मन के भावों को पन्नो पर गढ़ती हूं कुछ इस तरह मैं अपनी कविता और कहानी लिखती हूँ.....
Share with friendsअब उसने फैसला किया है कि वह नैना के अलावा किसी को अपना दिल नहीं देगा
Submitted on 22 Oct, 2020 at 12:02 PM
अकेली सारे घर का काम संभालती हूं। मुझे भी थकान होती है,
Submitted on 21 Oct, 2020 at 16:48 PM
अब वह भी ढूंढ़ लेगी अपने अन्दर छुपी नारीशक्ति और आवाज उठायेगी शेखर के हर जुल्म पर।
Submitted on 18 Oct, 2020 at 07:34 AM
उसके खेत में पानी में सिर्फ फसल नहीं तैर रही थी बल्कि तैर रहे थे उसके सभी अरमान
Submitted on 11 Oct, 2020 at 12:22 PM
वो जमाना गया जब लाचारी होती थी बेटी के पिता होने पर
Submitted on 28 Sep, 2020 at 04:30 AM
जब आप अपनी सासु माँ को ऐसा बोल सकती हैं तो मैं भी ये कर सकती हूँ अपनी सासु माँ के साथ । "
Submitted on 20 Sep, 2020 at 03:02 AM
बाहों में खुद को छुपा लेती है और मन में सोचती है -सच में बहुत ही डरावना सपना था।
Submitted on 12 Sep, 2020 at 16:18 PM
दादा जी और दादा जी के मित्र दोनों खामोश थे और निधि के चेहरे पर आक्रोश झलक रहा था ।
Submitted on 07 Sep, 2020 at 12:33 PM
वहां सुकुन नहीं केवल सन्नाटा था वहां अपनापन नहीं केवल उदासी थी|
Submitted on 21 Aug, 2020 at 18:22 PM
रेशमा ने जल्दी से रो रहे बच्चे को गोद में उठाया और दूध पिलाने लगी।
Submitted on 21 Aug, 2020 at 18:15 PM