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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Others

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Others

जब भी दूर हुआ तुमसे

जब भी दूर हुआ तुमसे

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जब भी दूर हुआ तुमसे,

तब- तब मैं खुद को अकेला महसूस किया !

सूना - सूना लगता सब कुछ ,

लगता पास नहीं हो अब कुछ,

नयन नीरव की मोती बहाता,

अंसुवन से अपनी मैं बार- बार, हरेक बार नहाता !

जब भी दूर हुआ तुमसे।

खाली हो जाता दिल मेरा,

नहीं समझता बुजदिल मेरा 

अकेलेपन की मार का मैं तमाशबीन बन जाता,

जब भी दूर हुआ तुमसे।



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