नफरत
नफरत


किसी जहरीली नागिन की तरह हौले से आपके मन में घुस जाती है और धीरे - धीरे अपना जहर फैलाती है फिर एक दिन मौका देखकर ये आपको ही डस लेती है और कमाल की बात ये है कि आपको पता ही नहीं चलता।आप खुश होते हैं कि आप सामने वाले से नफरत कर जीत रहे हैं मगर आपको महसूस ही नहीं होता कि आप कितनी बुरी तरह से पराजित होते हैं।
मेरी खुशनसीबी कहिये या व्यवहार कुशलता, मुझे ज्यादातर लोग प्यार करने वाले मिले ......मायका हो या ससुराल, मित्रगण हों या मेरे प्यारे पाठक, सभी से भरपूर प्यार मिला। लेकिन सबके जीवन में सब कुछ परफैक्ट कहां होता है तो मेरे में क्यों होता इसलिए थोडा़ सा दुर्भाग्य भी संग चला आया और कुछ लोग नफरत करने वाले भी मिल गये,बेवजह नफरत, थोक के भाव नफरत, अरे इतनी नफरत कि कदम दर कदम मुझे गिराने की नाजायज कोशिशें करते रहें, असभ्य भाषा का प्रयोग कर सीना छलनी करते रहे।मेरी असफलताओं का भरपूर मजाक बना ठहाके लगाते रहे।उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काम हो गया मुझ में कमी निकालना।ये सब देखकर मेरे मन में भी उन लोगों के प्रति बसे प्रेम पर नफरत की परत चढ़ने लगी।
फिर एक दिन मेरी अन्तर्आत्मा ने मुझे झकझोरा और मुझे एहसास हुआ कि ये नफरत आग की तरह मेरे अन्दर भी फैल रही है और मुझे धीरे -धीरे जला रही है।इससे पहले कि इसकी अगन और बढे़ मैंने इसे बुझा दि
या हमेशा के लिए और मन का वह कोना बिल्कुल खाली हो गया, जहां कभी कुछ लोग रहा करते थे, हां बिल्कुल खाली ....इसलिए कि अब उन कुछ लोगों के लिए मेरे दिल में ना प्रेम रहा है ना नफरत।
मेरा मन भरा है प्रेम से लबालब उन सभी रिश्तों के लिए जो मुझसे प्यार करते हैं या प्यार ना सही कम से कम नफरत तो नहीं करते।ईश्वर ने हमें एक ही जीवन दिया है और मैं अपने जीवन को सार्थक बनाऊंगी, मुस्कराहट बाटूंगी, खुशियां बिखराऊंगी, कुछ अच्छा करके जाऊंगी।मैं वो जीवन कभी नहीं बिताउंगी जो मुझे अन्तिम समय में अपराध बोध की स्थिति में ले जाये।
मैं भली भाँति जानती हूं, हमारे बच्चे हमारा ही अनुसरण करते हैं, वे वही सीखते हैं जो हम सिखाते हैं, मैं चाहती हूं अपने बेटे को कुछ अच्छा सिखा सकूं ताकि वो भी डरे नफरत रूपी जहर से और कभी पनपने ना दे अपने मन में।मैं उसे प्रेम करना सिखाऊंगी, ईश्वर की बनाई हर चीज से।
मुझसे बेवजह नफरत करने वालों सुनो! तुम्हारी नफरत तुम्हें ही मुबारक........ मुझसे खूब नफरत करते रहो और खुश होते रहो अपनी जीत पर, क्योकिं जो खेल तुम खेल रहे हो ना मैं उस खेल में शामिल ही नहीं हूं.... बजाते रहो अपनी मिथ्या जीत का डंका
तुम जलो इसमें, दिन रात जलो और जलते रहो, मेरी झोली तो भरी है स्नेह के मोतियों से सो खूब बरसाऊंगी, मैं खूब मुस्कराऊंगी।