Radha Shrotriya

Romance Thriller

4.5  

Radha Shrotriya

Romance Thriller

नील

नील

31 mins
285


"नील रुको।"

“तुम कितना तेज चलते हो ?”

“तुम तेज नहीं चल सकती हो क्या ?”

“नील ने नलिनी से कहा।”

“नहीं,बिल्कुल भी नहीं।”

और नलिनी वहीं बैठ गयी।

कमाल की लड़की हो तुम भी..

“हाँ। वो तो मैं हूँ।”

“नील भी उसके पास ही बैठ गया।”

“इतना क्यूँ खाती हो कि अपना वजन खुद ही न उठा सको ?

तुम से तो कम ही खाती हूँ मैं।”

“अच्छा।”

अभी गुस्सा मत करो।

“तुम इन लहरों को देखो।

अपनी ही धुन में चलती हैं किसी की भी परवाह नहीं है इन्हें ।”

“सुनो.।”

“तुम भी सब कुछ भूलकर मेरी बाहों में समा जाओ।”

बहुत करीब से महसूस करना चाहता हूँ तुम्हें…

तुम शायद यकीन नहीं करोगी, मेरी कही किसी भी बात पर।""

लेकिन ये बिलकुल सच है, कि इस एक पल को जीने के लिए न जाने कितना इंतज़ार किया है मैंने।" 

"हाँ, तब भी जब मैं तुम्हें जानता भी नहीं था।

"लेकिन मेरे ख़यालों में जो चेहरा था वो हू ब हू तुमसे मिलता जुलता था।"

दोस्तों के साथ रहकर भी में अक्सर ख़ुद को तन्हा ही महसूस करता था।

पहली नज़र वाला प्यार मुझे भी हुआ था ‘वो’ कॉलेज की और लड़कियों से अलग थी। बेहद खूबसूरत नैन नक्श थे उसके कम बोलती थी। पढ़ने में भी बहुत तेज थी.. किताबी कीड़ा भी कह सकते हैं उसे।

हमारी दोस्ती कब प्यार में बदल गयी हमे पता ही नहीं चला। 

 समय के मानो पंख लग गये हों, हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था। 

पर ज्यादा खुशियों को अक्सर ही नज़र लग जाती है और यही हमारी लव स्टोरी में भी हुआ।"

एक दिन कॉलेज में आकर ‘उसने’ मुझसे कहा, "नील अब में तुमसे नहीं मिल पाऊँगी, जो कुछ भी हमारे बीच में रहा उसे तुम एक अच्छा सा सपना समझ कर भूल जाओ।"

सोना के मुंह से ये सुनकर मेरे तो पेरों के नीचे से जैसे जमीन सरक गई। 

मैं अवाक उसका चेहरा देख रहा था कल तक जो मेरे साथ जीने मरने की कसमें खाती थी, आज सारे संबंध तोड़ने के लिए बोल रही है।

“नील।नील, कहाँ खो गए हो तुम। 

(कुछ रुक कर नील बोला) "अररे। ये तुम क्या बोल रही हो सोना। तुम ऐसा नहीं कर सकती हो।"

 तुम ये बात अच्छे से जानती हो, कि में तुम्हारे बिना जी नहीं सकता। होश में आओ नील, ज़िन्दगी हमारे हिसाब से नहीं चलती है।

मेरे पापा ने मेरी शादी तय करदी है। कल ही इनगेजेमेंट है, एक हफ्ते बाद मेरी शादी है उसके बाद में इंडिया से हमेशा के लिए चले जाऊँगी।

शायद ही कभी हमारी मुलाकात हो।

“उसकी आवाज़ मेरे कानो में जैसे गूँज रही थी”

“सोना के कहे हुए शब्द मेरे कानो में गूँज रहे थे।”

लगा जैसे किसी ने पिघला हुआ शीशा कान में उड़ेल दिया हो।

“मैं, समझ नहीं पा रहा था कि करूँ तो क्या करूँ।”

“दिल तो चाह रहा था कि जोर जोर से चीख कर रो लूँ।”

“मुझे लग रहा था कि मेरी सारी दुनिया ही लूट ली है किसी ने।”

“सोना के बारे में सोचता हुआ मैं कॉलेज से घर आया और अपने कमरे को बंद करते ही मेरे अंदर का गुबार फूट पड़ा।”

तकिये में मुँह छुपा कर मैं देर तक रोता रहा। 

आँसू भी कब तक साथ देते थक हार कर मैं सो गया।

“नील.. नील, (माँ की आवाज से मेरी नींद खुली) आँख मलते हुए मैंने दरवाजा खोला।”

क्या बात है बेटा, माँ बोलीं.. तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना.?

“हाँ, माँ.. बस थोडा सर में दर्द हो रहा था।

दर्द की दवाई खाकर लेटा तो पता नहीं चला कब आँख लग गई।

अब मैं ठीक हूँ, नील अपनी माँ से बोला।” अच्छा चलो हाथ मुँह धोकर आओ, में खाना लगाती हूँ।

खाना खाते खाते नील ने अपनी माँ से कहा कि कुछ दिन के लिए वो अपने मामा के घर जाना चाहता है।

उन्होने भी उसे हाँ कह दिया।

“नील इस शहर से बहुत दूर चले जाना चाहता था।

उसे लगा कि वो यहाँ रहेगा तो सोना की यादें उसे जीने नहीं देंगी।

और उसके चेहरे पर छायी हुई उदासी उसकी माँ से छिपी नहीं रह पाएगी।

अब यही एक रास्ता था।

उसने अपनी जरूरत का सामान पैक किया सोना के लिखे लेटर्स भी उसने बेग में रख लिये।

एक अजीब सी नफरत की आग उसके अंदर पनप रही थी।

अब तक तो सोना के अलावा किसी और लड़की की तरफ कभी उसने आँख उठाकर देखा भी नहीं देखा था।

 पर अब वो भी और लड़कों की तरह बन जाना चाहता था।

उसे लग रहा था ऐसा करने से ही उसके मन को सुकून मिलेगा और उसकी नफरत की आग ठंडी हो जाएगी।”

“नील सुबह जल्दी से उठकर नहा धोकर तैयार हो गया।

उसके घर से स्टेशन का रास्ता लम्बा था।”

“माँ ने नाश्ते में नील के पसंदीदा गोभी के परांठे बनाये थे।”

उन्होनें नील से कहा कि वो फटाफट नाश्ता कर ले।

नील ने माँ से कहा कि अभी उसका कुछ भी खाने का बिल्कुल भी मन नहीं है।

“माँ का मन रखने के लिए उसने कहा आप परांठे पैक कर दो मैं रास्ते में खा लूंगा।”

तभी टैक्सी आ गयी, उसने माँ के पैर छुए और निकल पड़ा।

“रास्ते भर वो सोना के ही बारे में सोचता रहा।”

नील ये बात अच्छे से जानता था कि सोना उससे दूर रहने की कल्पना से भी काँप जाती है ।

“फिर ऐसी क्या बात हुई है जिसकी वजह से सोना को यह कदम उठाना पड़ा।”

