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Kusum Sharma

Abstract

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Kusum Sharma

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अहसास

अहसास

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रेशमी अहसास वो देने  लगी

प्यार है तुमसे मुझे कहने लगी

जब ये पूछा कौन है मुझको बता

में खुशी कहकर के वो हँसने लगी


पास आ कितना पुकारा था तुझे

हाथ मेरा छोड़कर चलने लगी

पास आ तुझको में छू लूँ यार अब

वो हँसी ओठो पे फिर सजने लगी


गुनगुनाते लब को मेरे छू लिया

जिंदगी फिर ये गजल लगने लगी

खुशी को पास बुलाती गले

लगाती एक प्यारी गज़ल।


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