छलिया। (गीत)
छलिया। (गीत)
नाम प्यार का लेकर तूने,
काहे मुझसे खेल किया।
मैनें तो ह्रदय से चाहा,
तुमने कैसा मेल किया।
1
मैंने तो बस प्यार किया था,
क्यों छल कर बैठे मुझसे।
वादों में अपने उलझाकर,
दूर किया मुझ को खुद से।
इसीलिए लो खुद मैंने ही,
तुमसे नाता तोड़ लिया।
नाम प्यार का लेकर तूने,
काहे मुझसे खेल किया।
2
ख़ुशियों को बाहर ढूँढे जो,
वो सच्चा इंसान नही।
जीवन का नासूर बना जो,
नही उसे में पहचानी।
रंगबिरंगी तितली का जो,
बस मधु पान तुमने किया।
नाम प्यार का लेकर तूने,
काहे मुझसे खेल किया।
3
औरत तू ये बात समझ ले
खुद अपनी ही दुश्मन
सोच समझकर चली नहीं
ह्रदय बना अब पत्थर
बहकावे में आकर तूने
खुद जीवन बर्बाद किया
नाम प्यार का लेकर तूने
काहे मुझसे खेल किया।।
4
झूठे वादों मीठी बातों,
पर भरोसा कर लिया।
बना प्रेयसी मुझ को अपनी,
पत्नी का कब मान दिया।
आकर्षण में डूब हमीं ने,
जीवन का विषपान किया।
नाम प्यार का लेकर तूने,
काहे मुझसे खेल किया।।
ये गीत उस व्यक्ति के लिए है जो पत्नी और प्रेमिका दोनो को छल रहा है।
