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Shalini Dikshit

Inspirational

4  

Shalini Dikshit

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बांधनी

बांधनी

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मैडम ! आज के सीन के लिए अपको, इन दो ड्रेस में से कोई एक चुन नी है। बताइए यह लाल या हरी बांधनी।

"मैं हरी पहनूँगी।" ईशा ने झट से गुड्डू की बात का जवाब दिया। 

बिल्कुल वही हरा रंग, मेहंदी के पाउडर सा हरा। ऎसी ही तो थी उसकी पसंदीदा ओढ़नी। यह रंग उसको सात वर्ष पीछे घसीट ले गया। 

वह दो बहनें थीं। माता-पिता खेत मे मजदूरी करते, दोनो बहनें घर के काम निपटाती। प्राइवेट पढ़ाई भी कर रहीं थीं। मीरा का मन कम लागत था लेकिन बड़ी को बहुत चाव था पढ़ने का। सांवली सलोनी मीरा को देख कर हर कोई यही कहता, भगवान ने बहुत फुरसत से बनाया है। आंखे ऐसी झील सी कोई भी डूब जाये उनमें। सजने सवरने का शौक भी बहुत था उसको, जो कि चार चांद लगा देता उसके रुप में। 

काजल की धार तो कमाल ही करती थी। हमेशा काजल बना के डिब्बी भरे ही रखती थी। 

कई बार विमला गुस्से से कहती- 

"न जाने कितना शौक है तुम को, पानी भरने भी काजल के बिना नहीं जाओगी।"

"हाँ है तो है, हरी चुन्नी को भूल गईं उसको भी कुछ कहो।" मीरा तुनक कर बोली। 

आज यह हरी चुन्नी मीरा की यादों को थमने ही नहीं दे रही थी।

कैसे वह हरी चुन्नी लिये सिर पर गागर रखे अपनी ही धुन में मुस्कुराती जा रही थी। उन लोगो को पहली नजर में ही वह इतना भा गई शाम को सीधा घर ही आ गए और फ़िल्म मे रोल देने की बात कह दी।

मीरा के गांव में किसी फिल्म का सीन शूट होना था। कुछ लोग लोकेशन देखने आये थे। मीरा को देख लिया, वह लोकेशन के हिसाब से बहुत भा गई उन को। थोड़ी न नुकुर के बाद उसके माता-पिता मान गए। 

उसी दिन जन्म हुआ इस ईशा का, उन लोगो ने ईशा नाम दिया इस मीरा को। आज इतने वर्षों बाद कभी ईशा ने पीछे मुड़ के नही देखा। बहुत कुछ हांसिल कर लिया, बहन को पढ़ाया माता-पिता को घर बनवा के दिया, सब अपनी मेहनत के दम पर। 

उन दोनों सज्जन को आज भी बहुत आदर और सम्मान देती है जिनके कारण ये सफलता का रास्ता खुला |

 एक बार मुश्किल दौर आया था लेकिन मीरा मतलब ईशा कमजोर नही पड़ी| उस दिन कमजोर पड़ जाती तो, सफलता मिलने के बाद भी खुद से नजरें मिलना मुश्किल हो जाता।

यह रंगीली दुनियां है ही ऐसी, चमक कभी कम तो कभी ज्यादा।

तीन या चार हिट फिल्में आईं फिर दो ठीक से नही चली तो काम भी मिलना कम हो गया। 

इस दौरान एक प्रोड्यूसर महोदय ने एक अभद्र प्रस्ताव उसके सामने रख दिया। 

ईशा ने स्क्रिप्ट वापस करते हुए सबके सामने कह दिया, "मैं गांव वापस जा कर फिर से नमक रोटी खा के राह लुंगी, आपके साथ हमबिस्तर हो कर कोई फ़िल्म नही चाहिए।"

उसको वह फ़िल्म तो नही मिली पर खुद्दारी बरकरार रखते हुए भी उसको काम की कमी नही रही।

यही सब सोचते हुए ईशा ने भगवान का शुक्रिया अदा करने के लिये सिर झुकाया ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई। 

"मैडम चलिए आप को रेडी होना है।"

ईशा श्रध्दा से भगवान को याद कर काम पे चल पड़ी। 


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