अब कभी नहीं उठेगी भले ही दिन का सूरज निकल आये और पिघला दे सतह पर फैली हुई बर्फ़ की चादर। अब कभी नहीं उठेगी भले ही दिन का सूरज निकल आये और पिघला दे सतह पर फैली हुई बर्...
अपना अस्तित्व मिटाकर, सम्पूर्णता प्राप्त करती हूँ। अपना अस्तित्व मिटाकर, सम्पूर्णता प्राप्त करती हूँ।
पार कर कष्ट भव-समंदर जैसे महाबल - महामीन बन कर। पार कर कष्ट भव-समंदर जैसे महाबल - महामीन बन कर।
यादों के पन्ने पलटते हैं थोड़े अच्छे थोड़े बुरे। यादों के पन्ने पलटते हैं थोड़े अच्छे थोड़े बुरे।
पार कर कष्ट भव समंदर जैसे महाबल महामीन बन कर। पार कर कष्ट भव समंदर जैसे महाबल महामीन बन कर।
इसी जुस्तजू में चुनौतियों को स्वीकार कर लिया करता हूँ इसी जुस्तजू में चुनौतियों को स्वीकार कर लिया करता हूँ