नील ने टैक्सी ड्राइवर से गाड़ी वापिस मोड़ने को कहा और वो वापिस घर लौट पड़ा।

रास्ते में उसने सोना को कॉल लगाया।

“नील ये बात अच्छे से जानता था कि वो कहीं भी चला जाये सोना की यादें उसका पीछा नहीं छोड़ेंगी।”

“सोना ने नील से जो कुछ भी कहा था वो मजबूर हो कर कहा था।        

 सोना अपने मन की हालत अच्छे से समझती थी।

नील से एक दिन बात न होने पर वह परेशान हो जाती थी।  

 “नील के अलावा किसी और के बारे में सोचना भी वो गुनाह समझती थी।”

जाने क्यूँ उसने खुद को हालात के हाथों भेंट चढ़ा दिया।          

“जिंदा लाश जैसी ही हालत हो गई थी उसकी।”

नील के कॉल से उसे लगा कि उसकी साँसें लौट आई हैं।

पर तुरंत ही वो हकीकत में लौट आयी।

“नील की आवाज़ सोना के लिए दुआ जैसी ही थी।”

और अब ये दुआ उसकी नहीं रह जाएगी।

सोच भर से ही उसकी आँखों में आँसू भर आए।”                

सोना ने नील का कॉल पिक नहीं किया।

और मोबाईल स्विच ऑफ कर दिया।

सोना की माँ ने जब नील की तस्वीर उसकी किताब में देखी तो कितने ही सवालों की झड़ी लगा दी।

सोना ने अपनी माँ को समझाने की हर संभव कोशिश की। पर उन्होंने सोना की एक न सुनी और अपने ही परिचित के बेटे से उसका रिश्ता तय कर दिया।

लड़का कुछ सालों से विदेश में ही रहकर जॉब कर रहा था।

सोना की माँ को लगता था कि उनकी लाड़ली बेटी इस घर में राज करेगी।

शादी के बाद वो भी अपने पति के साथ विदेश चली जाएगी और कुछ दिनों में ही नील को भूल जायेगी।

उन्होने सोना को लड़के की फोटो भी दिखाई। उनके लिए उनका मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा,और समाज के बनाए नियम कायदे उनकी बेटी के मोहब्बत से बढ़कर थे । सोना को लगता था कि अगर वो मर भी जाएगी तो भी उसके माँ पिता को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

माँ के इस फैसले से सोना का दिल टूट गया।

उसे लगता था दुनिया में और सब बदल भी जाएं पर उसकी “माँ उसके मन की बात जरूर समझ जाएँगी।”

पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

“सोना सही वक़्त का इंतज़ार कर रही थी।

कि जैसे ही उसकी काॅलेज की पढ़ाई पूरी होगी वो अपने और नील के रिश्ते के बारे में अपनी माँ को बता देगी।”

पर होनी को कुछ और ही मंजूर था।

उसने सोचा कि जब हमेशा के लिए

“बिछड़ना ही है तो फिर मन में मोह रखने से क्या फायदा।”

अब वो नील की जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चले जाना चाहती थी।

पर “नियति ने उनके भविष्य के लिए क्या गढ़ रखा था उससे सोना अंजान थी।”

“सोना के फोन न उठाने की वजह से नील को बहुत गुस्सा आ रहा था।

वो समझ नहीं पा रहा था कि सोना उससे इस तरह व्यवहार क्यूँ कर रही है।”

अगर कुछ बात है तो साफ साफ कहे”

इस तरह इग्नोर करना तो सही नहीं।

नील को घर पर देख कर उसकी माँ हैरान हो गईं

उन्होने उसके न जाने की वजह भी पूछी।

“नील बोला,कुछ भी नहीं हुआ माँ, बस आपको अकेले छोड़ कर जाने का दिल नहीं किया।”

“नील अपनी माँ को दुख पहुंचाना नहीं चाहता था, इसलिए उसने माँ से झूठ बोल दिया।”

मां ने नील से कहा कि मैं चाय बना कर लाती हूँ।

तुम चाहो तो चेंज कर लो।

“नील ने गर्दन हिलाकर हाँ बोला।”

चाय आने तक वो कपड़े चेंज कर आया।

“दोनों ने इधर उधर की बातें करते हुए चाय खत्म की।”

उसके बाद नील ने अपनी मां से बोला मां में कुछ देर जाकर अपने रूम में आराम करता हूं। वो अपने रूम जाकर कुछ देर तक अनमना सा लेटा रहा।

उसे पता नहीं चला कब से नींद लग गई इतनी गहरी नींद कि वह अपने पास्ट में खो गया

सोना के साथ बिताए हुए कितने ही खूबसूरत लम्हें उसके ज़ेहन में दस्तक दे उठे..।

वो बिस्तर से उठा और बैग से सोना के लैटरस निकाल कर पढ़ने लगा और अपने पास्ट में इस कदर गुम हो गया कि वह ये भी भूल गया की वो नलिनी की जिद पर ही उसे अपने पास्ट के बारे में सब बता रहा था।

“जैसे ही उसने नलिनी को देखा.. ओह। सॉरी डियर मैं अपने माज़ी में इस कदर गुम हो गया था कि मैं अपने आज को ही भुला बैठा।”

“कोई बात नहीं नील मैं समझ सकती हूँ।”

तुम कितनी अच्छी हो नलिनी मेरा मन पढ़ना जानती हो तुम।

“अगर तुम, मेरी ज़िंदगी में न होती तो पता नहीं मेरा क्या होता।”

“ऐसा नहीं है नील, तुम दिल से बहुत अच्छे हो।”

“हालात के हाथों इंसान मजबूर हो जाता है।

न चाहते हुए भी वो खुद पर से भरोसा खो बैठता हैं।”

तुम्हारी ज़िंदगी में भी ऐसा ही हुआ।

“नील तुम्हारी जगह कोई और होता तो वो भी इस तरह की सिचुएशन को फेस कर रहा होता।”

“हम जिस तरह के लोगो की संगति में रहते हैं उनका थोड़ा बहुत असर हम पर भी आ ही जाता है।”

और तुम भी कोई भगवान तो हो नहीं।

“जो भी हुआ तुम उसे भूलने की कोशिश करो।”

“जिसे हम टूटकर चाहते हैं उससे बिछड़ने पर भी हम टूट ही जाते हैं।

पर साथ में बिताए हुए मधुर पलों की स्मृतियाँ ताउम्र हमारे दिल में कैद रहती हैं।”

“नील, तुम भी सोना की यादों को सहेज कर, अपने दिल में रख लो।

तुम जब चाहो उसे अपने पास महसूस कर सकते हो।”

“तुम्हारी सोच कितनी अच्छी है नलिनी”

नील ने कहा..।

“नील ने नलिनी को कसकर अपनी बाहों में भर लिया।

और उसके माथे पर अपने तपते हुए ओंठ रख दिए।”

“नलिनी ने नील के सीने में मुँह छुपा लिया”

क्या हुआ जान नील बोला..

