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SNEHA NALAWADE

Others

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SNEHA NALAWADE

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वक्त कितने जल्दी बीत जाता है..

वक्त कितने जल्दी बीत जाता है..

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वक्त इतनी तेजी से चलता है कि पता ही नहीं चलता. हर घड़ी घर समय किसी ना किसी का इम्तहान लेता ही रहता है. लोग गिरगिट की तरह बदलते है आज कुछ दर्शाते हैं और कल कुछ और, अभी का वक्त ऐसा है जहाँ पर किसी पर भरोसा करना काफी तकलीफ़ दायक भी हो सकता है. कुछ चीजें यादे बन कर रह जाती है कड़वी या मीठी। उनही यादो के सहारे हम अपनी जिंदगी गुजार देते हैं. वक्त इतने जल्दी बीतता है की ये बाते कल की तो है ऐसा लगता है कभी कभी ऐसा लगता है कि वह वक्त वापस आजाए...

शामल अपने परिवार के साथ रहती थी,पढ़ाई में वो पहले से ही होशियार थी. जैसे हमेशा होता है कि लड़की पिता की लाडली होती है ठीक वैसे ही शामल थी,पहले से ही वो जानती थी की वो अपनी जिंदगी में क्या करना चाहती थी. इसलिए उसने पहले से ही तैयारी शुरु कर दी थी. वक्त जैसे तेजी से बीत रहा था।

शामल के पिताजी आर्मी में थे. हर 3-4 महीने के बाद छुटी पर आते थे, शामल की माताजी घर अक्ले संभालती थी. जो कुछ भी वो कर सकती थी उसके लिए और पूरे के लिए वह हमेशा करती. उनकी जिंदगी इधर से उधर भागने में ही गुजर रही थी पर वे हमेशा सब कुछ संभाल लेती थी. जब भी उसके पिता जी छुटी काटने घर पर आते थे तब पूरा घर खुशी से छुम उटता था छुटियो में क्या करना है क्या नहीं यह सब पहले से ही तय करते थे. शामल के पिताजी तीन महीने के बाद छुटी पर आए. हमेशा की तरह घुमना बाहर जाना हुआ. बहुत सी चिजो को छाया चिञ में कैद की थी वक्त तेजी से बीत रहा था देखते देखते महीने भर की छुटी बीत गई. घर वाले तो यादो के सहारे ही जी रहे थे. कुछ दिनों के बाद यूनिट से फोन आया की क्या शामल के पिताजी आए बिमार है ? इधर घर वाले परेशान हो गए. डॉक्टर अपना इलाज कर रहे थे पर कुछ पता चल नहीं रहा था. घर वाले दिन में दो बार फोन करके हाल चाल पूछ रहे थे. अब घर वाले तो वहा पर जा नहीं सकते थे इसीलिए वहा का माहौल ठीक नहीं था और वहा पर जाना खतरे से कम नहीं था इसीलिए यूनिट वालो ने आने से मना कर दिया वक्त तेजी से बीत रहा था यहाँ पर शामल के पिताजी को क्या हुआ है यह पता नहीं चल रहा था सारा इलाज करके देख लिया था डॉक्टरो ने पर कुछ हाथ में नहीं आया. कुछ दिनो के बाद यूनिट वालो से फोन आया की शामल के पिताजी शहीद हो गए है. येे सुनकर घर वालो के अॉखो से आसू रूख नहीं रहे थे और नाही कोई बता पा रहे थे उने क्या हुआ था. उनका शरीर घर वालो के हवाले कर दिया जाता है उनहे एेसे देखकर घर वाले रो पड़े. सारा विधी के अनुसार कर दिया जाता है इधर परिवार वालो के लिए एक एक दिन गुजारना बहुत मुश्किल हो रहा था.

घर वाले शामल और उसकी माताजी तो सिर्फ उन यादो के सहारे जी रहे थे पर अंदर से जैसे मर चूके थे. वक्त के साथ शामल बड़ी हो गई. जिस प्रकार उसने अपना बचपन गुजारा था उसका उल्लेख कर पाना बहुत मुश्किल था पर वक्त के साथ वह बड़ी हो गई और बैंक में कर्मचारी के तौर पर काम करने लगी.अच्छी खासी तनख्वाह कमाने लगी. कुछ महीनो के बाद उसका विवाह एक सुमेदार अजय के साथ हो गया और वह खुशी खुशी उनके साथ रहने लगी।

वक्त कितने जल्दी बीत जाता है कुछ पता ही नहीं चलता....


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