कजरी
कजरी


सिग्नल पर गाड़ी रुकते ही वह दौड़कर आ जाती है मांगने के लिए। लोग उसको देखते ही हट हट करने लगते हैं, कई लोग जल्दी से कुछ देकर पीछा छुड़ा लेते हैं।
वह बदसूरत सी दिखने वाली लड़की है, एकदम काली उलझे बाल जरूरत से ज्यादा गंदे कपड़े और बड़ी सी सफेद आंखें।
प्रिया को उस पर बहुत तरस आता है। एक वही है जो उसको ढूंढ कर या यूं कहें बुलाकर उस कजरी को कुछ देती है। प्रिया ने उसको कजरी नाम दिया है।
कजरी उसको बहुत सोचने पर मजबूर करती है, कभी-कभी उसके कपड़ों पर सूखे खून के धब्बे देखकर प्रिया का मन विचलित हो जाता है। उन दिनों कजरी थोड़ा सुस्त रहती है। दौड़कर मांगने भी नहीं आती है ,लेकिन प्रिया तब भी उसके पास जाकर उसको फल देकर आती है।
आज प्रिया को घर से निकलने में देर हो गई, दो दिन से दफ्तर की छुट्टी थी तो जैसे जल्दी निकलने की आदत ही छूट गई हो उसने दो सेब हाथ में उठाए और घर से निकल गई।
कार के रुकते ही नज़रें दौड़ाई कजरी नहीं दिखी फिर अचानक देखा वह डिवाइडर पर बेसुध सी पढ़ी है और कुछ लोग वहीं खड़े हैं उसके आसपास।
उसने ड्राइवर से गाड़ी किनारे लगाने को कहा और खुद कजरी के पास गई कजरी बेहोश सी थी।
प्रिया ने लोगों की मदद से कजरी को कार में लिटाया और हॉस्पिटल लेकर गई।
"प्रिया जी! तीन माह का गर्भ था कजरी को और बच्चा अंदर ही मर गया है, शायद कई दिन हो गए । पूरे शरीर में जहर फैल रहा है अब बचना मुश्किल है।" डॉ शांति गंभीर मुद्रा में प्रिया से बोलीं।
प्रिया का दिल खून के आंसू रोते हुए सोच रहा है कि सिर्फ कजरी ही नहीं मरी इंसानियत भी मर गई है।