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राजेश "बनारसी बाबू"

Romance Classics

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राजेश "बनारसी बाबू"

Romance Classics

एहसास हूँ मैं*

एहसास हूँ मैं*

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थोड़ा तो समझो एहसास हूँ मैंं,

मन से देखो विश्वास हूँ मैं।

दिल से पुकारो सदैव साथ हूंँ मैं,

मांँ की खनकती चूड़ी का साज हूँ मैं।


समझो अगर पत्नी की चमकती बिंदिया हूँ मैं,

चैन नींद से सोती छोटी बेटी की निंदिया हूंँ मैंं।

एक पिता के लिए गुमान हूंँ मैंं,

सरहद की रक्षा करता जवान हूंँ मैंं।


किसान के लिए लहलहाती फसल हूँ मैं,

बेटी के लिए एक छोटी सी गुड़िया हूं मैंं।

ना समझो तो एक पत्थर,

 समझो तो भगवान हूँ मैंं।


समझो तो मांँ की गोल रोटी हूंँ मैंं,

समझो तो पिता की टूटी ऐनक हू़ँ मैंं।

बेटे का छोटा सा गुल्लक हूँ मैं,

पति के सुख-दुख का प्यार हूँ मैं।


मांँ की ममता का दुलार हूँ मैं,

तपती धूप में राहगीर के लिए छांव हूँ मैं।

मांँ का आंचल फैलाए हुए एक छोटा सा गांव हूँ मैं,

गरीब की छोटी सी कुटिया हूंँ मैंं,

असफल परीक्षार्थी के लिए जहर की पुड़िया मैं।


कुम्हार के लिए मिट्टी का मटका हूँ मैंं, 

मांँ की सुनाती हुई लोरी का‌ छोटा सा किस्सा हूंँ मैंं।


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