिनी : गुड मॉर्निंग दादी.. दादी :गुड मॉर्निंग.. कैसी है मेरी लाड़ों…?

 नलिनी : दादी मैं अच्छी हूँ जाने की तैयारी हो गई है। नाश्ता करके मैं हीरा के साथ जाऊँगी.. आज से हॉस्टल में ही रहना है मैं आपको रोज सुबह फोन करूंगी…

दादी : खुश रहो बिटिया.. खूब तरक्की करो.. दादी फोन रख देती हैं।

हीरा : नलिनी फटाफट नाश्ता खत्म करो.. टैक्सी आने वाली है। दोनों नाश्त खत्म करते हैं.. हीरा समान लेकर जाता है.. नलिनी रूम को एक बार देखती है फिर लॉक कर चाभी हीरा को दे देती है।

हीरा : बैठो नलिनी.. हॉस्टल पर टेक्सी रुकवाकर हीरा सामान उतार कर गेट के अंदर रख देता है। नलिनी हाथ हिलाकर बाय करती है।

हीरा : बाय


नील उपन्यास भाग _६४

हीरा : नलिनी को हॉस्टल छोड़कर वापस होटल में लौट आता है..

रूम का लॉक खोलता है पर उसका अंदर जाने का मन ही नहीं होता.. नलिनी साथ होती तो इतनी देर में कितना कुछ बोल देती.. उसे नलिनी की बहुत याद आ रही थी।

वो मोबाइल में नलिनी की खींची हुई सेल्फी देखता है.. अच्छा ही हुआ नलिनी ने जिद कर के ये तस्वीर खींच ली।

और बिस्तर पर गिरकर वो फूट फूट कर रोने लगता है।

उसे नलिनी के साथ रहने की आदत हो गई है और आदतें मुश्किल से छूटती हैं।

अब उसके बिना रहने की आदत डालनी पड़ेगी जो कि आसान नहीं है..

सोचते हुए हीरा सो जाता है !

नलिनी : हीरा के जाने के बाद अपने फ्रेंडस की मदद से अपना सामान रूम में शिफ्ट करती है

और कॉलेज जाने के लिए तैयार हो जाती है।

अंकिता, दीप्ति, माही ये उसकी रूम मेट हैं अंकिता दीप्ति उसकी स्कूल की फ्रेंड हैं माही नयी है वो देहली से आई है।

एक फॉर्मल इंट्रो के बाद चारों लड़कियां अपनी क्लास के लिए निकलती हैं रूम की चाभी सबके पास अपनी अपनी है।

माही को रेंगिंग को लेकर डर लग रहा था.. 

दीप्ति : इस कॉलेज में रेंगिंग पिछले दो साल से बंद है! एक लड़की ने सुसाइट कर लिया था तभी से सबको हिदायत दी गई है अगर कोई भी रेंगिंग लेता पकड़ा गया उसे कॉलेज से रजिस्ट्रीकेट कर दिया जाएगा।

माही : सुनकर एक गहरी साँस लेती है!

क्लास का पहला दिन प्रोफेसर और बच्चों के बीच इंटरेक्शन में अच्छा गुज़रता है!

लंच के टाइम नलिनी जब मेस में खाना खाती है तो उसे दादी की बहुत याद आती है उसकी आँखों में आँसू भर आते हैं जिन्हे वो तुरंत पौंछ लेती है!

5 बजे हॉस्टल पहुंच कर दादी को कॉल करती है उन्हे पूरे दिन की हर बात बताती है!

दादी : अब तुझे अपना ध्यान खुद ही रखना पड़ेगा बिटिया अच्छे से रहना और मन लगाकर पढ़ाई करना!

नलिनी : जी दादी... आप भी अपना ख्याल रखना.. वो हीरा को फोन करती है...

हीरा : गहरी नींद में सो रहा था फोन की घंटी से उसकी नींद टूट जाती है..

हैलो.. 

नलिनी : कैसे हो हीरा क्या कर रहे हो..?

हीरा : तुम्हारे फोन इंतज़ार कर रहा था नलिनी.. आज का दिन कैसा रहा.. लंच कर लिया था?

नलिनी : दिन अच्छा रहा.. लंच भी कर लिया था.. लंच के समय दादी की बहुत याद आई!

हीरा तुमने लंच किया था..?

हीरा : ह हाँ नलिनी!

नलिनी : तुम झूठ बोल रहे हो हीरा..?

हीरा : नहीं..!

सच में लंच किया था!

नलिनी : ठीक है,

कसम खाओ हमारी!

नलिनी : तुम पीछे पड़ जाती हो!

तुम्हारी झूठी कसम नहीं खा सकता मैं ..।

मुझे भूख नहीं थी इस वजह से ही लंच नहीं किया !

रात को जल्दी खाना खा लूँगा.. प्रॉमिस!

अब तुम गुस्सा करना बंद कर दो प्लीज... 

नलिनी : ठीक है नहीं करूँगी गुस्सा!

अच्छा सुनो! तुम अपना कल का रिजर्वेशन करवा लो.. मैंने दादी से कह दिया कि अब तुम्हारा यहाँ पर कोई काम नहीं है।

मैं भी हॉस्टल में आराम से हूँ।

दोस्‍तों के साथ मेरा यहाँ पर मन लग गया है...  

हीरा यहाँ अकेला बोर हो जाएगा उसे वापस बुला लो..

दादी ने कहा ठीक है रामकिशन को में समझा दूँगी!

हीरा : तुम कितनी अच्छी हो नलिनी तुम जानती थी तुम्हारे बिना मेरा दिल नहीं लगेगा और एक हफ्ता तो एक साल जैसा हो जाता मेरे लिए.।

मैं रिजर्वेशन करवा लेता हूँ कल दिन की दो बजे की ट्रेन है..!

तुम आराम करो थक गयी होगी,

मैं तुम्हें रात में फोन करता हूँ।

नलिनी : ठीक है हीरा..तुम अपना ध्यान रखना।

हीरा : सबसे पहले अपनी टिकिट करवाता है उसके बाद वो मार्केट चला जाता है.. कमरे का खालीपन उसे कचोट रहा था।

 नलिनी के साथ बिताया हुआ एक एक पल उसकी आँखों में चल चित्र जैसा घूमता है।

वो एक रेस्टोरेंट में जाकर खाना ऑर्डर करता है.. जैसे तैसे करके वो एक रोटी अपने गले के नीचे उतारता है।

काउंटर पर पेमेंट करके सौंफ मिश्री मुँह में डालता है तभी नलिनी की याद आ जाती है वो सौंफ मिश्री मुट्ठी भर कर उठा लेती थी।

बाहर निकलकर हीरा सड़क पर टहलने लगता है तभी नलिनी का फोन आ जाता है.. 

नलिनी : हीरा क्या कर रहे हो.? 

हीरा : अभी खाना खाकर रेस्टोरेंट से बाहर निकला हूँ थोड़ी देर टहल कर होटल चला जाऊँगा तुम्हारे बिना कमरा बहुत खाली लग रहा है।

नलिनी : हीरा मैं भी तुम्हें बहुत मिस कर रही हूँ पर तुमने याद के लिए मना किया है इसलिए मैंने तुम्हें बिलकुल याद नहीं किया बोलते हुए सिसक पड़ती है वो और फोन रख देती है।

हीरा : उसे कॉल करता है.. फोन उठाकर कुछ बोलती नहीं है वो..

नलिनी बोलो भी.. मेरा कल का रिजर्वेशन हो गया है!

अच्छा सुनो तुम सुबह नौ बजे गेट पर रहना मैं अभी चॉकलेटस खरीद लेता हूँ सुबह तुम्हें देकर मिलते हुए जाऊंगा!

"अपनी बार्डन को बोल देना बेग छूट गया था तुम्हारा! वो ही देने आया हूँ!"

वेसे तो वो कुछ भी नहीं बोलेगी,अगर बोले तो तुम यही बोलना।

तुम्हें और कुछ चाहिए तो बोलो.?

नलिनी : नहीं.. कुछ नहीं चाहिए!

हीरा : गुड नाइट नलिनी! कल मिलते हैं अब स्माइल कर दो..!

अच्छा.. किस कर दो..।

नलिनी : हीरा तुम बहुत खराब हो चेन से रोने भी नहीं दिया तुमने..!

"अब एक दो दिन तो तुम्हारी याद मना करने पर भी आएगी मुझे!

फिर धीरे धीरे तुम्हारे बिना रहने की आदत हो जाएगी !"

हीरा : ह्म्म्म।बात तो तुम पते की करती हो!

चलो अब सो जाओ स्वीट ड्रीम्स!

हीरा रूम में आकर अपना सामान पैक कर के रख देता है और खिड़की से बाहर आसमान को देखते हुए कविता गुनगुनाता है।

"गुज़रता ही नहीं इक पल

चाँद ख़ामोश है..।

गहरा नीला आकाश चुप है

तारों की चाल भी बदली बदली है!

