STORYMIRROR

Mukesh Bissa

Abstract

4  

Mukesh Bissa

Abstract

यादों के पन्ने

यादों के पन्ने

1 min
497

यादों के पन्ने 

यादों के पन्ने पलटते हैं

थोड़े अच्छे थोड़े बुरे

बीते पल याद आते है

थोड़े अच्छे थोड़े बुरे


भूत काल आंखों में छाता है

यादों के पन्ने पलटते है

थोड़े अच्छे थोड़े बुरे

जीवन की आपाधापी

चलती रहती है अविरल


जीवन धारा चलती रहती है

बिश्राम का नाम नहीं

यादों के पन्ने पलटते हैं

थोड़े अच्छे थोड़े बुरे


इस सफर में आराम कहाँ

है विराम पूर्ण अंत में

गतिमान हमेशा रहना है

बस चलते ही जाना है


यादों के पन्ने पलटते हैं

थोड़े अच्छे थोड़े बुरे

अतीत का चित्र उभरता हैं

कुछ बीता हुआ दिखता है


स्मृति धूमिल नहीं होती है

बदलाव जिंदगी में आता है

यादों के पन्ने पलटते हैं

थोड़े अच्छे थोड़े बुरे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract