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Yashwant Rathore

Abstract Tragedy Inspirational

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Yashwant Rathore

Abstract Tragedy Inspirational

वनवास

वनवास

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हर आदमी के जीवन में वनवास का समय आता ही होगा। 


ज़रूरी नहीं कि श्री राम की तरह उनकी जीवन संगिनी का बिछोह उनसे हो जाए... 

जीवन से प्रेम का बिछोह हो जाना भी एक तरह से वनवास का ही जीवन हैं.


ज़रूरी नहीं की माता पिता से वनवास जाने का आदेश ही मिला हो..

कई बार उनकी चुप्पी और कुछ न कहना,

करना भी कितने ही लोगों को वनवास के जीवन की तरफ धकेल देता हैं.


ज़रूरी नहीं की तीन माताओं में से एक माता की ये इच्छा रही हो..

कई बार एक ही माता उसके लिए पर्याप्त हैं.


ज़रूरी नहीं की वचनबद्धता से भरत की तरह उसके भाई घर पर ही रह गए हैं..

उन्हें दुनियादारी की समझ हैं और वो अपने हित देख सकते हैं..


फ़र्क बस इतना ही हैं कि राम के साथ लक्ष्मण और हनुमान थे...

और आप अपने आप को इस विरान जंगल में अकेला पाते हैं..


बिलकुल अकेला....



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