रात का रेशमी आंचल भी नहीं सुहाता

नीली नदी में सुनहरी मछली चुप है!

तुम जब से गए हो

 घड़ी की सुई पर ठहरा हुआ है 

गुज़रता ही नहीं वो इक पल!" 

और बिस्तर पर आकर लेट जाता है।

साथ गुज़ारे हुए खूबसूरत पलों की यादें मन मष्तिष्क में सावन के महीने के बादलों की भाँति उमड़ती घुमडती हैं!

नींद का बोझ यादों पर चढ़ बैठता है न चाहते हुए भी पलकें मुँद जाती हैं!

सुबह के सूरज की तपिश आँखो को भली लगी आँख खोलकर मोबाइल देखा आठ बजने को आए थे!

जल्दी से उठकर हीरा बाथरूम में गया और फ्रेश होकर नहाकर निकला।

अपना टूथब्रश उसने बैग की जेब में रखा और कपड़े पहन कर तैयार हो गया..!

चेक आउट करके उसने टैक्सी बुलाई और सीधा नलिनी के हॉस्टल पहुंच गया।

उसे देखकर नलिनी ने गेट कीपर से बाहर आने की परमिशन ली ..।

हीरा एक बेग में चॉकलेट और उसके पसंद की खाने की चीजें रख कर लाया था उसने बेग नलिनी को दिया।

नलिनी ने एक मुड़ा हुआ कागज हीरा को दिया और बोली घर पर जाकर पढ़ना!

हीरा उसे अपने पर्स में रख लेता है!

नलिनी का मन कर रहा था हीरा से जाकर लिपट जाए और बच्चों की तरह जिद करके उसे अपने पास रोक ले पर ये संभव नहीं था...

हीरा उसे बाय कर निकल जाता है।

थोड़ा आगे जाकर वो टैक्सी वाले को रोड साइड में रुकने के लिए बोलता है।

आज सुबह से उसने चाय भी नहीं पी थी..

कॉफी हाउस में जाकर चाय के साथ कटलेट मंगवा लेता है।

अभी उसकी ट्रेन आने में काफी वक़्त था वो अपने मेल चेक करता है अपना अपोइंटमेंट लैटर देखता है तो वो खुश हो जाता है।

घड़ी में टाइम देखता है.. नलिनी अभी क्लास में होगी उसे मैसेज करता हूँ!

 10 तारीख को उसे ऑफिस जॉइन करना था..

चाय और कटलेट आ जाते हैं हीरा को अब तेज भूख लग रही थी!

उसने जल्दी से कटलेट खत्म किए और चाय पी!

बाहर आकर हीरा ने ड्राइवर से मंदिर चलने के लिए बोला नलिनी को भी वो इस मंदिर में लेकर आया था और ईश्वर को साक्षी मानकर ही उसे अपना बनाया था!

अब यहीं से अपनी नयी जिंदगी के लिए वो भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद लेने आया था!

मंदिर में दर्शन कर प्रसाद फूल पुजारी जी को देकर वो हाथ जोड़ कर आँख बंद करके प्रार्थना करता है कुछ देर मंदिर में ही बैठता है उसे बड़ा सुकून मिलता है 12 बजकर तीस मिनट हो गए थे वो आकर टैक्सी में बैठ जाता है और ड्राइवर से बोलता है है कि स्टेशन चले..

नलिनी : हीरा का मैसेज पढ़ कर खुश हो जाती है इस समय वो मेस में लंच के लिए जा रही थी उसने फोन कर उसे बधाई दी!

दोनों कुछ देर तक बात करते हैं..!

हीरा : नलिनी से बोलता है अब छुट्टी में तुम दिल्ली आ जाना कुछ दिन रुककर फिर जयपुर जाना हम साथ में देहली घूमेंगे!

नलिनी : हाँ, यही सही रहेगा!

हीरा : नलिनी मैं स्टेशन पहुँच गया हूँ.. तुम अपना ध्यान रखना और मोबाइल जेब में रख कर टेक्सी का पेमेंट करता है!

प्लेटफार्म पर हीरा ट्रेन का इंतज़ार कर बोर हो रहा था वो बुक्सटाल से एक पोएट्री की बुक खरीद लेता है! उसे खुद पर ही हँसी आने लगती है पहले इस तरह की किताब पढ़ना उसे बोरिंग लगता था और अब वो पढ़ने के लिए खरीद रहा है!

"ये प्रेम भी जो न करवाए वो कम है!"

ट्रेन आ जाती है हीरा अपना सामान उठाकर के अपनी सीट पर बैठ जाता है इन कुछ दिनों में उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी थी!

अब जयपुर जाकर उसे देहली की तैयारी करनी रहेगी!

हीरा चाहता भी यही था.. नलिनी के जाने के बाद वो यहाँ रहना नहीं चाहता था!

विचारों में डूबे हुए हीरा को नींद आ जाती है!

जयपुर में घर पहुँचकर दादी को बताता है दादी खुश होकर आशीष देती हैं!

वो नलिनी के बारे में सब पूछती हैं..

हीरा उन्हें बड़े प्यार से हर बात का जवाब देता है!

रामकिशन जी को अपने आने की खबर देता है और अपनी जॉब के बारे में बताता है देहली गुड़गांव में कंपनी का ऑफ़िस है मल्टीनेशनल कंपनी है पेमेंट अच्छा करेंगे 10 तारीख तक जॉइन करने के लिए बोला है।

रामकिशन जी :बहुत खुश हो जाते हैं

तुम्हारे जाने से पहले में आ जाऊँगा मिलके बाकी बात करते हैं।

दादी : हीरा खाना खाने के लिए आ जाओ।

हीरा : हाँ दादी सा बहुत भूख लग रही है 

दादी और हीरा खाना खाते हैं...!

"दादी को नलिनी की बहुत याद आती है उनकी आँखें भीग जाती हैं अपनी साड़ी के पल्लू से आँखें पोंछ कर खाना खाती हैं!"

हीरा : दादी मुझे नींद आ रही है सोने जाता हूँ...!

उसे नलिनी ने जो कागज़ दिया था उसे पढ़ने की जल्दी थी..अपने पर्स से वो कागज़ निकाल लेता है और बिस्तर पर लेट कर पढ़ता है..!

हीरा ये कविता तुम्हारे लिए.. 

" तुम जब भी मुझ से मिले बहुत अपने से लगे तुम से मिलकर ही मुझे अपने होने का एहसास हुआ।

सांसों की सितार पर महकती गुलों की भीनी भीनी खुशबू....

हवाओं में गूंजता हुआ प्रीत का मधुर संगीत

और तुम्हारे बाजुओं में टूटकर बिखरता हुआ मेरा मन!

 पहली बार जब मैने तुम्हारी कलाई थामी तो जाना, नब्ज़ कैसे धड़कती है..

होठों की छुअन से कैसे लरजता है तन!

यूँ लगा हम युगों युगों से यूँ ही साथ साथ हैं!!"

हीरा थैंक यू जिंदगी को इतनी सुन्दर बनाने के लिए!

तुम्हारी नलिनी 

हीरा तीन चार बार पढ़ता है और नलिनी की यादों में डूबा सो जाता है।

हीरा तीन चार बार पढ़ता है और नलिनी की यादों में डूबा सो जाता है।


समय तेजी से भाग रहा था हीरा के जाने समय आ गया था रामकिशन जी एक दिन पहले ही आ गए थे!. नलिनी के जाने के बाद एक खालीपन आ गया था रामकिशन जी और दादी की जिंदगी में। हीरा से उन्हें बहुत सहारा था अब वो भी जा रहा था हीरा ने दादी के पैर छुए और गाड़ी में बैठ गया रामकिशन जी इंतज़ार कर रहे थे रास्ते में नलिनी के बारे में पूछा हीरा ने विस्तार से बताया तो वो निश्चिंत हो गए!

 हीरा :आप चिंता नहीं करो नलिनी की छुट्टियाँ में उसे दिल्ली बुला लूंगा इस तरह से उसका दिल्ली घूमना हो जाएगा फिर साथ में हम फिर यहां आ जाएँगे।ठीक है वो बोले। हीरा दिल्ली पहुंच कर ऑफिस जॉइन कर लेता है एक दो में वो वहाँ एडजस्ट हो जाता है! नयी जगह नए लोग और अपने पैरों पर खड़े होने का एहसास साथ ही सुखद अतीत.. उसका मन यादों के सागर में गोते लगाने लगता है।


इन दिनों में हीरा को कविता और ग़ज़लें पढ़ने का शौक लग जाता है.!

