और भी फिर मनुष्य अपने आप को बुद्धिमान समझता है। और भी फिर मनुष्य अपने आप को बुद्धिमान समझता है।
मैं हमेशा अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हूं, ये मैं हूँ। मैं हमेशा अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हूं, ये मैं हूँ।
अंदर से एक पिता की दृढ़ आवाज आई। अंदर से एक पिता की दृढ़ आवाज आई।
परिवार में कलह के कारण भतीजी के शादी तोड़ने का प्रयत्न करने वाले चाचा और उनके अंजाम की कहानी परिवार में कलह के कारण भतीजी के शादी तोड़ने का प्रयत्न करने वाले चाचा और उनके अंज...
लेकिन वो नही जानते थे कि जो अहमद अपने इस्लाम के लिए अपने पीर के लिए मरता था वो अहमद दूस लेकिन वो नही जानते थे कि जो अहमद अपने इस्लाम के लिए अपने पीर के लिए मरता था वो अ...
उसकी आँखों में बोझ बन रहे आंसू गालों पर लुढ़कते हुए नीचे गिर कर मिट्टी में मिल गए। उसकी आँखों में बोझ बन रहे आंसू गालों पर लुढ़कते हुए नीचे गिर कर मिट्टी में मिल ग...