मैं कहानियां लिखता हूँ उन बातों पर उन चीजों पर जो मुझे परेशान करती है , सच को शब्दों के पंख... मैं कहानियां लिखता हूँ उन बातों पर उन चीजों पर जो मुझे परेशान करती है , सच...
न जमीन, न कोई जायदाद, न धन-दौलत कुछ भी तो नहीं था हां बस था तो एक कच्ची मिट्टी का ये घर जिसकी छतें ब... न जमीन, न कोई जायदाद, न धन-दौलत कुछ भी तो नहीं था हां बस था तो एक कच्ची मिट्टी क...
री दुनिया के लिए तुम्हारे दिल का हाल, कहीं कुलीन को चुनना तुम्हारी मजबूरी तो नहीं री दुनिया के लिए तुम्हारे दिल का हाल, कहीं कुलीन को चुनना तुम्हारी मजबूरी तो नही...
इस तरह मीटिंग मैं-मैं के स्वर से चालू हुई और इसी मैं-मैं के स्वर से समाप्त भी इस तरह मीटिंग मैं-मैं के स्वर से चालू हुई और इसी मैं-मैं के स्वर से समाप्त भी
"ढोल गँवार शुद्र पशु नारी" "ये सब ताड़न के अधिकारी " "ढोल गँवार शुद्र पशु नारी" "ये सब ताड़न के अधिकारी "
।क्या अब हमारा देश इतना संस्कारहीन बेगैरत होता जा रहा है? ।क्या अब हमारा देश इतना संस्कारहीन बेगैरत होता जा रहा है?