नलिनी की और अपनी तस्वीर देखता है और अहमद फराज़ की ये ग़ज़ल गुनगुनाता है… 

मुंतज़िर कब से तहय्युर है तेरी तहरीर का

बात कर,तुझ पर गुमाँ होने लगा तस्वीर का

( मुंतज़िर=प्रतीक्षारत )

( तहैय्युर=आश्चर्य )

( तहरीर=लेख )

रात क्या सोए कि बाक़ी उम्र की नींद उड़ गई

ख़्वाब क्या देखा कि धड़का लग गया ताबीर का

( धड़का=भय, डर )

( ताबीर=स्वप्न सच होना )

कैसे पाया था तुझे फिर किस तरह पाया तुझे

मुझ सा मुन्किर भी तो क़ायल हो गया तक़दीर का

( मुन्किर=विरोधी, नास्तिक )

( क़ायल=समर्थक, विश्वास करना )

जिस तरह बादल का साया प्यास भड़काता रहे

मैंने यह आलम भी देखा है तेरी तस्वीर का

जाने किस आलम में तू बिछड़ा कि है तेरे बग़ैर

आज तक हर नक़्श-ए-फ़रियादी मेरी तहरीर का

( नक़्श-ए-फ़रियादी=पुकार करने वाला )

इश्क़ में सर फोड़ना भी क्या कि ये बे-मेहर लोग

जू-ए-ख़ूँ को नाम दे देते हैं जू-ए-शीर का

( बे-मेहर=दयाहीन )

( जू-ए-खूँ=ख़ून की भूख़ )

( जू-ए-शीर=दूध की भूख)

जिस को भी चाहा उसे शिद्दत से चाहा है “फ़राज़”

सिलसिला टूटा नहीं है दर्द की ज़


समय तेजी से भाग रहा था एक साल गुज़र गया.. फोन पर हीरा से नलिनी की बात रोज ही हो जाती थी!

पहला सेमेस्टर पूरा होने पर नलिनी की छुट्टियाँ लग जाती हैं और वो दिल्ली आती है…

स्टेशन पर हीरा आँखें बिछाए उसका इंतज़ार कर रहा था ट्रेन के रुकते ही वो उसके हाथ से सामान लेने के लिए आगे बढ़ा तब तक नलिनी उतर चुकी थी उसने नोटिस किया छुई मुई सी नलिनी काफी स्मार्ट हो गई है..!

“हीरा को देखते ही वो उससे लिपट गई दोनों ने एक दूसरे को कितना मिस किया है ये वो दोनों ही जानते थे!”

वो उसे अपने फ्लैट पर ले जाता है..

“आइए इस गरीब की कुटिया में आप का स्वागत है!” एक लौटा चावल का दरवाज़े पर रख देता है और उसने नलिनी से बोला वो उसे पैर से गिरा कर अंदर जाये!

अंदर एक परात में कुमकुम पानी में घुला हुआ था हीरा उसमें पैर रखकर एक सफेद कपड़े पर चलकर नलिनी को अंदर आने को बोलता है!

उसके ऊपर वो गुलाब के फूल डालता है.. नलिनी इतनी सुन्दर घर की सजावट और अपना इस तरह से वेलकम देख कर हैरत में पड़ जाती है।

हीरा उसे बेडरूम में ले कर जाता है.. गुलाब के फूल जमीन पर बिछे हुए थे पूरा कमरा भीनी भीनी सुगंध से महक रहा था रेड, व्हाइट बैलून कमरे में और बेड पर बिखरे हुए थे हार्ट शेप के रेड और व्हाइट पिलो करीने से बेड पर लगे हुए थे।

“कितना सुंदर घर है! बिल्कुल राजमहल जैसा!”

हीरा उसका हाथ पकड़ कर चूम लेता है और उसे बैठा कर किचन से उसके लिए शर्बत और कुछ कटे हुए फल लेकर आता है खाओ..!

तुम भी खाओ!

दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते हैं.. हीरा बोलता है नलिनी ये तुम्हारा ही घर है।

वो उसकी तरफ देख हौले से मुस्कुराती है।

बातों में टाइम पता ही नहीं चलता हीरा तुम क्या खाना पसंद करोगी.???

नलिनी :तुम पिज्जा ऑर्डर कर दो..!

नलिनी और हीरा एक साल के बाद आज साथ हैं देर तक दोनों बात करते हैं!

नलिनी हीरा के कंधे पर सर टिकाकर लेट जाती है हीरा उसे अपनी बाहों में भर लेता है और लैम्प बंद कर देता है।

दूसरे दिन वो कनाट प्लेस और बंगला साहिब जाते हैं! और नेक्स्ट डे हरिद्वार और ऋषिकेश घूमने का प्लान बनाते हैं।

 दूसरे दिन वो जल्दी ही हरिद्वार निकल जाते हैं रास्ते में पतंजलि योगपीठ देखने रुकते हैं बहुत ही भव्य बना हुआ है।

हरिद्वार पहुँचकर सबसे पहले तो वो लोग खाने की जगह देख कर खाना मंगवाते हैं

भूख उनकी बर्दास्त से बाहर हो गई थी!

ड्राइवर को भी साथ खाने के लिए बुला लेते हैं,,,,

खाना खाकर होटल में जाकर आराम करते हैं लगातार सफर से नलिनी थक गयी थी ये पहली बार था जब उसने इतना सफर किया ।

उसे लेटते ही नींद आ जाती है।

शाम को दोनों गंगाजी की आरती में शामिल होते हैं दिव्य अनुभूति से उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है

 देर तक दोनों वहीं बैठ कर उस मंज़र का आनंद लेते हैं।

हरिद्वार में खाना बहुत स्वादिष्ट मिलता है.. खाना खाकर वो कढ़ाही में उबलता गरमा गरम दूध ऊपर से मलाई डलवा कर पीते हैं पेट और मन दोनों ही भर जाते हैं।

थोड़ी देर पैदल टहलकर वो खाना हजम करते हैं और एक एक पान खाकर आके सीधे बिस्तर पकड़ते हैं।

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठ कर नलिनी नहा धोकर तैयार हो जाती है हीरा को भी उठा देती है हीरा ड्राइवर को फोन कर बुला लेता है 6 बजे करीब वो निकल जाते हैं प्रकृति की सुंदरता को देख कर वो हैरान रह जाते हैं 

मौसमी फूलों से अटी पड़ी क्यारियाँ , आम पर गदराये हुए बोर , मनचली हवा की कलियों से छेड़खानी /

अलसाती सुबह मैं अव्यस्क सूर्य की नवजात शिशु सी कोमल उँगलियों की नन्ही छुअन जब सुबह सुंदरी की छाती पर बिखरी घनी केश राशि को धीरे धीरे हटाती, तो उँगलियों की नर्म तपिश से उसके बदन मैं एक सिहरन सी दौड जाती है / छाती के उभार 

मैं और कसाव आ जाता , जैसे अभी_अभी ही यौवन की दहलीज़ पर कदम रखा हो उसने! उसके चेहरे की स्वर्णिम आभा क्षितिज़ पर बिखर जाती है! रात भर शबनम मैं नहायी कलियाँ खिलने को आतुर होती दिखती हैं /बेशरम हवा के झोंके उनके आँचल को उड़ाने की साज़िश रचते प्रतीत होते हैं! और बेसब्र से नदी के उफान पर अपने तपते अधर रख अपनी तीश्नगी मिटा लेते हैं .!नदी लजाकर काँप जाती है .. रक्तिम सी आभा रश्मियों के साथ मिल एक हया का आँचल बुन लेती हैं! मैं गुमसुम सी कूदरत के इस अद्भुत रूप को टक टकी लगा देख रही हूँ .! घाट पर नहाने वालों की भीड़ अल सुबह से ही शुरू हो जाती है.! हाथ मे डलिया पकड़े उसमे कपड़े ओर पूजन सामग्री रखे हुए लोगों की आवाजाही मैं देख रही हूँ! महिलाओं के लिए अलग घाट है! पुरुषों का अलग 

पर आँखों पर पहरा तो लगा नहीं सकते ..!!।

धार्मिक स्थानों पर भी मनचलों की कोई कमी नहीं है.

गंगा मैया के दर्शन कर घाट पर पानी में पैर डालने के लिए चेन पकड़ना पड़ती है पानी का बहाव बहुत तेज है।

पानी इतना साफ है कि अन्दर का एक एक कंकड़ भी साफ चमक रहा है कितना अद्भुत है ये पल माँ गंगा की गोद में होना जन्मों के पुण्य का ही फल है कुदरत के इस वैभव की छटा निराली है।

पानी बहुत ठंडा होने से नलिनी को छींके आने लगती हैं.. 

