सीमा शर्मा पाठक

Abstract

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सीमा शर्मा पाठक

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मां तो मां होती है

मां तो मां होती है

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"दीदी आप चिन्ता ना करियो हम कल से ही काम पर आ जात है अब तो हमरी बिटिया पूरे 3 महीने की हो गई है।आपको हमारी कितनी जरूरत है हमका पता है।" रेशमा ने पूनम से फोन पर कहा।रेशमा पूनम के घर में काम करती थी पिछले 4 महीनों से छुट्टी पर थी क्योंकि वह मां बनने वाली थी।पूनम अपनी कामवाली रेशमा को इतना प्यार करती थी कि उसने बिना पगार काटे रेशमा को चार महीने की छुट्टी देदी।

पूनम बहुत ही नेकदिल इंसान थी और हर इंसान के सुख दुःख को समझती थी।पूनम खुद भी मां बनने वाली थी लेकिन फिर भी उसने रेशमा की तकलीफ समझी और अपने सहारे के लिए अपनी छोटी बहन को बुला लिया था।पूनम के ससुराल में सास ससुर नहीं थे बस जेठ जेठानी ही थे। वो भी दूसरे शहर में रहते थे।पति के साथ अकेली रह रही पूनम रेशमा को अपनी बहन की तरह ही समझती थी।हर तीज त्यौहार पर उसके परिवार के लिए कपडे और मिठाई दिया करती थी।

रेशमा को जब बेटी हुई तो बडी़ ही उमंग और उत्साह के साथ उस बच्ची के लिए ढेर सारे कपडे और खिलौने लेकर गई थी और दूसरी बार लड़की पैदा होने के कारण सास के तानों से उदास रेशमा से बिटिया को हाथ में उठाकर कहा था " रेशमा लक्ष्मी आई है तेरे घर उदास मत हो खुशियां मना।बेटियां तो अपना भाग्य लेकर आती है और मैं भी तो हूं तेरे साथ।"

अपनी मालकिन दीदी की बातें सुनकर रेशमा भी मुस्कराई थी और उसे अहसास हो गया था कि वह अकेली नहीं है।

चार महीने बाद जब रेशमा पूनम के घर आई तो पूनम का आठवां महीना चल रहा था।रेशमा ने पूनम का खूब ध्यान रखा और खूब सेवा की।1 महीने बाद पूनम ने प्यारे से बेटे को जन्म दिया।पूनम अपने और बच्चे के ज्यादातर कामों के लिए रेशमा पर ही निर्भर थी और रेशमा भी बडे़ चाव से उसका हर काम कर देती।

2 महीने बाद ही पूनम के स्तनों से दूध आना बन्द हो गया और उसने पाउडर वाला दूध पिलाया लेकिन उसके बच्चे को पच नहीं पाया और उसको भयानक उल्टी दस्त हो गये।पूनम बहुत ज्यादा परेशान थी डॉक्टर्स ने गाय का दूध पिलाने की सलाह दी लेकिन उसको पीकर भी बच्चे को उल्टियां हुये जा रही थी। अपने बच्चे की बिगडी़ तबीयत देख पूनम और उसके पति की जान अधर में अटकी हुई थी।

बच्चा भूख से व्याकुल होकर रोये जा रहा था।रेशमा भी वहीं थी।उसने बडी़ हिम्मत करके पूनम से कहा, " दीदी हम छोटे मुँह से बडी़ बात कहना चाहत है लेकिन का करें मुन्ने का जे हाल हमसे देखा न जात है।"

"हां बोल ना रेशमा बोल अगर तेरे पास कोई तरीका हो तो मुझे बता मेरी बहन।" पूनम ने कहा 

"दीदी हमें अभी तक खूब दूध आवत है अगर आप कहें तो मुन्ने को हम दूध पिला दें।मुन्ने का रोना हमसे देखा न जा रहा है दीदी।" रेशमा ने कहा।

रेशमा की बात सुनकर पूनम को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी सारी परेशानियों का हल बता दिया है।आंखों में आँसू और होंठों पर मुस्कराहट लिये वो बोली ," हां रेशमा प्लीज पिलादे तु अपना दूध उसे, मुझ पर दया कर बहन अगर तेरा दूध पीने से मेरे बच्चे का रोना शान्त हो जाये तो उम्र भर अहसान रहेगा तेरा।"

रेशमा ने जल्दी से रो रहे बच्चे को गोद में उठाया और दूध पिलाने लगी।रेशमा का दूध पीने से बच्चा थोडी़ देर बाद सो गया।अपने बच्चे को शान्त देख पूनम और उसके पति ने चैन की सांस ली।

पूनम ने रेशमा से कहा, " रेशमा मैं तो अपने बच्चे की खराब तबीयत से परेशान होकर ये भूल गई कि तुने कुछ महीने पहले बच्चे को जन्म दिया है तेरा दूध तो आता होगा लेकिन तुझे तो सब पता था तो फिर तुने कल क्यों नहीं कहा।कल से कितना तड़प रहा था मेरा बच्चा।"

"दीदी हम आपकी कामवाली हैं और आप हमारी मालकिन, हम गरीब हैं और आप अमीर हमें डर लागत रहो कि आप का सोचों लेकिन आज हमसे रहा न गया दीदी।"रेशमा ने कहा 

"अरे पगली तु अब तक नहीं समझ पाई अपनी दीदी को।मैं ये सब नहीं मानती।मेरा तो बस यही मानना है मां तो मां होती है चाहें अमीर हो या गरीब, चाहे नौकर हो या मालकिन।मां का पद इन सबसे कही ऊंचा है।आज से तु भी इसकी मां है।" पूनम ने ये कहते हुये रेशमा को गले से लगा लिया और दोनों की आंखों से ममता के आंसू बरसने लगे।



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