जहाँ मन शांत होता है ऐसी जगह

जहाँ मन शांत होता है ऐसी जगह

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जहाँ हमारा मन शांत होता है ऐसी एक ही जगह होती है वो है हमारा घर। जरूरी नहीं है की वो हमारा घर हो पर वो हमारा गाँव भी तो हो सकता है। गाँव हम बार बार नहीं जाते साल में एक या दो बार या फिर किसी त्योहार के वक्त। गाँव में पूरा परिवार एक साथ आता है सब मिल जूलकर रहते हैं अपने सुख - दुख बाटते है बड़ी से बड़ी मुसीबत का हल जैसे अपने आप मिल जाता है। सब कुछ अच्छा ही चलता रहता है।

अनिल अपने काम की वजह से बाहर शहर में परिवार के साथ रहते थे। अनिल को दो भाई थे। बड़ा भाई अनुज गाँव में रहता था, वो एक किसान था और उन्हीं के साथ अनुज के माता - पिता भी थे। दूसरा भाई गाँव के नज़दीक 25 किलो मीटर के अंतर पर रहता था। वो एक शिक्षक थे। अनिल उसके परिवार के साथ साल में एक बार आता था और बीच में त्योहार के वक्त। अनिल आर्मी में था। आर्मी में होने की वजह से सारी सुविधाएँ थीं, परंतु परिवार वालों को लगता था की जैसे वो बहुत पैसे वाले हैं , परंतु असल में ऐसा कुछ भी नहीं था, वो कैसे सब कुछ देख रहते थे वो उन्ही को पता था।

एक बार ऐसी ही छुट्टियों में अनिल अपने परिवार के साथ गए थे, सब जैसे हँसी खुशी चल रहा था, अनिल ने अपनी पत्नी के लिए कंगन बनवाये थे। वो देखकर अंकित की पत्नी ज़रा उदास थी। ज़रा बहस हो गयी। अंकित खुद अच्छा खासा कमाता था, घर गाड़ी सब कुछ था परंतु उस दिन जब उसकी पत्नी ने वो कंगन देखे तब वो ज़रा भावुक हो गयी, क्योंकि उसके पति ने मंगलसूत्र बनाने के लिए पैसे नहीं दिए वह पैसे टेक्स भरने में खर्च हो गए जितने पैसे अंकित ने भरने में खर्च किए ठीक उतने ही अनिल ने खर्च किए। यह जब अंकित की पत्नी को पता चला तो वो ज़रा गुस्सा हो गई। उसने जेठ जेठानी के सामने ही झगड़ा शुरू कर दिया यहाँ तक की वो रो पड़ी। जेठ जेठानी यह सब देखकर समझ गए की ये और कुछ नहीं जलने की बू है।

परंतु बाद में सफाई देना शुरू कर दिया पर वह सब कुछ समझ गए की अंदर ही अंदर उनकी कामयाबी को देखकर उसे जलन हो रही थी। अंत में संगठित परिवार होने की वजह से बहस किस लिए, इस वजह से कुछ नहीं बोले वो तो अच्छा हुआ घर में कोई नहीं था, वरना बवाल खड़ा हो जाता। परंतु इसका कुछ खास असर अनिल के परिवार को नहीं हुआ वो सब उलटा खुशी से रहते। जो कुछ भी तय किया की है उसके अनुसार सब कुछ करते रहते थे एक साथ मिलकर अपने बच्चों को अपनी भारतीय तौर तरीके के बारे में बताते थे। उन्हे गाँव आकर अलग ही शांति मिलती थी जो उन्हे बाकी दुनिया को छोड़ देती थी, बाकी सब खुशी से रहने लगे छल कपट से दूर...


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