हीरा उसे पानी से पैर बाहर निकालने के लिए बोलता है।

सुबह की धूप मन को भी गुनगुनी लगती है.. अब चाय की तलब जोर से लग रही थी साथ ही भूख भी।

हम घाट घूमते हुए बाहर निकल आए थोड़ा आगे जाकर सड़क से लगी तमाम सारी दुकाने रेस्टोरेंट जो भी कहो.. चाय नाश्ते की वहां बढ़िया व्यवस्था है एक कप चाय से मन नहीं भरा और सर्दी भी हो गई थी तो एक एक कप अदरक वाली चाय और मंगवाई।

चाय आने तक हमने गरम समोसों का लुत्फ उठाया चाय पीकर यहीं से हम ऋषिकेश के लिए निकल गए।

रास्ता बहुत ही खूबसूरत था ऋषिकेश उतराखंड के देहरादून जिले में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, ये उत्तर भारत की तलहटी में स्थित है और इसे गढ़वाल हिमालय के प्रवेश द्वार और योग केपिटल ऑफ द वर्ल्ड के रूप में जाना जाता है!

हम लोग लक्ष्मण झूला गए उसके बाद यहाँ के आश्रम में जहाँ पूरी दुनिया से लोग आते हैं यहाँ पर हमने मेडिटेशन भी किया ऋषिकेश आपकी आंतरिक ऊर्जा को निखारने की जगह है यहाँ पर दो दिन आश्रम में रुक कर हमने ध्यान साधना की आश्रम का शुद्ध सात्विक खाना खाया जिसका स्वाद बहुत ही अनूठा था 

दो दिन हवा में उड़ गए हो जैसे…. 

लौटने का वक़्त आ गया था पर मन इस जगह ही रम गया।

फिर आने का वादा कर हम लौट पड़े… हम आगे जा रहे थे मन पीछे ही छूट गया था।

हरिद्वार पहुंच कर सामान समेट कर गाड़ी में रखा और अपने गंतव्य की ओर चल दिए सेम डे का ही हमारा जयपुर का रिजर्वेशन था।

रास्ते में ही गाड़ी रुकवाकर खाना खाया दिल्ली पहुंचकर सीधा स्टेशन पहुंच गए.. अभी गाड़ी आने में वक़्त था।

नलिनी : ने मुझे बुक स्टोर पे पोयट्री की किताबें देखते हुए देखा उसके आश्चर्य की सीमा नहीं थी।

वो बोली ये बीमारी तुम्हें कब लगी..?

हीरा : ये आपकी मेहरबानी है हँसते हुए.. प्रेम में आदमी जो न करे कम है मैं तो कविता और ग़ज़लें ही पढ़ रहा हूँ!

ट्रेन आने का अनाउंसमेंट हो गया था.. नलिनी एक साल बाद घर जा रही थी.. वो जल्दी से घर पहुंचकर दादी से मिलना चाहती थी! अपने बीते दिनों की यादों में खोई हुई नलिनी हीरा के कंधे पर सर टिका कर सो गई नींद खुली तो देखा हीरा सामान उतार कर रख रहा है।

उठो नलिनी हम पहुंच गए हैं..

रामकिशन जी उसे लेने आए थे!

“नलिनी को देखते ही उसे सीने से लगा लेते हैं! नलिनी को लगता है वो अपने पिता के पास आ गई है!” 

घर पर दादी उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थीं! नलिनी दादी के गले से लग गई और रोने लगी उसे रोता देख सबकी ही आँखें भर आई!

मनसा काकी ने नलिनी की नज़र उतारी उसके हाल चाल पूछे।

घर घर होता है दुनियाँ में कहीं भी चले जाओ जो सुकून घर पर मिलता है वो और कहीं नहीं!

नलिनी अपने कमरे में जाती है जैसा छोड़ा था उसका कमरा उसे वैसा ही मिला!

हर चीज करीने से रखी हुई वो अपने बेड पर लेट जाती है एक साल बाद वो इस कमरे में आई है।

रात के खाने के बाद दादी ने उससे पूछा उसने वो चिट्ठी पढ़ी जो उसकी माँ ने लिखी थी..? 

नलिनी : नहीं दादी मेरा मन नहीं किया पढ़ने का.. 

दादी : कोई बात नहीं बिटिया पर जब मन हो पढ़ जरूर लेना।

नलिनी : जी दादी माँ।

हीरा को एक दिन बाद ही लौटना था उसके पास और छुट्टियाँ नहीं थी।

नलिनी और हीरा देर तक बातें करते रहे नलिनी हीरा का हाथ पकड़ कर बैठी थी उसका मन था कि हीरा और रुक जाए पर उसकी जॉब की वजह से वो कुछ नहीं बोली।

हीरा ने उसके माथे पे किस किया और चला गया सुबह जब वो उठी हीरा जाने को तैयार था.. उसने हीरा को बाहर तक छोड़ा और दूर तक उसकी निगाह उसकी गाड़ी का पीछा करती रही जब तक की वो आँखों से ओझल न हो गईं।

उसके पास अभी बहुत छुट्टियाँ थीं वो कुकिंग क्लास जॉइन कर लेती है और हर दिन दादी को कुछ नया बनाकर खिलाती है।

छुट्टियों के दिन खत्म हो गए थे नलिनी का सामान रामकिशन जी ने गाड़ी में रखा दादी ने मनसा काकी से ड्राइ फ्रूट्स की चक्की मूँग की दाल के लड्डू , आटे सूजी वाली मट्ठी और सिके हुए पोहे का चूड़ा बनवा कर रात में ही पैक कर उसके बैग में रख दिया था जाते समय उसे बताया नहीं तो वो मना कर देती।

सबका ही मन छोटा छोटा सा हो रहा था पर जाना तो था ही दादी ने उसे सर पर हाथ रख कर विदा किया।

स्टेशन पर उसकी दोस्त मिल गई थीं एक ही कोच था उनका 

बैंगलोर पहुंच कर फिर वही दिनचर्या शुरू हो गई।

नलिनी ने अपना मन पूरी तरह से पढ़ाई में लगा लिया था! उसके सेकंड सेमेस्टर के एक्जाम चल रहे थे तभी उसके पास हीरा का मेसेज आया कि उसका प्रमोशन हो गया है वो मेनेजर की पोस्ट पर आ गया।

अब उसका काम बढ़ गया है.. टूरिंग ज्यादा है!।

अभी 15 दिन की ट्रेनिंग के लिए कंपनी मुंबई भेज रही है।

कंपनी का हेड ऑफ़िस भी है वहाँ।

इस छुट्टी में तुम घर जाओगी क्या? 

नलिनी : हाँ, जाऊँगी… दादी का तीन चार बार फोन आ गया है।

तुम नहीं आ पाओगे क्या.? 

हीरा : बहुत मुश्किल है इस बार।

नलिनी : तुम अपने काम पर फोकस करो दीवाली की छुट्टियों में मैं घर जाऊँगी तब तुम भी आ जाना 

नलिनी : हीरा तुम अच्छे से रहना… मुम्बई पहुंचने पर खबर करना।

हीरा : उसका मैसेज पढ़कर हाँ बोलता है।

मुंबई में पूरे देश के मैनेजर आए हुए थे नेशनल लेवल की ट्रेनिंग थी शानदार होटल में ठहरने की व्यवस्था थी उनकी।

यहीं पर हीरा की नील से मुलाकात होती है वो रीजनल मैनेजर की पोस्ट पर था था! उसका नेचर और सीनियर्स से अलग था हीरा और उसकी खूब अच्छी दोस्ती हो गई थी।

साल कैसे निकले पता नहीं चल पाया।

नलिनी दीपावली की छुट्टी में अपनी फ़्रेंड्स के साथ घर पर आ गई थी।

हीरा को भी दीपावली पर छुट्टी मिल गई थी।

वो नलिनी के लिए पूजा में पहनने के लिए बहुत सुन्दर बनारसी सिल्क की साड़ी, कॉलेज फेयरवेल पार्टी के लिए एक पार्टी गाउन लाता है।

दादी और मनसा काकी के लिए भी उसने साड़ी खरीदी थी पहले उसने दादी को साड़ी दी फिर मनसा काकी को दोनों ने हीरा को खूब आशीर्वाद दिया।

रात को नलिनी के कमरे में जाकर उसके कैरियर के बारे में बात करता रहा इस साल नलिनी का कॉलेज का आखरी साल था हीरा ने कहा तुम चाहो तो हमारी कंपनी में भी काम कर सकती हो हमारी कंपनी के रीजनल मैनेजर से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई है तुम बता देना मैं उनसे बात कर लूँगा तुम अपना बायोडाटा बनाकर मुझे दे दो।

