सीमा शर्मा पाठक सृजिता

Inspirational

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सीमा शर्मा पाठक सृजिता

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सम्मान दादी का

सम्मान दादी का

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आज सोनम की पहली रसोई थी, शादी के पांच दिन बाद। सोनम ने बिना किसी की मदद से खाना बना लिया क्योंकि खाना बनाने का शौक तो उसको शादी से पहले से ही था। वह अक्सर अपनी मां की मदद करवाया करती थी। सोनम ने खाना लगाकर सबसे पहले अपनी दादी सास को बुलाया और उस चेयर पर बैठा दिया जहां उसकी सासु माँ बैठा करती थी। सोनम पिछले पांच दिनों से देख रही थी कि दादी को खाना उनके कमरे में ही भिजवा दिया जाता है और सब एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। सोनम को ये बात बहुत खराब लग रही थी कि पूरा परिवार एक साथ खाना खाये और दादी अलग कमरे में अकेले।

शादी के दूसरे दिन ही सोनम चाहती थी कि सासु मां को बोले दादी को साथ बिठाने के लिए लेकिन वह कह नहीं पाई। वह सोचने लगी कहीं कोई बबाल न मच जाये। वह चुप तो रही लेकिन उसका मन बैचेन था वह ये झेल नहीं पा रही थी कि घर की सबसे बडी़ और बुजुर्ग दादी इस तरह से अकेली बैठकर खाना खाये। उसके घर में तो दादी को सबसे पहले खाना खिलाती थी मां और यहां सासु माँ नौकरों के हाथ खाना भिजवा देती हैं इतना बडा़ घर है इतने पैसे वाले लोग हैं लेकिन दिल तो बहुत छोटा है इनका। दादी के लिए ना तो सासु माँ के पास समय है और नाहीं मान सम्मान की भावना।

सोनम ने सोच लिया था उसे ही कोशिश करनी पड़ेगी दादी को उनका अधिकार दिलवाने की अगर अभी नहीं की तो कभी नहीं कर पाउंगी। सुबह तो ससुर जी और पति अंकुर ऑफिस गये थे तो सोनम ने सुबह नाश्ता बनाया था और शाम को पूरा खाना ताकि पूरा परिवार इकट्टा हो और दादी को सबके साथ बिठा सके।

सोनम ने जब दादी को सासु माँ की सीट पर बिठा दिया तो दादी ने मना किया और बोली, "बिटिया तेरी सास को पसंद नहीं आयेगा वो नाराज हो जायेगी और मैं नहीं चाहती मेरी वजह से मेरी गुड़िया को डांट पडे़ तु मेरा खाना कमरे में ही दे दे बेटा। "दादी की बात सुनकर सोनम बोली, 

" कुछ नहीं होगा दादी आप यहीं बैठिए आप घर में सबसे बडी़ हैं आपका अधिकार है यहां बैठकर अपने पूरे परिवार के साथ खाना खाना। "

इतने में सोनम की सास सविता जी भी आ गई और अपनी सासु माँ को अपनी कुर्सी पर बैठे देख तिलमिला गई और कहने लगी, " मां आज आप यहां कैसे आपको पता है ना मैं यहां बैठती हूँ आप अपने कमरे में जाइये मैं खाना वहीं भिजवा दूंगी। "

सासु माँ के मुँह से ऐसी बातें सुनकर सोनम को बहुत गुस्सा आया और वह कहने लगी, " ठीक है मम्मी जी तो आप भी अपने कमरे में जाइये आपका खाना मैं वहीं भिजवा दूंगी क्योंकि जब आप अपनी सासु माँ को ऐसा बोल सकती हैं तो मैं भी ये कर सकती हूँ अपनी सासु माँ के साथ । "

सोनम की बात सुनकर सविता जी को काटो खून नहीं उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे खींच कर तमाचा मार दिया हो किसी ने। कुछ बोलते नहीं बन रहा था। अपनी सासु माँ को शान्त खड़े देख सोनम उनके पास आई और कहने लगी, 

"सॉरी माँ मुझे ऐसे नहीं बोलना चाहिए आपसे लेकिन ये बात आपको समझनी होगी कि दादी आपसे बडी़ हैं और जो उम्मीद आप मुझसे करती हैं उनको भी तो आपसे होंगी। मैंने सिर्फ आपसे कहा तो आपको कितना बुरा लगा आप तो उनके साथ ऐसा व्यवहार ना जाने कब से कर रही है कैसा लगता होगा उनको। मुझे किसी का दिल नहीं दुखाना ये मेरा परिवार है और मैं चाहती हूँ हम सब प्यार से हंसी खुशी रहे। बुजुर्गों को नजरंदाज कर सिर्फ अपने बारे में सोचना मेरे संस्कारो में नहीं है मां। अगर आपको अपने सब अधिकार चाहिए तो दादी को उनके अधिकार देने होंगे। "


सोनम की बात सुनकर सविता जी बैठ गई और सोनम ने सबसे पहले दादी की थाली लगाई और फिर अपने सास ससुर की। पल पल पर गुस्सा होकर चीखने चिल्लाने वाली सविता जी को यूं शान्त देखकर सोनम के ससुर जी और बेटा आश्चर्यजनक भाव से देख रहे थे और मन ही मन अपनी समझदार और संस्कारी बहु को धन्यवाद कह रहे थे। अंकुर ने नजरों में ही अपनी पत्नी को थैंक्स बोल दिया था क्योंकि आज उसने वो करा दिया था जो उसके मन में कब से था लेकिन मां के सामने कभी कह नहीं पाया।


दादी ने सोनम को ढेरों आशीर्वाद दिया क्योंकि अर्से बाद उन्होंने पूरे परिवार सहित बैठकर खाना खाया था। सविता जी कुछ नहीं बोल पाई थी शायद समझ गई थी उनकी बहु उनसे भी ज़्यादा तेज है और अपनी बहु से मान सम्मान चाहिए तो पहले अपनी सासु माँ को वो सब देना होगा जिस पर उनका अधिकार है। सोनम बहुत खुश थी क्योंकि उसकी इस पहल ने पूरे परिवार को एक साथ ला दिया था।

दोस्तों, जो महिला अपनी सास से अच्छा व्यवहार नहीं करती वो खुद सास बनने पर उम्मीद करती है कि उसकी बहुएं उसकी पूजा करें। वो ये भूल जाती हैं कि जो बर्ताव उन्होंने किया है अपनी सासु माँ के साथ वो उनकी बहु उनके साथ भी कर सकती हैं। जो महिला अपनी सास का मान सम्मान नहीं करती उन्हें ये उम्मीद भी छोड़ देनी चाहिए कि उनको अपनी बहुओं से मान सम्मान मिलेगा।



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