“अच्छा सुनो..। तुम मेरी तरफ देखो।”

“नलिनी ने इंकार की मुद्रा में सर हिलाया।”

नील उसके बालों की लट को अपनी उँगली मैं लपेटते हुए बोला..

नलिनी एक तुम ही हो जिस से मैं अपनी सारी बातें शेयर करता हूँ।

“वो चाहें अच्छी हों या बुरी।”

2 दिन कैसे बीत गए पता ही नहीं चला।

“तुम्हारे साथ जब भी होता हूँ तो

लगता है कि समय की रफ़्तार तेज हो जाती है।”

"दूध सी उफनती हुई लहरें नील और नलिनी के पैरों को छू छूकर कर जा रहीं थी।"

इतना करीब से दोनों ने एक दूसरे को पहली बार महसूस किया था ।

नील के मन में प्रीत का सागर हिलोरें ले रहा था।

 वो अपने और नलिनी के बीच की हर दूरी मिटा देना चाहता था।

पर वो समझ नहीं पा रहा था कि अपने मन की बात नलिनी को किस तरह से समझाए 

रात भी काफी हो गई थी..

"नलिनी चलें ?"

"तुम थक गयी होगी। नील बोला।" 

"हाँ, चलते हैं, नलिनी ने कहा।"

"तुम्हें कुछ चाहिए नलिनी ?"

नील ने पूछा..।

"नहीं नील.. हम होटल में चलते हैं।"

वक़्त पर उनका बस नहीं था,,,

और अपने जज़्बातों पर भी काबू नहीं था।

नलिनी पिंक नाइटी में बहुत खूबसूरत लग रही थी।

नलिनी मैं समझ नही पा रहा हूँ कि किस तरह से तुम्हारा शुक्रिया अदा करूँ।

नील बोला।

"तुमने मुझे एक पल में पराया कर दिया नील।"

नलिनी ने कहा।

नील ने नलिनी का हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लिया।

"रात का आँचल धीरे_धीरे सरकता जा रहा था। दो दिलों के साथ साथ दो जिस्मों बीच की दूरियाँ भी लहरों के शोर में गुम हो गईं ।"

 "नील ने खिड़की से बाहर देखा आसमान में बादलों के बीच से चाँद झाँक रहा था।

उसकी दूधिया रौशनी खिड़की से कमरे के भीतर आ रही थी।"

"नलिनी देखो चाँद कितना सुंदर दिख रहा है..।

जब नलिनी ने कोई जवाब नहीं दिया तो नील ने उसके चेहरे पर बिखरे बालों को आहिस्ता से हटाकर देखा वो सो चुकी थी।

"चाँद की रोशनी में नलिनी का चेहरा और भी प्यारा लग रहा था।"

नील कुछ देर उसे देखता रहा।

नलिनी के होठों पर मुस्कान बिखरी हुई थी।

"नील ने उसके होठों पे हल्के से किस किया और अपनी बाहों में समेट लिया नींद अब उसकी आँखों में भी तैर रही थी।"

सुब्ह का सूरज उन दोनों के लिए ही नयी रोशनी लेकर आया था.. ।

 दोनो के चेहरे से टपकता नूर और ताजगी देख कर कोई भी उन्हे नव विवाहित ही समझता ।

"नील ने कितनी ही रातें जागकर इस सुब्ह का इंतज़ार किया था ।"

नील की आँखों में शरारत देखकर नलिनी थोडा असहज महसूस कर रही थी।

"नील ने उसके चेहरे के भाव पढ़ लिए थे।"

और माहोल को सामान्य बनाने के लिए उसने नलिनी से चाय के लिए पूछा..

उसने हाँ मैं सर हिलाया और उठकर बाथरूम में चली गयी।

नील ब्रेकफास्ट ऑर्डर कर के अपने मेसेज चेक करने लगा।

"चिया के ढेर सारे मेसेजेस देख उसके चेहरे के भाव अजीब से थे।"

अब तक नलिनी बाथरूम से नहाकर आ चुकी थी।

"नील को यूँ हैरान देख कर उसने पूछ ही लिया क्या हुआ?"

"इतने परेशान क्यों लग रहे हो.?"

 "नहीं कुछ खास नहीं।" 

"अच्छा सुनो.। तुम जल्दी से तैयार हो जाओ। मैंने तुम्हारे पसंद का ब्रेकफास्ट ऑर्डर किया है।

ब्रेकफास्ट के आने तक मैं एक अर्जेंट कॉल करके आता हूँ।

फिर साथ मैं ब्रेकफास्ट करते हैं।

"नलिनी ने हाँ में सर हिलाया।"

रात डिनर ठीक से नहीं करने की वजह से दोनों के पेट में चूहे दौड़ रहे थे।

नील ने चिया को कॉल लगाया।

"गुड मॉर्निंग। क्या हुआ बेबी..?"

"इतने सारे मेसेजेस?"

"क्यूँ, अब इतना हक़ भी नहीं है मुझे कि आपकी खैरियत पूछ सकूँ..?

घर से बाहर जाते ही आप तो मुझे भूल ही जाते हैं।

"अररे,नहीं यार।"

कुछ ज्यादा ही व्यस्त हूँ इन दिनों। पूरा दिन काम के चलते वक़्त ही नहीं मिला ।

"देर रात फ्री हुआ तो सोचा तुम्हारी नींद खराब होगी सुबह ही बात करूँगा।"

तुम सोच भी नहीं सकतीं अंश और तुम्हें कितना मिस करता हूँ मैं।"लव यू जान।" "ह्म्म्म..।बातों मैं तो आपसे जीतना मुश्किल है।"

"अच्छा कब वापिस आ रहे हो।"

"अंश, आपको बहुत मिस कर रहा है।"

"मैं, भी अपनी नन्ही सी जान को बहुत मिस कर रहा हूं।"

"तुम उसके पापा की तरफ़ से उसे ढेर सारी किस्सी देना।"

"हम्म्म । वो तो मैं उसे दे ही देती हूँ। अब वो पहचानने लगा है पापा बोलने पर आपकी तस्वीर की तरफ इशारा करता है।

ठीक है आप अपना काम खत्म कर जल्दी घर आइये अंश उठने ही वाला है उसके लिए दूध की बॉटल तैयार करनी है, नही तो रो रो कर घर सर पे उठा लेगा।

सुनो.. उसके पापा को एक किस दो ना... ऐसे नहीं अच्छे से.. आवाज आनी चाहिए सो स्वीट.. लव यू डियर टेक केयर।

नील जैसे ही मुड़ा तो नलिनी खड़ी हुयी थी.. तुम यहाँ कब आयीं..अभी ही आपको बुलाने के लिए.. नाश्ता ठंडा हो रहा है।अररे हाँ.। बात करने मैं वक़्त का अंदाजा ही नहीं रहा.. ।

चलो नाश्ता करते हैं। (नलिनी ने नील से कहा)

"सॉरी, यार।"

मेरे वजह से तुम्हें वेट करना पड़ा, 

नील अपने चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराते हुए बोला।

नलिनी चुप ही रही,, 

नलिनी का यूँ चुप रहना नील को खटक रहा था।

 उसे लगा उसकी और चीया की सारी बातें नलिनी ने सुन ली हैं।

देर तक दोनो के बीच खामोशी पसरी रही।

नलिनी के मन में अनगिनत सवाल उठ रहे थे।

 सबसे पहला तो ये कि उसने नील पर भरोसा करके कुछ गलत तो नहीं किया..।

"कहीं नील भी और लोगों के जैसा तो नहीं.?"