नलिनी : ठीक है मैं दे दूंगी।

हीरा : अपनी आँख बंद करो।

नलिनी :ओके.. आँख बंद कर लेती है।

हीरा : अब खोलो।

नलिनी : कितनी प्यारी साड़ी है! थैंक यू हीरा।

हीरा : तुमने अब थैंक यू बोला तो मैं कभी भी नहीं लाऊँगा।

नलिनी :सॉरी , अब से नहीं बोलूँगी।

हीरा : ये देखो तुम्हारे फेयरवेल के लिए 

नलिनी : वाओ ये तो बहुत ही ज्यादा सुंदर है इतना अच्छा तो कॉलेज में किसी के पास नहीं होगा।

काश की तुम भी आ पाओ मेरे फेयरवेल पर।

वो हीरा के गले में हाथ डाल कर उससे लिपट जाती है लव यू हीरा तुम मेरी कितनी फिक्र करते हो हीरा उसे किस करता है और सोने के लिए बोलता है।

नलिनी : तुम भी यहीं पर सो जाओ आज… हीरा का हाथ पकड़ लेती है और उसके नज़दीक आ जाती है।

हीरा : नहीं प्रिंसेस अच्छा नहीं लगता वो उसके होठों को गहरे चूमता है दोनों देर तक एक दूसरे की बाहों में खोए रहते हैं।

नल नलिनी तुम अपना दरवाज़ा बंद कर लो.. गुड नाइट बोलकर हीरा अपने रूम में जाकर सो जाता है।

नलिनी : उसके दिए कपड़े अंदर रख देती है और दरवाज़े को बंद कर सोने की कोशिश करती है।

दीपावली की पूजा के दिन वो हीरा की लाई हुई साड़ी पहनती है।

दादी उसे साड़ी में देख कर बोलती हैं लक्ष्मी का रूप लग रही हो बिटिया आओ पूजा करो हीरा को भी आवाज़ लगाती हैं हीरा ने सिल्क का कुर्ता पजामा पहना.. वो बहुत अच्छा लग रहा था नलिनी ने उसे देखा तो कुछ देर देखती रही.. 

अरे वाह हीरा तुम इन कपड़ों में जँच रहे हो! है ना दादी..? 

दादी : नलिनी सही कह रही है।

आज तुम दोनों की नज़र उतारूँगी मैं

चलो पूजा करो मुहुर्त का समय बीत जाएगा.. 

लक्ष्मी जी की पूजा कर के आरती के बाद हीरा के साथ मिलकर वो पूरे घर में! दिए रखती है।

हीरा : नलिनी तुम बहुत सुन्दर लग रही हो पता नहीं क्यूँ कभी कभी मुझे तुम्हारी चिंता होने लगती है।

मेरे बस में होता तो तुम्हें कभी अपने से दूर नहीं जाने देता।

बच्चे बाहर फटाके छोड़ रहे थे पूरा आसमान रंग बिरंगी रोशनी से भर गया था।

नलिनी : हीरा नीचे चलो दादी का आज व्रत है दीये रखने के बाद ही वो खाना खाती हैं।

दादी और हीरा का खाना लगाकर उन्हे खाने के लिए बोलती है!

दादी : तुम अपनी प्लेट भी लगा लो बिटिया साथ में खाएंगे।

रामकिशन जी का फोन आता है दादी को ढोक बोलते हैं।

नलिनी और हीरा भी उन्हें दीपावली विश करते हैं।

खाना खाने के बाद दादी नलिनी को एक छोटा सा पर्स देती हैं खोलो इसे.. वो खोलती है उसमें गोल्ड चेन होती है निकाल कर देखती है… दादी ये बहुत सुन्दर है वो चेन को देखती है ओम का छोटा सा पेंडिल डला हुआ था उसमें।

बिटिया ये रामकिशन ने तुम्हारे लिए बनवाई है दीवाली पर इसे पहन लो।

हीरा को दादी जींस शर्ट और हजार रुपये देती है रामकिशन की तरफ से और उन दोनों को खूब आशीर्वाद देती हैं।

हीरा नील को फोन कर दीपावली की बधाई देता है… नील भी उसे दीपावली विश करता है।

बातों में जब उसे पता चलता है कि हीरा जयपुर में है तो वो बताता है की कल रात तक वो जयपुर आ जाएगा NGO के लिए इंटरव्यू हैं और जो सिलेक्ट होंगे उनकी ट्रेनिंग भी तुम कल मुझे कॉल करो आगे का प्लान डिस्कस करते हैं तुमने मुझे एक बड़ी परेशानी से बचा लिया हीरा।

ठीक है सर.. गुड नाइट।

नलिनी को बुलाता है.. 

नलिनी : क्या हुआ हीरा..? 

हीरा : एक गुड न्यूज है।

मैंने तुम्हें बताया था ना जब मैं मुंबई गया था तो हमारे रीजनल मैनेजर भी आए थे नील नाम है उनका।

हाँ, बताया था वो बोली।

वो कल जयपुर आ रहे हैं इंटरव्यू लेने 

वो NGO के लिए काम कर रहे हैं जिसमें 

अनाथ बच्चीयों, विधवा महिलाओं और रेप की शिकार लड़कियों को नयी जिंदगी देने की कोशिश की जाती है।

तुम भी इंटरव्यू दे देना इस साल फाइनल इयर है तुम्हारा भी।

और नील सर से तुम्हें मिलवा दूँगा जॉब में तुम्हें उनकी हेल्प मिलेगी अच्छा अनुभव है उन्हें।

नलिनी : ठीक है हीरा…. 


दूसरे दिन सुबह नलिनी सोकर उठती है और ब्रश कर नीचे दादी के पास जाती है!

सबसे पहले वो भगवान के हाथ जोड़ती है.. जब वो छोटी थी तभी से दादी ने सुबह उठकर भगवान के हाथ जोड़ने की उसकी आदत डाली थी।

आज जब उसने हाथ जोड़े तो उसे भगवान जी की माला बदली हुई नहीं दिखी !

इतने सालों में ऐसा पहली बार हुआ है..!

दादी रोज सुबह जल्दी उठकर ,नहाकर प्रसाद बनाती और पूजा कर भगवान जी को माला  

चढ़ा कर भोग लगाती 

और सबसे पहले और ज्यादा प्रसाद वो मुझे देती !

वो रसोई में देखती है..

“दादी रसोई में भी नहीं हैं!” 

मनसा काकी कल शाम को आएंगी वो गाँव गई हैं!

“नलिनी सोचती है’कि दादी कहाँ गईं इतनी सुबह!”

वो दादी के कमरे में जाती है, दादी को सोते हुए देखकर उसे हैरानी होती है।

वो उनके पास जाकर देखती है ..

दादी.. दादी

नलिनी दादी को उठाने के लिए उनका हाथ छूती है “अरे! दादी को तो बहुत तेज बुखार है! वो उनका माथा छूकर देखती है दादी का बदन तो बुरी तरह से तप रहा था!” 

नलिनी हीरा को फोन लगाती है।

हीरा नींद में था मोबाइल उठाता है बोलो नलिनी.. 

“दादी को बहुत तेज बुखार है! तुम जल्दी से नीचे आ जाओ!” 

“आता हूँ!” 

5 मिनिट में फ्रेश होकर नहाकर वो नीचे उतर आता है।

फेमिली डॉ को फोन करके वो घर पर बुलाता है।

हीरा ने दादी के माथे को हाथ लगाकर देखा बहुत जल रहा था उसने सोचा ठंडे पानी की पट्टी रख दे पर वो रुककर डॉक्टर के आने का इंतजार करता है।

नलिनी दादी के पास बैठकर उनके सर पर हाथ फेरती है पर तेज बुखार की वजह से वो गाफिल सी थीं।

कुछ ही देर में डॉ आ जाते हैं हीरा उन्हें अंदर ले आता है।

डाक्टर दादी का चेकअप करके दवाई और इंजेक्शन लिख कर लाने के लिए हीरा को देते हैं हैं।

“अभी लेकर आता हूँ!” वो बोला।

नलिनी को देखकर डॉक्टर बोले बेटा घबराने की जरूरत नहीं है।

हाई फीवर है अभी इंजेक्शन और मेडिसिन देंगे तो मांजी को आराम मिल जाएगा।

तुम फ्रिज से ठंडा पानी और कॉटन का कपड़ा 

लाकर दे दो!

जी, अभी लाई!

डॉक्टर दादी के माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखते हैं दादी आँख खोलने की कोशिश करती हैं!

वो नलिनी को बुलाती हैं और उसका हाथ पकड़ कर रोने लगती हैं!

नलिनी दादी को रोते देखती है तो खुद भी रोने लगती है!

दादी को ऐसा बुखार पहली बार आया था इसलिए 

वो घबरा गईं ,उन्हें लगा कि उनका अंतिम समय आ गया है !

वो नलिनी को बोलती हैं बिटिया अपना ध्यान रखना जीवन में कभी भी किसी का भरोसा नहीं करना!

