तकलीफे

तकलीफे

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हर इंसान की जीवन में तकलीफो का सामना करना पड़ता है। तकलीफे हमारे जीवन पर हो सकती है या फिर हमारे काम के सिलसिले में, पर इन सारी चीजों को संभालना काफी मुश्किल होता है। परंतु जिसे यह करना आ गया उसे जीवन जीने का अर्थ समझ में आ गया। यह बहुत महत्वपूर्ण होता है कि लोगों को तकलीफो को समझना चाहिए और उसके मुताबिक हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए। वक्त के बाद सब कुछ ठीक हो ही जाता है परंतु सिर्फ अपने उपर का भरोसा कभी कम नहीं करना चाहिए और मजबूत रह कर हर मुश्किल का सामना करना चाहिए।


रेनु का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। सबकी लाडली और चहेती थी। देखते देखते रेनु बड़ी हो रही थी, उसकी पढ़ाई में काफी पैसा खर्च हो रहा था। रेनु के पिताजी कम्पनी में काम करते थे और माता जी घर का पूरा काम करती थी। उनका पूरा दिन तो उसी में बीत जाता था।


रेनु के घर वालो को लगता था की उनके पास काफी पैसा है पर ऐसा तो कुछ भी नहीं था। यह उन्हें कैसे समझाए यही बड़ा सवाल था उनके सामने। बदलते वक्त और हालात जैसे बहुत कुछ कहे रहे थे। रेनु के पिताजी अपने काम को लेकर बहुत स्वाभिमानी थे। वे रोज कम्पनी को जाते थे । सभी उनके काम को लेकर बहुत खुश थे। वक्त तेजी से बीत रहा था, देखते देखते रेनु बड़ी हो गई। देखते देखते उसकी उम्र विवाह करने की हो गई थी। रेनु ने अपने दम पर नौकरी हासिल कर ली। उसके लिए उसे काफी मेहनत करनी पड़ी मगर आखिर में उसे उसकी पसंद की नौकरी मिल ही गई। रेनु के घर वाले उसके विवाह को लेकर लड़का ढूँढने की तैयारी में लग गए। एक दो महीने के बाद उसके लिए लड़के आए। पहले ही मुलाकात में आए हुए लड़के ने विवाह को लेकर हाँ कह दिया इसलिए की रेनु पढ़ी लिखी थी, नौकरी करती थी, होशियार और समझदार लड़की थी। रेनु ने और लड़के ने आपस में बातचीत की थी और फिर बहुत सोच समझकर यह फैसला लिया था। विवाह की तैयारी शुरु कर दी थी। देखते देखते विवाह का दिन नजदीक आ गया। दोनो तरफ से काफी ज़ोरदार तैयारी की थी। आखिरकार विवाह का दिन आ ही गया। रेनु के पिताजी ने विवाह को लेकर काफी मेहनत की थी। आखिर बेटी का विवाह बहुत जिम्मेदारी होती है। विवाह यहाँ पर शुरू ही होने वाला था कि रेनु के चाचा जी को हार्ट अटैक अचानक से आ गया। विवाह उधर ही रोक दिया गया। परंतु रेनु के पिताजी और दूसरे पार्टी ने विवाह की पूरी विधी करने के लिए बोला, यह कहकर की बाकी सब हम संभाल लेगे। इधर विवाह शुरू हुआ और दूसरी और चाचा जी अस्पताल में, कुछ समझ में नहीं आ रहा था। आखिर क्या होने वाला था। बाद में अस्पताल जाने के बाद पता चला कि उन्हें कुछ भी नहीं हुआ था यह सिर्फ एक साजिश थी ताकी रेनु का विवाह न हो पाए। जब रेनु के पिताजी और माता जी को इस बारे में पता चला तो वह सुनकर देखकर दंग रह गए। जब विवाह करके रेनु और उसके पति चाचा जी को देखने आए तो सारी बाते सुनकर हैरान रह गए। आखिर कोई इतना बुरा कैसे सोच सकता है पर यह हकीकत थी।


रेनु अपने पति के साथ ससुराल चली गई और कभी अपने चाचा चाची का चेहरा नहीं देखेगी, यह निश्चित किया। इधर रेनु के पिताजी और माता जी ने भी घर से चले जाने का तय किया। वे दोनो अपना सामान लेकर अपने घर चले जा ही रहे थे की रेनु की दादी ने भी उन्ही के साथ जाने का तय किया। इधर दादी ने किसी की भी बात नहीं सुनी और रेनु के पिताजी और माता जी के साथ चली गई और वापस कभी भी मुड़कर नहीं देखा।


लोगो के मन में इतनी नफरत कब घर देती है कुछ पता ही नहीं चलता इसके चलते अपने ही लोग दूर चले जाते है।


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