अब कभी नहीं उठेगी भले ही दिन का सूरज निकल आये और पिघला दे सतह पर फैली हुई बर्फ़ की चादर। अब कभी नहीं उठेगी भले ही दिन का सूरज निकल आये और पिघला दे सतह पर फैली हुई बर्...
पलकें बंद कर महसूस करूँ कितनी सुखद अनुभूति है। पलकें बंद कर महसूस करूँ कितनी सुखद अनुभूति है।
तू चहकती बुलबुल है इस घर आंगन की तू चहकती बुलबुल है इस घर आंगन की
इसके पहले कि तुम भटकते मेरा तुम्हें टोकना ही ठीक था। इसके पहले कि तुम भटकते मेरा तुम्हें टोकना ही ठीक था।
लगता पास नहीं हो अब कुछ, नयन नीरव की मोती बहाता, लगता पास नहीं हो अब कुछ, नयन नीरव की मोती बहाता,