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Yashwant Rathore

Romance Tragedy

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Yashwant Rathore

Romance Tragedy

चैतन्या

चैतन्या

82 mins
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चैतन्या जैसे प्रेम के जीवन की सभी अधूरी ख्वाहिशें पूरी करने आयी हो।

जैसे पहला पूरा प्यार। जैसे तुमसे ज़्यादा तुम्हें कोई चाहे… जैसे जो सब तुम करना चाहो , उसमें तुम्हारा वो हौसला और बड़ा दे

वैसी ही थी वो 700 किलोमीटर की नाईट ड्राइव। जिसमे न गाड़ी के टायरों की हवा चैक करवायी न ही स्टेफ़नी में हवा भरवायी। एक अकेली लड़की के साथ रात के 1130 बजे हाईवे पे निकल जाना।

ये सालों के या सदियों के डर निकलने की सी बात थी।

मन कैसे कैसे डरो से डरा रहता हैं लेकिन चैतन्या। वो हर ख़तरा उठाने को तैयार थी। जीने के लिए। उसे जीना आता हैं प्यार करना आता हैं। उसे आँखों से पीना भी आता हैं।

वो समझदार भी हैं लेकिन बेवजह के डर से घर में कैद रहना। ये क्या हैं। ऐसा। ऐसे वो सवाल करती हैं। ऐसा।

वो जब खिलखिलाके हसती हैं तो 28 se 8 साल की हो जाती हैं। उसका मुस्कुराना आप में ख़ुशी भर देता हैं। अचानक से ही वैशाली सर्किल याद आ जाता हैं। जिधर वो हरि लाइट होने पर भी प्रेम का इंतज़ार करती हैं देख के मुस्कुरा के निकलती हैं।

उसकी अटखेलियाँ कितना प्यार से भर देती हैं उसे।

वो उतनी ही बातूनी हैं जीतना की प्रेम।

ये उनकी कहानी हैं। उनके प्यार की कहानी। जो भारतीय समाज में बाहर नहीं आ सकती। कही नहीं जा सकती। लेकिन लिखी तो जा सकती हैं ना बेबी। ऐसावो ऐसा कहती हैं। ऐसा।

उससे मिल के प्रेम को लगा की उसका शरीर 3 हिस्सों में बटा हैं।

एक दिमाग़ जो ग़लत सही सोचता रहता हैं। क्या उसे प्यार करने का हक़ हैं अब। क्या वोट चैतन्या से प्यार करके ,दूसरी तरफ़ ग़लत तो नहीं कर रहा। क्या प्यार होता भी हैं ?… कितनी बार प्यार होगा उसे?…

ये सारी बाते दीवार का काम करती हैं उन दोनों के बीच। वैसे ही जैसे इनके साथ रहने से शुरू हुवे इतने सारे बवंडर…

दूसरा प्रेम कोई एक हिस्सा जो गहरा हैं जिसे वो देख नहीं पाता काफ़ी बार महसूस भी नहीं कर पाता। लेकिन वो चैतन्या को बेहद प्यार करता हैं। साबरमती नदी के किनारे। उसका साथ। मदहोशी। उसके हाथों का चैतन्या बेख़याली में छूना ख़ुश होना मुस्कुराना उसका हसना…

प्रेम हसता कम हैं ना… जयपुर में भी प्रेम का उसके साथ 6-6, 8-8 घंटे बिताना और फिर संतुष्टि और खुमारी से घर को आ जाना।

तीसरा हिसा। आप समझते होंगे ना। ये उसका पहला पूरा प्यार हैं। इसमें ग़लत सही की दुरिया नहीं हैं।

दूसरा और तीसरा उससे बेहद प्यार करता हैं लेकिन पहला हिस्सा अपनी क्षमता के अनुसार डिस्ट्रैक्शन पैदा कर ही देता हैं। रिस्क भी तो बहुत हैं। भैया को ट्रेन का बोल के प्रेम के साथ चली आयी और भैया को रेलवे को शिकायत कर देना। और प्रेम को तो प्यार करने का अब अधिकार भी नहीं। हमारे समाज के कुछ उसूल भी तो होते हैं ना…

प्रेम - चैतन्या तुम्हारे बालों की क्लिप। कल वाली बेल बॉटम जीन्स। वो ट्रांसपेरेंट ब्लैक शर्ट। क्या शर्ट ही कहेंगे।

कई बार कहा हैं मैंने तुमको चैतन्या की वो ऊपर वाला भी तुमसे बेहद प्यार करता हैं। तभी तो कल उसने बैंड ग्रुप भिजवा दिया।

वो शमा। मेरे हाथ से तुम्हारा सिगरेट पीना। मेरे हाथों का बेवजह तुम्हें छूना। जीन्स का। लव हैंडल्स का। तुम्हारे होने का अहसास होना।

ये बाते ये रातें ये नदी का किनारा ये चंचल हवा।

जिसने ये प्यार महसूस किया होगा हमारी तरह। उसी ने लिखा होगा।

1220 हो चुके थे। पुलिस ( साहिब) का आना।

प्रेम - तुम्हारा मुझे रुका के उनको शुक्रिया कहना। मैं तो निकल ही जाता… तुमने कहा दोबारा थोड़ी मिलेंगे। इनको थैंक्यू तो कह दे।

ऐसा लगता हैं मेरा भी ऊपर वाला उतना ही ख़याल रखता हैं।

उसने उस सब चीज़ की भरपायी की। जिसकी वक़्त कमी कर देता हैं।

इसी दिन सब लोगो के सामने तुम्हें चूम लेना। कुछ ऐसा ही था।

तुम जानती हो ना। तुम्हारी वाक सुंदर लगती हैं मुझे।

प्रेम - एक दिन पहले भी जब हम घूमते घामते इस रिवर फ़्रण्ट पे आ गये थे। तुमने कैसे जाके पूछा था। इधर सिगरेट पे सकते हैं क्या और कितनी देर बैठ सकते हैं।

फिर वो २ घंटे तुम्हें देखना। बाते करना। एक दूसरे को समझाना और फिर जैसे खो जाना… जैसे हाथ अपने आप ही तुम्हें छू रहे हो। एक दूसरे ऐसे महसूस करना। जैसे सब अपने आप ही हो रहा हो। ऐसा मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया। ये मदहोशी। ये नशा। और नदी का किनारा। ये चंचल हवा।

आज जब तुम भोजपुरी गाने सुना रही थी। उधर का कल्चर समझा रही थी। तब तुमसे प्यार भी हुवे जा रहा था और मज़ा भी आ रहा था।

तुम्हारे साथ नींद कहाँ जाती हैं। थकान में भी अच्छा परफॉर्म हो पता हैं। एक रात पहले की अधूरी नींद पूरे दिन का वो बवंडर और वो स्ट्रेस। और अगली रात ७०० किलोमीटर की ड्राइव। ये सब तुम्हारे साथ ही पॉसिबल हैं चैतन्या।

साथ में हसते हुवे तुम्हारा रो देना और ये कहना। मुझे वो कभी नहीं मिला जिसे मैंने चाहा मैंने कुनाल को भी बहुत चाहा था।

प्रेम - पहले दिन restraunt के किनारे गाड़ी में डिस्कस करना की गाड़ी न लाते फिर भी ठीक रहता। मेरा कहना कि अगली बार गाड़ी नहीं लेंगे और तुम्हारा कहना कि अगली बार ट्रेनिंग आएगी क्या।

समझ आना की दोबारा ऐसा नहीं होगा तुम्हारी कमी महसूस करना और मेरा फूट के रो पड़ना

मेरे दिमाग़ के अलावा उस मन की गहरायी का पता लगना जो तुम्हें बेहद प्यार करती हैं।

किसी तीसरे की एक बात याद आती हैं कि प्यार व्यार कुछ नहीं होता। सिर्फ़ वही होता हैं।

लेकिन उस वही से ज़्यादा हम दोनों को साथ में घूमना , बाते करना , यूँ शामों में खो जाना ज़्यादा प्यार और संतुष्टि से भर देता हैं। यही चाहिए… ऐसा…

जब वही चाहिए था तब तुम कितना डर गई थी कि उसके बाद अब जैसा नहीं रहा तो मैं छोड़ के चली जाऊँगा।

प्यार सीढ़ी दर सीढ़ी बढ़ता ही रहा। किसी की नज़र न लगे। ऐसा

प्रेम - जब तुम छोड़ के चले जाने का कहती हो , मैं कितना डर जाता हूँ। तुमने मुझे सारे हक़ दे रखे हैं लेकिन मैं फिर भी तुम्हें रुक जाने को नहीं कह पाता क्योंकि तुम्हें जाने का हक़ हैं लेकिन तुम जा भी नहीं पाती। मैं अपना के अपना भी नहीं पाता क्योंकि मैं तुमसे मिलने से पहला ही बंधा हुआ था रस्मों से।

कही अहसास नहीं, कहीं रस्में नहीं।

इधर बस हम हैं। जो सही ग़लत हैं। बस हम हैं।

चैतन्या का पहला प्यार हैं बारिश।

बारिश में उसे बंद रहना पसंद नहीं।

वो बाहर घूमना चाहती हैं। बाइक हो या कार खिड़कियाँ भी नीची।

बारिश उसे करंट सा एहसास देती हैं। तपते बदन पर ये ठंडी ठंडी बूँदे

आज पहले दिन इतनी तेज़ बारिश में भी वो बाहर नहीं जाना चाहती थी।

फिर पता नहीं , प्रेम को दोबारा आने भी दे या नहीं।

बाहर में तुम्हें इस तरह गले नहीं लगा पाऊँगी

एक दीवार पूरी ग्लास ही थी ,चैतन्या ने पर्दे हटा दिये और लाइट बुझा दी।

उचायी से शहर खूबसूरत लग रहा था।

पुल के नीचे प्रेम की गाड़ी खड़ी थी। जिसे दोनों हमारी गाड़ी कहते हैं

बारिश मी नहायी ये शहर की ऊँची बिल्डिंग, उनके ऊपर आसमान में चमकती बिजलियाँ।

राइट साइड में कॉलेज की तरफ़ बहुत सारे हरे पेड़

जैसे शहर ने उनका स्वागत किया हो , उनके प्यार को आशीर्वाद दिया हो।

चमकती बिजलियाँ और चैतन्या की वो ड्रेस।

इतना काफ़ी था ठंडी बारिश में अलाप जगाने को।

इतनी थकान और नींद के बाद भी इस प्यार से प्यार करने वाली लड़की के लिये प्रेम में कैसे प्रेम का ज्वार उठ पड़ता हैं।

प्रेम अक्सर कहता हूँ तुम मेरी एनर्जी हो।

कुछ समय बाद चैतन्या ने चाय बनाई।

ये काम वो अक्सर प्रेम को करने को कहती हैं। लेकिन आज उसने बनायी। प्रेम के बैठने के लिये। कुर्सी पर से कपड़े हटाये।

चाय के बाद चैतन्या प्रेम की गोदी में बैठी। दोनों बारिश में और एक दूजे में गुम थे।

प्रेम को जाना था। चैतन्या चाहती थी कि प्रेम रुक जाये।

ऑफिशियली ये प्रेम को ठीक नहीं लगा।

फिर दिमाग़ में कई बवंडर थे।

प्रेम रिस्तेदारों के घर होने की वजह से चैतन्या को समय नहीं दे पाया।

चैतन्या आज से पहले कभी अकेली नहीं रही। कभी फ़ैमिली साथ थी तो कभी रूम पार्टनर।

२ रातों की नींद और ७०० किलोमीटर की ड्राइव के बाद भी चैतन्या की नींद रह रह कर टूट रही थी।

चैतन्या के मैसेजेज पढ़ कर प्रेम ने भी कुछ फ़ैसले कर लिये थे

किसी शाम को वो अकेली नहीं रहेगी और रात को बात करने के लिए भी अवेलेबल रहूँगा। जब तक हैं साथ रहूँगा।

चैतन्या कई बार कह चुकी थी कि- क्या हम शादी कर ले।

डरो नहीं वैसे नहीं। बस भगवान जी के सामने। माला पहनाने की ज़रूरत नहीं वैसे ही।

प्रेम ने भी हर बार हाँ ही कहा। वो चैतन्या के मन को जानता था।

चैतन्या के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। उसके लिए कोई जान भी देने पे उतारू हो तो वो हसते हुवे कहे। "मरने वाले तो बहुत मिल जाएँगे। मेरे साथ जी के दिखाओ ना। चाकलेट ही ले आतेमेरे मूड स्विंग कितने होते हैं। पता हैं?। सँभालते… मुझे हैंडल ही नहीं कर पा रहे हो। मर ही रहे हो। नंबर कट हो गये तुम्हारे "

मुझे बहुत लोग पसंद करते होंगे। कोई हज़ार किलोमीटर भी मेरे लिए चल के आ जाये। मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ताइतनी रिजिड हूँ मैं…

फ़र्क़ इससे पड़ता हैं कि मैं किसे प्यार करती हूँ।

मैंने तुम्हें सारे हक़ दिये। अपने कल्चर को मानती हूँ इसलिए भगवान जी के सामने स्वीकार करना चाहती हूँ तुम्हें।

मेरे लिये शब्दों के। रिस्तो के मायने होते हैं। ऐसे ही कुछ नहीं कह देती हूँ।

उसे मंदिर जाने से पहले चूड़ियाँ ख़रीदनी थी। उसने प्रेम को आज लॉबी में ही बुला लिया। सारे कलीग होंगे और आज उसने साड़ी पहनी थी।

उसका चेहरा glow कर रहा था। बिंदी उसे और ख़ूबसूरत बना रही थी। उसे देख कर प्रेम को अंजाम मूवी की माधुरी दीक्षित याद आ गई

दीवानगी की हद से आगे गुज़र ना जाऊँ।

आँखों में उसका चेहरा कैसे उसे दिखलाऊँ…

गूगल मैप भीड़ भाड़ वाले मार्केट में ही ले गया। जिधर पार्किंग थी ही नहीं। लोगो के चलने तक की भी जगह नहीं। ऑटो वालों की ताने मारती ज़बान।

एक तरफ़ बड़ी सी मस्जिद और एक तरफ़ माँ लक्ष्मी का मंदिर भी।

चूड़ियों का मार्केट तो था लेकिन गाड़ी खड़ी करने की जगह नहीं। पुलिस वाले भी आगे बढ़ने का इसारा दे रहे थे। एक औरत के हाथ के लगने से साइड मिरर भी बंद हो गया था। माहोल थोड़ा डरावना भी था। शहर भी नया और लोग भी।

एक बार गाड़ी बाहर ही ले लेते हैं। प्रेम ने कहा

चैतन्या ने थोड़ा खिन्न होते हुवे हाँ कहदी। एक तो उसकी सोने की अंगूठी नहीं मिल रही थी। सोने का गुम होना अशुभ मानते हैं ना। और एक की वो हो नहीं रहा जैसे वो चाह रही थी।

मार्केट की बाउंड्री गेट से बाहर निकलते वक़्त प्रेम ने शॉप देखी बट चूड़ियों की दुकान उधर न थी।

बाहर निकलने पर एक जगह पार्किंग मिल गई। पार्किंग वाले ने एक पतली सी गली की तरफ़ इशारा किया। इधर से चले जाओ। पास पड़ेगा।

एक अजीब से डर की वजह से प्रेम थोड़ा तेज चल रहा था। चैतन्या साड़ी में तेज नहीं चल पा रही थी।

थोड़ा धीमे चलो ना प्रेम

उमस और गर्मी की वजह से साँस लेने में भी तकलीफ़ हो रही थी।

थोड़ी देर में ही मंदिर के पास पहुँच गये।

पहले हाथ जोड़ ले भगवान जी को फिर चूड़ियाँ लेंगे।

दोनों ने हाथ जोड़े

चूड़ियाँ जैसी वो छह रही थी वैसी नहीं मिल पा रही थी।

किसी ने बताया चार दरवाज़े के पास काँच की चूड़ियाँ मिल जाएगी।

चैतन्य लोगो से डर भी रही थी। प्रेम ने कहा - मैं हूँ ना। मंदिर भी हैं और चूड़ियाँ भी। डरो मत।

दोनों हाथ थामे मार्केट में चल रहे थे। लोग पता नहीं उनको क्यों देखे जा रहे थे।

कुछ दूरी में उसे हरे काँच की चूड़ियाँ मिल गई।

मंदिर के लिये प्रसाद के साथ चैतन्या ने सिंदूर भी लिया।

मुझे चूड़ियाँ पहना दो ना।

भीड़ कहीं जैसे गुम हो गई। प्रेम ने बैठ के आराम से उसे चूड़ियाँ पहनायी। वो ख़ुश थी और चुप भी।

दर्शन के बाद एक किन्नर ने जोड़ी सुखी रहे का आशीर्वाद दीया

मंदिर में प्रेम ने चैतन्या को सिंदूर लगाया।

फिर वो गाड़ी की तरफ़ आए।

चैतन्या एक दम चुप थी। उसकी आँखें नम थी।

दोनों ही ख़ामोश थे। दोनों की अपनी वजह थी।

काफ़ी देर रिवर फ्रंट के किनारे ड्राइव करने के बाद वो दूसरे छोर पे पहुँच गये।

कॉफ़ी या चाय का सोच के वो कैफ़े पर रुके।

प्रेम ने ग्रैप ज्यूस का ऑर्डर किया। वाइन न सही ग्रेप्स ही सही।

आज रेस्ट्राउंट वालों ने भी चैतन्या को अलग रूप में देखा।

बिंदास लड़की आज पूर्ण समर्पित सी प्रेम की जीवन संगिनी थी

सब उसे सम्मान से देख रहे थे।

खाने के बाद वो फिर नदी के किनारे थे।

आज बातें कम खामोशी ज़्यादा थी।

ख़ुशी से उसकी आँखें नाम थी। प्रेम का हाथ पकड़े बैठी थी।

चैतन्या आज बहुत ख़ुश थी। गाने गुनगुना रही थी।

बारिसों में जब याद आते हो तुम ,

भीग जाता हूँ में, मुस्कुराते हैं ग़म

ऐसा।

सभी से बहुत चहक के बाते कर रही थी।

आज नहीं जाओगी , हमारे साथ बैठोगी - कलीग ने कहा।

क्या करूँ वो लेने आ जाते हैं। प्रेम को वो कह कर उसे बड़ा अच्छा लगा।

शाम को प्रेम और चैतन्या फिर नदी किनारे थे।

गाड़ी में चैतन्या ग़ुस्सा कर रही थी कि साइड में गाड़ी रोको।

तुम्हारे लिए सुंदर बन के आती हूँ और तुमने देखा भी नहीं।

देखो ग्लासेस गोल्डन पहने हैं मैचिंग के।

प्रेम ने कहा घड़ी भी गोल्डन कल सिल्वर वाली थी।

गले का भी गोल्डन। ईयरिंग तो सेम हैं।

सुंदर लग रही हो।

लेकिन ये नहीं देखा ने चैन नहीं पहनी

उस दिन पायल भी नहीं देखी। पायल शादी के वक़्त कितनी ज़रूरी होती हैं पता हैं।

चलो जाओ। किसी और को दिखाऊँगी जिसे में सुंदर लगू

तुम्हें तो लगती नहीं हूँ। 1 नंबर दिया था बस मुझे।

चाकलेट भी नहीं खिलायी गिफ्ट् भी नहीं दिया। ईयरिंग भी नहीं दिलायी

चलो चलते हैं। ईयरिंग लेते हैं - प्रेम ने कहा

ऐसे थोड़ी होता हैं बेबीमैंने बोला हैं तो लाओगे। ख़ुद से क्यों नहीं लाए। भूसा भरा हैं दिमाग़ में। डायमंड ही दिला दो यार।