उसने अपनी फैमिली लाइफ के बारे में अब तक जो भी मुझे बताया उसमें और जो अभी मैनें खुद अपने कानो से सुना है उन दोनों के बीच जमीन आसमान का फर्क है।

"कहीं ऐसा तो नहीं नील अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए मुझसे प्रेम का नाटक कर रहा है ???"

और मेरी सहानुभूति हासिल करने के लिए ही उसने अपनी पत्नी के साथ खराब रिलेशंस की बात मुझे बताई हो।

फिर भी उसका मन नील के खिलाफ जाने के लिए जरा सा भी तैयार नहीं था।

नाश्ता खत्म करके उसने नील से पूछा कि वापिस लौटने का क्या प्लान है ?

घर पर 3 दिन का ऑफिस का काम बता कर आये हैं और 2 दिन हो गए हैं।

अगर मैनें आज घर पर कॉल कर कर के नहीं बताया तो सब चिंता करेंगे।

(हालांकि उसके घर पर कोई नहीं था नील उसके घर के बारे में सब जानता था और वो नील को उतना ही जानती थी जितना हीरा ने उसे बताया था ।

दादी ने घर से निकलते वक्त उससे कहा था बिटिया कभी किसी को मत बताना कि तुम घर पर अकेली रहती हो।

उसके साथ उसकी काम करने वाली बाई और उसकी बच्ची सपना रहती थी ‌ उसे ही वो अपना परिवार मानती थी। सपना के पढ़ने लिखने का सारा खर्चा खुद नलिनी उठा रही थी... ।

जिसकी एक वजह यह थी कि वह खुद अनाथ थी सपना की मदद करके उसे बहुत सुकून मिलता था और सपना पढ़ने में बहुत होशियार भी थी दसवीं की परीक्षा में वह जिले में अव्वल आई थी। नलिनी और उसकी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी वह नलिनी की हर छोटी बड़ी चीज का ध्यान रखती और नलिनी भी उसे अपनी छोटी बहन की तरह ही रखती थी।)

"नील चुप रहकर सुनता रहा।"

जब कॉल खत्म करने के बाद उसने नलिनी को वहाँ देखा तब ही उसे लगा कि नलिनी मन में पता नहीं क्या सोचेगी।

वो खुद ही उससे कुछ छिपाना नही चाहता था बस सही वक़्त का इंतज़ार कर रहा था।

"वो कुछ देर बाद बोला, 3 दिन का बोल के आई हो घर पर ..?"

"हाँ, (नलिनी ने कहा)

अभी तो दो दिन ही हुए हैं यार।

"प्रॉब्लम क्या है तुम्हारी..?"

गुस्सा तो नलिनी को भी बहुत आ रहा था।

"नील वो.. पर न जाने क्या सोचकर चुप रह गई।

जानती थी कि कुछ बोलने से बेहतर चुप रहना है।

"ये सारी बातें तो उसे घर से बाहर निकलने से पहले सोचनी थी।"

"नलिनी के चेहरे से उसके मन का हाल नील को समझ आ गया था।"

कुछ देर तक वो चुप रह कर नलिनी के मन को समझने की कोशिश कर रहा था।

"सुनो।"

"नील ने नलिनी से बोला।"

"सुनाओ।"

"नलिनी ने कहा।"

हम कहीं बाहर चलते हैं।

काम तो जितना भी करें ख़त्म होने से रहा।

"अगर तुम्हें कुछ शॉपिंग करने का मन हो तो वो भी कर लेंगे। थोड़ा चेंज भी हो जाएगा।"

"ह्म्म्म। ये ख़्याल बुरा नहीं"

"नील उसके बोलने के ढंग से समझ रहा था कि वो कुछ नाराज़ है..।

अब उसे भी थोड़ा गुस्सा आ रहा था।

ताने तो उसे घर पर भी बिना बात सुनना पड़ते थे और अब यहाँ भी।

थोड़ा चिढ़ कर वो बोला, अगर यही करना था तो मैं तुमसे पूछता ही क्यूँ..?

अब तक नलिनी का मन शांत हो चुका था।

वो बोली हम यहीं रुकते हैं, इतना वक़्त हमें पता नहीं अब कब मिलेगा।

तुम उस दिन सोना के बारे में बता रहे थे वो बात अधूरी ही रह गई थी।

अब इत्मीनान से बताओ।

नील ख़ुद भी नलिनी को सब बताना चाहता था।

बिना रुके ही नील ने बोलना शुरू कर दिया।

सोना ने जब मेरा फोन पिक नहीं किया तब मैं निराशा के गहरे सागर में डूब गया था।

लगा कि जिंदगी ही खत्म हो गई हो जैसे....

मेरा मानसिक संतुलन गड़बड़ा सा गया था।

"आत्महत्या करने का विचार मेरे मन में बार बार सर उठा रहा था।"

पर माँ के लिए सोचकर मन को सांत्वना देता था।

एक बार तो मैनें नींद की गोलियाँ खा ली थी, ये तो अच्छा था कि माँ घर पर नहीं थी।

मुझे होश नहीं की कब तक सोया पड़ा रहा था मैं।

मुझे खुद से ही नफरत सी होने लगी थी।

मुझे बाहर लोगों से मिलने में चिढ़ होने लगी थी।

मैं अपने आप से दूर भागना चाहता था।

"कुछ वक़्त के लिए मैंने खुद को सबसे दूर कर लिया था।

माँ को कहा कि एक्जामस के लिए पढ़ना है तो कुछ दिन घर पर रहकर ही पढूँगा, कॉलेज में टाइम बर्बाद होता है।"

"माँ क्या बोलती.. उन्होंने नील की हाँ मे हाँ मिला दी ।"

" मैं, कुछ दिनो खुद से भी नाराज़ सा ही रहा।

सोना की याद आते ही मेरी आँखों के आँसू रुकते न थे।"

एक हफ्ता यूँ ही बीत गया।

कॉलेज के जो फ्रेंडस सोना और मेरे बारे में जानते थे, घर पर मुझे समझाने आये।

मेरी हालत पर उन्हे भी तरस हो आया।

"नलिनी ने पूछ लिया कि सोना की शादी में शामिल हुए या नहीं..?

सोना का कोई कॉल या मेसेज आया कभी ?

"नहीं.। उसने मुझसे सारे रिश्ते तोड़ लिए थे।.

