जब भी दूर हुआ तुमसे
जब भी दूर हुआ तुमसे
जब भी दूर हुआ तुमसे,
तब- तब मैं खुद को अकेला महसूस किया !
सूना - सूना लगता सब कुछ ,
लगता पास नहीं हो अब कुछ,
नयन नीरव की मोती बहाता,
अंसुवन से अपनी मैं बार- बार, हरेक बार नहाता !
जब भी दूर हुआ तुमसे।
खाली हो जाता दिल मेरा,
नहीं समझता बुजदिल मेरा
अकेलेपन की मार का मैं तमाशबीन बन जाता,
जब भी दूर हुआ तुमसे।