हीरा अच्छा लड़का है अगर कभी कोई जरूरत या परेशानी हो तो उसे बोलना।

तब तक हीरा इंजेक्शन और दवा ले आया था!

“लीजिए, डॉक्टर साब!” 

डॉक्टर इंजेक्शन लगाकर हीरा को 

दवाई किस वक़्त देनी है बताते हैं!

अब मैं चलता हूँ अगर माँ जी को कोई भी तकलीफ़ हो तो मुझे फोन कर लेना!

हीरा डॉक्टर साब को बाहर दरवाज़े तक छोड़ने के लिए जाता है!

नलिनी :तुम चाय पीओगे?

हीरा : “हाँ!

“चाय बनाएगा कौन?”

नलिनी : “मैं बनाऊँगी!”

तुम दादी के पास बैठो मैं चाय बना कर लाता हूँ!

दादी करवट लेती हैं!

नलिनी उनके पास बैठ कर उनके पैरों को सहलाती है!

हीरा चाय ले आता है, 

दादी उठो थोड़ी सी चाय पी लो दवाई लेनी हैं

बहुत हिम्मत करके वो उठने की कोशिश करती हैं हीरा उन्हे सहारा देकर बैठा देता है।

नलिनी ने कटोरी में चाय डाल कर ठंडी की ओर अपने हाथ से उसने दादी को पिलाई साथ में एक बिस्किट खिलाया और दवा दी।

उसके बाद उन्हें करवट दिला कर सुला दिया।

हीरा नाश्ते में क्या खाओगे तुम? 

आज नाश्ता मैं बनाता हूँ बताओ तुम क्या खाओगी? 

आलू का परांठा.. 

ठीक है तुम नहाकर पूजा कर लो और दादी सा को तुलसी जल पीने को देना उन्हें रोज सुबह पीने की आदत है।

तब तक मैं आलू का परांठा बनाता हूँ।

नलिनी नहाकर पूजा करती है तुलसी के पत्ते तांबे के जल वाले पात्र में डाल कर रखती है प्रसाद तो आज बना नहीं वो रसोई से किशमिश, काजू लाकर भोग चढ़ा देती है।

दीपक जला कर आरती करती है घंटी की आवाज़ से दादी उठने की कोशिश करती हैं पर कमजोरी के कारण उठ नहीं पातीं।

वो हीरा को आवाज़ लगाकर बुलाती हैं और उससे बिठाने के लिए बोलती हैं।

आरती के बाद नलिनी दादी को तुलसी जल और प्रसाद देती है खुशी से दादी की आँख भर जाती है वो उसे खूब आशीष देती हैं।

हीरा गरम-गरम परांठे और सॉस नलिनी को प्लेट में लाकर देता है !

उन दोनों को इस तरह से मिल जुल कर काम करते हुए देखकर उन्हे बहुत अच्छा लगता है वो मन ही मन सोचती हैं काश कि मेरी नलिनी को भी हीरा जैसा ही प्रेम करने वाला लड़का मिल जाए तो इस बच्ची का जीवन सुखी हो जाएगा और मैं चेन से अपने आँखें मींच सकूंगी!

बीस साल से पल पल बढ़ते हुए देखा है मैंने इसे अब इक्कीस साल की हो जाएगी !

कल ही तो हीरा इससे इंटरव्यू की बात कर रहा था।

वो इशारे से नलिनी को बुलाती हैं.. 

क्या हुआ दादी..? 

हीरा तुझे अपने बॉस से मिलवाने के लिए बोल रहा था तू उसके साथ चली जाना।

दादी आज रात वो आएँगे और उन्होंने हीरा को बुलाया है!

अगर उसे ठीक लगेगा तो वो खुद ही उनसे बात कर लेगा।

मेरे कॉलेज खुलने में सिर्फ पाँच दिन बाकी हैं.. 

अपने एक्जाम से पहले मैं कुछ नहीं कर सकती।

यहाँ से जाकर मुझे अपनी पढ़ाई करना है उसके बाद ही में कहीं जॉब करूंगी।

और वैसे भी मैं आपको इस हाल में छोड़कर     

कहीं नहीं जाऊंगी।

परांठा बहुत स्वादिष्ट बना है.. “नलिनी जैसे ही मुँह में परांठे का कौर लेती है,हीरा से बोलती है!”

और किचन में जाकर उसके होंठ पर एक किस कर देती है..!

उसकी इस हरकत पर हीरा झूठा गुस्सा दिखाता है।

दादी एक कौर खाकर देखिए वो उनके पास प्लेट लेकर जाती है.. हीरा इतना अच्छा आलू का परांठा बनाता है कि दिल्ली की परांठे 

वाली गली की सभी दुकानों के पंराठे फीके हैं इसके हाथ के बने हुए परांठे के आगे।

वो दादी के मुंह में पंराठे का एक कौर डालती है।

वाह … मुझे तो पता ही नहीं था की तू खाना भी बना लेता है, 

तेरे हाथ का परांठा खाकर मुँह का स्वाद अच्छा हो गया ला एक परांठा मुझे भी दे दे हाथ पैरों में जान आ जाएगी।

हीरा दादी के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनकर खुश हो जाता है वो उन्हें परांठे के साथ गुड़ वाला नींबू का अचार देता है जिसमें लोंग, कालीमिर्च, पीपल, हींग के साथ और भी मसाले हैं जो मुँह के जायके के साथ साथ हाजमे के लिए भी अच्छा है।

दादी की तबियत में काफी सुधार आ गया है थोडी कमजोरी बाकी है ।

नलिनी ने उन्हें सुबह जल्दी उठने के लिए मना कर दिया है/सुबह जल्दी उठकर नलीनी भगवान की पूजा कर लेती है!

हीरा नील से मिलने अकेला ही जाता है..

नील उसे दो दिन उसकी मदद करने के लिए बोलता है !

उसकी जयपुर टीम का मैनेजर किसी पारिवारिक कारण से छुट्टी पर चला गया है!

इन दो दिनो मे हीरा नील के बीच नजदीकियां बढ़ जाती हैं !

वो उससे नलिनी की जॉब के लिए भी बात कर लेता है!

नील : कल साथ में ले आओ !

सर वो एग्जाम के बाद जॉब करना चाहती है अभी तो बेंगलोर अपने होस्टल चली जायेगी!

नील बोला; “मई में मेरे हेडक्वाटर पर मुझे एनजीओ टीम के लिए नयी फीमेल अफसर की भर्ती करनी है !

मैं उसे अपनी ही टीम में ले लूँगा !”

हीरा: “ये अच्छा रहेगा सर।

“नलिनी आपके साथ काम करेगी तो उसे बहुत कुछ सीखने मिलेगा!”

नील : ये एनजीओ एक सरकारी संस्था से जुड़ा हुआ है!

 “इसमें औरतों अनाथ और रेप की शिकार हुई बच्चीयों की बेहतरी के लिए काम किया जाता है!”

 जब इंटरव्यू की डेट आएगी तो मैं तुम्हें खबर कर दूंगा तुम उसे साथ में ले आना ।

इस तरह के प्रोजेक्ट 5-6 महीने के अंतराल पर आते ही रहते हैं!

उसके बाद भी अगर वो चाहे तो हमारे ऑफिस में काम कर सकती हैं!

हमें मेहनती ओर ईमानदार वर्कर्स की जरूरत होती है!

एन जी ओ में काम करने वाले लड़के लड़कियों में से ही हम अपने ऑफिस के लिए वर्कर्स सिलेक्ट कर लेते हैं ये लोग मेरे अंडर में 5-6 महीने काम कर ट्रेंड हो जाते हैं इनके साथ मेरी अच्छी ट्यूनिंग बन जाती है!

एन जी ओ में मैं हर बार नयी टीम लेता हूँ नए बच्चे मेहनत करते हैं और ईमानदारी से काम करते हैं!

 हीरा : आप इस बात की चिंता नहीं करिए सर ,नलिनी बहुत मेहनती और प्यारी लड़की है आप जब मिलेंगें तो उसे अपने ऑफिस से कभी जाने नहीं देंगे!

“तो डन! नेक्स्ट प्रोजेक्ट में वो मेरे साथ काम करेगी!”

“कहीं लव वाला चक्कर तो नहीं है ना उसका तुम्हारा ?”

“नहीं सर!”

 “में उसके घर पे ही बड़ा हुआ हूँ! यक़ीन नहीं होता इतने अच्छे लोग भी हैं दुनिया में!”

हीरा दो तीन दिन नील के साथ व्यस्त रहता है, उसके जाने के बाद वो नलिनी को बताता है की एग्जाम के बाद वो ईंटरव्यू के लिए तैयार रहे!

मनसा काकी के आने के बाद नलिनी अपने जाने की तैयारी करती है . ..

दादी की तबियत अब ठीक है!