इसलिए मैंने भी उसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश नहीं की।"

मैं उसे भुला देना चाहता था, पर ये बहुत मुश्किल काम था. मेरे लिए।

तब ही मेरी दोस्ती कॉलेज के आवारा रहीस लड़के, लड़कियों से हो गई।

सिगरेट, शराब के साथ _साथ गांजे का भी शौक लग गया था।

एक दिन मयंक के फार्म हाउस पर पार्टी थी मैंने माँ को कहा कि हम ग्रुप स्टडी करेंगे अगर लेट हुआ तो मैं नीरज के घर पर ही रुक जाऊँगा।

" नीरज और मैं स्कूल टाइम से ही बेस्ट फ्रेंड थे। माँ ने कहा ठीक है।

मयंक और बाकी दोस्तो के कहने पर मैनें ड्रिंक किया, उन्हें लगता था कि "शराब पीकर मैं सोना को भूल जाऊँगा।"

"मुझे भी लगा, शायद इससे सोना की यादें मुझे सताना बंद कर देंगी।"

उस रात मैंने बहुत ज्यादा शराब पी ली थी।

दिया ने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की पर मुझे तो सोना ही दिखाई दे रही थी।

"मेरे अंदर का सोया दानव जाग गया हो जैसे।" मैंने दिया को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और बेतहाशा उसे चूमने लगा।

"सोना, मेरी जान। "तुम कहाँ चली गई थी.?" देखो तुम्हारे बिना तुम्हारे नील की क्या हालत हो गई है।

"प्रॉमिस करो, अब मुझे छोड़कर कभी भी नहीं जाओगी।"

नील के फ्रेंडस ने उसे पकड़ कर कमरे में बेड पर लेटाने की कोशिश की पर नील अपने आपे में नहीं था।

"वो, दिया को सोना समझ रहा था।

दिया ने सबको जाने को कहा और रूम बंद कर नील को प्यार करने लगी।

"न जाने कब से नील को पाने की चाहत उसके मन में थी।"

पर नील सोना के अलावा किसी और लड़की को आँख उठा कर देखता भी नहीं था।

और अब जब नील ख़ुद ही उस पर न्योछावर हुआ जा रहा है तो ऐसा मौका वो कैसे गंवाती.।

"उसे झूठ में सोना बनने पर कोई ऐतराज़ नहीं था।"

सुब्ह जब नील कि आँख खुली तो उसका सर भारी था।

अपना बदन कुछ हल्का सा महसूस हुआ उसे छूने पर पता चला कि उसने कपड़े नहीं पहने हुए हैं।

उसका सारा नशा हवा हो गया।

"उसके ही लिहाफ में दिया भी उसके जैसे ही हाल में सो रही थी।"

उसने अपने कपड़े पहने और दिया को जगाया और दूसरी तरफ मुँह करके बोला तुम जल्दी से कपड़े पहन लो।

उसने अपने दिमाग पर जोर देने की बहुत कोशिश की कि वह यहाँ कैसे आया और दिया..?

"उसे कुछ याद नहीं आया वो सर पकड़ कर लेट गया उसे फिर से नींद आ गयी।"

नील ने नींद खुलने पर मोबाइल देखा, माँ के मिस कॉल थे।

उसने घड़ी में टाइम देखा 9 बज रहे थे।

 नील ने माँ को कॉल कर के बोला कि कुछ देर में ही वो घर पहूंच जाएगा

रात में देर से सोने के वजह से अभी ही नींद खुली है। 

दिया किसी से मोबाइल पर बात कर रही थी। नील उठकर तैयार हो गया। दिया को उसके हॉस्टल के बाहर छोड़ कर वो अपने घर को निकल गया।

अब नील पहले वाला नील नहीं रह गया था। सोना की जुदाई ने उसकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी थी।

कॉलेज में लड़कियों की कोई कमी नहीं थी। कुछ लड़कियाँ मेरे बहुत करीब भी थीं.। आई मीन हमारे बीच फिजिकल रिलेशनशिप भी रही।

"वो वैसे ही था जैसे भूख लगने पर खाने की तलब।"

तुम अब मुंह बनाना बंद भी करो यार.. तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता हूँ मैं मैनें जब से होश संभाला ख़ुद को हॉस्टल में ही पाया।

"माँ, पापा के बीच में कभी बनी नहीं.।"

बहुत छोटा था तभी माँ ने दूसरी शादी कर ली थी।

"पापा का उनकी सेक्रेटरी से अफेयर था।"

इस बात को लेकर घर में माँ और पापा के बीच रोज झगड़ा हुआ करता था।

एक दिन पापा उन्हें घर ही ले आये।

माँ से ये बर्दाश्त नहीं हुआ और माँ मुझे लेकर नाना के घर में चली गई।

न चाहते हुए भी माँ को नाना जी के घर पर रहना पड़ा।

उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था पर और कोई रास्ता भी नहीं था क्यूँकि में छोटा था किसी और के सहारे माँ मुझे छोड़ कर जा नहीं सकती थीं।

माँ अपने एक फ्रेंड दीप के ऑफिस में जॉब करने लगीं ।

अब माँ को मेरे भविष्य की चिंता थी।

शादी से पहले भी माँ अपने दोस्त दीप के ऑफिस में ही जॉब करती थीं।

पर शादी के बाद पापा ने उन्हें यह कहकर जॉब करने से मना कर दिया कि तुम चावला की बीबी हो तुम्हें ये सब छोटे मोटे काम करना शोभा नहीं देता।

"तुम तो बस हुक्म करो, जो भी तुम्हें चाहिए। ये गुलाम हाज़िर है।"

फिर पता नहीं क्या हुआ पापा माँ के प्यार को न जाने किस की नज़र लग गई ।

"पापा अब भी, सारा खर्च उठाने के लिए तैयार थे।

पर माँ ये एहसान लेना नहीं चाहती थी।

"जब पापा को पता चला था कि माँ प्रेग्नेंट हैं वो तो सातवे आसमान पर थे। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था ।"

दुनिया की हर एक खुशी वो माँ के कदमों में बिछा देना चाहते थे।

"वक़्त के गर्भ में क्या है। ये कोई भी नहीं जानता। हम सब वक़्त की शतरंज के मोहरे बन रह जाते हैं।" "शह और मात वक़्त ही तय करता है..।"

वो वक़्त भी आया जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार था।

मुझे देख कर पापा खुशी से झूम उठे, और 

माँ से बोले देखो हमारे बेटे की आँखे सागर के जैसी गहरी हैं।

हम इसका नाम नील रखेंगे।

खुशियाँ ज्यादा देर ठहरती नहीं है शायद..।

मेरे जन्म के बाद माँ मेरी परवरिश में व्यस्त हो गयीं।

ओर पापा अपने बिजनिस में।

"पापा का कहना था कि मैं उनके लिए बहुत लकी हूँ।"

मेरे जन्म के बाद पापा के बिजनिस मे बहुत मुनाफा हुआ।

और तेजी से चावला नाम पूरे मार्केट में छा गया।

पापा ने पूरे मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी ।

"मार्केट में अपनी जगह बनाए रखना बिज़नस मेन के लिए एक बड़ा चैलेंज होता है।"