दोनों साथ होते हैं तो उनको समय का पता ही नहीं लगता।

क्या बाते हैं , कितनी बाते हैं। दोनों को सुनानी हैं। बचपन की बात, पुराने प्यार की बात और सब कुछ।

एक दूसरे की कंपनी उन्हें भूला भी देती की आस पास कोन हैं और ये शहर भी थोड़ा आज़ाद हैं।

बातों बातों में कब प्रेम उसे गालों पर , बालों पर , उसकी नाक पर, ललाट पर और कभी कभी होटों पर किस्स कर लेता था। दोनों एक दूसरे का हाथ थामें रहते थे। एक दूसरा का छुआ उन्हें बहुत अपना लगता हैं। ये एहसास। आह जैसे गहरी साँस

मुझे बोटिंग करा दो ना - चैतन्या

हम्म्म प्रेम ने ध्यान से देखा तो बोटिंग प्लेस दिखायी दिया।

हाई हील में चैतन्या को परेशानी हो रही थी।

गुरुवार की वजह से चैतन्या ने येलो टॉप पहना था

वो शोर्ट था। कभी पेट और पीठ दिखे। और वो छुपाये तो फिर। क़यामत।

चैतन्या का भरा पूरा शरीर उसे कामिनी सा मुग्ध बना देता हैं।

रिवरफ्रंट की दीवार पे बैठे लड़कों ने कमेंट किया जब दोनों बोट की तरफ़ जा रहे थे। वाव सेक्सी।

एक ही जमात के लोग।

चैतन्या ने सुना नहीं और प्रेम ने इग्नोर किया।

स्पीड बोट में दोनों ही थे। जब तक बोट चल रही थी। चैतन्या ने प्रेम का हाथ पकड़े रखा।

प्रेम चैतन्या को देखे जा रहा था।

इतना कम घुमाते हो भैया पैसे बढ़ा दो। ज़्यादा घुमाया करो।

चैतन्या सब से हक़ से बात करती हैं और हस के। इतना लोगो को खुश करने के लिए काफ़ी होता हैं।

गेट पे dogi भी तो उसके पास आके उससे प्यार चाह रहा था

चैतन्या के साथ अक्सर ऐसा होता ही रहता हैं।

प्रेम ने उसे बताया की उसके मन में क्या बात आयी।

एक तो चैतन्या आपको एक साल के अंदर शादी करनी हैं। जिस लड़के को देख के लगे की हाँ इससे निभा सकती हूँ।

ऐसा नहीं कि मैंने कह दिया तो किसी से भी कर लो।

ऐसी बाते सुन कर चैतन्या की आँखें नम हो जाया करती हैं।

और अब मैं किसी और से प्यार नहीं कर पाऊँगा तुम मेरा आख़िरी प्यार हो और पहला पूरा प्यार भी।

फिर मैं लोगो से जुड़ूँगा कैसे हाँ हसी से। लाफिंग बुद्धा की तरह। निस्वार्थ यही तरीक़ा रहेगा लोगो से जुड़ने का।

एक बात और भी समझ आयी , जब मैं फिल्म्स में लिव इन देखता था तो लगता था इनमें सबकुछ तो हो गया। फिर ये शादी भी करते हैं। आई लव यू कहते हैं। fake सा लगता था मुझे। लेकिन तुमसे मिलने के बाद लगा डेट कितनी प्यारी बात होती हैं। सब होने के बाद में भी किसी की आँखें इतनी प्यारी लग सकती हैं की। देखते देखते मर ही जाओ।

तुम जो पहले मिलते तो मर ही जाते

तुम जो अब मिले हो। मर ही गए हैं

भूख लगी हैं - चैतन्या

रास्ते में बिस्कुट खाने से चैतन्या की भूख कम हो गई थी।

रेस्टोरेंट के पास वाले बस के स्टैंड के पास ही दोनों बैठ गये।

चैतन्या ट्रेनिंग की बाते बता रही थी। कुछ बातों से प्रेम थोड़ा जलन फील करता था। चैतन्या की importance उसे फ़ील होती।

ये तो बेबी बहुत नार्मल बात हैं ना।

इससे भी परेशान हो।

चैतन्या - अच्छा बताओ क्या डिफरेंस हैं पहले में और अब में

प्रेम - सम्मान बढ़ जाता हैं , ज़िम्मेदारी में भी ज़्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। ग़लत जेंट्री में मन करता हैं तुम्हें कहदू ये शोर्ट टॉप्स न पहना करो। नज़र सही नहीं होती लोगो की। सही लोग हो तो कुछ भी पहनो ऐसा।

कोई तुम्हें वैसे देखे या कोई ऐसी वैसी बात करे तो सुन नहीं पाऊँगा। अच्छा नहीं लगेगा।

चैतन्या - तो बोलो ना लोगो के सामने नहीं पहनूँगी। ये तयार होना सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही तो हैं।

अच्छा लगा कि तुम परेशान हुवे , यही चाहिए

इसीलिए तो रश्मों रिवाजो से शादी होती हैं। इतने लोगो के सामने। की याद रहे की अब आप दोनों एक दूसरे के लिये क्या हो।

मैं तुमको प्यार करती हूँ। ऐसा कहके वो प्रेम को गले लगाती , प्यार करती।

खाने के समय। प्रेम को इनको कह कर बुलाना चैतन्या को बड़ा अच्छा लगा इस रेस्ट्राउंट के लोग एनर्जेटिक और मिलनसार हैं।

और चैतन्या को ज़्यादा बोलने की आदत।

इस शहर में गूगल मैप सही से काम नहीं करता होटेल्स ने ज़ेमर लगा रखे हैं।

खाने के बाद प्रेम को रिवरफ़्रंट जाना था। बहुत लंबे चक्कर हो गये। प्रेम परेशान हो रहा था। फ़ोन में भी नेट का इशू था।

चैतन्या को प्रेम की परेशानी दिख रही थी।

जाना ज़रूरी नहीं हैं बेबी होटल भी चल सकते हैं। प्रेम का जाने का मन था।

प्रेम ने कहा होटल का ऐड्रेस लगाओ फिर उधर से रास्ता याद हैं मुझे।

रास्ते में वो रिवर फ्रंट के दूसरी तरफ़ पहुँच गये थे। आज एक ही तरह के लोगो की भीड़ थी।

आज इनका कोई त्यौहार हैं क्या? प्रेम ने कहा

आज बड़ी नेगेटिव वाइब्स आ रही थी।

जैसे तैसे होटल पहुँचे।

उधर से प्रेम ने जान पहचान वाले रास्ते से रिवरफ़्रंट की और लिया।

सेफ लगने वाली जगह पे उसने रोका। 1130 हो चुके थे। थोड़ा लेट तो लग रहा था बट काफ़ी बार वो 1230 भी गये थे।

पर आज लोग अलग थे। इधर भी दोनों ने असहज महसूस किया।

गाने गाने में और शोर में फ़र्क़ होता हैं - प्रेम

फिर भी रोड़ साइड बाउंड्री वाल पर प्रेम ने बैठ के ciggarate जलायी हवा तेज होने से ciggarate जल्दी ख़त्म हुई।

दोनों गाड़ी की तरफ़ बढ़े।

आज बहुत अजीब लग रहा था

प्रेम ने चैतन्या को गले लगाया। प्यार किया। मुझे तुम्हारी सेफ़्टी की ज़्यादा चिंता हो रही थी।

ऑफिस के काम से प्रेम आज थक सा गया था। दिन में सोया भी नहीं। शाम होते होते आँख भारी होने लगी।

चैतन्या का फ़ोन आया , उसने रेस्ट करने को कहा।

चार से छह कब बजे प्रेम को पता ही न लगा।

630 तक आ जाऊँगा - प्रेम

समय बचाने के लिए उसने कपड़े भी वाश नहीं किए।

कम्बख़्त। फिर भी पहुँचते पहुँचते सात बज गई।

रास्ते में प्रेम ने फ्रूट्स एंड नट्स वाली डेरी मिल्क ली।

चैतन्या को वो बड़ी पसंद हैं

चैतन्या बहुत ग़ुस्से में थी। पीठ का वो दर्द और महीने के ये दिन।

ग़ुस्से में उसने प्रेम के सारे कपड़े आयरन कर डाले

जैसे ख़ुद को सज़ा दे रही हो।

चले जाओ। नहीं मिलूँगी। GN। कल मिलेंगे।

प्रेम ने समझाने की कोशिश की लेकिन।

चैतन्या - मैं अपने दोस्तों के साथ चली जाऊँ, आपका टाइम वेस्ट करूँ तो।

प्रेम - आगे से दिन में कभी नहीं सोऊँगा।

चैतन्या - सोने की बात नहीं हैं। इतना कोई सोता हैं क्या।

मुझे ये दिन दोबारा नहीं मिलेंगे। एक एक दिन कम होता जा रहा हैं। तुम्हारा क्या हैं तुम तो दो दो जगह बिजी हो। नहीं मिलूँगी जाओ।

प्रेम - जब तक नहीं आओगी। सिगरेट पीता रहूँगे।

(15मिनट बाद )

इस डब्बे में लास्ट बची हैं फिर दूसरा लूँगा।

चैतन्या - फ़ालतू बकवास मत करो। आ रही हूँ

दोनों रिवरफ़्रंट की तरफ़ निकले प्रेम उदास था बहुत और चैतन्या भी। प्रेम ने काफ़ी बार हाथ पकड़ा।

चैतन्या - मुझे चाय पीनी हैं।

प्रेम - हाँ

ड्राइव करते हुवे प्रेम रिवरफ़्रंट के उस व्यू पॉइंट पर आ गया जिधर बैठना उसे सेफ लगा।

चैतन्या - मुझे चाय पीनी हैं। गले में दर्द हैं।

प्रेम - हाँ अभी ढूँढते हैं

चैतन्या - रास्ते में शॉप्स नहीं थी।

प्रेम - मुझे लगा इधर आता हैं ना चाय वाला

चैतन्या- कब आएगा। सब चीज़ें तुम्हारे हिसाब से होगी।

प्रेम - ठीक हैं। अभी मिल जाएगी

प्रेम परेशानी में गाड़ी चलाता हैं।

चैतन्या- नहीं पीनी अब मुझे।

चैतन्या चाकलेट उठाती हैं। खाती हैं। पहले जो उसने ग़ुस्से में रख दी थी।

झगड़े में टाइम ख़राब नहीं करना मुझे। वक़्त बहुत कम हैं मेरे पास। प्रेम को भी खिलाती हैं।

पहले से लाये हो इसलिए खा रही हूँ। अभी लाते तो नहीं खाती।

प्रेम ड्राइव करते करते बोटिंग वाली जगह पे आ गया। उसे याद आया इधर चाय पी सकते हैं।

चैतन्या ने ग्रीन टॉप पहना था जीन्स पे और हाई हिल्स की ग्रीन सैंडिल

सीढ़ियों से दोनों नीचे उतरे चाय का ऑर्डर किया।

आज चाँद पूरा था। चाँद की रोशनी में नहा के चैतन्या और भी ख़ूबसूरत लग रही थी।

प्रेम ने चैतन्या के साथ चाँद का फोटो लिया।

फ़ोटोज़ बेहद खूबसूरत आये।

ये फोटो हमारी कहानी का कवरपेज होगा।

प्रेम ने चैतन्या को दिन की बाते पूछी।

चैतन्या ने बताया कि कैसे एक कलीग जो उसे पसंद करता हैं। कॉइन्सीडेंटली पिंक कलर का शर्ट पहन के आ गया , चैतन्या ने भी पिंक टॉप पहना था।

उन दोनों के बारे में वैसे भी सब क्लास वाले बातें करते हैं। वो उसके साथ कम्फर्ट फील करती हैं। साथ ही बैठते हैं। लंच , टी भी साथ ही।

प्रेम को अपना कुछ पुराना याद आया। पंजाब उसके साथ कम्फ़र्ट सब लोगो का देखना लेकिन प्रेम तब उसके साथ ही रहता था। ये आठ - नो साल पुरानी बात थी।

चैतन्या ने बताया कि कैसे उसका पैर गलती से उस कलीग के टच हो गया तो उसने दिल पे हाथ रख के इशारे से माफ़ी माँगी थी। आज दो बार उस कलीग का पैर लगा तो उसने उसी अन्दाज़ से माफ़ी माँगी। वो उसे नोट करता हैं उसने बताया।

शादी के लिए भी इनडायरेक्टली डायरेक्टली प्रोपोज किया।

प्रेम ये सब सुने जा रहा था। चैतन्या की आदत थी हर बात बताना। उससे वो ट्रांसपेरेंसी फील करती थी।

प्रेम के दिमाग़ में बहुत सी बातें चल रही थी।

उसे पता था एक दिन ऐसा होगा ही।

जैसे वो उसे प्यार करता हैं , जैसे वो उसे करती हैं। उसे कोई करेगा ही और वो भी केरेगी

एक तो प्रेम उसे अपने पास हमेशा के लिए रख नहीं सकता था।

उसका भी तो हक़ हैं प्यार करने का , जीवन जीने का।

वक़्त जब प्रेम के लिए वफ़ा कर सकता हैं तो किसी और के लिये भी करेगा ही।

किसी का दिल दुखा था जब चैतन्या प्रेम के पास आयी थी।

उसे भी तो तैयार रहना होगा इसके लिये।

फिर प्रेम और चैतन्या में आठ -नो साल का फ़र्क़।

प्रेम को अपने उड़ते बाल , बढ़ती उम्र और ख़ुद की कमज़ोरियाँ दिखने लगी।

प्रेम चैतन्या के लिए लड़ भी तो नहीं सकता। ये बंदिशें

लेकिन प्रेम को याद आयी उन सभी शूरवीरों की कहानियाँ जो बचपन से ही उसके जीवन का हिस्सा रही हैं।

वो चैतन्या को जीतने के लिए लड़ नहीं सकता लेकिन अपनी हार वो सम्मान के साथ ख़ुद तय करेगा।

चैतन्या प्रेम की परेशानी देख रही थी। क़सम दिलाने पर प्रेम ने मन में जो चल रहा था सब बताया

चैतन्या- बेबी में बस बाते शेयर कर रही हूँ ताकि कुछ भी मेरे दिमाग़ में न रहे। मैं तुमसे प्यार करती हूँ। तुम कहो तो उससे बात ही न करूँ।

प्रेम - नहीं ऐसा मत करना। मैं ऐसे नहीं हारना चाहता। ये मेरा तरीक़ा नहीं। शादी तुम्हें करनी ही हैं। अगर ठीक लगे तो…

चैतन्या - बेबी हमारी शादी को बस 2दिन हुवे हैं। बीवी मानते हो या नहीं। मैंने तुम्हें सारी हक़ दिये हैं। तुम क्यों नहीं कहते की बस हो गया तुम्हारा। हाथ पकड़ कर के जाओ उधर से

बस लोगो के सामने मारना मत। बेइज़्ज़ती होती हैं। घर ले जा के समझाना।

चालीस लड़कों में अकेली लड़की हूँ। लोग ट्राय नहीं करेंगे क्या ?

चैतन्या के समझाने के बाद दोनों डिनर के लिए निकले।

खाने के बाद गाड़ी में रिवरफ़्रंट पे ड्राइव करते हुवे चैतन्या ने सॉंग लगाये।

आप की नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे।

ये बाते ये रातें नदी का किनारा।

तुम आ गये हो नूर आ गया हैं।

अच्छा हुआ गाड़ी ले आये।

प्रेम को चैतन्या का प्यार गहरे तक महसूस हुआ।

अपनी प्लेस पर आकर प्रेम ने चैतन्या को गले से लगाया। खूब प्यार किया बार बार उसे गले लगता। चूमता

दिन भर की थकी और प्यार की मारी चैतन्या किस्स करते करते ही सो गई।

प्रेम उसे खर्राटे लेते सुन रहा था। वो वैसे ही सो गई जैसे वो गले लगाये थी।

प्रेम हसते हुवे उसे निहारे जा रहा था।

एक साधारण सी लड़की जिसका प्यार असाधारण हैं।

प्रेम चैतन्या से लिपट के सो गया।

सुबह उठने पर प्रेम ने चैतन्या को चूमा और सीने से लगा कर रखा।

आज प्रेम नहीं चाहता था कि चैतन्या उससे दूर भी जाये।

चैतन्या को गले लगाने से प्रेम के कलेजे को बहुत ठण्डक , राहत मिलती हैं।

जैसे चैतन्या की चेस्ट से उसकी चेस्ट पर किसी एनर्जी का ट्रांसफ़र होना।

प्रेम चाय पिलाने के बाद चैतन्या को ड्राप तो कर आया लेकिन उसके सीने को चैतन्या की चेस्ट अभी भी फ़िल हो रही थी।

आज शनिवार था , प्रेम के एक पुराने मित्र के ऑफिस का ऑफ़ था। कॉलेज के साथी और बहुत अपने भी।

आज उनसे मिल सकता हूँ। उनके साथ रहूँगा तो घर पे भी बात कर पाऊँगा।

प्रेम वैसे भी सबसे लापता सा था।

चैतन्या से तो शाम को ही मिलना संभव होगा। चैतन्या को बता प्रेम अपने सहपाठी से मिलने चला गया।

प्रेम को हमेशा से ही लगता हैं की ये रिश्ता भगवान का बनाया हैं।

नहीं तो इतने बवंडर झेलना। नौकरी को दांव पे लगाना। सब से लड़ पड़ना। घर के प्रेशर को झेलना। ये सब करने से पहले दिमाग़ कैलकुलेट तो करता ही हैं।

लेकिन प्रेम एक परवाना बना था। चैतन्या दिखती नहीं। और प्रेम उसके साथ।

ऑफिस के कितने लोगो के विरोध के बाद भी वो दोनों ताऊजी के उधर चाय पीने में मशगूल मिलते।

चैतन्या ने भी क्या क्या नहीं सहा

किसी के ताने सूने तो किसी की थप्पड़ भी खायी।

लेकिन प्रेम के पास चली आयी।

चैतन्या के प्यार को , लगाव को और हिम्मत को प्रेम फील कर पाता था।

उसके साथ खड़े होने के लिए वो सबसे लड़ने को तैयार था

बहुत कुछ हुआ भी तो। किया भी तो।

प्रेम के मित्र बहुत साफ़ दिल के और सीधे हैं। ये प्रेम को बहुत पसंद करते हैं। इधर अकेले हैं तो दोस्तों कि कमी और अधिक महसूस करते हैं।