हीरा को आज ही निकलना है नील के कारण वो दो दिन रुक गया था!

हीरा के जाने के बाद नलिनी का मन नहीं लगता सोने की कोशिश करती है पर नींद भी नहीं आती वो छत पर टहलती है..तारों भरा आकाश उसे बड़ा अच्छा लगता है टिम टिम करते सितारे दिखने में उसे बड़ा मजा आता है इतनी दूर हो कर भी उनकी रौशनी अपने करीब महसूस होती है.हीरा को कॉल करती है ..

हेलो। क्या हुआ नलिनी, सब ठीक है ना ?

इतनी रात को तुमने फोन किया

नलिनी: हीरा तुम्हारी याद आ रही है बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा, रोने लग जाती है..

हीरा: सुनो !

“नलिनी चुप हो जाओ.. प्लीज ।”

“अच्छा सुनो तो!”

“बोलो।”

तुमने जो कविता लिखकर दी थी मुझे, वो मैं तुम्हें पढ़कर सुनाता हूं!

 “पर एक शर्त पर ?”

“वो क्या है ?”

तुम शरमाओगी नहीं !

ठीक है ! “नहीं शरमाउंगी!”

“सुनो..! पहली दफ़ा सबसे नज़रें बचाते हुए जब तुमने मुझे देखा था 

क्या वो एहसास तुम मुझे बता सकते हो ?” 

मेरा घूँघट उठाते हुए मेरी हथेली पर अपने होठों से जो दुआ रक्खी थी तुमने.. उस पल में!

“मेरी आँखों की हया के सारे रंग तुम्हारे चेहरे पर क्यूँ उतर आए थे ?”

क्या ये राज मुझे बता सकते हो तुम ?

 “हौले हौले से तुम्हारे बालों में उँगली फिराते हुए, धीरे से तुम्हारे कानो के पीछे जब मैनें गुदगुदाया था

और तुमने मुझे कस कर अपने आगोश में जकड़ लिया था ।

तब मेरी धड़कनो ने जो कहा था …

क्या वो सब बात बता सकते हो तुम..?” 

“हमारे मिलन की वो पहली रात याद है न तुम्हें..?”

जब तुम्हारी दोनो हथेलियों को थाम कर 

तुम्हारी आँखों के नर्म उजालों में

छोटी बच्ची सी सिमट गई थी मैं!”

“मेरी नाभि पर अटक गई थी साँसे तुम्हारी!”

“कमल की उपमा दी थी तुमने उसे!

भँवरे सा हो गया था तब तुम्हारा मन!”

 उस पल में अपनी अंतरआत्मा तक सौंप दी थी मैने तुम्हें !

और तुमने भी तो खुद को मुझे सौंप दिया था!

तुम्हारे मन का हाल भी उस वक़्त मेरे जैसा ही था !

पर “तुम पुरुष ये सच कभी स्वीकार नहीं करोगे कि किसी पल में स्त्री के जैसे कमजोर हुए थे तुम! “

“है ना!”

“रात में सोते हुए मेरे चेहरे से बालों को हटाकर अपनी नज़रों से जितनी दफ़ा तुमने मुझे चूमा है…

वो सारे निशान, चस्पा हैं मेरी रूह पर!!!

तुम चाहो तब भी तुम छुपा नहीं सकते अपने दिल का हाल मुझसे!”

“प्रेम करते हुए पुरुष में छिपी स्त्री और स्त्री में छुपा पुरुष दोनो जाग जाते हैं!

दोनों के बीच का भेद मिट जाता है!

 रहता है तो सिर्फ प्रेम दो मन और आत्माओं के बीच! “

सुनो ! क्या अब भी कुछ नहीं बोलोगे तुम..???

हीरा : “सुनो ना"

बोलो भी ..कुछ तो बोलो ...

ये चीटिंग है यार !

नलिनी: बोलो..

हीरा: हाँ ,ये सच है जब पहली बार मैनें तुम्हें देखा, पहली बार तुम्हारा घूघंट उठाया ,

तुम्हारी हथेली को चूमा ,और जिस पल में तुम्हारे साथ खुद को भी तुम्हें सौंपा ।

हर एक पल में ज्वार भाटा सा उठता रहा मेरे मन में कितनी ही दफ़ा तुम्हारे तन की आँच से पिघला हूँ मैं।

हाँ, मेरा पुरूष मन इसे स्वीकार करने की मुझे इजाज़त नहीं देता!

"तुम्हारे सामीप्य में कमजोर पड़ जाता हूँ मैं!"

तुम्हें अपने बहुत क़रीब रखने का ही मन करता है मेरा

 पर मैं डरता हूँ कहीं तुम मुझसे घृणा ना करने लग जाओ!

 तुम मुझे भी वासना का पुजारी ना समझ लो!

मेरा प्यार सच्चा है इसमें शक़ की कोई गुंजाईश ही नहीं है,

पर सँगमसर सा तराशा हुआ तुम्हारा खूबसूरत बदन 

तुम्हारे तन के उभार ,तुम्हारे जिस्म की कसावट तुम्हारी कमर की लोच , तुम्हारी नाभी तुम्हारा ये हँसी रूप जब भी देखा है मैने, उस पल में मेरे भीतर का पुरूष न चाहते हुए भी जानवर सा हो जाता है ।

तुम्हारे हर अंग को चूमने की लालसा मेरे भीतर ही भीतर सर उठाने लग जाती है उस पल में मैं अपने मन को समझाता हूँ !

फ्रिज से ठंडे पानी की बोतल निकाल कर एक ही सांस में पी जाता हूँ और तुम्हारे नज़दीक बैठ तुम्हें देखता हूँ और अपनी नज़रों से कई कई बार तुम्हें चूमता हूँ पर डरता भी हूँ कहीं किसी और की नज़र तुम्हें ना लग जाये !

नलिनी: हीरा लव यू बहुत सारा !

तुम ये सब... ओ गॉड!

मैं क्या बोलूं तुमसे ..इस तरह अपना सच कौन बोलता है !

"तुम जैसे पहले थे अब भी वैसे ही हो!"

काश की अपने जीवन का हर पल में तुम्हारे साथ जी पाऊँ!

मेरी जॉब लगते ही मैं दादी से बोल दूँगी कि तुम मुझे पसंद हो और मैं तुमसे ही शादी करुँगी !

तुम देखना हीरा वो मेरी बात कभी नहीं टालेंगीं!

तुम्हारी बात सच हो नलिनी मैं यही दुआ करता हूँ!

अब सो जाओ बहुत रात हो गई है !

स्वीट ड्रीम्स ,लव यू !

हीरा की बातें सोचते हुए वो रुम में आकर सो जाती है!

दो तीन दिन कैसे गुज़रतें हैं पता ही नहीं चलता 

नलिनी का जाने का समय हो जाता है वो दादी से ध्यान रखने का बोलती है और मनसा काकी को उनके ही पास रहने का !

रामकिशन जी रिश्तेदार के यहाँ गये हुए थे इस वजह से वो आ नहीं पाए!

उन्होंने ड्राइवर को भेज दिया था !

उसने मेरा सामान गाड़ी में रखा, दादी के गले से लिपट कर मैं जल्दी से गाड़ी में बैठ गई !

मैं नहीं चाहती थी कि दादी मेरी आँखों में आँसू देखें !

होस्टल जाकर मैं अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई थी,

हीरा से रोज रात को बात होती थी औऱ दादी से सुबह !

समय कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता ..

परीक्षा खत्म हो गईथी !

हॉस्टल खाली करना था मेरे रूम मेट्स के पैरेंट्स उन्हें लेने के लिए आने वाले थे !

रामकिशन जी ने हीरा को मुझे लेने के लिए भेजा

हीरा के लिए तो ये मुँह माँगी मुराद पूरी होने जैसा ही था !

हीरा के आने पर मैं उसके साथ अपना सामान होटल में ले आयी

हम लोग तीन दिन बैंगलोर में ही रहे ,ये तीन दिन हमारे हनीमून के थे !

जब से नलिनी ने दादी से शादी की बात करने के लिए कहा है हीरा की आँखों में आने वाले कल के सुनहरे ख़्वाब अंगड़ाई लेने लगे हैं।

नलिनी को जयपुर छोड़ कर हीरा उसी रात दिल्ली के लिए निकल जाता है!

दो तीन दिन नलिनी का मन नही लगता वो अनमनी सी रहती है !

दादी को लगता है सहेलियों से दूर होने के कारण ही नलिनी उदास है !

पर ऐसे भी कब तक चलता वो दादी के साथ वक़्त बिताने लगी कभी रसोई में मनसा काकी की मदद से कुछ नई रेसिपी बनाती !

बाकी टाइम टी वी देखने, पढ़ने में निकल जाता!

अगले हफ्ते हीरा आ जायेगा उसके साथ उसे इंटरव्यु देने जाना है !