दिन ब दिन पापा की व्यस्तता बढ़ती जा रही थी।अब अक्सर लंच टाइम में पापा का कॉल आ जाता था कि कुछ इंपोर्टेंट क्लाइंटस आए हुए हैं इसलिए मैं बहुत ज्यादा व्यस्त हूँ घर आना थोड़ा मुश्किल है।

"सुनो । तुम मेरा वेट नहीं किया करो।"

नील अभी बहुत छोटा है और तुम्हें उसको फीड भी कराना होता है।

इसलिए वक़्त पे खाना खा लिया करो।

अब ये रूटीन ही बन गया था।

वक़्त के साथ समझौता कर लेना मजबूरी है।

पर इसके सिवा कोई चारा भी नहीं था।

माँ ने भी अब लंच पर पापा का इंतज़ार करना बंद कर दिया।

अपने बिज़नस स्टेटस को मैंटेन रखने के लिए और ऑफिस के बढ़ते वर्कलोड को मैनेज करने के लिए पापा को एक पर्सनल सेक्रेटरी को नियुक्त करना पड़ा।

जो उनकी सारी मीटिंगस और अपॉइंटमेंटस की जानकारी रख सके ।

साथ ही ऑफिस के सारे हिसाब किताब की जिम्मेदारी भी संभाल सके।

कुछ समय तक सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा..।

"पापा माँ और मेरे साथ खूब ख़ुश थे।"

वो माँ और मुझे खूब घुमाते शॉपिंग करवाते.. कभी कभी समय होता तो लंच, डिनर बनाने में माँ की हेल्प भी किया करते।

कुल मिलाकर हम लोग की फेमिली एक हैप्पी फमिली थी।

परिवार, समाज में पापा, माँ की जोड़ी एक आदर्श जोड़ी थी।"

धीरेधीरे माँ की व्यस्तता बढ़ने लगी थी घर ऑफिस के काम के साथ साथ उन्हें मुझे भी संभालना होता था । इसका असर माँ की सेहत पर पड़ने लगा..। एक दिन ऑफिस में काम करते वक़्त उन्हें चक्कर आ गया। उनके साथ काम करने वाले लोगों ने उन्हें उठाया माँ को बहुत तेज बुखार था वो लोग माँ को डॉक्टर के पास ले गए। चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने बताया कि उनका हीमोग्लोविन काफी कम है। डॉक्टर ने उन्हें कुछ दिन ऑफिस से छुट्टी लेकर प्रोपर डाइट और ज्यादा स्ट्रेस न लेने की सलाह दी । उनके फ्रेंडस उन्हें घर पर छोड़ कर गए..। माँ की हालत को लेकर नाना जी बहुत चिंतित थे उन्होनें माँ को ऑफिस छोड़ने की सलाह दी,,, पर वो इसके लिए तैयार नहीं थी कुछ दिनों के लिए उन्होने ऑफिस से छुट्टी ले ली..। जब पापा को इस बात का पता लगा तो उन्होंने भी माँ को ऑफिस छोड़ने के लिए बोला.. पर उन्हें पापा से बात करना भी पसंद नहीं था। "जो आदमी अपनी बीबी के होते किसी गैर औरत को घर में ले आया,अपने मासूम बच्चे तक की जिसने परवाह नहीं की। माँ का पापा से पूरी तरह से भरोसा उठ गया था। बात करना तो दूर वो उनके नाम से भी चिढ़ने लगी थी। 

अब हर दिन किसी न किसी बात को लेकर माँ नाना जी में बहस होने लगी।

परिस्थितियों के कारण माँ का चिड़चिड़ापन स्वभाविक था।

"प्रेग्नेंसी के आफ्टर इफेक्ट्स भी..।"

तभी माँ की कजिन नीना नाना जी के घर पर रहने के लिए आईं।

"वो किसी एक्जाम की तैयारी कर रही थीं।" नीना मौसी के आने से घर का माहौल काफी अच्छा हो गया था।

माँ नीना मौसी के साथ ढेर सारी बातें करती रहती।

उनकी घुटन धीरे धीरे कम होने लगी।

अब वो अपने फ्रेंडस के साथ कभी कभी बाहर डिनर के लिए भी जाने लगीं।

"नीना मौसी ने माँ से पूछा कि इस तरह की ज़िंदगी कब तक जियोगी ???"

कल को नील बड़ा होगा तो अपने पापा के बारे में दस सवाल करेगा..।

तुम दीप से शादी क्यूँ नहीं कर लेती..

वो तुम्हें कॉलेज टाइम से ही पसंद करता है। और उसने अब तक शादी नहीं की वजह तो तुमसे भी छुपी हुई नहीं है..।

तुम्हारे नेचर को वो अच्छी तरह से जानता है इसलिए कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है.।

शाम होने को आ गयी थी, नील ने नलिनी के चेहरे की तरफ देखा वो छोटे बच्चों के जैसे टुकुर टुकुर उसे ही देख रही थी । उसने(नील ने) सोचा था कि वो उसकी बातों से ऊब जाएगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। "बल्कि वो नील के प्रति और ज्यादा संवेदनशील होती जा रही थी।" नील को उस पर बहुत प्यार आ रहा था। वो बोला चलो उठो फ्रेश हो जाओ कुछ खाकर आते हैं। "दिन कैसे निकल गया पता ही नहीं चला।" " टू मिनिट'स, अभी रेडी होती हूँ।" नलिनी बोली। थोड़ी देर बाद वो एक रेस्टोरेंट में पहुंच गए तकरीबन सात बजे का वक़्त हो रहा था। "क्या लोगी ? नील ने पूछा।" हम कुछ स्नैक्स ऑर्डर कर देते हैं उसके बाद डिनर करते हैं..। (नलिनी ने बोला) नील को भी यही ठीक लगा। उसने वेटर को बुलाया स्नैक्स के साथ दो बीयर ऑर्डर की..। "नलिनी, नील बोला।" "हाँ, कुछ नहीं..।" "अरे क्या हुआ ?" अब बोलो भी.. नलिनी बोली। "नलिनी तुम मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगी ना..?" "नील तुम्हें छोड़कर मैं कहाँ जाऊँगी.. बोलो..?" राधा श्रोत्रिय" आशा "📝

नील ने नलिनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया।

कुछ देर तक वो उसकी उँगलियों को अपनी उँगलियों फंसाकर खेलता रहा..।

नलिनी उसके मन की स्थिति समझने की कोशिश कर रही थी।

पता नहीं क्या हुआ नील उसके हाथ को बेतहाशा चूमने लगा।

"नील, इतने सारे लोग देख रहे हैं हमें, मेरा हाथ छोड़ो।"

नहीं नलिनी, मैनें तुम्हारा हाथ छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है।

नील बोला..।

"नील, अभी बीयर पी भी नहीं है तुमने और तुम बहक रहे हो?"

