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SNEHA NALAWADE

Tragedy

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SNEHA NALAWADE

Tragedy

सत्य है...

सत्य है...

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हमारे देश में जितनी इज्जत घर के बड़े लोगों की करते हैं उतनी शायद घर के महिलाओ की नहीं हो पाती आज भी हम इस सवाल का जवाब नहीं ढ़ूंढ़ पाए...

सविता अपने माता - पिता की लाडली थी । पहला से ही पढ़ाई में काफी होशियार थी । घर परिवार काफी बड़ा था । परंतु उसकी कामयाबी पर हमेशा उसके भाई बेचैनी महसूस करते थे । वक्त तेजी से बीत रहा था ,देखते ही देखते सविता बड़ी हो गई । उसे आगे पढने की इच्छा बहुत थी पर उतना पैसा नहीं था । उसका विवाह हो गया उसने घर वालों को बहुत समझाने की कोशिश की पर कोई कोई बात मानने के लिए तैयार नहीं था । अंत में उसका विवाह हो ही गया...

आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लें एक बार घर वालों ने तय कर दिया तो बस कुछ नहीं बदल सकता।


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