नलिनी का मन उससे दूर जाने का नहीं था पर जॉब भी जरूरी है और इतनी अच्छी अपॉर्च्युनिटी मिल रही है तो उसे छोड़ना भी मूर्खता है..

आजकल अपने ही सवाल अपने ही जवाब में उलझी रहती नलिनी!

अपने कपड़े और जरूरत का सामान उसने एक बैग में पैक करके रख लिया था।

आज हीरा आ जायेगा इस बात से वो खुश थी

सुबह जल्दी ही नहा धोकर तैयार हो गई ,कल उसके साथ इंटरव्यू के लिए जाना है अगर सिलेक्ट हो गई तो फिर सबसे दूर हो जाएगी उसके दिमाग में सवालों के बादल उमड़ रहे थे !

कॉलेज की बात अलग थी साथ में सारी फ्रेंड्स थी और सेफ भी था पर जॉब करना अलग बात है अकेले ही रहना होगा नयी जगह नए लोग

अभी तक वो कभी अकेले नहीं रही उसे सोच कर ही चिंता हो रही थी वो दादी के पास चली गई !

दादी: क्या बात है बिटिया इतनी सुबह उठ कर तैयार हो गई !

हाँ दादी ! नींद नहीं आ रही थी।

मैं सोच रही हूं अगर जॉब मिल गई तो मैं अकेले कैसे रहूँगी ?

दादी चिंता नहीं कर मैं तेरे साथ रहूँगी !

सच में दादी ? 

हाँ बिटिया तुझे अकेले नहीं छोडूँगी !

दादी की बात से उसके मन को चैन मिला अपनी बेवकूफी पर उसे हँसी आई पहले ही उसे दादी से बात करनी चाहिए थी !

अब तक उसकी छोटी बड़ी हर बात का ख्याल रामकिशन जी और दादी रखते आ रहे हैं दादी ने तो घर ही छोड़ दिया उसके लिए फिर भी इस तरह की बात सोचना मूर्खता ही है ।

वो दादी की गोद में सर रख कर लेट जाती है दादी उसके बालों में उंगलिया फिराती हैं उसकी आँखें मुंदने लगती हैं !

बिटिया आज हीरा के साथ गोविन्द जी के मंदिर जाकर प्रसाद चढ़ा आना !

ठीक है दादी शाम को चली जाऊँगी!

दरवाज़े की घंटी बजती है नलिनी दरवाज़ा खोलती है हीरा को देख कर उसका चेहरा खिल जाता है!

आओ बेटा दादी ने बोला 

नलिनी पानी लाकर देती है!

कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद चाय पीकर हीरा ऊपर कमरे में चला जाता है रात नींद नहीं होने से उसका सर दर्द कर रहा था !

नलिनी मनसा काकी की रसोई में मदद करती है वो अपने हाथ से हीरा के लिए कुछ बनाना चाहती थी उसे याद आया हीरा को बैंगन का भरता पसंद है वो मनसा काकी से पूछ कर गैस पर बैंगन भुनने रख देती है औऱ बाकी सब तैयारी कर लेती है देसी घी में प्याज लहसुन का छोंक लगाकर मसाले डालती है सारा घर घी ओर मसालों की खुश्बू से महक जाता है !

हीरा : काकी बढ़िया खुश्बू आ रही है !

आज नलिनी बिटिया ने भरता बनाया है उसकी खुश्बू है !

अरे वाह ! नलिनी खाना भी बनाने लगी!

अब तो और जोर से भूख लग रही है काकी खाना लगा दो !

काकी तीनो का खाना टेबल पर लगा देती हैं..

हीरा जैसे ही भरता खाता है वाह ! क्या स्वादिष्ट बना है.. उँगलियाँ चाटते रह जाओ !

दादी भी खाकर नलिनी की तारीफ करती हैं तुम्हारे हाथ में स्वाद है बिटिया !

खाना खाकर थोड़ी देर बातचीत करते हैं नलिनी सुबह जल्दी उठी थी इस वजह से उसे नींद आ रही थी वो सोने चली जाती है !

हीरा और दादी बात करते रहते हैं!

दादी: हीरा से थोड़ी देर आराम कर लो बेटा शाम को नलिनी और तुम गोविंद जी के मंदिर हो आना 

हीरा: जी दादी सा ।

शाम को 6बजे हीरा उठता है उसे याद आता है दादी ने मंदिर जाने के लिए बोला है वो नहाकर तैयार हो जाता है ।

नालिनी अभी तक नहीं उठी थी हीरा उसे आवाज़ लगाता है जल्दी उठो शाम हो गई है 

मनसा काकी चाय पीने के लिए आवाज़ लगाती हैं 

नलिनी उठो अब तो चाय भी बन गई है!

उठ रही हूं... हीरा का हाथ पकड़ लेती है!

हीरा उसे उठाता है उसके गाल पर एक किस करता है नलिनी उसके गले में हाथ डाल कर लटक जाती है ।

तुम नीचे उतर रही हो या ऐसे ही दादी के पास ले जाऊँ जो बाद में कहना है वो तुम अभी ही कह दो!

नीचे उतर कर ..ब्लेक मेल करना कोई तुमसे सीखे!

मंदिर जाने के लिए बोला है दादी ने..

अरे हाँ । मैं तो भूल ही गई थी ।

तुम चलो मैं तैयार होकर आती हूँ!

जल्दी चलो कितनी देर लगा रही हो तुम तैयार होने में ..

बस दो मिनिट में आ रही हूं !

चलो ।

दादी और हीरा उसे देखते ही रह जाते हैं !

ब्लू कलर की स्लीव लेस कुर्ती ,व्हाइट लेगी ,मैचिंग की चूड़ी छोटी सी ब्लू कलर की बिंदी खुले हुए बालों में बहुत सुंदर लग रही थी नलिनी !

आराम से जाना तुम लोग ....इस समय ट्रेफिक बहुत रहता है दादी हीरा को बाइक की चाभी और हेलमेट देते हुए बोलीं!

जी दादी सा!

नलिनी बाइक पर बैठ कर दादी को बाय करती है!

थोड़ी दूर जाने पर वो हीरा की कमर में हाथ डाल कर बैठ जाती है !

मंदिर पहुँच कर हीरा गाड़ी पार्क करता है तब तक नलिनी माला प्रसाद खरीद लेती है दोनों मंदिर में जाकर दर्शन करके पुजारी जी को माला और प्रसाद चढ़ाने के लिए देते हैं !

पुजारी प्रसाद चढ़ा कर उन्हें बचा हुआ प्रसाद दे देता है ,

कुछ देर मंदिर में बैठ कर वो लोग वापिस आ आते हैं !

हीरा पार्किंग से गाड़ी निकालता है... तभी कुछ छोटे छोटे बच्चे नलिनी के पास आकर प्रसाद माँगते हैं वो उन्हें प्रसाद देती है !

हीरा आवाज़ लगाता है नलिनी चलो..

आती हूँ हीरा !

वो बाइक पर बैठकर हीरा की कमर में हाथ डालकर उससे सटकर बैठ जाती है थोड़ा ही आगे जाते हैं उनके सामने से जा रही कार चलते हुए एकदम रुक जाती है हीरा कार से टकराने से बचने के लिए ब्रेक लगाता है तब तक पीछे से स्पीड में आ रही गाड़ी बाइक से टकरा जाती है संभलते हुए भी नलिनी बाइक से उछल कर डिवाइडर से टकरा कर बेहोश हो जाती है उसके सर से खून बह रहा था हीरा बाइक के नीचे आ जाता है उसके चेहरे पर कट लग जाता है और हाथ पैर छिल जाते हैं !

हॉस्पिटल में हीरा को होश आता है नलिनी कहाँ हैं?

डॉक्टर : अभी उन्हें होश नहीं आया सर पर गहरी चोट लगने से काफी खून बह गया है अभी ऑब्जरवेशन में रखा है.. इनकी बॉडी कोई मूवमेंट नहीं कर रही हैं कभी कभी मरीज को होश में आने में थोड़ा वक्त लगता है अभी इन्हें सिटी स्केन के लिए ले जाएंगे और भी कुछ जाँचे होनी है आप काउंटर पर पैसे जमा करवा दीजिये !

हीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या हो रहा है नलिनी की ऐसी हालत देख उसका दिमाग ही काम नहीं करता वो रामकिशन जी को फोन लगा कर सब बताता है !

मैं पहुँचता हूँ तुम चिंता नहीं करो !

रामकिशन जी ड्राइवर से गाड़ी निकालने को बोलते हैं और पंडित जी को फोन कर नलिनी के बारे में बताते हैं !

डॉक्टर: खून काफी बह गया है ब्लड का इंतज़ाम करना पड़ेगा ...

क्रमशः 



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