हे मानव !
हे मानव !
हे मानव !
हो प्रकाशमान, चल उठ,
चल नित-नवीन बन कर।
त्यज आलस, निज गति कर तू
प्रकाशवेगी गतिमान बन कर।
पार कर कष्ट भव-समंदर
जैसे महाबल - महामीन बन कर।
हे मानव !
हो प्रकाशमान, चल उठ,
चल नित-नवीन बन कर।
त्यज आलस, निज गति कर तू
प्रकाशवेगी गतिमान बन कर।
पार कर कष्ट भव-समंदर
जैसे महाबल - महामीन बन कर।