रेत
रेत


होटल के ब्रेक फ़ास्ट हॉल में नाश्ता करते हुये, विकास की नजर दूर की मेज पर बैठी एक स्त्री पर पड़ी । वह गर्दन नीचे किये हुए चाय या कुछ पी रही है, उसके सिल्की बाल थोड़ा सा उसके चेहरे पर आ गए हैं। विकास को नेहा की याद आज फिर से आ गई, उसे लगा जैसे नेहा ही बैठी है ।
अगले ही पल सोचा नेहा नहीं हो सकती, वह इतनी दूर दूसरे शहर में क्या करेगी, उसकी शादी तो तभी हो गई थी कॉलेज खत्म होते ही ।
वह अभी तक कहीं न कहीं नेहा को ही महसूस करने लगता है। नेहा के अहसास से वह रोमांचित हो गया और नाश्ता करने में व्यस्त हो गया, वही नाश्ता अब उसको स्वादिष्ट लग रहा था ।
विकास नाश्ता खत्म कर के उठने ही वाला था कि एक आवाज आई-
"एक्सक्यूज़ मी।"
ऊपर देखते ही उसके आश्चर्य की सारी सीमाएं पार हो गईं, सामने सचमुच की जीती जागती नेहा खड़ी थी।
"विकास तुम?" नेहा बोली
विकास संभल कर बोला, "व्हाट आ प्लीजेंट सरप्राइस ! तुम यहाँ कैसे नेहा?"
नेहा पास की कुर्सी पर बैठते हुए बोली, "आफिस की तरफ से एक सेमिनार में आई हूँ।"
"आफिस? तो तुम जॉब करती हो?" विकास बोला।
"हम्म करती हूं जॉब।"
"मैं हमेशा कहता था, तुम जैसी होशियार लड़की को जॉब करनी ही चाहिए।"
"अभी यह सब छोड़ो लंच के बाद मेरा सेमिनार है मैं चलती हूँ।" नेहा बोली।
"हाँ- हाँ चलते हैं मैं भी तो सेमिनार में आया हूँ, रात के खाने पर मिलते हैं तब बाते होंगीं।"
"ओके !" नेहा बोली
दोनों अपने अपने कमरे में चले गये।
विकास बहुत खुश और उत्साहित है, वह तो जैसे हंसना बोलना ही भूल गया था। दो साल पहले विनीता उसके बच्चे को जन्म देते समय चल बसी, फिर कुछ ही घंटो में बच्चा भी । बड़ी मुश्किल से माता - पिता और बड़े भाई ने उसको संभाला था।
वो नेहा से मोहब्बत का इजहार करता उस से पहले ही नेहा की सगाई हो गई, सारी बातें विकास के मन में ही दबी रह गईं थीं ।
आज उसको नेहा गंभीर और शांत लगी यह बात विकास को खटक रही है, कहीं परेशान तो नहीं?
नहीं- नहीं उसके जीवन में कोई परेशानी नहीं हो सकती, वह हमेशा सुखी और ख़ुश ही रहनी चाहिए ।
विकास यही सब सोचते हुए काम निपटाता रहा है।
सब मीटिंग हॉल में एकत्रित हो गए हैं, वही सब बातें और तैयारियां हो रहीं है जो अमूमन इस तरह की मीटिंग्स में होती हैं ।
विकास और नेहा छः- सात वर्षों बाद एक दूसरे से मिल कर कुछ अलग ही महसूस कर रहे हैं ।
कितना अच्छा और नेक इंसान है तभी तो उसको पसन्द भी था, लेकिन अच्छा ही रहा जो उस से शादी नहीं हुई वर्ना उसके दुखों का कारण बन गई होती । विवेक ने तो बांझ समझ मुझ से तलाक ले लिया , विकास ऐसा नहीं कर पाता और........नेहा यही सब सोचती रही।
आज दोनों ने जैसे तैसे मीटिंग निपटाई ।
सब डिनर के लिए चले गए, पर नेहा और विकास होटल के पिछले हिस्से में बनें शांत बीच पर आ गये।
दोनोंं रेत पर टहलते और बातें करते काफी आगे निकल आये।नेहा वहीं पेड़ पर लगे एक झूले पर बैठ गई ।
नेहा ने उसको सब बताया कि कैसे उसकी शादी हुई फिर जब वह माँ न बन सकी तो काफी इलाज भी करवाया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ, तो उसको बाँझ का तमगा दिया जाने लगा।इस सब से परेशान हो उसने पति से अलग होने का फैसला ले लिया ताकि पति दूसरी शादी कर के अपने जीवन को पूरा कर सके, नेहा किसी के अधूरेपन का कारण नहीं बनना चाहती थी ।
वह काफी थकी हुई है पर यह थकान शारीरिक है आज मानसिक तौर पर शांत है विकास को सब कुछ बता देने के बाद।
झूले पर थोड़ी सी जगह बची हुई थी वहीं बैठते हुए विकास बोला, "मुझ से शादी करोगी?"
नेहा ने मुस्कुरा के विकास के कंधे पर सर टिका दिया। विकास ने भी उसके कंधे को अपनेपन और स्नेह से पकड़ लिया और बोलने लगा........................."
पर नेहा ने कुछ नहीं सुना क्योंकि सहारा पा कर नेहा की आंख लग गई । विकास यूँ ही बिना हिले डुले नेहा के मासूम चेहरे को देखता रहा । जाने कब रात बीत गई ।
सूरज की रोशनी पड़ते ही नेहा की आंख खुल गई, खुद को यूँ सोता देख वह झट से खड़ी हो गई और विकास पर चिल्लाने लगी-
"यह कोई बात हुई तुम पूरी रात ऐसे ही......."
विकास मुस्कुराते हुए बोला, "मुझे यही नेहा चाहिए वह धीर - गंभीर वाली नेहा अजीब लगती है।"
नेहा ने हँसते हुए मुट्ठी भर रेत विकास पर उड़ा दी...