इनमें एक ख़ामी कहे या गुण। वो कई बाते रिपीट करते हैं। सालों साल तक।

जैसे हम सब साथ होते तो अच्छा होता।

कोई बिज़नेस स्टार्ट करे क्या।

आप अपने काम में उस समय थोड़ी मेहनत कर लेते तो।

आप नीलम पहनो। मान लो मेरी बात रॉकेट बन जाओगे।

माँ बाप कहेंगे घर से निकला तो बना ना

वाइफ कहेगी मेरी क़िस्मत से हुआ हैं।

ये सारी बाते रिपीटेड सालों तक सुन ने के बाद भी ऐसे दोस्त के पास हमेशा लौट के आओगे।

जिन्होंने तुम्हें पसंद किया , प्यार दिया, साथ खड़े रहे और जो इतने साफ़ दिल के हो।

ऐसे लोग वो सितारे हैं जिनकी चमक सिर्फ़ इसलिए नहीं दिखायी नहीं देती क्योंकि वो ज़मीन पर रहते हैं।

प्रेम सही समय पर चैतन्या के पास आ गया।

कुछ देरी में चैतन्या भी उसके पास आ गई। थोड़ा वेट करना पड़ा

आज प्रेम थोड़ा डिस्ट्रैक्शन फील कर रहा था।

एक तो वो दिन भर अपने मित्र के साथ था। उधर की बाते अलग थी। अलग अहसास। समाज , ज़िम्मेदारी और दोस्ती की बाते थी।

और दूसरा मौसम में गर्मी।

प्रेम - आज रिवर फ्रंट फ़्लॉवर गार्डन चलेंगे। देखा ही नहीं।

चैतन्या - क्या हैं वहाँ

प्रेम - होंगे बहुत सारे फ्लावर और बैठने की प्लेस। चलते हैं।

अटल ब्रिज की भीड़ देखके चैतन्या ने मना कर दिया। ओनली गार्डन की टिकट ली।

चेंज नहीं होने की वजह से थोड़े एक्स्ट्रा कटवाए( इतना तो चलता हैं ना। )

प्रेम - पानी पुरी खाओगे।

पानी पूरी के बाद दोनों गार्डन में एंट्रेंस लेते ही बैठ गये। गर्मी ज़्यादा थी और थकान भी।

तभी एक डॉगी चैतन्या के पास आके बैठ गया। ऐसा अक्सर होता था। वो ख़ुद भी रोडसाइड डोगिज़ को अक्सर बुला लेती थी। कहती थी इनको तो कोई घर में भी नहीं रखता।

चैतन्या - जाओ बिस्किट लेके आओ और पानी की बॉटल भी।

प्रेम रिवरफ़्रंट का किनारा मिस कर रहा था लेकिन अटल ब्रिज का टिकट नहीं लेने की वजह से वो नीचे नहीं उतर सकते थे। सिर्फ़ गार्डन में ही रह सकते थे।

थोड़ी देर में बैठने की सही जगह मिलीफ़व्वारे होने की वजह से हवा ठंडक देने लगी।

सैंडिल उतर चैतन्या प्रेम के पास लेट गई।

प्रेम भी अब कनेक्टेड फील कर रहा था और कम्फ़र्ट भी आ गया था।

प्रेम - ये भी कितनी अच्छी जगह हैं। प्यार करने वाले ,लिखने वाले यहाँ घंटों बैठ सकते हैं। और हमारी सेफ़्टी के लिए पुलिस और गार्ड्स भी।

ऐसी जगह हर शहर में होनी चाहिए

मैं हब फ़िल्म्स देखता था , उसमे हीरो हीरोइन पार्क में एक दूजे के साथ घंटों वक़्त बिताते हैं या किसी पहाड़ी पे। मुझे लगता था सिर्फ़ फिल्म्स में ऐसा होता होगा।

काश ऐसी जगह हर शहर में हो।

एक बार अपने शहर में दोपहर में 2 दोस्तों के साथ मैं पार्क में गया उसमें एक फीमेल फ्रेंड थी पुलिस वाले ने हमें ही जद बद बोल के उधर से जाने को कहा। डर था वहाँ

बिना डर के एक लड़की किसी लड़के से मिल सके। बैठ के बात कर सके ऐसी जगह तो हमें डेवलप करनी ही चाहिए।

काफ़ी समय गुजरने के बाद दोनों मैजिक मसाला रेस्ट्राउंट गये।

प्रेम - आज कुछ अधूरा लग रहा हैं। नदी का किनारा।

चैतन्या - खाने के बाद चलेंगे। राउंड काटके आजकल तो फिक्स रूटीन हैं ना हमारा।

खाने के बाद दोनों ने गाड़ी रिवरफ़्रंट के किनारे लगायी। सिगरेट पी। थोड़ा लेट हो गया था। नीचे उतरना ठीक नहीं लगा। फिर रिवरफ़्रंट रोड पर नाईट ड्राइव की। 1230 तक प्रेम के रूम पे चले आये।

बत्तियाँ बुझ गई थी। अंधेरे में सब एक सा लगता हैं। वो भी एक से हो गये।

दोनों में कुछ ऐसा था की वो मंदिर में रहे या नदी किनारे सब उन दोनों को नोट करते थे। ये दोनों ने महसूस किया।

जैसे लोग उन दोनों के रिश्ते को ऑफिस में भी नोट कर लेते थे।

घरवाले भी चैतन्या और प्रेम के व्यवहार में आ रहे बदलाव को समझ रहे थे।

ऐसा नहीं कि उन्होंने कुछ भी बताया हो। उनकी ख़ुशी से। एक दूसरे को देखने से ही लोगो को समझ आ जाता था। दिख जाता था उनका प्यार

वो बात अलग हैं की शुरुआत मे वो दोनों ख़ुद नहीं समझ पाये की वो प्यार में हैं।

इस शहर में दोनों को साथ में देख के जैसे सबको ख़ुशी होती थी।

जैसे मैजिक मसाला रेस्ट्राउंट के स्टाफ इन दोनों को देख के मुस्कुरा उठते थे। दोनों को इस रेस्ट्राउंट में इतना अपनापन लगा की हर शाम वो इधर ही आ जाते थे। दूसरा कोई रेस्ट्राउंट इन्होंने ट्राय ही नहीं किया।

और वो प्यारा सा बच्चा जो दिखने में अठारह साल से छोटा दिखता था। पूछने पर प्यार से उसने बताया वो नेपाल से हैं तो ऐसा लगता हैं वैसे वो २० साल का हैं।

उसको देख के ही चैतन्या और प्रेम खुश हो जाते थे।

चैतन्या को अर्ली मॉर्निंग ड्राप करते जाते वक़्त वो चाय

मौसम में जैसे प्यार घुला हो। सब इतना सुंदर।

ज़्यादा रुके रहने के लिए अक्सर चैतन्या दो बार चाय पी लेती थी।

कभी कभी तो प्रेम को हाथ पकड़ कर भेजना होता था।

वो सब कुछ तबाह करने पे तैयार थी। अपनी जॉब भी छोड़ने के लिए।

कभी कभी कहती - बेबी, बेबी करले क्या ? छोटा प्रेम।

प्रेम - ज़्यादा पूछोगी तो ना नहीं कर पाऊँगा। तुम्हें ज़िंदगी बनानी हैं। बर्बाद नहीं होना हैं।

चैतन्या- किसी और शहर में रह लूँगी सिंगल मदर रह के।

इसके जवाब में बेबसी में प्रेम की आँखें नम हो जाती।

चैतन्या- मैं आपको ज़्यादा परेशान कर देती हूँ ना।

दोनों कितनी बार गले लग के रो पड़ते

फिर एक दूसरे को कहते। अभी बस प्यार करना हैं। घर जाके रो लेंगे।

ये हमारे प्यार के दिन। बहुत प्यारे हैं। बहुत प्यारे

पहले सब सपने सा लगता था और अब सपने से भी सुंदर

आज सुबह आँख खुली तो बारिश मेहरबान थी।

बारिश चैतन्या का पहला प्यार।

बिजलियाँ भी चैतन्या को उठाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन वो बेसुध सी प्रेम की बाहों में समायी थी।

संडे की वजह से कल शाम ही उसके पास आ गई थी।

आज संडे के बाद दूसरे संडे को बारिश आयी थी।

प्रेम- उठो चैतन्या। देखो बारिश।

चैतन्या - भगवान जी को पता था ना आज में तुम्हारे साथ रहूँगी इसलिए बारिश भेजी हैं।

( आँखें बंद ही वो बोले जा रही थी )

Come by baby come here

प्रेम को चैतन्य ने गले से लगाया और चूमने लगी।

सब कितना प्यारा हैं ना बेबी ये सुबह , तुम और बारिश।

आज चैतन्या प्रेम को बहुत इंटेंसिटी और प्यार से चूमे जा रही थी।

प्रेम की पीठ और कानों पर चूमने से प्रेम भी करहाने सा लगा था।

चैतन्या- मुझे भी ऐसा ही फील होता हैं बेबी जब तुम छूते हो।

साथ में नहाए।

शावर में चैतन्या झरने के नीचे नहा रही हो ऐसा लग रहा था

चैतन्या- बेबी देखो ये भी बारिश ही हैं।

चैतन्या और प्रेम शावर की बारिश में, झरने के नीचे , अपने प्यार में पूरे गीले हो गये थे।

प्रेम - आज मुझे एक बात और समझ आयी

चैतन्या - hmm

प्रेम - जैसे एक मन दूसरे मन को प्यार करता हैं। जैसे सौलमेट्स वैसे मेरा शरीर तुम्हारे शरीर को प्यार करता हैं।

एक दूसरे को छूना। कितना अपना लगता हैं ना।

नया रिसर्च हैं शरीर भी प्यार करते हैं अपने लगने वाले शरीर को। मन की तरह। आत्माओं की तरह।

चैतन्या- हसती हैं अच्छा ऐसा। आजा मेरा बेबी।

बारिश बंद हो चुकी थी। लेकीन दोनों रिवरफ्रंट की और निकल गये।

जाते वक़्त गाड़ी में ही बैठे दोनों ने चाय पी।

गाड़ी के शीशे नीचे थे। दूसरे गियर में धीरे से गाड़ी चल रही थी। प्रेम ने एक हाथ विंडो पे रख रखा था कार की छत को छूते हुवे।

ठंडी हवा उसके टीशर्ट और मन को बहुत शीतल कर रही थी।

हरे भरे पेड़ों की क़तारों में रिवरफ़्रंट की ये ख़ाली सी सड़क।

प्रेम जैसे नेचर में खो सा गया हो।

ये सब कुछ तो सपने से सुंदर हैं चैतन्या

इससे ज़्यादा माँगकर तो जैसे में गलती कर बैठूँगा।

आते जाते लोग भी उन्हें देखे जा रहे थे।

सतिंदर सरताज का गाना -" कोशिश ताँ करिए। ” चल रहा था।

प्रेम ख़ुशी से मुस्कुरा रहा था।

चैतन्या- हसते हुवे कितने प्यारे लगते हो बेबी।

कहते हुवे चैतन्या ने प्रेम को चूम लिया।

गाड़ी रिवर फ्रंट की तरफ़ लगा , गाड़ी में ही बैठे दोनों ने सिगरेट पी।

चैतन्या ने नाईट ड्रेस ही पहन रखी थी , शोर्ट थोड़ा शोर्ट था।

घूमते घूमते ही 1130 हो गये।

भूख लगी हैं -चैतन्या

प्रेम - मंदिर जाना हैं ना या रुक जाये।

चैतन्या - नहीं , बोला हैं ना तो जाएँगे

प्रेम - एक घंटा तो लगेगा। 32 किलोमीटर हैं एप्रोक्स। लंच करके सीधा निकल जाएँगे।

साड़ी पहन लोगी आज।

सुन के चैतन्या बहुत ख़ुश हुई। ( मैं इनको सारी में सुंदर लगती हूँ)

प्रेम - बट उधर गर्मी हो सकती हैं, तो देख लेना।

चैतन्या- कोई बात नहीं बेबी

साड़ी की मस्सकत में एक घंटा हो गया। रेगुलर रूटीन में वो नहीं पहनती वो तो बिंदास रहती है।

चैतन्या - देखो कितना टाइम लगता हैं।

सिंदूर लगाते वक्त प्रेम का दिल धड़क उठा। क्या में इस रिश्ते की ज़िम्मेदारी उठा पाऊँगा।

इधर आओ फोटो लेनी हैं।

प्रेम - फोटो ?

चैतन्या जानती थी की वो दोनों के साथ में लिए हुवे फ़ोटोज़ नहीं रख पाएगी।

वो हमेशा आईने के सामने खड़ी होके उससे गले मिलती थी और वो छवि अपने आँखों में बसा लेती थी। लेकिन आज कुछ फ़ोटोज़ ली जो बेहद खूबसूरत आयी थी।

एक फोटो ऐसी आयी थी जैसे कोई बोलती हुई तस्वीर।

उसकी हरे काँच की चूड़ियाँ और उसका आत्ममुग्ध हो प्रेम को देखना

ये फोटो में रख लूँगी। कहीं भी छिपा के।

वो अक्सर अपने पंजों पे खड़ी हो जाती थी। एक इंच और मैं लंबी होती तो अच्छा होता। छह फीट के प्रेम से गेल लग के कहती।

चैतन्या -

रेस्ट्राउंट की तरफ़ जाती हुवे

प्रेम - बेबी अब हमारे पास चार पाँच दिन ही बचे हैं। मेरे निशान नहीं जाते। तो थोड़ा ध्यान से

सुनते ही चैतन्या रो पड़ी

प्रेम - अरे। ऐसा मत करो बेबी। समझो ना

चैतन्या - तुमने मुझे सारे हक़ नहीं दिये।

प्रेम ने समझाने की कोशिश की लेकिन रेस्ट्राउंट में भी चैतन्या के आँशु गालों पे बह निकले।

रेस्ट्राउंट स्टाफ़ भी जैसे दुखी हो उठा।

ख़ाना खाने के बाद सीधा गांधी नगर की तरफ़ निकल गये।

प्रेम दुखी मन से बस गाड़ी चलाये जा रहा था।

चैतन्या- सॉरी बेबी। मैं बहुत सेल्फिश हो जाती हूँ ना। सॉरी

प्रेम - तुम्हारा हक़ हैं बेबी। तुम्हें जो अच्छा लगे करो। मैं मैनेज कर लूँगा।

चैतन्या- मुझे बहुत pain होता हैं बेबी। शेयरिंग बहुत मुश्किल हैं।

कहते कहते चैतन्या फुट के रो पड़ी।

प्रेम ने समझाया , गले से लगाया।

प्रेम - हम किसी को दुःख नहीं देना चाहते , बस एक दूसरे को प्यार करते हैं। लोग दुखी हो जाते हैं क्योंकि वो हमसे जुड़े हैं। क्या करे ?

मंदिर सुंदर था और गर्मी बहुत ही तेज़।

मंदिर में जाने से पहले जूते जिधर जमा होते हैं। प्रेम ने चैतन्या की सैंडिल उठायी और बैग में रखी।

चैतन्या - (आत्ममुग्ध होकर ) - ऐसे मत किया करो। इन्हीं सब बातों से और प्यार हो जाता हैं मुझे।

कुछ समय बिताने के बाद आइसक्रीम खाने और शिकंजी पीने के बाद दोनों वापस निकल गये।

वापस आने के बाद साड़ी पहने ही चैतन्या लेट गई।

प्रेम - आप चेंज कार्लो

आज शाम के लिए आप वो ट्रांसपेरेंट ब्लैक शर्ट पहन ना। आप उसमे बिंदास लगते हो। और बालों में क्लिप ज़रूर लगाना

दोनों एक दूसरे में घुल गये पाँच से कब आठ बज गये पता ही न चला।

प्रेम - प्यार करते हुवे हम प्रकृति को भूल जाते हैं। चलो जल्दी से।

आज शाम के लिए प्रेम ने ब्लू जीन्स पे ब्लैक शर्ट पहनी थी। चैतन्या ने ब्लू जीन्स पे transparent ब्लैक शर्ट जिसे sheer कहते हैं। पहना था

ब्लैक शर्ट जैसे चैतन्या की कमजोरी , पसंद।

चैतन्या - तुम बहुत सुंदर लग रहे हो

अपने आँखों के काजल से उसने टीका लगाया।

कार में वो बस प्रेम को निहारे जा रही थी।

चैतन्या - आप कितने सुंदर लग रहे हो। मुझे तुमसे आज दोबारा प्यार हो गया। ऐसा प्यार जैसे किसी को पहली बार देखने से होता हैं। बिना जाने बिना पहचाने।

नहीं जानती होती और आज भीड़ में दिखते तो पूछ लेती। सिंगल हो क्या ?… ऐसा।

दोनों ने रिवर फ्रंट के पास गाड़ी लगायी। चाँद को और नदी को देखते हुवे एक दूसरे को गले से लगाया।

दो सिगरेट पीने के बाद दोनों सीढ़ियों से नीचे उतरे। ताकि नदी के और पास जा सके।

चैतन्या - जानू तुम बहुत सुंदर लग रहे हो। सब देख रहे हैं तुमको।

चैतन्या ने अपने sheer के बटनस खोल डाले। हंस के बोली - अब देखती हूँ सिर्फ़ तुम्हें देखते हैं या मुझे भी।

नीचे आके बैठे तो चैतन्या गोद मी आके बैठ गई और किस्स करने लगी। उसे आसपास के लोगो की फ़िक्र न थी।

प्रेम - लोग देख रहे हैं

चैतन्या की ख़ुशी हंसी जैसे वो बच्ची हो

एक मासूम फूल की तरह।

चैतन्या - हमारे शहर में हम ऐसा कर पायेंगे क्या? हमारा हनीमून ट्रिप हैं। प्यार करने दो मुझे। चलो ठीक हैं मान लेती हूँ आपकी बात।

चैतन्या आज बहुत खुश थी। उसकी चाल में मस्ती थी। वो झूम रही थी।

चैतन्या- जानू आज से तुम ब्लैक एंड वाइट शर्ट ही पहनोगे मुझे दे देना मैं दो दिया करूँगीं।

बेबी आज कुनाल भी आ जाता तो उसकी तरफ़ नहीं देखती।

तुम्हें मेरी ही नज़र ना लग जाये। फिर से अपने आँख से काजल ले प्रेम को लगती हैं।

चैतन्या - फिर भी तुमको नज़र लगी तो काजल वाली कंपनी पे केस कर दूँगी।

वाक करते हुवे आगे बढ़े म्यूजिक band ग्रुप की आवाज़ सुनाई दी।

चैतन्या को आर्टिस्ट बहुत पसंद हैं। उसकी एक और कमजोरी

प्रेम का हाथ पकड़ के मस्ती में चैतन्या चल रही थी। तभी सामने उसे कलीग दिखे

चैतन्या- ये मेरे फ़ैमिली फ्रेंड हैं ( प्रेम का इंट्रोडक्शन करवाते हुवे )

थोड़ी देर के बाद वो आगे बढ़े।

चैतन्या- तुम्हारे चक्कर में कितनो के दिल टूटेंगे। अभी बात फैल जाएगी। मैडम तो ऐसे घूम रही थी।

एक नये नवेले जोड़े को देख के जिसने शादी का जोड़ा पहन रखा था। चैतन्या रुआंशी सी हो गई।

प्रेम ने गेल से लगाया

प्रेम - सब ठीक हैं बेबी सब ठीक हैं।

चैतन्या - hmm

ग्यारह बजे क़रीब रेस्ट्राउंट पहुँचे। चैतन्या को हसते हुवे ख़ुश देख कर स्टाफ़ भी ख़ुश थे। उन दोनों का प्यार सब को दिख ही जाता था।

खाने के बाद वो 1230 तक rivertfront की तरफ़ ही slow ड्राइव करते हुवे गाने सुनते थे या उधर आके बैठ जाते थे।

वहाँ उन्होंने सिगरेट पी

चैतन्या ने बार बार उसे गले लगाया जब वो वाक कर रहे थे।

चैतन्या ने बताया की क्यों वो प्रेम को लेके गणेश जी के मंदिर गई थी।

उसने गणेश जी को कहा था। ये हैं देख लो।

सही हो तो ही आगे बढ़ाना। नहीं तो रहने देना।

चैतन्या- मैं अपने ऊपर नहीं रखना चाहती। भगवान भी तो देखे। हम उनके बच्चे हैं। माँ ऐसा थोड़ी हैं कि पैदा किया और छोड़ दिया बस।

होटल आके प्रेम चैतन्या से गले लग के सो गया। ये पहली बार था की प्रेम आज पहले सोया। वो आज बहुत सन्तुष्ठ और खुश था।

चैतन्या ने उसके कपड़े उतारे

प्रेम आज वैसे ही सोया था जैसे चैतन्या सो ज़ाया करती हैं।

आधि नींद में प्रेम ने उसे आई love यू बेबी कहा।

सुबह चैतन्या को जल्दी निकलना था। कपड़े भी प्रेस करने था।

प्रेम नहीं चाहता था वो जाये।

प्रेम - आज मत जाओ।

चैतन्या - बेबी

प्रेम - तुम्हीं कहो क्यों न रोके तुम्हें। जान जाती हैं जब उठ के जाते हो तुम।

गाते गाते प्रेम की आँखें नम हो गई।

चैतन्या ने गेल से लगाया।

पिछले 36 घंटों में वो दोनों ही 3,4 बार रोये थे। वो प्यार और ख़ुशी के आंसू थे।

रोज़ की जगह चाय पिलाने के बाद प्रेम ने उसे ड्राप किया

उसे जाते हुवे देख के प्रेम को उससे प्यार हुवे जा रहा था।

उसकी वॉक वैसे भी प्रेम को बहुत पसंद थी।

प्रेम बस सुबह से शाम होने का इंतज़ार करता। छह बजते ही प्रेम के जैसे पंख लग जाते वो चैतन्या के लेने पहुँच जाता चैतन्या भी एक मिनट भी वेस्ट नहीं करना चाहती थी। लेट होने पर नाराज़ हो जाती।

दोनों को ही शाम को नदी का किनारा बुला लेता था।

लेकिन चैतन्या के कलीग्स को शिकायत थी। एक तो इतने लड़कों में अकेली लड़की। दूसरा सेशन पूरा होता ही बिना देरी किए उसका निकल जाना।

एक कलीग जिसके साथ वो कम्फ़र्ट फील करती हैं। जिसने उसे शादी के लिये प्रोपोज किया।

चैतन्या- पहले मुझे जानो तो सही। सीधा ही प्रोपोज।

कलीग - कैसे जान पाऊँगा। तुम तो टिकती ही नहीं।

कुछ लोग तो बाते भी करने लगे कि चैतन्या रात को बाहर ही रहती हैं।

प्रेम के प्यार के लिए चैतन्या ने अपनी छवि को भी दांव पे लगा रखा था। सबकुछ इतना प्यारा था। कई बार उसने कहा। आने के लिए थैंक्यू। मुझे इतना चाहने के लिए। थैंक्यू।

प्रेम - तुमने मुझे मुझसे भी ज़्यादा प्यार किया हैं। मैं तो प्यार करना, जीना, ख़ुश रहना सब भूल गया था।

पिछले २ सालों ने कितना कुछ छीन लिया था मुझसे। मेरा कॉन्फिडेंस भी।

तुम आयी और सब ठीक होने लगा। जैसे पतझड़ के बाद नये जीवन मिलता हैं। तुम वसंत हो चैतन्या मुझे दोबारा मुझसे मिलाने के लिए थैंक्यू।

आज चैतन्या को कलीग्स के लिये थोड़ा समय निकालना ठीक लगा

लेकिन प्रेम पहुँच के इंतज़ार करने लगा।

दूसरा चैतन्या घर वालों के वीडियो कॉल का वेट भी कर रही थी।

बाहर जाके फिर वापस आना।

चैतन्या रुक गई।

प्रेम को लगभग इंतज़ार करते हुवे १ घंटा हो गया था।

प्रेम के दिमाग़ में उसके कलीग को उसे पसंद करना , उसका भी उसके साथ कम्फ़र्ट फील करना। सब दिमाग़ में चलने लगा।

चैतन्या ने कहा भी कि वैसे तो उसकी राम जाने। लेकिन नेगेटिव वाइब्स नहीं आती। एप्रोच भी सिंसियर तरीक़े से करता हैं। ठीक लगा मुझे।

चैतन्या हर बात प्रेम के साथ शेयर करती थी। भले वो जल ही क्यों न रहा हो।

प्रेम अपनी जलन मिटाने के लिए सिगरेट पीने लगा। चैतन्या को मेसेज भी किए।

आती हूँ थोड़ा रुको

जब वो आयी , प्रेम के हाथ में सिगरेट देख के सर हिलाने लगी। उसे अच्छा नहीं लगा।

उसने गाड़ी मैं बैठने का इशारा किया।

उसके पीछे वही कलीग जो उसे पसंद करता हैं गेट तक आ गया।

प्रेम के सीने में जैसे कटार उतर गई हो।

वो रिवरफ़्रंट की तरफ़ जा रहे थे लेकिन प्रेम ग़ुम था। पत्थर की तरह।

रिवरफ़्रंट पे पहुँच के प्रेम ने फिर सिगरेट पी।

चैतन्या ने डब्बा छीना और वो एक के बाद एक सिगरेट पीने लगी। प्रेम ने पैकेट छीन लिया।

चैतन्या ने बताया कि वो अकेली उसके साथ नहीं बैठी थी। सभी कलिग्स थे। बात कर रहे थे।

प्रेम - तुम उसी के लिए बैठी थी। सबसे तुम्हें मतलब ही नहीं था।

तुम ने इतना टाइम मैनेज किया हैं। क्या जल्दी नहीं आ सकती थी।

मेरा टाइम तुमने किसी और को दिया हैं। मेरी इम्पोर्टेंस। जब तुम्हें पता था की बाहर में इंतज़ार कर रहा हूँ।

शायद मेरे हिस्से में इतना ही प्यार मिलना लिखा था।

मैं आज वापस निकल जाऊँगा। तुम्हारा कुछ सामान रूम पे रखा हैं। दे देता हूँ।

चैतन्या रो पड़ती हैं।

चैतन्या - सब कुछ तुम्हारे हिसाब से होगा क्या ? कितनी आसानी से कह दिया छोड़ के चला जाऊँगा।

क्या कर रहे हो प्रेम। सुबह तक तुमसे प्यार करती थी। शाम को किसी और से हो जाएगा। क्या गलती हैं मेरी। कलीग्स हैं। कब से बोल रहे थे साथ बैठने को।

प्रेम - कोई गलती नहीं हैं तुम्हारी वक़्त हैं। ह्यूमन साइकॉलीजी हैं। अभी तक तुम अकेली लड़की थी। आज दूसरी ने भी जॉइन किया। उसका उससे बातें करना। तुम्हें बुरा लगा होगा। होता हैं। कोई बात नहीं

चैतन्या - मुझसे अच्छे से बात करो प्रेम। आँखें मिलाओ।

मैं इस नदी में जम्प कर लूँगी। सुसाइड कर लूँगी।

प्रेम - वो तो मैं भी कर लूँगा। गलती हुई , तुम्हें यहाँ ले आया। चलो आपके प्लेस। आपको ड्राप कर देता हूँ। फिर मैं निकल जाऊँगा।

चैतन्या - ठीक हैं चले जाओ (रोते हुवे )। इतना ही था मेरे नसीब में। ट्रस्ट ही नहीं करते तो कैसा प्यार

प्रेम - चलो। चलते हैं

चैतन्या - कहीं नहीं जाना। चले जाओ तुम। मैं ख़ुद से आ जाऊँगी।

चैतन्या प्रेम को छोड़ रिवरफ़्रंट के किनारे चलते चलते आँखों से दूर हो गई।

प्रेम की सिगरेट अभी भी जल रही थी।

अनजान शहर में चैतन्या को कुछ हो न जाए

प्रेम को फ़िक्र होने लगी।

कुछ देर बाद चैतन्या दिखी। जो रास्ता नीचे को उतरता हैं उस दीवार पर हाथों पे सर रख के वो रोये जा रही थी।

चैतन्या - जाओ यहाँ से , मैं आ जाऊँगी। नहीं जाना तुम्हारे साथ।

प्रेम - एक बार आपको आपकी जगह ड्राप कर दु फिर अभी निकल जाऊँगा।

चैतन्या - जाना हैं तो जाओ बस रात को नहीं जाना। सुबह चले जाना। मैं चली जाऊँगी ख़ुद से।

प्रेम - मेरे साथ नहीं जाना। तो उसको बुला लो। अकेला रहम ठीक नहीं यहाँ अनजान शहर हैं।

और आया भी तो इधर रात को ही था ना। तो चला जाऊँगा। सुबह तक रुका नहीं जा सकेगा मुझसे।

चैतन्या- क्या कर रहे हो प्रेम। ऐसी क्या गलती हो गई मुझसे। तुम्हारा दिल दुखाया हैं तो माफ़ करदो।

प्रेम - आओ बैठ के बात करते हैं।

दोनों नीचे उतर कर नदी किनारे बैठ जाते हैं।

प्रेम - देखो ऐसा नहीं हैं कि ट्रस्ट नहीं करता। कुछ ग़लत करना होगा तुम्हें तो कहाँ तक रोक पाऊँगा तुम्हें।

गलती भी कोई नहीं तुम्हारी। जीवन हैं। कोई तुम्हें अच्छा लगता हैं तो इसमें बुराई क्या हैं ? तुम्हें हक़ हैं जीवन जीने का। मैं तो वैसे भी।

चैतन्या- वो ऐसा करते तो छोड़ देते क्या उन्हें। फेरे नहीं लिये समाज के सामने तो क्या निभाओगे नहीं।

गलती हुई मुझसे कुछ तो ग़ुस्सा करो। छोड़ के जाने की बाद मत करो।

प्रेम - मैं नीचे खड़ा हूँ और मेरा समय किसी और को दे रही हो तो वो ज़्यादा इंपोर्टेंट होगा।

मैं कनेक्ट नहीं फील कर पा रहा चैतन्या आज मुझे तुम्हारे अलावा चीज़ें दिख रही हैं। रोज़ नहीं दिखती मुझे।

चैतन्या रोने लगती हैं।

प्रेम - मैं नहीं रोऊँगा चैतन्या। मैं प्यार में रोता हूँ। रिश्ते ख़त्म होने पर नहीं। मैं ठीक हूँ। इतना था शायद अपना साथ। तुम सही हो। कोइ ग़लती नहीं तुम्हारी। नेचुरल हैं। होता है।

चैतन्या - ऐसा कुछ नहीं हैं प्रेम। आज के बाद उससे कभी बाद नहीं करूँगी।

प्रेम - नहीं ऐसा मत करना। मेरी हार में डिसाइड करूँगा।

चैतन्या - हाँ , सब तुम डिसाइड कर लो। मेरा हक़ ही क्या हैं।

कनेक्ट नहीं हो रहा तो हो जाएगा। थोड़ा समय दो मुझे। मैंने तुमसे शादी की हैं। प्यार किया हैं। ऐसा कुछ भी नहीं हैं। मत जाओं प्लीज़

प्रेम - ठीक हैं नहीं जाऊँगा। तुम्हारे साथ ही वापस जाऊँगा। लेकिन तब तक तुमसे मिलूँगा नहीं।

चैतन्या गले लग के रो पड़ती हैं।

चैतन्या - कोई कितना भी प्यार कर लें कुछ तो अधूरा रह ही जाता हैं। मेरी तरफ़ से ही कुछ कमी रह गई होगी। अगर मेरा प्यार सच्चा होगा तो सब पहले जैसा हो जाएगा।

प्रेम भी उसे बाहों में भर लेता हैं।

दोनों शांत हो सिगरेट पीने लगते हैं।

चैतन्या प्रेम का हाथ पकड़ के बैठीं रहती हैं।

कुछ कलीग भी रिवरफ़्रंट पे घूमने आये हुवे होते हैं। चैतन्या उनके सामने प्रेम को किस्स कर लेती हैं।

मुझे इन सबसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता प्रेम। बस लड़की हूँ। लोग आवारा समझेंगे। बस इतनी सी बात हैं। तुम्हीं सबकुछ हो मेरे।

कुछ देर कार में घूमने के बाद दोनों अपने फेवरेट रेस्ट्राउंट जाते हैं।

वापस आने पर प्रेम और चैतन्या एक दूसरे समाहित हो जाते हैं।

चैतन्या को जैसे बारिश ने पूरा गीला कर दिया हो। तृप्त होने के बाद वो प्रेम से लिपट के सो जाती हैं।

सुबह भी रात सा ही प्यार चैतन्या ने महसूस किया।

चाय पिलाने के बाद मुस्कुराते चेहरे के साथ प्रेम उसे ड्राप करके आ जाता हैं।

चैतन्या- जब हम ग़ुस्से में होते हैं तो ग़ुस्सा इतना बढ़ा लेते है की हम सब भूल जातें है की वो प्यार कितना था।

हम उसकी ग़लतियाँ और प्यार को तराज़ू में तोल के नहीं देखते। सब ख़त्म कर देना चाहते हैं और केयर करना भूल जाते हैं।

स्त्री को हमेशा ही अग्नि परीक्षा देनी पड़ी हैं।

आज चैतन्या को भी।

आज चैतन्या सेशन के बाद सीधा ही प्रेम के पास आ गई।

दोनों रिवरफ़्रंट पर नीचे उतर कर बैठ गये।

आज चैतन्या ने सूट पहना था।

प्रेम के मन में चैतन्या की वो छवि हमेशा रहती हैं जब सूट में वो अपने शहर में चाय sutta बार में बैठे थे।

चैतन्या के चेहरे पर पड़ती रोशनी और खुले बालों में एक तरफ़ लगी क्लिप।

उसकी आँखों में पड़ती रोशनी और नाक नक़्श वो छवि प्रेम ने पी ली थी।

आज भी वो सूट पहने थी और रोशनी में वोट दूध से नहायी परी सी लग रही थी।

प्रेम उसमें खोया सा था।

कल की लड़ाई और नींद पूरी न होने से चैतन्या थकी सी थी।

बार बार उबासी उसे घेर लेती थी। लेकिन प्रेम के साथ उसका समय। उबासी में भी वो प्रेम को गेल लगा लेती (ओह मेरा प्यारा बच्चा… बेबी )

एक दो बार प्रेम को लगा की वो कुछ सोच रही हैं और कभी कभी डिस्कनेक्टेड हो जाती। शायद थकान ही होगी।

चैतन्या- आज ख़ाना ज़ल्दी खाले क्या ? भूख़ लग रही हैं।

हमेशा वो १०३० से पहले डिनर नहीं करते थे। कभी कभी ११ बजे भी। आज ९३० ही वो अपने हमेशा वाले रेस्ट्राउंट पे पहुँचे और डिनर किया।

चैतन्या- मैं एक बार रूम पे हो आऊँ क्या। मेरा बिहेवियर बहुत बदल गया हैं और ये घर पे पता चलता हैं। कितने दिनों से वीडियो कॉल पे तो बात ही नहीं की। जा आऊँ में।

प्रेम - हाँ आप जाओ। मैं वेट कर लूँगा।

चैतन्या की प्लेस के पास ही वो वेट कर रहा था। ४५ मिनट हो गये थे। रात के ११३० हो चुके थे।

प्रेम को अचानक से घबराहट सी हुई। उसे लगा कुछ ग़लत हो रहा हैं। चैतन्या जैसे उससे दूर जा रही हो

उसे अजीब तो लगा लेकिन क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था।

लेकिन उसमे ग़ुस्सा भी भर रहा था।

उसने अपनी गाड़ी वहाँ लगायी जिधर से चैतन्या का रूम की ग्लास साइड दिखती हैं। ब्रिज से थोड़ा सा पहले।

पर्दे लगे हुवे थे प्रेम को रूम की लाइट ऑफ़ लगी।

प्रेम को अजीब सा लगा कि ऑफ लाइट में घरवालों से वीडियो कॉल पे कैसे बात करेगी।

उसने msg किया।

मुझे घबराहट हो रही हैं चैतन्या बुरे बुरे ख़याल आ रहे हैं। प्लीज़ आ जाओ।

चैतन्या ने msg नहीं देखे।

उसने चैतन्या को कॉल लगाया।

प्रेम - रूम के कर्टेन्स हटाओ। लाइट ऑफ क्यों हैं।

चैतन्या - क्या हुआ प्रेम। लाइट ऑन है बेबी। कर्टेन की वजह से लग रहा होगा।

प्रेम - कर्टेन्स हटाओ। दूसरा भी।

लेकिन प्रेम को जैसे राहत नहीं मिली।

वो पुल के उस तरफ़। फ्रंट गेट के सामने आ गया।

उसकी घबराहट और ग़ुस्सा कम नहीं हुआ वो लिफ्ट से उसके रूम की तरफ़ मुड़ने ही वाला था की चैतन्या के रूम से उसके २ कलीग निकलते दिखायी दिये। उसमे से एक वो था जिसने चैतन्या को शादी का प्रोपोज किया था।

एक दिन पहले ही वो उसके लिये रिंग भी पसंद करने गया था।

प्रेम चाहता तो चैतन्या के रूम में भी घुस जातालेकिन सीन बहुत awkward हो जाता।

वो वापस आके अपनी कार में इंतज़ार करने लगा।

उसे लगा वो चैतन्या से बिना मिले ही अपने शहर चला जाए

दिमाग़ में ग़ुस्से ने जगह ले ली थी और शक ने भी।

कुछ सोचने के बाद उसने लिखा।

एक मिनट में नीचे नहीं आयी तो सब ख़त्म

चैतन्या घरवालों का कॉल बीच ही छोड़ प्रेम के पास चली आयी।

प्रेम बहुत ग़ुस्से में था।

चैतन्या - क्या हुआ प्रेम

प्रेम - ये दो लोग कोन थे

कोनसे लोग प्रेम

जो तुम्हारे रूम के बाहर थे।

मुझे क्या पता। मैं तो अंदर थी। आते होंगे लोग चेक करने की में रूम पे हूँ या नहीं। मुझे नहीं पता।

मेरी क़सम खाओ।

मैं क़सम वसम नहीं खाती।

मेरा शर्ट दो। अपना सामान ले लो। मैं जा रहा हूँ।

क्या कर रहे हो प्रेम

तो मेरी क़सम खाओ। की वो तुमसे मिलने नहीं आया था।

ठीक हैं। तुम्हारी क़सम प्रेम। मैं किसी से नहीं मिली।

प्रेम - मैं जा रहा हूँ। अच्छा किया तुमने। मेरी झूठी क़सम खायी हैं ना। मैं अब घर नहीं पहुँच पाऊँगा।

मैं वहीं था चैतन्या

चैतन्या- तुमने देखा?

प्रेम - हाँ, और तुमने छिपायाऔर मेरी झूठी क़सम खायी

चैतन्या- बेबी मेरा इंटेंशन वो नहीं था। कल भी झगड़ा हुआ था। तुम नाराज़ थे। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती थी। तुम पहले से परेशान थे।

वो मुझसे मिलने आए थे क्योंकि मैं यहाँ मिलती ही नहीं। आते हुवे इन्होंने देखा होगातो मिलने आ गये। ५ मिनट ही रुके थे। प्रोपोज करने आया था।

मैंने कह दिया मैं कमिटेड हूँ। और ये सब ठीक नहीं।

मैंने कहा भी कि आप मेरा इंतज़ार कर रहे हो। और आप ऊपर आ जाओगे। जाओ यहाँ से।

फिर वो चले गये।

प्रेम - ११३० दो लड़के तुम्हारे रूम में मिलने आये। लॉबी में मिलना तो पॉसिबल नहीं होगा ना।

दरवाज़ा तोड़ के घुसे होंगे। तुमने तो खोला नहीं होगा। उन्होंने तुमको फ़ोन नहीं किया। दरवाज़ा नोक किया और तुमने खोल दिया। बिना देखे की बाहर कौन हैं। किसी के लिये भी खोल देती हो क्या।

मैंने निकलते हुवे देखा था। घुसे कब होंगे मुझे नहीं पता। मैं तो डेढ़घंटे से वेट कर रहा हूँ।

चैतन्या- तुम मेरी डिसरेस्पेक्ट कर रहे हो प्रेम।

प्रेम - रात की 1130 तुम्हारे रूम में कोई हो। मैं नीचे वेट कर रहा था। लॉबी में तुम मिल नहीं सकती होगी ना

चैतन्या- मैंने इतना नहीं सोचा प्रेम। कलीग्स हैं।

प्रेम - तुमने तो अच्छे से सोचा , अच्छा टाइम मैनेज किया। मेरी झूठी क़सम खायी। कैसा प्यार चैतन्या

मैं मर जाऊँगा। तुम्हें चलेगा।

सब झूठ था। बस एंटरटेनमेंट था तुम्हारे लिए। ये नहीं तो कोई और सही या दोनों ही सही। जिधर ज़्यादा एनर्टेनमेंट उधर रस। अच्छा था। भरम तो टूटा

मेरी शर्ट ला दो। मैं निकल रहा हूँ।

चैतन्या - ठीक हैं तुम्हें ऐसा ही लगता हैं तो चले जाओ मुझे छोड़ कर।

एक बार बस थोड़ा सा रिवरफ़्रंट घुमा दो। सब कुछ कितना अच्छा था ना। कितना प्यारा हैं ना ये शहर।

प्रेम - बेकार हैं ये शहरझूठ था सब। प्यार व्यार से तो भरोसा ही उठ गया सब।

चैतन्या - ऐसा मत कहो प्रेम। मैंने सिर्फ़ तुम्हें चाहा हैं। बहुत प्यार किया हैं। वो सिर्फ़ बात करने आये थे।

मुझे छोड़ के जाना हैं जाओ। लेकिन मेरे प्यार को झूठा मत कहो।

प्रेम उसे रूम पे ले आता हैं उसका सारा समान पैक करता हैं।

प्रेम - ले जाओ ये सब और मेरा शर्ट लौटा दो।

चैतन्या- रहने दो मेरे पास। तुम्हारी आख़िरी निशानी ही सही। मुझे मारो प्रेम। हो सकता हैं , मैंने गलती की , लॉबी में मिल लेती।

प्रेम - तुम्हारा एक्स नहीं हूँ जो हिट करूँगा।

हमारा रिश्ता जब आगे बढ़ा , तुमने कहा था मेरा दिल मत तोड़ना। मैंने कहा था मुझसे कुछ छुपाना मत। क्लैरिटी रखना।

मैं नहीं रोहूँगा मैं बस प्यार में रोता हूँ।

चैतन्या चूड़ियाँ पहनती हैं जो प्रेम ने उसे मंदिर में पहनायी थी।

एक चूड़ी टूट जाती हैं।

प्रेम - तुमने झूठी क़सम खायी थी ना। भगवान का इशारा देखो। में अपने शहर नहीं पहुँच पाऊँगा

चैतन्या- मैंने तुम्हें मेरा पास्ट बताया, आज तुम मुझे सुना रहे हो। ये बहुत गंदा हैं प्रेम

चैतन्या बाक़ी बची चूड़ी को खेंच लेती हैं। उसके हाथ पे कट लग जाता हैं।

चैतन्या- मेरा प्यार सच्चा हैं तो तुम्हें कुछ नही होगा प्रेम। क़सम मैंने सिर्फ़ इसलिए खायी थी क्योंकि तुम पहले से परेशान थे।

मैंने उन्हें बताया हैं कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ। वो फिर चले गये

मैं परेशान हो रही हूँ प्रेम। मुझे घुटन हो रही हैं। मुझे बाहर ले चलो प्लीज़

रात की 2 बज चुकी थी।

प्रेम - नहीं अभी सेफ नहीं हैं।

चैतन्या- आस पास ही वाक कर लेंगे।

प्रेम - नहीं। कमरे की विंडो ओपन कर देता हैं।

चैतन्या प्यार करने की कोशिश करती हैं। प्रेम निर्जीव सा आँखें बंद करके लेट जाता हैं।

मुझे प्यार करो प्रेम। समाज की रश्मे नहीं निभायी तो क्या हमारी शादी को शादी नहीं मानते। मुझे पत्नी नहीं मानते।

प्रेम - मेरी पत्नी मेरी झूठी क़सम कभी नहीं खातीआज से तुम मेरी पत्नी नहीं। आज़ाद करता हूँ तुम्हें। जाओ जो करना हैं करो।

ग़ुस्से में चैतन्या टूटी हुई चूड़ी से अपनी कलाई काट लेती हैं। उसका हाथ खून से भर जाता हैं।

प्रेम - मैं अपनी कलाई काटूँगा तो देख नहीं पाओगी। प्रेम चूड़ी लेने की कोशिश करता हैं।

चैतन्या- नहीं नहीं प्रेम नहीं। प्लीज़

चैतन्या बेड पे बैठ कर रोने लगती हैं।

प्रेम उसके कलाई पे लगे खून को किस्स करते हुवे साफ़ कर देता हैं।

चैतन्या - ये किस हक़ से।

प्रेम - इंसानियत के हक़ से। जो करना हैं अपने रूम पे जाके करना। यहाँ नहीं।

चैतन्या- ठीक हैं मुझे मेरे रूम पर ड्राप करदो।

काफ़ी लेट हो गया हैं। सुबह ४ बजे ड्राप कर दूँगा। पेट्रोल पम्प भी बंद होंगे। गाड़ी में फ्यूल नहीं हैं। मैं भी निकल नहीं पाऊँगा।

चैतन्या - ये तो पास में ही हैं।

प्रेम - मैं अकेला रूम पे नहीं रहना चाहता। ये शहर जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहता हूँ। मुझसे कुछ हो जाएगा।

( प्रेम अपना सामान पैक करने लग जाता हैं। चैतन्या रुआंसी सी उसे देखती रहती हैं फिर वो भी कपड़े समेटने में मदद करती हैं )

चैतन्या -थोड़ी देर मेरे पास में आकर लेट जाओ। आख़िरी बार मुझे प्यार कर लेने दो।

प्रेम उसकी गोदी में सर रखता हैं और फफक के रो पड़ता हैं।

चैतन्या- रोवो मत प्रेम। मेरे लिये आँशु मत बहाओ मैं इस काबिल नहीं। भगवान मुझे इसकी सज़ा देगा। तुम्हारा दूर होना। मेरे लिये मौत से बड़ी सज़ा हैं। मैं मर जाऊँगी प्रेम

प्रेम (संभलकर) - ऐसा हैं मैडम जी। मर तो मैं भी सकता हूँ। जो तुम करोगी उसका डबल मैं करूँगा।

उसे पसंद करती हो या शादी करना चाहती हो करो। बस मुझे बता देती।

रात भर दोनों नहीं सोये। सुबह की ४३० हो गई।

चैतन्या- एक बात मानोगे। लास्ट बार। मुझे रिवर फ्रंट ले चलोगे।

प्रेम बिना कुछ बोले उसको ले चलता हैं।

सिगरेट पीते हैं दोनों।

चैतन्या - चाय पीला दो प्लीज़

इतनी सुबह चाय की दुकान के लिए प्रेम रिवर फ्रंट की पे ड्राइव करने लगता हैं।

एकदम से रो पड़ता हैं।

चैतन्या- मुझे माफ़ करदो प्रेम। मेरा इंटेंशन ग़लत नहीं था। प्रेम चैतन्या को कस के गले लगा के रो पड़ता हैं।

थोड़ी देर बाद दोनों रूम पर आते हैं।

चैतन्या- एक बात और मान लो। दो दिन बाद वैसे ही साथ नहीं होंगे। अलग होना ही हैं।

रुक जाओ ,मेरे साथ चलना

प्रेम - एक शर्त पर

चैतन्या - हाँ

प्रेम - मेरे रूम पर मत आना , मैं मिलूँगा नहीं और मुझसे अब प्यार की उम्मीद मत रखना। दो दिन उसके साथ बिताओ जिसे पसंद करती हो। जानो उसे और सही लगे तो शादी कर लेना।

चैतन्या- गाली मत दो प्रेम। मैं मैरिड हूँ। मुझे समाज में तुम्हारे नाम का सिंदूर लगाने का हक़ दो। बिना फेरे भी तुम्हारी ही हूँ।

प्रेम गुम सा सोचता रहता हैं।

मुझे चाय पिला दो प्रेम।

कुछ सोच के उसके साथ चल पड़ता हैं।

प्रेम चाय पिलाने के बाद चैतन्या के प्लेस पे ड्राप करके। बिना उसे देखे निकल जाता हैं

प्रेम के मन से पूरी तरह से वो बात नहीं निकली। उसका समय चैतन्या ने किसी और को दिया था और उसकी क़सम खायी थी।

प्यार जब बेसुमार होता हैं तो ग़ुस्सा भी।

प्रेम जानता था उसका सेशन चल रहा हैं। फिर भी वो उसे मेसेज किए जा रहा था। सारी बाते वही थी जो उसने रात में बोली थी।

चैतन्या के कलीग्स भी उसकी उदासी और थकान देख पा रहे थे। कईओं ने उसे पूछाख़ासतोर से उसने जो थोड़ा ख़ास था।

चैतन्या- दूर रहो मुझसे तुम सब पूरी रात लग गई उन्होंने मनाते हुवे कितनी मुश्किल से मनाया हैं मैंने

कलीग- ऐसा हमने क्या किया। बात ही तो करने आये थे।

चैतन्या- बकवास बंद करो। २ लोग रात को मेरे रूम से निकले…क्यों आए थे। क्या आये थे। क्या जस्टिफिकेशन दु। जब कह चुकी हूँ ऐसा कुछ नहीं हैं।

सब शादियां करवाने में लगे हैं।

उसके हाथ पे लगे कट को देख के कलीग ने पूछा।

ये कैसे।

चैतन्या - चूड़ी टूट गई थी और मैंने खींच दी थी। ये देखो चूड़ियाँ

(पिक दिखाती हैं )

ख़ास कलीग - सुंदर हैं आपकी चूड़ियाँ।

चैतन्या उसका अपनापन महसूस कर पा रही थी। वो लड़का भी सीधा और अच्छा लगता था

लेकिन प्रेम के प्यार 9999परसेंट नहीं था। डेटोल के एड की तरह। ये 200 परसेंट था।

चैतन्या ने उसे कई बार कहा भी। थोड़ा पहले मिलते तो सोचती। थोड़ा लेट आये हो। अच्छे हो। दोनों को रख लू क्या। तुम्हें चलेगा। ( और ज़ोर से हसती)

प्रेम का इरादा था वो दो दिन उससे नहीं मिलेगा

शाम होते होते उसका ग़ुस्सा ठंडा होता गया।

प्रेम ने msg किया। माफ़ कर दीजियेगाबड़ा परेशान कर दिया आपको। मैं ख़ुद को mature मानता हूँ लेकिन ये मैच्युरिटी वाली हरकत नहीं थी।

तुम किसी और को लाइक कर ही सकती हो। दोस्त तो हूँ ही ना। बहुत सुनाया ना आपको।

चैतन्या- बहुत…कोई बात नहीं प्रेम , प्यार भी तो उतना ही करते हो। हक़ हैं तुम्हारा।

मुझसे मिलोगे ना।

प्रेम - होटल के नीचे ही हूँ। वेट कर रहा हूँ।

चैतन्या - आयी प्रेम बस ५ मिनट। चेंज करलू

आज उसने सूट पहना थाखुले बालों में क्लिप।

चैतन्या- कल का दिन कितना भयानक था ना।

प्रेम - हाँ , बहुत।

चैतन्या- कोई बात नहीं अब सब ठीक हैं। आजा मेरा बाबु गले मिलती हैं। रोती हैं। अब सब ठीक हैं। मुझे छोड़ के जाने की बात मत किया करो। लड़ा करो। मारा करो। पर जाओ मत

प्रेम - अब सब ठीक हैं। आओ नदी का किनारा।

प्रेम ने भी दिन में कुछ नहीं खाया था और चैतन्या ने भी। चैतन्या ने प्रेम ke लिए उसके रूम पे बिकाजी नमकीन का पैकेट रखा था। लेकिन प्रेम ने ग़ुस्से में नहीं खाया।

दोनों ने कुछ खाने को लिया। फिर नीचे को उतरे।

चैतन्या - कल पूरी रात का जगना, पूरे दिन का सेशनवो रेलिंग पे सर रख के लेटी थी।

उसके काले घने बाल जैसे नदी को छू रहे हो। जैसे उसके बालों से ही नदी निकली हो

आसमान के चाँद और अपने चाँद की प्रेम ने फोटो ली।

चैतन्या तुम इतनी प्यारी कैसे हो।

प्रेम ग़ज़ल की कुछ लाइंस गाता हैं

( कौन सी बात हैं तुझमें ऐसी। इतने अच्छे क्यों लगते हो। )

चैतन्या आँख खोल के देखती हैं। प्रेम को गले से लगाती हैं। ( मेरा बच्चा। )

चैतन्या - भैया ने आने के बाद अच्छे से बात नहीं की। कल वीडियो कॉल किया था। भैया से बात हुई थी। वो टिकट कर रहा हैं ट्रेन से जाने की।

प्रेम - कौन सी वाली।

चैतन्या - कह रहा हैं तुम 7 बजे स्टेशन पहुँच जाना। तब मिल जाएगी। तुम्हें क्या करना हैं।

साथ नहीं जा पायेंगे प्रेम।

प्रेम - कोई बात नहीं। साथ आना ज़रूरी था। ओला उबर से ऐसे घूम सकते थे क्या ?

एक रूटीन सा बन गया हमारा। सुबह का , शाम का , रात का।

ये सब पॉसिबल नहीं होता। मैं आपको स्टेशन ड्राप कर दूँगा।

बहुत प्यारे दिन हैं ये। समय कितना जल्दी निकल रहा हैं।

बस कल का और। परसों वापस।

( प्रेम को उदासी घेर लेती हैं। आँखें नम)

चैतन्या- ये रोना धोना वापस जाके कर लेंगे। सब को डाउट तो हैं ही। आउटकम होंगे ही। अभी बस प्यार करो मुझे।

दोनों गले मिलते हैं।

(एंटरटिका नाम से वाटर बेस एक्टिविटी की प्लेस थी। लाइव म्यूजिक या म्यूजिक उधर चलता था ) उसी के आसपास वो रहते थे।

एक इधर सिक्योरिटी थी। दूसरा ऐक्टिविटीज़ भी थी।

प्रेम चैतन्या को देखे जा रहा था। पिये जा रहा था। एक गाने ने उसका साथ दिया जो जो चैतन्या को पहले से पसंद था।

( तू हैं तो मुझे फिर और क्या चाहिए। )

ड़िनर के टाइम पे कल की कुछ बाते याद करके चैतन्या ने आँशु बह निकलते।

प्रेम कंधे पे हाथ रख के और पास लाता और कहता सब ठीक हैं।

लव यू जानू।

डिनर के बाद रिवर फ्रंट गये। cigrate पी।

चैतन्या - मैने भैया का वीडियो कॉल बीच में ही काट के आ गई। रात को फिर १ बजे कॉल भी किया। उठाया नहीं मैंने। मैं ऐसी नहीं हूँ। मेरा बिहेवियर एक दम बदल गया हैं।

प्रेम - मेरा भी।

चैतन्या- भैया ने होटल की लोकेशन दोबारा माँगी हैं। आ गया तो।

प्रेम - वीडियो कॉल पे बात हुई।

नहीं अभी जाके करूँगी।

होटल जाना पड़ेगा मुझे। 1230 तक वेट कर लेना। फिर आ जाऊँगी।

आज 11 बजे ही चैतन्या को अपने होटल जाना पड़ा

उसने पर्दे हटा दिये थे। प्रेम ने गाड़ी में बैठे उसकी फोटो ली। वो बहुत सुंदर लग रही थी।

प्रेम उसकी दूरी में काफ़ी सिग्रेट पी जाया करता था।

प्रेम - आ जाओ। एक घंटा हो गया।

चैतन्या - बस आयी।

प्रेम - आते आते एक बज गई।

प्रेम के रूम पे आकर चैतन्या ने प्रेम को उतना ही प्यार किया जितनी लड़ाई हुई थी।

थक के दोनों निढाल हो सो गये।

सुबह चैतन्या जल्दी उठी। शैम्पू करना था।

चाय पीने दोनों निकल पड़े

चैतन्या- सुनो ना

प्रेम - हाँ

चैतन्या- कल सबकी ट्रेन हैं। । सब निकल जाएँगे। मैं सबके साथ कभी नहीं बैठी। आपके आते ही। मैं चली आती हूँ।

आज इवनिंग में थोड़ा टाइम उनको देदूँ

प्रेम - नहीं। मैंने पहले कहा था ना 6 से 630 वो काफ़ी बार लेट कर दिया आपने। अब नहीं।

चैतन्या- प्लीज़सबके साथ मिलूँगी। अकेले नहीं मिलूँगी।

जैसे आपने कहा लॉबी में मिलूँगी। रूम कोई खटखटायेगा तो भी लॉबी का कहूँगी। प्रॉमिस।

प्रेम - ठीक हैं - कितना टाइम ? और बियर नहीं पीनी। माँ

चैतन्या - अच्छा। ठीक हैं। आठ से दस।

प्रेम - नहीं छः से सात।

चैतन्या - सब नहीं आ पाते उस समय। लास्ट डे हैं प्रेम सब दोबारा नहीं मिलेंगे। सब बातों का ध्यान रखूँगी। अकेले नहीं मिलूँगी। लॉबी में मिलूँगी। और रूम नहीं खोलूँगी। कोई आएगा भी तो नीचे का बोल दूँगी।

कल मुझे लगा तुम्हारा इंट्यूशन कितना स्ट्रॉंग हैं। लड़के लोग हैं। बियर पीते ही होंगे। 2 जने थे। एक बोलता आप से बात करना चाहता हैं और दूसरा बाहर खड़ा रहता। होने में तो कुछ भी हो सकता हैं।

ये कलीग बड़े shy नेचर का हैं। हो सकता हैं हिम्मत जुटाने के लिए पी ली हो।

प्रेम - मैं ऐसा नहीं कह रहा की वो ग़लत होगा बट सिचुएशन कई बार बहुत कुछ करवा देती हैं। अच्छे लोगों से भी बुरे काम हो जाते हैं।

आज के बाद कर्टेन हमेशा हटा के रखना। मैं नीचे रहूँगा।

इस एंगल से मैंने सोचा ही नहीं। हो सकता हैं भगवान ने हिम्मत दी और आपके साथ आ गया। नहीं तो आप तो वैसे भी यूनिक हो।

सुबह दो दो चाय पीकर प्रेम ने चैतन्या को होटल ड्राप किया। 1

कुछ कहानियाँ , कहानियों में अच्छी लगती हैं। जीवन में उतार आये तो उनको सहन करना बड़ा मुश्किल हो जाता हैं।

आप कुछ ग़लत कर सकते हैं। ख़ुद के साथ भी और सामने वाले के साथ भी। आप बहुत परेशान होकर बीमार पड़ सकते हैं।

या टेंशन और डर से मर भी सकते हैं।

कुछ दिन बहुत बुरे होते हैं। बहुत परेशान करने वाले।

छह से आठ चैतन्या साथ रहेगी। आठ से दस कलीग्स के साथ। डिनर दोनों साथ में करेंगे। क्योंकि ये इनका लास्ट डिनर रहेगा साथ में। ऐसा डिसाइड हुआ था।

आइसक्रीम भी तो खानी थी ना। जब भी दोनों बहुत खुश होते हैं खाने के बाद आइसक्रीम ऑर्डर करते हैं। एक ही। इधर सिर्फ़ चाकलेट फ्लेवर कि आइसक्रीम मिलती हैं। वो दोनों के प्यार को और ख़ुशी को बढ़ा देती हैं।

शाम को प्रेम ने चैतन्या को पिक किया। सीधा नदी किनारे पहुँचे। बाहर गर्मी ज़्यादा थी

गाड़ी में ही बैठे रहे।

प्रेम कल टिकट की बात के बाद से ही उदास था। समय जैसे छिन रहा था।

आठ बहुत जल्दी बज गये।

चैतन्या- मुझे ड्राप करदो , आप जा रहे हो दोस्त के पास।

प्रेम - नहीं उनको इधर बुलाया हैं। कल टाइम नहीं मिलेगा। आप फ्री होते ही बता देना। मैं आ जाऊँगा

चैतन्या- आपको अब सब जानते हैं इधर। कोई फ़ैमिली फ्रेंड , कोई बॉयफ्रेंड कहता हैं। मैं लोकेशन भेज दूँगी। आप पिक कर लेना मुझे कोई लोड नहीं हैं।

प्रेम चैतन्या को ड्राप करने के बाद अकेला ही रिवरफ़्रंट आ गया। आज सैड सॉंग चल रहे थे।

प्रेम काफ़ी सिग्रेट पी चुका था। उसे चैतन्या पे बहुत प्यार आ रहा था। उसने उसे आई लव यू लिखा।

प्रेम की आँखें उदास थी। उसने घर पे बात की। उनको भी लगा। जिन दोस्तों से बात की उनको भी।

दोस्त ने आने में नो तीस कर दिये थे। चैतन्या नो पैंतालीस ही फ्री हो गई।

चैतन्या ने कहा आप आ जाना लॉबी में वेट कर लूँगी। सब इधर ही हैं और जिसके लिए आप डर रहे थे वो कलीग के फ़ैमिली मेम्बर आ गये थे वो उनसे मिलने गया हैं। आप आराम से आ जाओ।

दोस्त को विदा करते करते १०१५ हो गये। प्यारे दोस्त हैं। बाते ज़्यादा करते हैं और रिपीट भी।

प्रेम जल्दी से ड्राइव करते हुवे चैतन्या के पास पहुँचा

प्रेम - पहले डिनर करले दस बीस तो हो गये।

चैतन्या - तुम्हें भूख लगी हैं। कलीग्स ने ज़िद की तो खा लिया मैंने सॉरी। फास्टफूड ही था। हलका फुलका।

प्रेम - नहीं

चैतन्या - अच्छा तुमने लंच लेट किया था ना।

चले रिवर फ्रंट।

प्रेम थोड़ा उदास हुआ।

प्रेम - ये हमारा साथ में लास्ट डिनर था। मैजिक मसाला में।

चैतन्या - हम करेंगे साथ में थोड़ा लेट ही सही।

रिवरफ़्रंट पे सिगरेट पीने और हर दिन की जो चैतन्या बात बताती थी उसमें ही १११५ हो गये।

आज पुलिस वाले जल्दी आ गये और सबको जाने को कहा। कोई वजह होगी

डिनर के लिए निकले तो सही बट रेस्ट्राउंट बंद हो गया था।

इस बात ने प्रेम को और खिन्न कर दिया।

प्रेम - आज का दिन ही ऐसा था। कुछ भी वैसा नहीं हुआ।

भैया का क्या रहा। आ रहे हैं क्या ?

चैतन्या - नहीं। लेकिन कॉल ज़रूर करेगा। वीडियो कॉल। अभी ११३० से १२३० रूम पे रहना पड़ेगा। लास्ट १२४५ फिर आपके साथ चलूँगी।

मैं अब रूम में जाती हूँ। पर्दे हटा दूँगी। आप देखते रहना मुझे। जब जब टाइम मिलेगा बात या msg करूँगी।

नेट बंद करूँ तो msg कर देना

प्रेम - ठीक हैं।

चैतन्या - भूखे मत रहना। कुछ ले लो। १ बजे खाएँगे। आज सारी रात नहीं सोयेंगे। मैं भी खाऊँगी।

चैतन्या ने पर्दे हटा दिये और चेयर पे बैठ। घर पे बात करने लगी।

प्रेम को अहसास हुआ की सेफ़्टी सिक्योरिटी के नाम पे वो possessive हो रहा हैं। उसके मन में डाउट भी आ रहे थे। वो रूम को ध्यान से देखने लगा। जैसे उसको कोई दिख जाएगा

प्रेम को ये अच्छा नहीं लगा। जिसको जो करना होता हैं वो करेगा ही सही। ये चोकीदारी क्यों।

चैतन्या ने आज उसे ब्लैकशर्ट पहनने को बोला था। चैतन्या को प्रेम ब्लैकशर्ट में बहुत प्यारा लगता है वो उसे ऐसे देखती हैं जैसे मर ही जाये। वो अपने रूम की तरफ़ चला गया।

चैतन्या का msg आया।

चैतन्या - सुनो ?

प्रेम - हाँ

चैतन्या ने एक स्नैपशॉट शेयर किया।

जिसमे उसके ख़ास कलीग का msg था।

सब नीचे हैं लॉबी में आ जाओ।

चैतन्या- जाऊँ क्या ?

प्रेम - जाओ लेकिन अकेले में मत मिलना और रूम की तरफ़ आये तो गेट मत खोलना।

कुछ सोच के प्रेम ने कहा - अकेला भी मिलना हो तो मिल लेना बस मुझे बता देना।

दिन में चैतन्या ने कहा था - आप मुझसे रीति रिवाज से शादी नहीं कर पायेंगे। अपने फ़ैमिली के लिये इसके लिये सोचू क्या ?

स्कूल में भी मेरे पीछे पीछे ऐसे कोई नहीं घुमा। और वो भी रिस्पेक्ट के साथ। कभी ज़्यादा बोल दिया तो फिर पूरे दिन बात नहीं करता

किसी से ही करनी हैं तो फिर उससे क्यों नहीं जो मुझे पसंद करता हैं। खुश तो रखेगा

प्रेम - हाँ ठीक हैं। लेकिन शादी से पहले ख़ुद को सोंप न देना। हम नहीं जानते कौन कैसा हैं। दिल्ली का हैं।

चैतन्या - हाँ ध्यान रखूँगी।

चैतन्या की चार्जिंग केबल प्रेम की कार में ही थी। और बैटरी कम।

प्रेम ने वापस आने का कहा लेकिन चैतन्या ने कहा। मैनेज हो जाएगा।

उसने चैतन्या को कहा। जब आप फ्री हो जाओ। बता देना। मैं रूम पे हूँ

रेस्ट्राउंट बंद हो गये थे तो स्विग्गी पे ऑर्डर किया। ख़ाना आने में लेट हो गया। तब तक प्रेम चेंज करके नीचे ही वेट कर रहा था।

ख़ाना लेने के बाद सीधा चैतन्या की होटल पहुँचा१२३० हो गये थे।

चैतन्या के रूम के पर्दे लगे हुवे थे। प्रेम को सही नहीं लगा।

वो लॉबी की तरफ़ गया तो उधर कोई नहीं था।

प्रेम ने चैतन्या को msg किया उसने पढ़ा नहीं।

१५ मिनट हो गये। प्रेम ने msg किया। आप सेफ हो ना। ऊपर आऊँ। कोई जवाब नहीं।

प्रेम ने फ़ोन किया। प्रेम और चैतन्या सिर्फ़ व्हाट्सएप कॉल पे ही बात किया करते थे। उसके भैया उसका फ़ोन चेक करते थे और कॉल डिटेल्स भी निकाल लेते थे। इसलिए यही सेफ लगा।

सीधा नंबर पे कॉल चैतन्या समझती थी। उसने फिर भी उठाया और कहा आती हूँ।

उस आने में 15 मिनट और लगे।

प्रेम ने उसी ख़ास कलीग को उसके रूम से बाहर आते देखा। और थोड़ी देर बाद चैतन्या को।

कल सब बात हुई थी। फिर ऐसा क्यों ?

चैतन्या कार में आके बैठी और प्रेम का पहला सवाल था।

प्रेम - तुम बताओगी या मैं बताऊँ

चैतन्या की आँखें जैसे कुछ छुपा रही थी।

चैतन्या - तुम बताओ।

प्रेम - (चिल्ला के ) कार से नीचे उतरो

चैतन्या - नहीं उतरूँगी

हमारा लास्ट डे था आज। तुम्हारे कमरे में था वो।

चैतन्या- वो बस चार्जर देने आया था।

प्रेम - आधे घंटे तक ?

चैतन्या- नहीं 5 मिनट मैक्स 10

प्रेम - मैं आधे घंटे से नीचे खड़ा हूँ। तुम लॉबी में नहीं थी। वो बाद में तुम्हारे रूम से निकला। सब देख हैं मैंने।

चैतन्या- प्रेम मेरी बात सुनो।

प्रेम - फ़ोन लगा उसको।

चैतन्या- प्रेम यहाँ से चलो। ऑफ़िस हैं मेरा।

प्रेम - फ़ोन लगा उसको।

चैतन्या ने फ़ोन लगाया

प्रेम ने हेलो कहा बट सामने से कोई नहीं बोला।

प्रेम - मादर… मेरे वाइफ के कमरे में कैसे गया। होटल के गेट पे खड़ा हूँ। नीचे आ

सामने से फ़ोन कट हो गया।

प्रेम - वापस लगा।

चैतन्या- प्रेम मेरा ऑफिस है। क्या कर रहे हो। लगा तो दिया। नहीं उठा रहा

प्रेम - बार बार लगा। सुबह तक। या उसके दोस्त को।

चैतन्या- इधर से चलो प्रेम। होटल के आगे खड़े हैं। सारे कलीग हैं। ऑफिस तक बात जाएगी।

प्रेम - मैं गेट तोड़ दूँगा। जब में जा रहा था। जाने क्यों नहीं दिया था। नीचे उतर मैं अभी निकल रहा हूँ।

चैतन्या- नहीं जाने दूँगी। ऐसे तो नहीं प्रेम। मैंने कुछ नहीं किया।

प्रेम - मुझे क्या पता। मैं रूम के अंदर नहीं था।

चैतन्या- ( ज़ोर से रोते हुवे ) बहुत गंदा बोल रहे हो प्रेम। हमारे प्यार का क्या।

प्रेम - नीचे उतर। नहीं गेट तोड़ दूँगा होटल का।

( फाइव स्तर होटल थी ये। बड़ा सा गेट जो १२ बजे बाद लगा दिया जाता हैं )

चैतन्या - नहीं जाऊँगी। मैंने कुछ नहीं किया प्रेम

प्रेम गाड़ी घुमाता हैं। स्पीड में मेन गेट पे ब्रेक लगा के ज़ोर से लगातार हॉर्न बजाता हैं।

चैतन्या- ओह शिट

सिक्योरीटी बाहर आ जाती हैं।

प्रेम गाड़ी के ग्लास नीचे करता हैं और चैतन्या को कहता हैं।

प्रेम - नीचे उतर।

चैतन्या- हाँ जा रही हूँ।

चैतन्या नीचे उतर जाती हैं। प्रेम गाड़ी ज़ोर से अपने रूम की तरफ़ घुमा देता हैं।

प्रेम अपने रूम पे जाके जल्दी सामान पैक करता हैं।

चैतन्या के कुछ ही कपड़े होते हैं। रखने का कोई बैग नहीं मिलता तो बिकाजी की नमकीन का पैकेट ख़ाली करके उसकी पार्टी ड्रेस और बिलांगिंग उसमे रख देता हैं।

प्रेम - मैं चेकआउट कर रहा हूँ। आप चेक कर लीजिए।

इधर चैतन्या उसे 40 से ज़्यादा फ़ोन कर चुकी थी। बहुत सारे msg भी।

प्रेम ने जानबूझ के फ़ोन नहीं उठाया था। वो ग़ुस्से में था। लेकिन निकलने से पहले उसने व्हाट्सएप देखा।

चैतन्या होटल नहीं गई। प्रेम के कार के पीछे पीछे भागती हुई किसी ग़लत रास्ते में चली गई। उसने नाइटड्रेस ही पहनी थी। वो रोये जा रही थी और प्रेम को फ़ोन किए जा रही थी।

उसमें उसने लाइव लोकेशन भेजी थी। उसमें लिखा था। मैं ख़तरे में हूँ प्रेम। बहुत डर लग रहा हैं। कुछ ग़लत हो जाएगा मेरे साथ। plz आ जाओ।

प्रेम ने गाड़ी लाइव लोकेशन पे भगायी लेकिन वो उधर नहीं थी। कॉल किया तो फ़ोन किसी ने काट दिया।

डर से प्रेम काँप गया।

चैतन्या ने कुछ फ़ोटोज़ भी शेयर की थी।

प्रेम पुलिस को फ़ोन करने वाला था तभी दोबारा एक बार चैतन्या को कॉल लगाया।

प्रेम - किधर हो

चैतन्या- हमारी होटल के बाहर

प्रेम एक मिनट में ही पहुँच गया

प्रेम - अंदर बैठो

प्रेम की मन: स्तथी भी ठीक न थी। उसने इतनी तेज़ से गाड़ी घुमाई की पीछे कोई मरता मरता बचा।


ऐसा ही प्रेम ने एक बार और किया था जब चैतन्या का एक्स उनकी गाड़ी के सामने आके खड़ा हो गया। प्रेम भारी भीड़ में गाड़ी उस पर चढा दी। वो बोनट पर अटक गया। काफ़ी देर उसे बोनट पर बैठा के ही ले गया। फिर ब्रेक दिया तो वो नीचे गिरा।


प्रेम अक्सर कहता था , चैतन्या तुम मेरी शक्ति हो।

ये प्रेम का नया रूप था जो चैतन्या से मिलने के बाद उभरा


चैतन्या - तुमने चेकआउट क्यों किया प्रेम। ऐसे मत जाओ। मेरी दिमाग़ी स्टेट ठीक नहीं हैं। मेरे साथ छेड़खानी हुई प्रेम।

एक फ़ैमिली उसी वक़्त आयी और मुझे यहाँ ड्राप किया।

प्रेम - (चिल्ला के ) क्यों आयी थी पीछे। जब होटल के गेट पे छोड़ा था। मुझे क्या पता मेरे पीछे भाग रही हो। क्यों फ़ोन उठाऊँगा तुम्हारा

चैतन्या - मैं मर जाऊँगी प्रेम। मत जाओ मुझे छोड़ के।

प्रेम वापस उसे उसके होटल के गेट के पास लेके जाता हैं।

प्रेम - नीचे उतर।

चैतन्या- प्रेम मैं अपनी मम्मी को बहुत मानती हूँ। तुम ये जानते हो। मम्मी की क़सम मैंने कुछ नहीं किया उसके साथ, वो बस चार्जर देने आया था। बात करना चाह रहा था।

प्रेम - रूम में ज़बरदस्ती तो नहीं आया ना। तुमने दरवाज़ा खोला था। कल ही मैंने समझाया था। नीचे उतर

चैतन्या- मैं मर जाऊँगी प्रेम।

प्रेम - मैं होटल जगा दूँगा।

चैतन्या- मेरी जॉब हैं प्रेम।

प्रेम - मेरा परिवार , मेरी ज़िंदगी दांव पे लगायी हैं मैंने।

मैं शांति से जाना चाहता था। सीन तुमने क्रिएट किया।

चैतन्या- फिर से सीन बहुत गंदा बोलते हो प्रेम। मैं मर जाऊँगी

चिल्लाते चिल्लाते चैतन्या की आवाज़ बैठ गई थी। वो बोल नहीं पा रही थी।

प्रेम को पता था ये जान दे देगी।

प्रेम - होटल जाना हैं।

चैतन्या - नहीं जाऊँगी।

प्रेम - स्योर

चैतन्या - हाँ…

(रोते हुवे प्रेम की गौदी में बैठ जाती हैं। कस के सीने से लगाती हैं। प्रेम अपने आँसु सम्भालता हैं और उसे फ़ोर्स लगा उसे हटा देता )

प्रेम - मैं तुम्हें तुम्हारे घर लेकर जा रहा हूँ। भैया के नंबर दो।

चैतन्या - क्या कर रहे हो प्रेम। मैं मर जाऊँगी

प्रेम - हाँ हमारे बारे में पता लग जाएगा। जो सज़ा देंगे भुगत लूँगा। लेकिन तुम मर गई तो सब मेरे ऊपर आएगा। मेरा परिवार तुम्हारी वजह से मुसीबत में आ जाएगा

चैतन्या - प्रेम में मर जाऊँगी तो भी कभी तुम्हारा नाम नहीं आएगा। मुझे माफ़ करदो।

प्रेम - मैंने पूछा था। पहले तुम बताओगी या मैं तुमने चलाया हैं मुझे। मैं तो उससे तुम्हारी शादी के लिये भी ख़ुद ने कहा।

एक ही चीज़ माँगी थी तुमसे मैंने। क्लैरिटी।

गाड़ी फुल स्पीड से शहर छोड़ के हाईवे पे चली जा रही थी।

रात के ३ बजे शहर डरावना लग रहा था। हर ब्रिज पे पुलिस गाड़ियाँ रुकवा के चेक कर रही थी। प्रेम की कार दोढ़े जा रही थी। उन्हें किसी ने नहीं रोका। चैतन्या का रोके बुरा हाल था।

प्रेम - अमरदीप को कॉल लगाओ ( चैतन्या का कलीग ) या उसको। तुम्हारा सामान वो ले आयेंगे। भैया के नंबर दो।

चैतन्या - (दहाड़े मार के रोती हैं) मैंने कुछ ग़लत नहीं किया।

प्रेम - तुम नहीं दे रही भैया के नंबर तो तुम्हारे एक्स के पास होंगे ना ( उसको कॉल करता हैं )

चैतन्या फ़ोन छीनने की कोशिश करती हैं। प्रेम दो बार कॉल करता हैं। कोई कॉल नहीं उठाता

प्रेम - मुझे बच्चा नहीं चाहिए। अगर हुआ तो उसे अपना नहीं मानूँगा आज मुझे एहसास हुआ मुझे इतना अच्छा परिवार मिला लेकिन मैं…

चैतन्या की चीख़ निकल पड़ती हैं। वो ज़ोर ज़ोर से प्रेम को ४,५ थपड़ मारती हैं। प्रेम सब सहन करता हैं लेकिन वापस नहीं मारता।

चैतन्या- क्या कहा तुमने गाली दी हैं मुझे।

मैंने ग़लत आदमी से प्यार किया। उसने कहा था ये तुम्हें सम्मान नहीं दे पाएगा। कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें इसके साथ। तुम सिर्फ़ मेरे लिए नहीं लड़े थे। तुम्हारा नाम उसमें इन्वॉल्व था। तुम लायक़ ही नहीं हो। ऐसा क्या मिलता हैं तुमसे जो औरो से मुझे नहीं मिल सकता।

चैतन्या बेहोश सी होने लगती हैं।

चैतन्या- लगाओ मेरे भैया को फ़ोन और तुम्हारे घर पर भी। अगर मेरा चक्कर ही होता तो तुम्हें रोकती क्या ? दिन में भी तो टाइम होता हैं मेरे पास। मुझे गाली दी तुमनेकितना गंदा बोल तुमनेहमारा बच्चाहमारा बेबी

बोलते बोलते चैतन्या बेसुध सी हो जाती हैं। जैसे गहरी नींद और थकान गार्डन एक तरफ़ लटकी हुई। हल्की सी सुध में आने पर रोने लगती हैं

प्रेम लगभग १०० किमी चला चुका था। वो उसकी तबियत का सोचने लगता हैं और ख़ुद को शांत करता हैं। सही तो कह रही हैं चैतन्यामेरे घर पर मैं कॉल करूँगा क्या ?

प्रेम सीट रिक्लाइन करता हैं। चैतन्या बेसुध सी पड़ी रहती हैं।

कुछ देर बाद

चैतन्या- ठीक हैं प्रेम जाओ तुम। अगर जाना ही हैं। तुम्हें शायद मैंने बताया था। मेरे पिताजी कमाते नहीं हैं। जॉब मेरे लिये इंपोर्टेंट हैं। मुझे होटल छोड़ दो। सुबह होने वाली हैं।

प्रेम बिना इनकार किया गाड़ी घुमा लेता हैं।

पानी पिलाता हैं चैतन्या को। ना करते करते पी लेती हैं। रोने लगती हैं तो गले लगता हैं।

प्रेम - रोवो मत। मैं अब ठीक हूँ। तुम ख़ुद को हाइड्रेट रखो नहीं तो बीमार पड़ जाओगी।

वापस पहुँचते पहुँचते 630 हो जाती हैं। सुबह हो जाती हैं।

प्रेम चैतन्या को उठाता हैं।

प्रेम - होटल आ गया तुम्हारा, उतरो।

चैतन्या - नहीं जाऊँगी।

प्रेम - अब तुम फिर से सीन क्रिएट कर रही हो।

चैतन्या- चली जाऊँगी थोड़ी देर मैं चाय पिला दो प्रेम।

इधर तो मत रोको सब कलीग होंगे।

प्रेम पुल के नींचे गाड़ी लगा देता हैं। सीट रिक्लाइन करके सो जाता हैं , चैतन्या भी ऐसा ही करती हैं। प्रेम को देखती रहती हैं , उसके सिर पर हाथ फेरती रहती हैं और रोती रहती हैं।

प्रेम - ये शहर रात में सेफ नहीं हैं , कितनी पुलिस थी , कितने बैरिकेड , रात को तुम्हें कुछ हो जाता तो। ( प्रेम सिहर जाता हैं। ) तुम होटल जाओ चैतन्याचैतन्या— शशश… सब ठीक हैं प्रेम। मुझे चाय पिला दो।

प्रेम बिना कुछ बोले चाय की दुकान पर लेके जाता हैं।

चाय के बाद प्रेम शांति से उसे समझाता हैं

प्रेम - मुझे माफ़ करदो चैतन्यामैं तुम्हारे प्यार के लायक़ नहीं। तुम्हें बहुत दुख दिया।

अपने मन को समझो। तुमने हमारा समय निकाल कर दो दिन और खासतोर से हमारा लास्ट डे , लास्ट डिनर का टाइम उसे दिया जबकि मैं नीचे खड़ा था।

तुम उसको लाइक करती हो। बात करो उससेमैं possessive हो गया था। शायद ईगो इशूज़ भी। वो अच्छा इंसान हैं

तुम जाओ। और मुझे अब घर जाने दो।

चैतन्या- ऐसा कुछ नहीं हैं प्रेम। मैं तुमसे प्यार करती हूँसभी अच्छे इंसानों से शादी करलू क्या ?

प्रेम - अपने मन को समझो चैतन्या ख़ुद को धोका मत दो। मैं ख़ुद को संभल लूँगा। 7 बज गई हैं। थोड़ा रेस्ट कर लो। नो बजे से सेशन है ना।

चैतन्या- चली जाऊँगी। रिवरफ़्रंट ले चलो।

सिगरेट के बाद चैतन्या किस्स करती हैं। गले लगती हैं।

चैतन्या - मुझे तुम्हारा प्यार फील नहीं हो रहा। क्या तुम कभी मुझसे बात नहीं करोगे। मुझे ऐसे छोड़ के जाओगे जाओ तो आराम से जाओ प्रेम।

प्रेम - नहीं मैं बात करूँगा एक कलीग और एक दोस्त की तरह। हमेशा तो नहीं। पहले जितना नहीं। लेकिन जब जब मैं स्टेबल रहूँगा। प्यार लाते हैं तो बहुत सी तकलीफ़े होने लग जाती हैं।

चैतन्या- रुक जाओ प्रेम।

प्रेम- देखो आप होटल जाओ। मैं पूरी रात से गाड़ी चला रहा हूँ। मुझे डर लग रहा हैं। रात को तुम्हें कुछ हो जाता तो। इस शहर से डर लगता हैं। सेफ नहीं गईं ये शहरतुम मुझे जाने नहीं दे रही। मुझे नींद आ रही हैं। बहुत दूर जाना हैं मुझे।

चैतन्या - मुझे सिर्फ़ तुम्हारा प्यार चाहिए प्रेम। मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ रुक जाओ। अगर मेरे प्यार में सच्चाई हैं तो तुम मुझे ड्राप करने चलोगे रेलवे स्टेशन।

प्रेम - मैं नहीं आऊँगा। अभी निकल जाऊँगा।

चैतन्या- मैं इंतज़ार करूँगा।

प्रेम - मैं नहीं आऊँगा

नो बज जाती हैं। प्रेम उसे होटल ड्राप करता हैं।

चैतन्या- मैं इंतज़ार करूँगी।

प्रेम चैतन्या के उतरते ही निकल जाता हैं। अपनी लाइव लोकेशन शेयर करता हैं। ताकि चैतन्या कोई उम्मीद न रखें

चैतन्या msg करती हैं। शाम को नहीं आये तो मेरा मरा मुँह देखोगे

प्रेम सोचने लगता हैं और चैतन्या को फ़ोन करता हैं।

प्रेम - आप मुझे मरने की धमकी देकर ब्लैकमेल कर रहे हो।

चैतन्या- सुसाइड का नहीं कह रही हूँ। वैसे ही जीते जी मार जाऊँगी प्रेम।

ऐसे लड़कर मत जाओ प्रेम। लंबा सफ़र हैं।

प्रेम - एक शर्त हैं मैं आ जाऊँगालेकिन वापस जाने के बाद सारे रिलेशन ख़त्म कोई बात नहीं। किसी प्रकार का रिश्ता नहीं।

चैतन्या- मुझे तुम पूरे चाहिये हो प्रेम। वैसे तो तुम्हें चले जाना चाहिये रात को अकेला ड्राइव करोगे। फिर भी चाहती हूँ तुम रुक जाओ। लेकिन जाना हैं तो जाओ। आराम से जाना।

प्रेम गाड़ी चलाए जा रहा था। रात की तरह ही फिर १०० किमी गाड़ी चला ले गया उसकी गाड़ी आगेव बढ़ रही थी और मन पीछे। एक जगह गाड़ी रोकी। और चैतन्या को msg किया।

प्रेम - वापस आ रहा हूँ। ( गाड़ी घुमा लेता हैं )

चैतन्या- thankyou जान। लव यू बेबी।

आज चैतन्या ने पहली बार काफ़ी लेट से सेशन जॉइन किया। आधों को बातों की ख़बर हो गई थी। आधों के पास अधूरी जानकारियाँ थीं

ये इश्क़ गुमनाम न था।

ये सर चढ़ कर बोला।

सिर्फ यहां नहीं पहले भी जब वो साथ काम किया करते थे।

किसी दीवाने ने दोनों के शादी के कार्ड बना इतने बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस में लगा दिये थे।

सब जानते थे और सब ख़ामोश भी। प्रेम ने हर बार दो गुना तरीक़े से रिएक्शन दिया और चैतन्या हमेशा साथ खड़ी रही।

प्रेम वापस लौटा तो थक चुका था। पुराने होटल में जाना ठीक नहीं लगा। उसने चैतन्या से १०० मीटर दूर ही होटल ले ली।

फ्रेश न अप होने के बाद सोने की कोशिश की पर नींद न आयी।

प्रेम ने ज़बरदस्ती ख़ाना खाया ताकि बीमार न पड़े।

चैतन्या सेशन में समय मिलने पर msg करती या बात करती।

प्रेम ने उसे हाइड्रेट रहने को कहा।

लंच में प्रेम से मिलने आ गई।

दोनों गाड़ी में बैठ कर बात कर रहे थे। दोपहर में धूप भी ज़्यादा थी।

प्रेम - लंच करके आती। बीमार पड़ जाओगी। जूस पी लो

प्रेम ने जूस पिलाया

चैतन्या- थैंक्यू प्रेम। ये तुम्हारा प्यार हैं कि तुम लौट के आये। इतना प्यार मुझे किसी से नहीं मिला शाम छह से १ बजे तक साथ रहते और रूम पे ले जा के फिर प्यार करते। ऐसी बात दिमाग़ में आने के बाद कोई नहीं आता। तुम लौट आये।

प्रेम - हम सिर्फ़ दोस्त बन के नहीं रह सकते क्या ?

चैतन्या फिर से रो पड़ती हैं। प्रेम गले से लगाता हैं। शांत हो जाओ। अपने शहर चल के बात करेंगे।

चैतन्या - वापस जाके छोड़ दोगे ना मुझे।

प्रेम - नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा। बस हमारी इंटेंसिटी बहुत स्ट्रॉंग हैं और बहुत हद तक हम एक जैसे हैं। थोड़ा शांत होना होगासिर्फ़ दोस्ती होगी तो ठीक रहेगा

चैतन्या- क़ोशिश कर लो। देखते हैं। दोनों गले मिलते हैं।

प्रेम - मैं शर्मिंदा हूँ। कल क्या किया। कुछ भी हो सकता था तुम्हें। क्या मुँह दिखाता।

सुबह ही प्रेम ने फ़ोन पे जिनसे बात की थी उनसे माफ़ी माँग ली। और जिन्होंने कॉल नहीं उठाया। उनको गलती से लग गया हैं। ऐसा msg कर दिया।

शांत हो चैतन्या वापस सेशन में गई।

प्रेम ने सोने की कोशिश की लेकिन असफल रहा।

सेशन ५३० फिनिश हो गया थाचैतन्या प्रेम के पास चली आयी।

दोनों ने प्यार किया। प्रेम का प्यार फिर से लौट आया। चैतन्या ने महसूस किया। रोष के कुछ भाव अभी भी प्रेम में थे। लेकिन वो शांत था।

आठ बजे चैतन्या की ट्रेन थी। साथ बजे निकलना था। आसर्वा स्टेशन दूर था और रास्ते में भीड़ भाड़

छः बजे वो अपने फेवरेट रेस्टोरेंट मैजिक मसाला गये। इस टाइम स्नैक्स ही ऑर्डर कर सकते थे।

उसके साथ उन्होंने आइसक्रीम ऑर्डर की।

दोनों का ये साथ में डिनर ही था। दोनों खुश थे। जाते वक़्त १० मिनट रिवरफ़्रंट पे रुके। चैतन्या सब जगह बता रही थी। देखो हम इधर बैठे थे। उस दिन यहांवो और रुकना चाहती थी। प्रेम उसे पकड़ के ले गया

उस दिन प्रेम ने ध्यान से इस नदी को नहीं देखा पानी उसके गालों पे बहे जा रहा था।

रास्ते में चैतन्या जीपीएस से रस्ता बता रही थी और थकान की वजह से सो जाती।

पिछले २,३ दिन नींद के हिसाब से अच्छे नहीं थे। कभी लड़ाई की वजह से दोनों नहीं सो पाए तो कभी प्यार की वजह से।

बहुत जगाने पर भी वो सोए जा रही थी। ऐसी ही हालत प्रेम की थी और प्रेम को 700 किलोमीटर गाड़ी चलानी थी।

क्योंकि भैया वीडियो कॉल करेंगे। उसे ट्रेन में रहना था। लेकिन 930 पे वो उतर सकती थी। ये कहकर की अब वो सो रही हैं।

प्रेम ने उसे स्टेशन ड्राप किया। ट्रेन में बिठायादोनों गले मिले

प्रेम- अलार्म भर के सो जाओ हिम्मत नगर में मिलते हैं।

दोनों गले मिले। प्रेम ट्रेन से उतरने वाला था , चैतन्या दोढ़ के आयी और प्रेम को गले से लगाया।

ये कार की ट्रेन से दूसरी रेस थी।

जाते वक़्त भी उनकी नींद पूरी नहीं हुई थी। चैतन्या के एक्स ने प्रेम के फ़ैमिली को बताने की कोशिश की थी उनके बारे में वो रात वो दोनों नहीं सोये थे अपनी अपनी जगहों पर।

सुबह प्रेम ने ऑफिस में हंगामा किया, कल्प्रिट को सज़ा दिलाने की कोशिश की। चैतन्या ने प्रेम का पूरा साथ दिया।

और उसी शाम 700 किलोमीटर की लौंग ड्राइव पे निकल गये थे और सुबह ट्रेन के समय से स्टेशन पहुँचना था और वो पहुँच गये थे। वो बात अलग थी की भैया को शक था। उन्होंने काफ़ी कॉल किए। चैतन्या का फ़ोन स्विच ऑफ था। आख़िर रेलवे पुलिस को कंप्लेन कर दी गई।

लेकिन उस समय चैतन्या साथ थी। आज प्रेम अकेला था।

डेढ़ घंटे का हिम्मतनगर का रास्ता प्रेम ने लगभग सही समय में तय कर लिया जबकि हाईवे पे काम चल रहा था रास्ता स्मूथ न था। प्रेम हिम्मतनगर स्टेशन पहुँचा लेकिन चैतन्या इतनी थकी थी की वो सो गईस्टेशन आया तब वो बेसुध थी

प्रेम ने फ़ोन किए लेकिन वो नहीं उठा पायी।

एक समस्या और थी चैतन्या का लगेज प्रेम की गाड़ी के डिक्की में था। स्टेशन के अंदर जाने और बाहर आने में आधा घंटा एक्स्ट्रा लग गया था। अब ट्रेन को पकड़ना मुश्किल था।

नेटवर्क इशू की वजह से चैतन्या से ठीक तरीक़े से बात नहीं हो पा रही थी।

खिन्न मन से प्रेम गाड़ी चला रहा था।

नेटवर्क आने पर चैतन्या किसी भी स्टेशन पर उतरने को तैयार थी।

प्रेम ने समझाया कि हर स्टेशन हाईवे पे नहीं आताकुछ छोटे छोटे गाँव के स्टेशन भी हैं। उधर उतरना ठीक नहीं।

डूंगरपुर तय हुआ लेकिन प्रेम पहुँच नहीं सकता था।

फाइनल उदयपुर हुआ। १२३० ट्रेन के पहुँचने का टाइम था। आठ से बारा तीस। साढ़े चार घंटे प्रेम को अधूरी नींद के साथ गाड़ी चलानी थी।

कभी सिगरेट कभी पानी के छींटे का सहारा ले प्रेम कि गाड़ी उड़े जा रही थी।

चैतन्या को जब भी नेटवर्क मिलता वो प्रेम से बात करती। उसे पता था उससे गलती हो गई थी।

चैतन्या - मुझे तुम्हें अकेला छोड़ने ही नहीं चाहिए था। भैया तो वैसे ही लड़ेगा ही। कितना रिस्की हैं अकेला गाड़ी चलाना… तुम जल्दीबाज़ी मत करना। तुम एक घंटे लेट भी आओगे में इंतज़ार कर लूँगी। उदयपुर उतर जाऊँगी ये फाइनल हैं। ट्रेन के टाइम से पहुँचना ज़रूरी नहीं। तुम्हारी जान अनमोल हैं प्रेम। मेरे लिये भी और तुम्हारे परिवार के लिये भी।

प्रेम ट्रेन के टाइम से १५ मिनट पहले ही पहुँच गया।

चैतन्या उदयपुर के स्टेशन पहुँची की प्रेम सामने था। वो इतनी खुश हुई जैसे जहाँ मिल गया हो।

दोढ़ के आयी और प्रेम को गले लगा लिया गर्दन पर चूमा। पूरा उदयपुर स्टेशन जैसे उन दोनों को देख के खुश हो गया था।

चैतन्या - ऐसा ही आवारा आशिक़ चाहिये था। कैसे आ गये। उड़ के।

चैतन्या हाथ में पर्स लिए बड़ी प्यारी लग रही थींस्टेशन से गाड़ी तक आने में प्रेम का हाथ पकड़ के चल रही थी। प्रेम को प्यार किए जा रही थी।

चैतन्या - अच्छा। ऐसा इस शहर को भी प्यार करना सीखा देंगे बेबी। लव यू माय बच्चा

दोनों फिर हाईवे पे साथ थे।

अब प्रेम को ये ट्रिप कम्पलीट लग रहा था। जैसे सारे गिले सिकवे दूर हो गये हो। इतना प्यार दोनों ने महसूस किया।

एक जगह चाय पे रुके। उस जगह पर कुछ लोग आये। फिर वो बढ़ते गये। प्रेम को रिस्की लगा। चैतन्या को गाड़ी में बैठाया चैतन्या एक चाय और पीना चाहती थी। प्रेम ने माना किया।

बाहर जाके कप वापस देने में भी प्रेम को हिचक हो रही थी। तभी पुलिस की गाड़ी आ गई। प्रेम को राहत मिली। कप वापस कर प्रेम जल्दी से उधर से रवाना हो गया।

ट्रेन से पहले उन्हें स्टेशन पहुँचना था। भैया स्टेशन पर आ सकता था।

चैतन्या को बार बार नींद आ रही थी। प्रेम को भी कुछ सेकंड्स के लिए रोड़ दिखनी बंद हो जाती।

प्रेम ख़ुद को थपड़ लगाता , कभी सिग्रेट पीताकभी चैतन्या को जगाता कभी चैतन्या को प्यार करता ताकि नींद न आये।

बीच में एक जगह रुक के पाँच मिनट झपकी ली।

रात गुज़र चुकी थी। रॉडलाइट्स डिम हो गई थी। थोड़े नींद कम होने के आसार हुवे।

रास्ता बहुत लम्बा था। प्रेम को अब नींद कम आ रही थी। उसने १२० से १५० के बीच में गाड़ी चलायीवो ज़ोर ज़ोर से सांस लिए जा रहा था , चिल्लाए जा रहा था व्हाइल ड्राइविंग उसे जागे रहने और जोश में रहने की इससे हिम्मत मिल रही थी।

चैतन्या प्रेम का ये चिल्लाना देख भी प्यार में पागल हुवे जा रही थींप्रेम की नींद उड़ाने के लिए उसे कई बार किस भी किया।

प्रेम ने कमाल का काम किया। बहुत रास्ता कवर कर लिया।

लेकिन चैतन्या के घर से सिर्फ़ पैंतालिश किलोमीटर पहले हैवी ट्रैफिक जैम हो गया।

दोनों को एक घंटा इधर ही लग गया।

भैया स्टेशन पहुँच चुके थे। प्रेम ने लगभग उसी टाइम में चैतन्या को सिधा घर ड्राप करवा दिया

घर से आधा किलोमीटर चैतन्या को टैक्सी करवा दी।

चैतन्या ट्रेन से नहीं उतरी। भैया बाहर थे। चैतन्या को ५० फ़ोन कर चुके थे।

घर आके चैतन्या ने भैया को इन्फॉर्म किया

चैतन्या छुपाना चाहती थी लेकिन उसके चेहरे , उसकी ख़ुशी और फ़ोन ने सब कुछ बता दिया।

चैतन्या कहती थी किसी का सुख किसी के लिए दुख बन जाता हैं

भैया ने पहले चैतन्या को मारा फिर उसे मर्डर की धमकी दी। फिर ख़ुद सुसाइड की धमकी दी

फ़ैमिली और प्यार में किसी एक के साथ रहना था। फ़ैमिली हमेशा चैतन्या की पहली प्रायरिटी थी।

प्रेम आने के बाद से अपना फ़ोन देख रहा था। उसके पास

चैतन्या का कोई msg नहीं आया।

प्रेम समझ गया। रायता फैल गया था। जिसका डर था। वही हुआ।

दोनों ही उसके लिये तैयार थे।

ये 12-13 दिन प्रेम और चैतन्या के जीवन के सबसे ख़ूबसूरत और प्यारे दिन थे। इसके लिए दोनों ही जान तक गवाने को रेडी थे।

चैतन्या अब शादी के लिए मान जाएगी शायद। प्रेम अपने परिवार के रूटीन में गुम हो जाएगा।


दोनों कोशिश करेंगे की वो खुश रहे क्योंकि ये भगवान के दिये खूबसूरत पल थे , सपने से भी सुंदरउनके हिस्से का प्यारउनके हिस्से की ख़ुशियाँ।

प्रेम - चैतन्या तुम मेरे जीवन के वो सारे प्यार हो जो अधूरे रह गये थेजैसे सब तुम में समा गये हो। और एक हो गये हों।

तुम मेरा पहला पूरा प्यार और आख़िरी प्यार हो। अब किसी से इतना नज़दीक न हो पाऊँगा। न होना चाहता हूँ। काफ़ी हैं इस जन्म के लिए ये 12-13 दिन

चैतन्या - तुमसे ज़्यादा मुझे आजतक किसी ने नहीं चाहा अब सिर्फ़ समझौते होंगेप्यार बस तुम्हीं हो प्रेम। मेरा बेबी। मेरा पति। मेरा प्यार। लव यू जानू।

प्रेम सिगरेट छोड़ चुका था। बस इस हनीमून ट्रिप पे उसके साथ पी रहा था। उसकी याद हमेशा तड़पाती रहेगी। वक़्त थोड़ा राहत देदे लेकिन जब भी खो जाएगा इन यादों में। सीने का बीच का भाग तड़प जायेगा। उससे गले लगने का मन होगा लेकिन वाई नहीं होगी। सिगरेट इस तड़प को कम नहीं कर सकती।

चैतन्या को बारिश, छोटे बच्चे , डॉगी , चाकलेट और प्रेम बहुत पसंद हैं। इन सब को देख के वो बच्चो सी खुश हो जाती हैं।

अलग रहके भी दोनों को खुश रहना होगा।

दोनों ख़ुश रहेंगे तभी तो दोनों ख़ुश रहेंगे।

कुछ रिवाज हैं इधर जैसे कि 20-22 तक जॉब। 25 -28 तक शादी। नहीं तो देरी हो जाती हैं।

क्या हो अगर किसी को 38-40 में प्यार हो और तब तक वो पहले से बंधा हो।

कहते हैं ना कि क़ायदे में रहेंगे तो फ़ायदे में रहेंगे।

क़ायदे में सम्मान हैं। ख़तरे कम हैं। ऑब्जेक्शंस नहीं होंगे। रिश्ते लंबे चलेंगे। शायद ये ज़रूरी भी हैं ज़्यादातर लोगो के लिये।

लेकिन उसमे जीवन हो ज़रूरी नहीं।

कई बार इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता की सत्य क्या हैं। बस सही क्या हैं उसे चुनना पड़ता हैं।

प्रेम कोई लेखक तो था नहीं।

फिर भी जो उन दोनों ने महसूस किया उसको कहा भर हैं बस।


प्रेम

1 जब लगा तुम दूर चली गई हो

तब तुम और पास आ गई


तुम और तुम्हारी बातों ने घेर लिया था मुझे

मेरे प्राण तड़प रहे थे तुमसे बात करने को।


मैं ग़ुस्से में था बहुत।

पर चाहता था तुम मुझे मानती रहो।


तुमसे बात नहीं करनी थी मुझे।

पर चाहता था तुम मुझसे बात करती रहो।


तुम दूर चली जाओ , कहा था मैंने

पर चाहता था तुम सामने रहो।


तुमसे लड़ना चाहता था बहुत।

और कस के गले लगाना चाहता था बहुत।


मुझे दर्द हो रहा था बहुत

और तुम याद आ रही थी बहुत।


मुझे लगा था मैं ज़रूरी नहीं हूँ तुम्हारे लिये

और तुम ज़रूरी हो गई थी मेरे लिए बहुत


बस एक ही फ़र्क़ था तुम्हारे दूर होने में

क़रार बस तब मिला।

जब बहुत कस के गले से लगाया था तुमने।


तुम कौन हो , किधर से आयी हो तुम

इतने दिन कहाँ थी।

इतनी देर से क्यों आयी हो तुम।


2

तुम न मिलती तो कुछ चीज़ें कभी न समझ आती।

कि डेट करना इतना सुखद हो सकता हैं।


कि किसी लड़की को लोगो के नज़रिए से समझना

या उसको देख कर , सुन कर।

या तब जब वो ख़ुद को समझाएँ…


तुम कुछ निरालें रंगों से सरोबार हो

इंद्रधनुष ने जैसे तुमसे रंग लिये हो।


सुंदर , सादगी , हरियाली , बारिश और तुम।


तुमने इस शहर को सुंदर बना दिया।

सबके सामने भी प्यार करना सीखा दिया।


हाँ , तुम अजीब हो

आज की दुनिया में वफ़ादार हो

तुम्हें प्यार करना आता हैं

समय कितना जल्दी तुम्हारे साथ गुज़र जाता हैं


बात अजीब हैं

लेकिन तुम्हें रोज़ देखना नया जैसा हैं

तुम्हें बार बार देखना

और तुम हर बार बहुत अपनी , बहुत प्यारी लगती हो।


तुम्हारी हसी और ख़ुशी मुझे भी ख़ुश कर जाती हैं

तुम्हारा दौड़ कर प्यार से मुझे पकड़ना।

रोड़ पार करते वक्त मेरा हाथ थामना।

सब बहुत गहरे में दिल में उतरता हैं


तुम्हारा सिद्दत से मुझे प्यार करना

कश के बाहों में भरना।

आँखों से दिल मैं उतरना।

साँसो का एक हो जाना।

मुझे तुम और तुम को मैं बना देता हैं

कितनी बार हम , हम हो जाते हैं।

ये हम होने के लम्हे कितने ख़ूबसूरत हैं। सुकून देने वाले हैं।

तुम प्यार हो।

मुझे तुमसे मिल के जो रस मिलता हैं वो इतना ख़ास हैं कि मुझे गाड़ी में गाने सुन ने की भी या मूवी देखने की या देर रात जग के फ़ोन देखने की। किसी की भी ज़रूरत महसूस नहीं होती। मैं तुम्हारे साथ कम्पलीट फील करता हूँ और संतुष्ट भी।

शांत भी और खुश भी

3


तुमसे मिलकर मैं कुछ नया हो जाता हूँ।

ये नया होना बेहद सुंदर हैं।

जैसे तन, मन और समय सब शीतल हो गये हो।

तुमसे मिलना और हम हो जाना।

ये हम हो जाना तब और महसूस होता हैं।

जब मैं, मैं होकर घर आ जाता हूँ।

4

कभी कभी इस चिलचिलाती धूप में…

जब चलना भी बेहाल हो।


एक बदली तुम्हे घेर लेती हैं

तुम्हें छाया करती हैं।

तुम्हारे मन को , तन को गीला कर शीतल कर देती हैं।


ये बस तुम्हारी बदली हैं।

और लोगो को तुमसे परेशानी हैं।

तुम्हारे संयोग से , मेल से।


वो नहीं जानते कि तुमने इस बदली का कितना इंतज़ार किया।

हर छाँव को तुमने अपना बसेरा नहीं बनाया।

तुम बरसों से तपती मिट्टी में चले हो।

अब जब ये मिलन हो रहा हैं।

तब उन सब लोगो की परवाह क्यों ,एक बूँद के लिये भी जिनकी ज़बान बाहर निकल आती हैं।

तुम दिगंबर तन और मन के साथ इस बारिश में भीगते हुवे इस बदली के साथ एक हो जाओ।


ये तुम्हारी बदली हैं।

तुम्हारा वक़्त हैं।

तुम्हारे हिस्से का प्यार…

तुम्हारे हिस्से की ज़िंदगी…

5

आज तुम्हारे दूर जाने का अहसास हुआ।

ये डरावना था।

कई सालों बाद ऐसी तकलीफ़ महसूस हुई।

लेकिन इस बार मैं सिगरेट नहीं पीऊँगा।

मैं जलूँगा…

हर बार इस अग्नि से भाग जाता हूँ।

सिगरेट की आग से इस आग को बुझा देता हूँ।

लेकिन इस बार इसको घी पिलाऊँगा।

मुझे प्यार चाहिये था। सच्चा प्यार। मैं प्यार करना चाहता हूँ। प्यार में जीना चाहता हूँ।

जब जब जला हूँ तब ही प्यार महसूस हुआ हैं। जैसे इस जलन ने बहुत गहरे में मुझे छुआ हैं।

जहां तुम्हारे प्यार का अहसास हैं।


मुझे भी इंतज़ार करना पसंद नहीं।

लेकिन मैं इंतज़ार करूँगा।

पूरा होने वाला हो या न हो।

बिना कुछ कहे। बिना कुछ बोले।


6

तुम प्यार से प्यार करने वाली लड़की

आंखों में उतर कर खो जाने वाली लड़की


भीड़ में सिद्दत से गले लगाने वाली लड़की

मुझे छुपा के मुझे चूमने वाली लड़की

तुम प्यार से प्यार करने वाली लड़की


मेरी सोच और आदत बदलने वाली लड़की

मेरी गाड़ी की ख़ाली बॉटल भरने वाली लड़की

तुम प्यार से प्यार करने वाली लड़की


मुझे सुंदर दुनिया दिखाने वाली लड़की

कैसे होता हैं प्यार बताने वाली लड़की

तुम प्यार से प्यार करने वाली लड़की


मेरे छूने से पिघलने वाली लड़की

मुझमें एक हो जाने वाली लड़की

तुम प्यार से प्यार करने वाली लड़की


मुझे देखते हुवे मर जाने वाली लड़की

मासूम, सब को भा जाने वाली लड़की

तुम प्यार से प्यार करने वाली लड़की


गोदी में सर रख कर सोने वाली लड़की

मेरे पैर दबा कर खुश होने वाली लड़की

तुम प्यार से प्यार करने वाली लड़की


7

मेरी सोच में डूबे रहने की उम्र हैं

तुम्हारी मौज में डूबे रहने की उम्र हैं


तुम्हें जीवन आगे दिखायी देता हैं

मुझे गुज़रा वक़्त सुनायी देता हैं


तुम्हारे लिए वक़्त बहुत हैं

मुझे समय फिसलता दिखायी देता हैं


मैं तुम्हें इसी वक़्त आग़ोश में लेना चाहता हूँ

कल मिलेंगे ,बहाना फिर वही सुनायी देता हैं


एक बात कहनी थी।

बहुत साथी बिछड़ गये।

एक दिन तुम भी घर चले जाओगे

अभी से कहदे क्या तुम्हें…

तुम बड़े याद आओगे।


7

तेरी उड़ती सी ज़ुल्फे, बड़ी अच्छी सी लगती हैं

बड़ी अदा से जब तू ,साथ साथ चलती हैं


वो तितली सा उड़ के, तेरा घर को जाना

वो मुड़ के देखना, हल्का सा मुस्कुराना

बड़ी सी लड़की में वो , बच्ची सी पलती हैं

तेरी उड़ती सी ज़ुल्फे, बड़ी अच्छी सी लगती हैं


साफ दिल की तेरी , बचपन की सी चाहत

अनजाने चेहरो में वो , अपनो की सी राहत

मुझे याद करके , आज कल वो सजती हैं

तेरी उड़ती सी ज़ुल्फे,  बड़ी अच्छी सी लगती हैं


वो कस के तेरा ,गले से लगाना

कितनी है चाहत, बिन कहे बताना

जानता हूं  मैं, दगाबाज नही मैं

गुस्से से तेरे नाराज़ नहीं मैं 

दोनो की चाहत में, तू अकेली ही जलती हैं

तेरी उड़ती सी ज़ुल्फे , बड़ी अच्छी सी लगती हैं


वक्त की दीवार, दीवार नहीं होती

चाहत से बड़ी , तलवार नही होती

बंदिशे ये भी हट जाएगी

दूरियां ये भी मिट जाएगी

कैसे बताएं,सूरत तुम्हारी , मेरे मन में बसती हैं

तेरी उड़ती सी ज़ुल्फे , बड़ी अच्छी सी लगती हैं


सुंदर हो तुम, सुंदर हैं हसीं तुम्हारी

आवाज़ में कैसी , ये कशिश तुम्हारी

दुख को तुम्हारा ,यूं  दिल में दबा देना

मुरझाया चेहरा ,वो पलके झुका लेना

देखता हूं सब मैं ,जब घड़ियां ये ठहरती हैं

तेरी उड़ती सी ज़ुल्फे , बड़ी अच्छी सी लगती हैं


चैतन्या

1


तुम मिले हो तो कोई तो वजह होगी,

यूं ही तो मैं न रुकी होंगी,

कुछ मिला हैं तुमसे,

जो ना मिला किसी से।

सांसें थम सी जाती हैं,

जब तुम पास होते हो,

तुझसे मिलके लगा की,

कुछ अधूरी ख्वाहिसे पूरी हुई,

कुछ अधूरी मन्नते पूरी हुई।

तुझसे मिलके लगा, जैसे मैं पूरी हुई।


2

हर सुबह तुमसे मिलने की टिक टिक,

हर शाम तुमसे मिलने की बाट,

आकर तुम्हारा गले से लगाना,

उफ्फ क्या कहें वो तेरा मुस्कुराना,

आंखों में जब तुम देखते हो,

कैसे कहूं दिल में उतरते हो,

वो माथों को चूमना,

वो दिल से लगाना,

वो अपनो सा बोध कराना,

वो हंसना, हंसाना और बातें बताना,

बोलते बोलते थक चुप हो जाना,

मेरा तुमको बस सुनते जाना,

तुमको देखना और बस तुममे खो जाना,

कहां थे तुम ये शिकवा करना,

फिर शांत हो आंहे भरना।

माना है मैंने मिले हो तुम किस्मत से,

जाना है मैंने प्यार के एहसासों को।


3


तुम्हारा छूना अच्छा क्यूं लगता हैं,

ये संवेदना नयी क्यूं लगती हैं,

नही जानती मैं प्यार क्या हैं ,

अब जो लग रहा हैं, बड़ा अच्छा सा लगता हैं।


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