मन के भावों को पन्नो पर गढ़ती हूं कुछ इस तरह मैं अपनी कविता और कहानी लिखती हूँ.....
मैं धम्म से बैठ गई हूं और सोच रही हूं ये पुरुष हमने ही तो जन्मे हैं मैं धम्म से बैठ गई हूं और सोच रही हूं ये पुरुष हमने ही तो जन्मे हैं
आप अपने बच्चों से जैसे व्यवहार की आस लगा रहे हैं वैसा ही पहले आप उन्हें करके दिखाइये आप अपने बच्चों से जैसे व्यवहार की आस लगा रहे हैं वैसा ही पहले आप उन्हें करके दिख...
मेरी झोली तो भरी है स्नेह के मोतियों से सो खूब बरसाऊंगी, मैं खूब मुस्कराऊंगी। मेरी झोली तो भरी है स्नेह के मोतियों से सो खूब बरसाऊंगी, मैं खूब मुस्कराऊंगी।
अब उसने फैसला किया है कि वह नैना के अलावा किसी को अपना दिल नहीं देगा अब उसने फैसला किया है कि वह नैना के अलावा किसी को अपना दिल नहीं देगा
अकेली सारे घर का काम संभालती हूं। मुझे भी थकान होती है, अकेली सारे घर का काम संभालती हूं। मुझे भी थकान होती है,
अब वह भी ढूंढ़ लेगी अपने अन्दर छुपी नारीशक्ति और आवाज उठायेगी शेखर के हर जुल्म पर। अब वह भी ढूंढ़ लेगी अपने अन्दर छुपी नारीशक्ति और आवाज उठायेगी शेखर के हर जुल्म प...
उसके खेत में पानी में सिर्फ फसल नहीं तैर रही थी बल्कि तैर रहे थे उसके सभी अरमान उसके खेत में पानी में सिर्फ फसल नहीं तैर रही थी बल्कि तैर रहे थे उसके सभी अरमान
वो जमाना गया जब लाचारी होती थी बेटी के पिता होने पर वो जमाना गया जब लाचारी होती थी बेटी के पिता होने पर
जब आप अपनी सासु माँ को ऐसा बोल सकती हैं तो मैं भी ये कर सकती हूँ अपनी सासु माँ के साथ । " जब आप अपनी सासु माँ को ऐसा बोल सकती हैं तो मैं भी ये कर सकती हूँ अपनी सासु माँ क...
बाहों में खुद को छुपा लेती है और मन में सोचती है -सच में बहुत ही डरावना सपना था। बाहों में खुद को छुपा लेती है और मन में सोचती है -सच में बहुत ही डरावना सपना था।