जी चाहता है
जी चाहता है
जो कर सकें मेरे प्यार का इज़हार,
आज उन शब्दों को चुराने को जी चाहता है।
जिसने की साजिशें हमें एक दूजे से मिलाने की,
आज उस खुदा का शुक्राना करने को जी चाहता है।
मेरी एक मुस्कान के लिए जब देखती हूँ तेरी छोटी-छोटी कोशिशें,
तब अपनी मुस्कुराहट को दुगुना दिखाने को जी चाहता है।
दूर बैठे ही जब तू मेरी हर बेचैनी को जान जाए,
तब हर परेशानी को भूल तुझे गले लगाने को जी चाहता है।
जब करता है तू मेरे हर फैसले का सम्मान,
तब तेरे हर फैसलों में साथ निभाने को जी चाहता है।
आगे बढ़ने के लिए जब तू जगाता है आत्मविश्वास,
तब तुझे खुद से ज्यादा सम्मान देने को जी चाहता है।
मेरी नादानियों पर जिस तरह समझाता है तू मुझे,
तब नित नई नासमझी करने को जी चाहता है।
मुझे दर्द में देख जब तेरी आँखों से छलकते हैं आँसू,
तब उस दर्द को एक पल में मिटा देने को जी चाहता है।
जब बुलाता है नित नए नए अतरंगी नामों से मुझे,
तब अपना असली नाम भूल जाने को जी चाहता है।
तू है ही इतना प्यारा और इतना खास कि ,
तुझ पर खूब प्यार लुटाने को जी चाहता है।
घबराते, हिचकिचाते तब थामा था तेरा हाथ,
आज तुझे हर मंजिल तक हमराही बनाने को जी चाहता है।

