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Kusum Sharma

Children Stories

4  

Kusum Sharma

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प्यासी चिरैया

प्यासी चिरैया

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नदी हुई अब मैली क्यों

झरनों में उदासी है।

खार उगल रहा सागर क्यों

देख चिरैया प्यासी है।


पेड़ों सी उगी दीवारे

पथ्थर की हर डाली है।

देखा पोखर भी सूखे

प्राण भी तो आभासी है।


कोयल भी कुक न पाये

चातक भी उदासी है।

मछली तड़प तड़प मरती

जलचर हुए आकाशी है।


जल- नभचर औ उभयचर

पीड़ा सबकी सांझी है।

मानव अब तो सुनो कहन

दुनिया सारी सियासी है।


नदी हुई अब मैली क्यों

झरनों में उदासी है।

खार उगल रहा सागर क्यों

देख चिरैया प्यासी है।


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