काबिल

काबिल

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मत कर प्यार का ढोंग मुझसे और नहीं चाहिए मुझे तेरी ममता, और यह झूठ की हमदर्दी मत जताया कर मुझसे अगर सच में तेरे दिल में इतनी ममता थी मेरे लिए, तो क्यों कि तूने दूसरी शादी चाचा के साथ मेरे पिता के मरने के बाद, शर्म आती है मुझे तुझ पे समाज में मुंह छिपाकर चलता हूँ मैं, लोग हंसते हैं मेरे ऊपर।

तू रह अपने पति और उसके बेटे के साथ, कोई लेना देना नहीं है मुझे तुझसे और तेरे घर से, मैं अपने बीवी और बच्चों के साथ जा रहा हूँ।

बस इतना कहकर रमेश अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपनी मां को छोड़ कर चला गया, उसकी मां बस उसे जाते हुए देखती रही एक शब्द भी ना बोली बस चुपचाप उसे जाते देखती रही। और मन ही मन ये कहती रही, क्या बताऊं बेटे मैं तुझे कि मैंने दूसरी शादी क्यों की तेरे चाचा से तेरे पिताजी के मरने के बाद, काश मैं तुझे ये बता पाती और काश तू ये समझ पाता।

बस दो साल का था तू जब तेरे पिता जी का देहांत हुआ था, वो तो चले गए इस दुनिया से और अपने पीछे तुझे छोड़ गए मेरी हाथों में।

न जमीन, न कोई जायदाद, न धन-दौलत कुछ भी तो नहीं था हां बस था तो एक कच्ची मिट्टी का ये घर जिसकी छतें बारिश में टपकती थी। कहां जाती मैं, क्या करती मैं, उस हालात में, कोई तो अपना नहीं था मेरा, बस तू ही तो था जिसे मैं अपना कह सकती थी।

मेरे मां-बाप तो बचपन में ही गुजर गए थे, भाइयों ने जैसे-तैसे मेरी शादी कर दी, शादी करने के बाद एक बार भी वो नहीं आये मेरा हाल पूछने कि मैं कैसी हूँ। काश के मैं तुझे बता पाती जिस समाज की तू बात कर रहा है, जिस समाज से तू मुंह छुपा के गुजरता है, जिस समाज के सामने तेरा सर शर्म से झुक जाता है। उसी समाज के लोग उस वक्त मेरे घर पे बाज जैसी नजर रखा करते थें,मुझे देखने वाली हर मर्द की नजर में हवस हुआ करती थी।

काश मैं तुझे बता पाती बेटे जिस वक्त तेरे पिता का देहांत हुआ था, उस वक्त मेरी उम्र बस सतरह साल की थी पंद्रह साल की उम्र में मेरी शादी हो गई थी, दो साल बाद तेरे पिता चल बसे। काश मैं तुझे बता पाती जवानी में विधवा होना और पति का साया सर से उठ जाने के बाद, जिस समाज की तू बात कर रहा है उस समाज के मर्दों की निगाह में, उस औरत के प्रति कितनी हवस भर जाती है। काश मैं तुझे बता पाती, काश मैं तुझे बता पाती कि मैंने दूसरी शादी तेरे लिए ही तो की ताकि तू बड़ा होकर पढ़- लिखकर काबिल और समझदार इंसान बन जाये। काश मैं तुझे बता पाती बेटे, किस हालात से मैं गुजरी हूँ। काश मैं तुझे बता पाती उस वक्त जब तू दूध के लिए भूख से तड़प रहा था और घर में एक अन्न का दाना नहीं था। काश मैंने तेरी अच्छे भविष्य के बारे में नहीं सोचा होता, तुझे काबिल और समझदार इंसान बनाने के बारे में नहीं सोचा होता तो आज इस कदर तू मुझसे ये सवाल ना पूछता।

आज ये सवाल तू इसलिए पूछ रहा है क्योंकि, तू ये सवाल पूछने के काबिल जो हो गया है, काश ये सवाल तुमने उस वक्त पूछा होता जब बस दो साल का था, जब भूख लगने पर दूध के लिए रोता था। काश उस वक्त तूने यह सवाल पूछा होता जब तूं काबिल नहीं था।


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