चाँद पर घर
चाँद पर घर
चाँद पर मेरा एक घर हो
साथ में प्यारा हम सफर हो
खिड़कियों पर सितारे टंगे हो
चाँद पर बैठ धरती निहारूँ।
द्वारे पर लिपटी हुई हों
जेस्मिन की लटकती लताएं
खुशबू भरी हो हवाएं
हाथों को गालों पर रख।
खिड़की से पार नया भू मंडल
हिलती डुलती लताओं का शोर
चिड़ियों के चहकने की अनुगुंज
फूलों की पंखुड़ियों पर
भंवरों का गुंजन।
वातावरण में घुलता मधुरस
लाया जीवन में बहार
पलकें बंद कर महसूस करूँ
कितनी सुखद अनुभूति है।
नीरव सी शांति घुली हुई
तेरे- मेरे बीच का प्रगाण बंधन
दो ह्रदयों का स्पंदन सुनाई देता है
होठों पर उभरी मुस्कान की रेखा।
असीमानंद की अनुभूति से सराबोर
चांद पर छिटकी चांदनी
शीतलता का एहसास लिए
दूर कहीं बजती रागिनी
कानों में मधुर रस घोल रही है।
