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anuradha nazeer

Abstract

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anuradha nazeer

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मनुष्य की फ़ितरत

मनुष्य की फ़ितरत

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 प्रार्थना करते समय समझता है कि

बागवान सब कुछ सुन रहा है

कुछ करेगा, कुछ तो करेगा

विश्वास बढ़ता है।


निंदा करते समय यह

भूल जाता सब कुछ।

पुण्य करते समय समझता है

कि भगवान देख रहा है।


पुण्य करते समय समझता है

कि भगवान देख रहा है

पाप करते समय सब कुछ भूल जाता है

दान करते समय भगवान सब में बसता है।


चोरी करते समय सब भूल जाता है

प्रेम करते समय भगवान ने

सब कुछ बनाई


नफरत करते समय

सब भूल जाता है

और भी फिर मनुष्य अपने आप को

बुद्धिमान समझता है।


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