"मुझे पता है कि तुम्हें बीयर चढ़ जाती है।"

ऑफिस में बॉस ने प्रमोशन पार्टी दी थी तब तुम्हारी हालत देखी थी मैनें।"

सुनो, तुम बीयर का ऑर्डर केंसिल कर दो।

"ये हमारा ऑफिस नहीं है।"

और ये घर भी नहीं है जानेमन,,, नील बोला।

तुम जानती हो, कितनी मुश्किल से ये सुकून भरे पल मिले हैं हमें।

हम दोनों की जिंदगी में वैसे भी कुछ कम मुश्किलें नहीं हैं।

नलिनी आज तुम मुझसे कुछ भी नहीं बोलोगी।

आज "सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी मर्जी चलेगी समझी की नहीं..?"

ये लम्हें, नसीब से नसीब हुये हैं हमें…

मैं इन्हे यादगार बना देना चाहता हूँ।

इनके सहारे हम दोनों अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार सकते हैं।

आज की शाम सब कुछ भुला दो । 

"नील ने नलिनी से बोला.।"

पहले हम बीयर पीयेंगे और फिर डिनर, उसके बाद हम देर रात तक बीच पर लहरों को देखेंगे।

"आज पूर्णिमा है। आज पूरा चाँद खिलेगा। उसकी रोशनी में तुम लहरों को देखना,और मैं तुम्हें ।"

"तुम पहली बार आयी हो यहाँ.?"

"है ना…?"

"हाँ, नील..।"

"रात की नीरवता में लहरों को सुनो। बहुत रोमांटिक फील आता है..।"

"कभीकभी लगता है कि हवाएं लहरों को अपने साथ उड़ा ले जाना चाहती हैं।" चाँद भी इस मोह से खुद को बचा नहीं पाता.. चुपके से डुबकी लगाने आ जाता है। "उसकी चाँदनी छिटक कर लहरों पर बिखर जाती है। और उसकी चोरी पकड़ी जाती है।" "अरे वाह, नील तुम्हें तो शायर या कवि होना चाहिए था। प्रकृति का इतना सुंदर वर्णन तो वो लोग ही करते है, नलिनी ने कहा। सच कह रही हो तुम। (नील बोला) "मुझे भी अपने ऊपर आश्चर्य हो रहा है। कितना बदल सा गया हूँ मैं।". इतना ठहराव मुझमें कैसे आ गया..। हो न हो ये तुम्हारी सोहबत का ही असर है नलिनी ।" "सोना से बिछड़ने के बाद और दोस्तों की तरह मैं भी फिजिकल रिलेशनशिप को ही प्यार समझने लगा था। "रब का शुकराना, उसने तुम्हें मेरी ज़िंदगी में भेज दिया।"

वेटर ने उनके टेबिल पर बीयर और स्नेकस लाकर रख दिए, और खाने का ऑर्डर लेकर चला गया।

"चीयर्स डार्लिंग।

"अब थोड़ा स्माइल भी करो, जहर नहीं है।"

पीकर देखो.. तुम अच्छा फील करोगी।

नलिनी नील की जिद पर पहली बार बीयर पी रही थी।

उसे उसका टेस्ट अच्छा नही लगा

पर नील का दिल रखने के लिए उसने गिलास उठाकर अपने होठों से लगा लिया..

एक दो सिप लेना थोड़ा मुश्किल लगा

उसके बाद तो नील की बातों में इस कदर खो गई कि पता ही नहीं चला कब पूरी बॉटल ख़त्म हो गई।

"अल्कोहल धीरे धीरे अपना असर दिखाने लगी।"

नलिनी थोड़ा इमोशनल हो रही थी।

नील ने बड़े प्यार से नलिनी के हाथों को अपने हाथ में लेकर उसकी आँखों में देखा

सागर सी गहरी उसकी आँखों में आँसू मोती के मानिंद चमक रहे थे।

नील ने अपनी जेब से रूमाल निकाला और आँसू पोंछ दिए।

तब तक टेबिल पर डिनर लग गया था।

नील ने नलिनी कहा तेज भूख लग रही है चलो खाना खाते हैं।

"खाना खत्म कर नील ने माँ को फोन किया।" नील को पता था कि माँ उसके फोन का वेट कर रही होंगी और वो एक दो दिन यहाँ पर और रुकना चाहता था उसने नलिनी को भी इस बात के लिए राजी कर लिया था।

"अब दोनों एक दूसरे का हाथ थामे टहलते हुए लहरों के करीब पहुंच गए थे।"

उन दोनों को छूकर गुज़रती हवा लहरों का शोर और चांद की रोशनी में नहायी हुई रात।

नलिनी तो इस पल में डूब कर खो जाना चाहती थी।

"कि ये सब कुछ बस यूँही ठहर जाये इस रात की सुबह न हो।"

तभी संगीत की मधुर स्वर लहरियाँ हवा में घुल कर उनके कानो तक पहुँची।

दोनों उस दिशा में आगे बढ़ने लगे

उन्होंने देखा एक कपल अपनी 50 th एनिवर्सरी सेलिब्रेट कर रहा था।

"ढेर सारे कैंडलस जल रहे थे।"

टेबिल पर बड़ा सा केक वाइन की बॉटल और दो बहुत सुन्दर ग्लास रखे हुए थे।

"बहुत प्यारा कपल था।"

लेडी ने बहुत प्यारा सा रेड कलर का ऑफ शोल्डर गाउन पहना हुआ था।

तभी किसी ने उन दोनों का नाम लेकर अनाउंसमेंट किया,,,,

वहाँ पर मौजूद लोगों ने उनके सुखी जीवन के लिए प्रेयर की..

कुछ विदेशी पर्यटक भी वहां पर आ गए थे। "उनके लिए 50 th एनिवर्सरी बड़े आश्चर्य की बात थी।"

एक लड़का गिटार पर खूबसूरत सी धुन बजा रहा था ।

"रात में बीच पर लहरों का अपना स्वर होता है उस पर गिटार की मधुर आवाज बहुत रोमांटिक फील आ रहा था।

लग रहा था जैसे किसी फिल्म का दृश्य शूट हो रहा हो ।"

तभी आतिशबाजी हुई और आकाश रंग बिरंगी रोशनी से नहा उठा।

"जोड़े के चेहरे पर खुशी सी खिल उठी"

वो दोनों उठ खड़े हुए और साथ के लोगों और गिटारिस्ट को धन्यवाद कहा..

