STORYMIRROR

Chetan Gondalia

Classics

3.4  

Chetan Gondalia

Classics

हे मानव !

हे मानव !

1 min
277


हे मानव !

हो प्रकाशमान, चल उठ,

चल नित-नवीन बन कर।


त्यज आलस, निज गति कर तू

प्रकाशवेगी गतिमान बन कर।


पार कर कष्ट भव-समंदर 

जैसे महाबल - महामीन बन कर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics