40 की उम्र और शनि
40 की उम्र और शनि


वो चालीस पार कर गया.. अभी भी चाल में वही तेज़ी हैं और शरीर आकर्षक..
उसके साथी बड़ी तोंद वाले और अंकल दिखने लगे हैं ..
कई बार कॉलेज स्टूडेंट उसे भी अंकल कह देते हैं ..
उसकी आँखों में ज़िंदगी अभी भी जवान हैं ..जिनसे गहरे से उसकी आँखों ने रिश्ता जोड़ा..वहाँ हलचल होने लगती हैं … शर्म और शरारत …उसकी नज़र गहरे में दिल तक उतरती हैं ..
झुर्रियाँ उसके आँखों के नीचे भी बसने लगी हैं और बालों का घनत्व कम होने लगा हैं ..पर वो मैनेज कर लेता हैं … फिलहाल फ़ोटोज़ ठीक ही आती हैं …
लेकिन एक कदम और, और वो भी बुरा ,बूढ़ा या बड़ा दिखने लगेगा ..
जैसा नाम उतना ही तेजस्वी भी ….कइयों में डर बन कर उतरा ..
पैसे को जिसने कभी तवज्जो नहीं दी ..
ज्ञान, अध्यात्म, दुनिया बदलने वाली सोच रखने वाला , आदर्शवादी जैसा ..
तर्क- वितर्क, ग़लत- सही , शास्त्रार्थ करने वाला..
भ्रम और अंधविश्वास का घोर विरोधी ..
एक ईश्वर की सत्ता में विश्वास करने वाला या फिर नास्तिक..
इसके बीच में कुछ नहीं ….इस पार या उस पार..
लेकिन कोरोना का क्या …
चार साल ने कमर तोड़ दी …
वो सर्वाइवल मॉड पर हैं पिछले चार साल से …
जिनसे बात करना पसंद नहीं , उनसे हंसकर बात करता हैं ..
अकड़ कम होने लगी हैं ..
जो कभी उसे बेवक़ूफ़ दिखते थे, वो बुद्धिमान और साहब हो गए है ..
हर वो आदमी जो कम लगता था , आज वो सब उससे बेहतर हैं ..
जैसे उसकी अपनी ही दुनिया थी , वो उसके ग़लत सही में गुम..
बाहर की दुनिया आगे बढ़ गई थी और अब उसे डराने लगी हैं…
उसने जो काम किया , ठीक ठाक कमाया था ..
लेकिन पैसा उसका साथ छोड़ गया ..
जब चला गया तब उसे उसकी बहुत कमी खली ..उसकी परवाह हुई ..
इस बार जो उसके पैर में लगी , डेढ़ महीने से ठीक हुई …
इतनी लेट रिकवरी…उसे अपने शरीर पे डाउट होने लगा हैं …
किसी ने कहा… पैर में ज़्यादा लग रही हैं … शायद आपके शनि उतर
रहा हैं …
भ्रम और भय फ़ैलाने वाली ज्योतिष और वास्तु विद्या का घोर विरोधी हैं …
लेकिन अब ध्यान उधर भी जा रहा हैं …
यू ट्यूब पर वीडियो भी देखने लगा हैं ..
जितना ज़्यादा देखता हैं और उतना देखने का मन करता हैं …
आजकल शनि मन में रहने लगा हैं …
कुंडली भी देख डाली ..
18 साल की उम्र में 18 साल के लिए राहु की महादशा थी..
उसका खत्म होना था की साढ़ेसाती लग गई ..
पच्चीस साल तो यही दोनों ग्रह ले गए…
भगवान ने भेजा क्यों था ?
फ़िक्र सिर्फ़ इतनी नहीं हैं ..
जब 52-53 का हो जाएगा , तब शनि की महादशा और लगेगी ..
कुछ ही साल ठीक से निकले शायद …मगर बीच में छोटी पनोतियाँ खूब हैं …
अब खुल के इन बातों का इतना विरोध नहीं कर पाता …
शनि को अहंकार पसंद नहीं ..
अब ये भी सीधा होने लगा हैं ..
गरीबों की मदद भी करनी हैं …कमजोरों की मदद करने वाले पर शनि ख़ुश रहता हैं ..
उसे मदद की ज़रूरत हैं ..
बिना पैसों के वो कमजोर हैं ..
और ग्रह भी अनुकूल नहीं ..
टाँग पर तीन बार चोट लग गई … लंबी यात्रा की मनाही हैं ..
बदनामी या कांड होने का डर हैं … विपरीत लिंग से दूर रहना हैं ..
ज़बान पे क़ाबू रखना हैं … सबसे और ख़ासतौर से घरवालों से प्रेम से बात करनी हैं ..
मास, मदिरा से दूर रहना हैं और हनुमान चालीसा पढ़नी हैं ..
बात तो सब ठीक ही हैं …
ये सब तो अच्छी ही बातें हैं … ऐसे मानते नहीं तो डर से मान रहे हैं ..
मास्टर जी का यही तरीका होगा …कुछ बातें तो बिल्कुल ठीक भी हैं …
फिर भरोसा भी दिया हैं की शनि उतरते ही या जाते जाते ही ..जो लिया है सब लौटा देगा …
उसका पैसा लौट आए…उसको इंतज़ार हैं ..
कुछ और भी हैं जो छीन गया हैं उससे..
वो क्या हैं ?… समझ नहीं आ रहा …
कुछ उसका ,उसे छोड़ गया…