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Kusum Sharma

Abstract

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Kusum Sharma

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माँ

माँ

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दुआओं का अभी मैनें बड़ा आगाज देखा है

तेरे कदमों में आकर ही दुआ का राज देखा हैं


अभी खाया अभी सोया तुझे सब याद रहता है

बड़ा नजदीक  से ओ माँ तेरा अंदाज देखा है


तेरी रातें भी मेरी थी न ही दिन में भी तू सोई

भरी आँखों में नींदे थी मगर स्वर साज देखा है


जरा हरकत हुई मेरी सदा चेतन तू रहती थी

बिछावन था मेरा सूखा नरम लिबास देखा है


शहद सी वो तेरी लोरी बसी आवाज कानों में

रिझती बोलों पर मेरे गजब अल्फाज देखा है


अंधेरा हो न जीवन में बनी बाती दिए की तू

मेरी खुशियों की खातिर माँ तेरा बलिदान देखा है


बलाओं का मेरी तू ही तो सदा है सामना करती

अदाओं को तेरी ओ माँ सदा जाबांज देखा है।


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