Shalini Dikshit

Abstract

3.5  

Shalini Dikshit

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पत्र

पत्र

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हम मां- बेटी जाड़े की शर्मीली धूप सेंक रहे हैं। आज माँ कुछ खोई खोई सी लग रही हैं।

मैंने बोला, "चलो ना माँ आज कोई कहानी सुनाओ।"

जब से बच्चे बड़े हुए हैं, मै तीन बच्चों की मां हो के भी अपनी मां के सामने बच्ची बन के कभी- कभी जिद्द करने लगती हूँ।

माँ बोली, "कहानी ह्म्म्म ...आज मैं तुम को एक कहानी सुना ही देती हूँ।"

मैं झट से मां की गोद में सर रख के लेट गई, माँ सर पर हाथ फिरने लगीं और माँ कहानी सुनाने लगी-

अरे विमला जीजी आपके नाम का पत्र है; जल्दी आओ न, निर्मला आंगन में खड़ी चिल्ला रही थी। अपनी छोटी बहन निर्मला की आवाज सुनकर अंदर से विमला और उसकी सबसे छोटी बहन रमा दौड़ कर बाहर आई।

"क्यों इतना शोर मचा रही हो?" विमला बोली।

"देखो जीजी आप के लिए पत्र है........." निर्मला ने एक पत्र विमला के हाथ में देते हुए कहा।

"मुझे कौन पत्र लिखेगा?" लिफाफा हाथ मे लेते हुए विमला ने कहा।

उलट पलट के देखने पर भेजने वाले का कही नाम नहीं दिखा।

"जल्दी खोल के देखो न किसने लिखा है, क्या लिखा है।" रमा अधीर होते हुए बोली।" उसने विमला को पकड़ के वही फर्श पर बिठा दिया और निर्मला और वो खुद पीछे बेंच पर बैठ के पत्र में झांकने लगीं।

अंदर पत्र देखने से पता लगा कि पत्र राम प्रकाश ने लिखा था। राम प्रकाश के पत्र को देख कर विमला उदासी से भर गई|

"आज तीन साल बाद मुझे पत्र क्यों? लगता है बाप बन ने की खबर भेजी है।" विमला ने खुद से ही कहा।

तीन साल पहले के उस मनहूस दिन की यादें उसे शूल सी चुभने लगीं। उसकी शादी के दिन सब कितने खुश थे। उसके पिता बारात की अगुआई के लिए खड़े थे।लेकिन द्वाराचार के समय राम प्रकाश के पिता ने अलग से अधिक रुपयों की मांग कर सबकी ख़ुशी को बर्बाद कर दिया था।

इतने पैसे और देना उसके पिता के बस की बात न थी। कितने हाथ-पैर जोड़े पगड़ी का भी वास्ता दिया लेकिन राम प्रकाश के पिता का दिल नहीं पसीजा और वो बारात वापस ले गए।

कितनी बदनामी हुई समाज में उसके परिवार की, सभी ने विमला में ही कमी निकालने की कोशिश करी थी। हमेशा यही होता आया है लडक़ी को ही गलत ठहराया जाता है, चाहे गलती किसी की भी हो।

उस दिन विमला ने सोच लिया था, अब कभी शादी नहीं करेगी। अब जब कि दोनों बहनों की भी शादी की उम्र हो चली है वह और ज्यादा परेशान रहने लगी, उसकी वजह से बहनों की भी शादी नहीं हो पा रही थी। लोग तरह-तरह की बाते करने लगे कि बड़ी बैठी है तो छोटी की पहले क्यों? अब किस-किस को जवाब दें।

"जीजी क्या सोच रही हो पढ़ो ना......." दोनों बहनों ने विमला को झकझोर कर कहा।पत्र में लिखा था-

प्रिय विमला,

पता नहीं मुझे प्रिय लिखने का हक़ है भी या नही?मैं तुम से शादी के समय तीन साल पहले की उस घटना के लिए हाथ जोड़ के माफी मांगता हूँ; तुम्हारे पिता जी से भी माफ़ी मांग लूंगा। उस दिन पिता जी ने मेरे होंठ सिल दिये थे।आज तक हर रोज मैं तुम्हारे कष्ट के बारे में सोच कर तिल-तिल मर रहा हूँ।

मैने मेहनत से अच्छी नौकरी हासिल करी और एक-एक पाई जोड़ के उस दहेज की रकम से ज्यादा पैसा इकट्ठा कर के आज अपने पिता को दे दिया है।

मुझे कुछ भी पता नहीं तुम किस हाल में हो? तुम्हें कोई और तो नहीं ब्याह ले गया? अगर ऐसा नहीं हुआ है, तो मुझे माफ कर दो और मुझे स्वीकार कर मुझसे विवाह कर लो।

सिर्फ तुम्हारा,

राम प्रकाश

इसके बाद माँ एक दम चुप हो गईं, मैं थोड़ी देर इंतजार करने के बाद चिल्लाई, "बोलो ना आगे क्या हुआ.......विमला ने शादी की?"

"बुद्धू शादी न करती विमला तो तू कहाँ से आती......" माँ ने हंसकर जवाब दिया।


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