और अपनी खुशी मैं शामिल होने के लिए हमें भी बुला लिया।

"सोमिल और श्रेया टेबिल पर रखे बड़े से कार्ड पर सलीके से लिखा हुआ था।"

तभी सोमिल ने टेबिल रखा छोटा सा पोटली नुमा बेग उठाया और उसके अंदर से डायमंड रिंग निकाल कर श्रेया को पहना दी।

सभी लोगों ने ताली बजा कर उनका स्वागत किया…

श्रेया ने भी सोमिल को अंगूठी पहनाई।

नलिनी ने कस के नील का हाथ थाम लिया।" "रात की खामोशी में दोनों एक दूसरे के दिल की धड़कन महसूस कर रहे थे।

नलिनी ने नील की आँखों में झाँकते हुए कुछ बोलना चाहा पर नील की आँखो में उसने अपने मन की बात पढ़ ली वो ख़ामोश रही।"

नील नलिनी कोे सब कुछ जल्दी से जल्दी बता देना चाहता था।

"नलिनी की सवाल से भरी खामोश आँखें उसे परेशान कर रही थी..।"

वो बोला "उम्र के एक दौर में अपनी कल्पनाओं के आकाश में हम कब विचरने लगते हैं ये हमें पता ही नहीं चलता।"

"बिस्तर पर लेटकर खिड़की से आकाश को ताकते हुए चाँद से हम बाते करने लगते हैं.।"

उड़ते परिंदों को बादलों से ऊंची उड़ान भरते देख कब हमारी उमंगे पंख फैलाने लगती हैं जान ही नहीं पाते।

ऐसे ही कब सोना मेरे सपनो का हिस्सा बन गई थी मुझे पता नहीं चल पाया।

सोना के जाने के बाद जितनी भी लड़कियां मेरी ज़िंदगी में आई सिर्फ अपने मतलब से,,, और मेरे लिए भी रिश्ते निभाना बोझ जैसा ही रहा यहाँ तक की मेरी शादी भी समझोता ही थी।

"कॉलेज के कुछ दोस्तों के साथ मैं भी गोवा आया था।"

एकांश मेरा अच्छा दोस्त था उसकी गर्ल फ्रेंड के साथ उसकी दोस्त चीया भी आई थी।

"चीया और मैं पहले भी एकांश के घर पर न्यू ईयर की पार्टी में मिल चुके थे"

सब अपनी मस्ती में थे.. सबने खूब ड्रिंक किया हुआ था..

"चीया और मेरा कोई पार्टनर नहीं था।"

सब दोस्तो की गर्ल फ्रेंड उनके साथ थी।

"चीया और मैं डांस पार्टनर बन गए म्यूजिक की धुन पर थिरकते कब हम एक दूसरे के करीब आ गए पता ही नहीं चला।"

देर रात हम लोग अपने रूम में वापिस लौटे, चीया को मेरे साथ आने में कोई ऑब्जेक्शन नहीं था पर उस रात की कीमत मुझे सारी उम्र चुकानी पड़ेगी ये मैं नहीं जानता था।

दो तीन दिन मौज मस्ती में निकल गए और हम वापस अपने घर लौट आये एक दिन चीया का कॉल आया it's अर्जेंट नील तुम अभी कॉफी शॉप पर मिलो मुझे।

"ओके आता हूँ मैंने अपनी गाड़ी निकाली और कॉफी शॉप पहुंच गया।"

चीया वहां पहले से ही वेट कर रही थी।

कॉफी वो ऑर्डर कर चुकी थी।

हाय…. हाय नील.. हैलो चीया.. यूँ अचानक बुलाया.. एकाँश मौली ठीक है ना..हाँ… मुझे हम दोनों के फ्युचर के बारे में बात करना है..।

"चीया, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?"

मैनें उसका माथा छूते हुए पूछा । 

"हाँ, नील।"

"मैं बिल्कुल ठीक हूँ।"

तुमने यूँ अचानक मुझे यहाँ क्यूँ बुलाया है..? "नील i am prengnent.. में प्रेगनेंट हूँ।"

"अरे वाह। ये तो खुशी की बात है।"

पर इसमें में तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ. ? नील चीया से बोला ।

   "तुम मौली या अपने पैरेंट्स से इस बारे में बात कर लो। "

"नील, मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ..।" "क्या बकवास कर रही हो तुम।"

 मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो तुम.?   बोलो चीया ?

तुम्हारा और रेहान का अफ़ेयर चल रहा है।

ये बात सबको पता है।

यहाँ तक की तुम्हारे पैरेंट्स को भी।

  "यार। तुम्हें मेरे बारे में सोचना चाहिए था, मैं शादी के लिए तैयार नहीं हूँ ।

"और बच्चा। ये कैसे पॉसिबल है चीया।"

बिना प्यार के शादी और बच्चा…

"बिना सोचे समझे कोई इस तरह कैसे कर सकता है।"

मैनें तुमसे पूछा भी था.. तुमने कहा तुम टेबलेटस लेती हो..।

"सॉरी नील, झूठ बोला था मैने।

रेहान ने मुझे चीट किया उसने अपने बॉस की बेटी से शादी कर ली।

उसके सपने बड़े थे वो पूरी ज़िंदगी मेहनत कर भी उन्हें पूरा नहीं कर पाता।

"प्यार से ज्यादा उसकी महत्वाकांक्षा उसके लिए मायने रखती थी। "

उसके बॉस को भी घर जमाई चाहिये था जो उनका बिज़नस संभाल सके..।

उस दिन डांस करते हुए मैं तुम्हारे करीब आ गई थी और.. और मुझे तुमसे कुछ भी तो नहीं चाहियेl

हम नाम के लिये हसबैंड वाइफ रहेंगे तुम जब चाहो मुझे डिवोर्स दे सकते हो मैं तुमसे कभी कुछ नहीं कहूँगी।

ये बच्चा मेरे जीने के लिए काफी है।

मेरे पास कोई जवाब नहीं था मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था मैं गुस्से में घर आ गया एक के बाद एक परेशानी मेरे पीछे आ रही थी।

नलिनी चुप करके उसकी बात सुन कर मुस्कुरा रही थी।

जानती थी बोलने से कोई फायदा नहीं बहुत जिद्दी है नील।

अपने माज़ी के बारे में बताकर शायद उन सब बातों को भुलाने की कोशिश कर रहा है नील।

नलिनी ने जब नील और चीया की बातें सुनी तब उसे यही लगा कि नील खुद जैसा दिखा रहा है वेसा है नहीं। वो भी और लोंगों जैसा ही है उसके लिए भी औरत उसके शरीर की भूख मिटाने ज़रिया है। कभी कभी कानों सुनी बात भी गलत हो जाती है।जैसा उसके साथ हुआ। बात का रुख बदलने के उद्देश्य से नलिनी ने नील से कहा तुमने कभी अलसुबह या रात को छत पर लेटकर आसमान को देखा है? "

मैं अक्सर छत पर लेटकर देर तक आसमान को ताका करती हूँ।

" बादलों के भीतर से एक खिड़की खुलती है। ऐसा लगता है किसी ने टोकरी से ढेर सारी कपास उलट दी हो देखते ही देखते रूई के फाहे से उड़ते नज़र आते हैं.. कभी लगता है किसी ने मेरे कपास की टोकरी में रंग डाल दिया हो सफेद कपास नारंगी, स्लेटी जाने कितने ही रंग बदलती है..। अचानक से नलिनी चुप हो जाती है उसकी आँखों से आँसूओं की बूँदे टपकने लगती हैं नील को समझ नहीं आता कि क्या हुआ है, नलिनी को रोते देखकर नील घबरा जाता है उसे लगा शायद उसकी किसी बात से नलिनी को बुरा लगा है..।

नील ने बड़े प्यार से नलिनी को आगोश में लेकर उसके चेहरे की तरफ देखा नलिनी की आँखों में आँसू फूल पर गिरी ओस के मानिंद चमक रहे थे।


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