नारी
नारी
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हाँ मैं नारी हूँ
उन्नीसवीं सदी की,
क्या फर्क पड़ता है
आधुनिक सी
दिखती हूँ,
लेकिन क्यों नहीं
होती हूँ मैं
अंदर से,
अंतर्मन से
पूर्ण आधुनिक,
सेवा आज भी
मेरा परम धर्म है
कर्तव्य कभी नहीं भूली
हर रिश्ते का चोला
ओढ़कर चलती हूँ,
नहीं जानती आज भी
मैं कौन हूँ ?
कभी बेटी, बहन
कभी पत्नी, माँ,
पर मैं खुद
कौन हूँ ? नहीं जानती
कोई अस्तित्व नहीं मेरा
फिर भी मुझसे ही
अस्तित्व है सबका,
बस यही जानती
और मानती हूँ
हाँ मैं एक नारी हूँ।।